अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन से आप क्या समझते हैं? - antararaashtreey shram sangathan se aap kya samajhate hain?

अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन से आप क्या समझते हैं? - antararaashtreey shram sangathan se aap kya samajhate hain?

अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ का ध्वज अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ, अंतरराष्ट्रीय आधारों पर मजदूरों तथा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए नियम बनाता है। यह संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट संस्था है। 1969 में इसे विश्व शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मज़दूरों के अधिकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) का गठन किया गया। यह एक संस्था है जो संयुक्त राष्ट्र में उपस्थित है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रमिक मुद्दों को देखने के लिये स्थापित हुई है। पूरे 193 (यूएन) सदस्य राज्य के इसमें लगभग 187 सदस्य हैं। विभिन्न वर्गों के बीच में शांति प्रचारित करने के लिये, मजदूरों के मुद्दों को देखने के लिये, राष्ट्र को विकसित बनाने के लिये, उन्हें तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिये वर्ष 1969 में इसे नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) मजदूर वर्ग के लोगों के लिये अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन की सभी शिकायतों को देखता है। इसके पास त्रिकोणिय संचालन संरचना है अर्थात् “सरकार, नियोक्ता और मजदूर का प्रतिनिधित्व करना (सामान्यतया 2:1:1 के अनुपात में)” सरकारी अंगों और सामाजिक सहयोगियों के बीच मुक्त और खुली चर्चा उत्पन्न करने के लिये, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक कार्यालय के रूप में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन सचिवालय कार्य करता है। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) के कार्यों में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन, स्वीकार करना या कार्यक्रम आयोजित करना, मुख्य निदेशक को चुनना, मजदूरों के मामलों के बारे में सदस्य राज्य के साथ व्यवहार, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक कार्यालय कार्यवाही की जिम्मेदारी के साथ ही जाँच कमीशन की नियुक्ति के बारे में योजना बनाने या फैसले लेने के लिये संस्था को अधिकार प्राप्त है। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) के पास लगभग 28 सरकारी प्रतिनिधि हैं, 14 नियोक्ता प्रतिनिधि और 14 श्रमिकों के प्रतिनिधि हैं। जिसमें भारत से भारतीय मजदूर संघ की भुमिका अहम मानी जाती है। आम नीतियाँ बनाने के लिये, कार्यक्रम की योजना और बजट निर्धारित करने के लिये जून के महीने में जेनेवा में वार्षिक आधार पर ये एक अंतरराष्ट्रीय श्रमिक सभा आयोजित करता है (श्रमिकों की संसद के पास 4 प्रतिनिधि हैं, 2 सरकारी, 1 नियोक्ता और 1 मजदूरों का नुमाइंदा)। .

2 संबंधों: नोबेल पुरस्कार, संयुक्त राष्ट्र।

नोबेल पुरस्कार

नोबेल फाउंडेशन द्वारा स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में वर्ष १९०१ में शुरू किया गया यह शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है। इस पुरस्कार के रूप में प्रशस्ति-पत्र के साथ 14 लाख डालर की राशि प्रदान की जाती है। अल्फ्रेड नोबेल ने कुल ३५५ आविष्कार किए जिनमें १८६७ में किया गया डायनामाइट का आविष्कार भी था। नोबेल को डायनामाइट तथा इस तरह के विज्ञान के अनेक आविष्कारों की विध्वंसक शक्ति की बखूबी समझ थी। साथ ही विकास के लिए निरंतर नए अनुसंधान की जरूरत का भी भरपूर अहसास था। दिसंबर १८९६ में मृत्यु के पूर्व अपनी विपुल संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने एक ट्रस्ट के लिए सुरक्षित रख दिया। उनकी इच्छा थी कि इस पैसे के ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिनका काम मानव जाति के लिए सबसे कल्याणकारी पाया जाए। स्वीडिश बैंक में जमा इसी राशि के ब्याज से नोबेल फाउँडेशन द्वारा हर वर्ष शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र में सर्वोत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। नोबेल फ़ाउंडेशन की स्थापना २९ जून १९०० को हुई तथा 1901 से नोबेल पुरस्कार दिया जाने लगा। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की शुरुआत 1968 से की गई। पहला नोबेल शांति पुरस्कार १९०१ में रेड क्रॉस के संस्थापक ज्यां हैरी दुनांत और फ़्रेंच पीस सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष फ्रेडरिक पैसी को संयुक्त रूप से दिया गया। अल्फ्रेड नोबेल .

