अकर्मक और सकर्मक क्रिया के उदाहरण - akarmak aur sakarmak kriya ke udaaharan

जैसा कि आपने ऊपर दिए गए कुछ उदाहरणों में देखा है उनमें कोई कर्म नहीं है एवं क्रिया का सीधा फल कर्ता पर पड़ रहा है। जब कोई कर्म नहीं होता ही तब वहां अकर्मक क्रिया होती है। अतः ऊपर दिए गए उदाहरण अकर्मक क्रिया के अंतर्गत आयेंगे।

  • मेघनाथ चिल्लाता है।
  • रावण लजाता है।
  • राम बचाता है।

ऊपर दिए गए उदाहरणों में आप देख सकते हैं की कर्म का अभाव है अर्थात कर्म नहीं है और क्रिया का सीधा फल करता पर पड़ रहा है।

जैसा कि हमें पता है कि जब कोई कर्म नहीं होता तो वहां पर अकर्मक क्रिया होती है। अतः ऊपर दिए गए उदाहरणों में अकर्मक क्रिया होगी एवं ये अकर्मक क्रिया के अंतर्गत आएंगे।

अकर्मक क्रिया के अन्य उदाहरण

  • सीता रोती है।
  • आशीष खाता है।
  • सुनील चढ़ता है।
  • मनीष सुनाता है।

जैसा कि आपने ऊपर दिए गए उदाहरणों में देखा कि इनमें कर्म का अभाव है।  इसका मतलब है कि वाक्य में कर्म नहीं है।

परिणामस्वरूप क्रिया का सीधा फल करता पर पड़ रहा है। जैसा कि हमें पता है कि जब वाक्य में कोई कर्म नहीं होता है तब क्रिया अकर्मक होती है। अतः ऊपर दिए गए उदाहरण भी अकर्मक क्रिया के अंतर्गत आयेंगे।

  • राकेश मारता है।
  • लिबिन हिलता है।
  • गाड़ी चलती है।
  • गधा मारता है।
  • घोडा दौड़ता है।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं, मरता है, चलती है आदि क्रियाओं का सीधा असर कर्ता पर पड़ रहा है। इसकी वजह यह है की इस वाक्य में कर्म का प्रभाव है।

जब कर्म का अभाव होता है तो क्रिया का फल कर्ता पर पड़ता है। जब वाक्य में कोई कर्म नहीं होता तो क्रिया अकर्मक होती है। अतः यह सारे उदाहरण भी अकर्मक क्रिया के अंतर्गत आएंगे।

दूसरा – वह आम खता हैं , रमेश रोटी खाता हैं , नेता झूठ बोलता हैं आदि। इन वाक्यों में कर्म लगा हैं अतः यह सकर्मक क्रिया का उदाहरण हैं ।

जैसे की आपको पता होना चाहिए की यह क्रिया के ही भाग( part) हैं इसलिए हमें इसे समझने के लिए क्रिया के बारे में अध्ययन करना आवश्यक होता हैं लेकिन इस पेज में अकर्मक और सकर्मक क्रिया के बारे में ही अध्ययन करेंगें हैं बस थोड़ी सी क्रिया के बारे में पढ़ लेते हैं ताकि सकर्मक अकर्मक को समझने में दिक्क्त न हो।

 

 

akarmak and sakarmak kriya

सकर्मक और अकर्मक क्रिया: एवं उदाहरण 

इसे समझने से पहले थोड़ा क्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते  हैं इसलिए कि अकर्मक और सकर्मक क्रिया को समझने में कोई परेशानी न हो ।

क्रिया जिससे कार्य का सम्पादन हो वही क्रिया कहलाता हैं अर्थात जिसके द्वारा कर्ता(subject) किसी भी काम(work) को कर लेता हैं या करते हैं तो वह क्रिया कहा जाता हैं दूसरे शब्दों में जिस शब्द से किसी काम का होना(करना) समझा जाए तो वह शब्द क्रिया कहलाता हैं ।

जैसे –  वह विद्यालय जाता हैं इस वाक्य में ‘वह‘ कर्ता हैं और वह विद्यालय जाता हैं लेकिन कैसे जाता हैं तो इसका जबाब हैं चलने से यदि बैठें रहेंगें तो विद्यालय कभी भी नहीं पहुँच सकती हैं चलने से ही वह विद्यालय जाने का कार्य सम्पन्न करते हैं अतः इस वाक्य में जाना(go) क्रिया हैं कार्य का संपादन चलने से होता हैं ।

वह खेलता हैं,खेलता हैं मतलब कर्ता कोइ कार्य करते हैं क्या करते हैं तो खेलता हैं मतलब की खेलने के द्वारा कार्य हो रहा हैं अतः इस वाक्य में खेलना क्रिया हैं इसी प्रकार हँसना , रोना , गाना , बोलना , दौड़ना , चलना , जाना , पीना , खेलना , बोलना , मुस्कुराना , टहलना,सोना , तैरना , पीटना , उठना , जगना आदि क्रिया कहे जाते हैं।

 

(ध्यान दें – अंग्रेजी व्याकरण,हिंदी व्याकरण तथा संस्कृत व्याकरण में क्रिया के रूपों में थोड़ी से अंतर हैं हालाँकि क्रिया तो लगभग सामान अर्थ प्रदान करते हैं लेकिन पढ़ने तथा उपयोग करने को लेकर थोड़ा अंतर हैं वह कोन सा अंतर हैं उसके बारे में चर्चा करते हैं- हिंदी एवं  संस्कृत व्याकरण में क्रिया का सम्बन्ध मूल रूप से धातु से हैं संस्कृत व्याकरण में धातु का रूप होते हैं जो लाकरों के अनुसार परिवर्तन होते रहते हैं और हिंदी व्याकरण में धातु का एक अलग रूप ही हैं इन सब बातों को समझने के लिए धातु को समझ लेते हैं ताकि सब कुछ साफ हो जाए ।

धातु जिस अक्षर अथवा शब्द से क्रिया बनती है वह धातु कहा जाता हैं मतलब साफ हैं कि क्रिया शब्द धातु से बनते हैं। जैसे – पढ़ना क्रिया में ‘पढ़’ धातु लगा हैं जो कि यह मूल धातु हैं अतः मूल धातु में अन्य अक्षर जोड़कर क्रिया बनाई जाती हैं। जिसे कुछ उदाहरण से समझते हैं –   

चल + ना = चलना ।

पी + ना = पीना ।

जा + ना = जाना।

सो + ना = सोना आदि । 

अब आप क्रिया के बारे में समझ गए होंगें अब लौट चलते हैं अपनी प्रमुख प्रकरण पर जो कि अकर्मक और सकर्मक क्रिया था)

 

इन्हें भी पढ़ें –  1कारक किसे कहते हैं ? कारक कितने प्रकार के होते हैं – हिंदी व्याकरण ।

2 हिंदी कि मात्रा क्या होता हैं मात्रा – व्याकरण ।

 

 

क्रिया के भेद – 

 

कर्म के आधार पर  क्रिया को तीन भागों में बाटा गया हैं –

1 सकर्मक क्रिया 

2 अकर्मक क्रिया 

3 द्विकर्म क्रिया 

 

 

व्याख्या – 

  सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं – 

जिस क्रिया के साथ कर्म आता हो तो वह सकर्मक क्रिया कहा जाता हैं अर्थात जब क्रिया का फल कर्ता पर न पड़े किसी अन्य वस्तु पर पड़े तो वह सकर्मक क्रिया कहे जाते हैं ।

जैसे – रमेश सेव खाता हैं- इस वाक्य में क्रिया के साथ कर्म लगा हैं मतलब कि क्रिया का फल कर्ता पर नहीं पड़ता हैं और किसी अन्य वस्तु ‘सेव‘ पर पड़ता हैं तो इस वाक्य में क्रिया सकर्मक हैं और क्रिया का फल जिस वस्तु पर पड़े वह कर्म कहलाता हैं इसलिए ‘सेव’ कर्म हैं। इस वाक्य में रमेश कर्ता हैं खाता क्रिया हैं तथा कर्म सेव हैं।

अन्य उदाहरण – वह आम खाती हैं- इस वाक्य में वह कर्ता हैं खाना क्रिया हैं तथा आम कर्म हैं अर्थात क्रिया का फल कर्ता पर  न पड़ कर आम पर पड़ रहा हैं मतलब आम को खाया जाता हैं अतः यह क्रिया सकर्मक क्रिया कहा जाएगा क्योंकि क्रिया में कर्म लगा हैं। 

श्याम पुस्तक पढ़ रहा हैं- यहाँ क्रिया का फल पुस्तक पर पड़ रहा हैं न कि कर्ता पर,स्पष्ट हैं कि क्रिया कर्म के साथ जुड़ा हैं।

 

 

अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं :

जिस क्रिया के साथ कर्म नहीं लगा होता हैं वह अकर्मक क्रिया कहा जाता हैं अर्थात जब क्रिया का फल को कर्ता को स्वंग भुगतना पड़े तो ऐसे  क्रिया को अकर्मक क्रिया कहा जाता हैं ।