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संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र (United Nations) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसके उद्देश्य में उल्लेख है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून को सुविधाजनक बनाने के सहयोग, अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानव अधिकार और विश्व शांति के लिए कार्यरत है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना २४ अक्टूबर १९४५ को संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई। द्वितीय विश्वयुद्ध के विजेता देशों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र को अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से स्थापित किया था। वे चाहते थे कि भविष्य में फ़िर कभी द्वितीय विश्वयुद्ध की तरह के युद्ध न उभर आए। संयुक्त राष्ट्र की संरचना में सुरक्षा परिषद वाले सबसे शक्तिशाली देश (संयुक्त राज्य अमेरिका, फ़्रांस, रूस और संयुक्त राजशाही) द्वितीय विश्वयुद्ध में बहुत अहम देश थे। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र में १९३ देश है, विश्व के लगभग सारे अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त देश। इस संस्था की संरचन में आम सभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक व सामाजिक परिषद, सचिवालय और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय सम्मिलित है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

ILO, आईएलो, अन्तरराष्ट्रीय श्रम संघ, अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन, अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन।

अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना 

अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ का निर्माण एक पृथक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रूप में 1919 में किया गया हैं। यह संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट संस्था है। 1969 में इसे विश्व शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मज़दूरों के अधिकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) का गठन किया गया। यह संघ आधुनिक प्रगतिशील विचारों के आधार पर राज्यों में ऐसे श्रम व्यवस्थापन की स्थापना करने का प्रयास करता हैं, जिससे श्रमिकों की स्थिति में सुधार हो। इस संगठन में सरकारों, उद्योगपतियों तथा श्रमिको का 2:1:1 के अनुपात में प्रतिनिधित्व रहता हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के कार्य (antarrashtriya shram sangathan ke karya)

आज विश्व में हर एक राजनीतिज्ञ इस बात का समर्थक है कि स्थाई शान्ति बनाये रखने के लिए मालिकों एवं श्रमिकों के भेद-भाव को दूर किया जाये तथा श्रमिक जो उत्पादन की आधार-शिला हैं, उसके हितों की रक्षा की जाये। ऐसा सब कुछ करने से ही विश्व शान्ति रह सकती हैं, ऐसा करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन निम्नलिखित कार्य करता हैं-- 

1. यह संस्था अपने संसार की आर्थिक व श्रम समस्याओं का गहन अध्ययन करती है एवं इनसे संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए अपने सुझाव देती हैं। 

2. अपने शिष्ट मण्‍डल की सहायता से यह संस्था उन देशों को अपनी सहायता प्रदान करती हैं, जो इसकी सहायता लेना चाहते हैं। यह अपने शिष्टमण्डल उन देशों को भेजती हैं, जो प्रार्थन करते हैं। ये शिष्टमण्डल उस देश में जाकर वहीं की दशाओं का अध्ययन करते हैं और उचित सलाह देते हैं। 

3. यह संस्था सामाजिक अधिनियम अथवा सामाजिक संगठन संबंधी बहुमूल्य सलाह देकर उन राष्ट्रों की अमूल्य सेवा करती हैं, जो इस ओर बढ़ना चाहते हैं। 

4. यह संस्था श्रम-कल्याण व औद्योगिक उन्नति के हेतु अपने सदस्य राष्ट्रों को समय-समय पर कन्वेन्शन्स एवं अपने बहुमूल्य सुझाव दिया करती हैं, जिनसे इन्हें अधिक लाभ होता हैं।

5. इस संस्था की सहायता से विभिन्‍न देशों में पाई जाने वाली आर्थिक, सामाजिक व श्रम संबंधी समस्याओं का ज्ञान हो जाता हैं एवं साथ ही साथ यह भी विदित होता है कि कौन क्षेत्र अमुक समस्या को किस प्रकार हल करता है और उसे करने में कहाँ तक सफलता मिली हैं तथा यदि सफलता नहीं मिली हैं, तो क्यों? 