जैसे- जैसे वह रोता हैं- इस वाक्य में क्रिया तो हैं लेकिन कर्म नहीं हैं मतलब कि क्रिया फल कर्ता के ऊपर पड़ता हैं रोता हैं लेकिन क्या रोता हैं पता नहीं हैं यदि ये कहा जाता कि वह दिन भर रोता हैं तो ये तो समझ में आता कि वह दिन भर रोता हैं।

वह भागता हैं –इस वाक्य में कर्ता भागता है लेकिन कहा भागता हैं कुछ पता नहीं मतलब क्रिया का फल कर्ता पर आ रहा हैं ऐसे क्रिया को अकर्मक क्रिया कहा जाता हैं क्योंकि इन क्रिया के साथ कर्म नहीं आ रहा हैं ।

इसी प्रकार वह सोता हैं , वह जाता हैं , गीता गाती हैं, श्याम हँसता हैं  आदि ।

 

(ध्यान दें जो कार्य का संपादन करें वह कर्ता(subject)कहा जाता हैं, जिससे कार्य का संपादन हो वह क्रिया कहा जाता हैं और क्रिया का फल जिस पर पड़े वह कर्म कहा जाता हैं जिसे हम कुछ उदाहरण से समझते हैं।

जैसे – गणेश घर जाता हैं- इस वाक्य में कर्ता गणेश हैं क्योंकि कार्य का संपादन गणेश कर रहा हैं काम क्या हैं तो घर जाना  हैं इसलिए जाना क्रिया हैं क्योंकि जाता हैं तभी काम समाप्त हो रहे हैं चलेगा नहीं तो गणेश घर तक कभी नहीं पहुंच सकते हैं अतः चलने( जाने) से ही कार्य का संपादन हो रहा हैं और तीसरा ‘घर‘ कर्म हैं क्योंकि क्रिया का फल घर पर पड़ रहा हैं मतलब कि कर्ता कहा जाता हैं तो घर जाता हैं ।)

 

 

अकर्मक क्रिया का उदाहरण –

वह नाचता हैं , सीता रोती हैं , मैं पढता हूँ , श्याम जाता हैं , बालक खेलता हैं , अजय घूमता हैं , अरुण टहलता हैं , नेहा हँसती हैं, वह पीता हैं श्याम सोता हैं आदि ।

 

 

सकर्मक क्रिया का उदाहरण 

वह क्रिकेट खेलता हैं , वह दूध पीता हैं , रमेश मिठाई खाता हैं , श्याम घर जाता हैं , प्रवीण विद्यालय जाता हैं , अजय आम खाता हैं , सरयुग खेत में काम करते हैं बालक नाटक देकता हैं आदि ।

अकर्मक क्रिया का उदाहरण क्या है?

अकर्मक क्रिया − वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे − शीला हँसती है। बच्चा रो रहा है।

सकर्मक और अकर्मक उदाहरण क्या है?

राम खाना खाता है – इस वाक्य में कर्ता 'राम' क्रिया 'खाता' है जिसका प्रभाव 'खाना' पे पड़ रहा है। इसलिए यहाँ सकर्मक क्रिया है। सचिन फुटबॉल मैच खेलता है – यहाँ पर भी 'सचिन' कर्ता द्वारा की गई क्रिया 'खेलना' है, जिसका प्रभाव 'फुटबॉल मैच' में पड़ रहा है इसलिए यहाँ सकर्मक क्रिया होगी।

अकर्मक सकर्मक कैसे पहचाने?

अकर्मक क्रिया ,सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं कैसे पहचाने.
जिन क्रियाओं के प्रयोग में 'कर्म' की अपेक्षा रहती है,उन्हें 'सकर्मक' क्रिया कहते हैं.
जिन क्रियाओं के प्रयोग में 'कर्म' की आवश्यकता नहीं होती, उन्हें 'अकर्मक' क्रिया कहते हैं.
सकर्मक क्रिया.
सकर्मक में कर्ता, क्रिया,कर्म उपस्थित होतें हैं.

सकर्मक वाक्य और अकर्मक वाक्य क्या है?

सकर्मक और अकर्मक क्रिया में क्या अंतर है सकर्मक क्रिया में कर्म होता है। अकर्मक क्रिया में कर्म नहीं होता है। सकर्मक क्रिया में कर्म प्रभावित होता है। इसमें कर्म पे प्रभाव नहीं होता।