6. बेरोजगारी, सामाजिक सुरक्षा, समाज कल्याण, श्रम संगठन तथा अन्य श्रम संबंधी अनेक प्रकार की समस्याओं के ऊपर बहुमूल्य प्रकाशन करके यह संस्था श्रम शक्ति की विशेश रूप से सेवा करती हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के उद्देश्य (antarrashtriya shram sangathan ke uddshya)

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के निम्नलिखित उद्देश्‍य हैं-- 

1. प्रत्येक काम करने के योग्य श्रमिक के लिए रोजगार की व्यवस्था करना।

2. प्रत्येक श्रमिक को इसके योग्य काम में लगाना। इसका तात्‍पर्य यह है कि जो श्रमिक जिस कार्य के लिए उपयुक्त हैं, उसे वही कार्य मिलना। इसके साथ-साथ जो श्रमिक जिस कार्य को पसंद करता है उसे वही कार्य मिलना चाहिए। 

3. श्रमिकों की आय में वृद्धि करके उसके जीवन-स्तर को ऊँचा उठाना। 

4. श्रमिकों की गतिशीलता की सुविधाओं की व्यवस्था उचित रूप से करना। 

5. श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा का समुचित प्रबंध करना। इस सिलसिले में स्वास्थ्य, बढ़ौती अथवा बेरोजगारी आदि हेतु आवश्यकतानुसार सामाजिक बीमा का प्रबंध। 

6. सामूहिक सौदा के अधिकार का सम्मान तथा प्रोत्साहन देना। 

7. श्रमिकों की शिक्षा तथा उनके प्रशिक्षण का प्रबंध करना। 

8. श्रमिकों के रहने के लिए उचित निवास स्थानों की समुचित व्यवस्था करना। 

9. उत्पादन क्षमता की वृद्धि का प्रबंध करना, इसके लिए श्रमिकों व सेवायोजकों के बीच आपसी सहयोग वांछनीय हैं। 

10. श्रमिकों के लिए मनोरंजन आदि का समुचित प्रबंध करना। 

अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के सिद्धांत (antarrashtriya shram sangathan ke siddhant)

अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संघ का आधार ऐसे नौ आधारभूत सिद्धांतों पर है जो कि 'श्रमिक चार्टर' में दिए गए हैं। राष्ट्र संघ के प्रत्येक सदस्य को इन सिद्धांतों को स्वीकार करना पड़ता हैं। ये सिद्धांत निम्नलिखित हैं-- 

1. मार्ग दर्शन सिद्धांत यह होगा कि श्रम को केवल पदार्थ अथवा वाणिज्य की वस्तु नहीं समझा जाना चाहिए। 

2. श्रमिक और मालिक के सभी प्रकार के वैधानिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संघ बनाने के अधिकारों को मान्यता प्रदान की जानी चाहिए। 

3. देश और समय के अनुसार उचित प्रकार के जीवन-स्तर को बनाए रखने के लिए कर्मचारियों को पर्याप्त मजदूरी के भुगतान की व्यवस्था होनी चाहिए। 

4. प्रत्येक दिन में आठ घण्टे के कार्य अथवा सप्ताह में 48 घण्टे कार्य के सिद्धांत को उन सभी स्थानों पर लागू किया जाना चाहिए जहाँ वे अभी तक लागू नहीं किये गये। 

5. सप्ताह में कम से कम 24 घण्टे का अवकाश मिलना चाहिए और जहाँ भी सम्भव हो यह अवकाश रविवार को होना चाहिए।

6. बालकों से काम लेना समाप्त कर देना चाहिए और किशोरों के रोजगार पर भी रोकथाम होनी चाहिए, जिससे कि उनकी शिक्षा के चालू रखने के साथ-साथ उन्हें उचित रीति से शारीरिक विकास का भी अवसर मिल सके। 

7. समान मूल्य के समान कार्यों के लिए पुरूष एवं स्त्री श्रमिकों को समाध वेतन दिया जाना चाहिए। 

उपरोक्त सिद्धांतों के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का मुख्य उद्देश्य विश्व के प्रत्येक व्यक्ति को सुखी व समृद्धशाली बनाना हैं। इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए श्रमिकों को वे समस्त सुविधाएं प्रदान करनी होगी जो उनके जीवन-स्तर को ऊँचा उठाने तथा उन्हें समाज में समानता का स्तर प्रदान कराने के लिए आवश्यक हैं।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन से आप क्या समझते हैं?

अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ, अंतरराष्ट्रीय आधारों पर मजदूरों तथा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए नियम बनाता है। यह संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट संस्था है। 1969 में इसे विश्व शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मज़दूरों के अधिकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) का गठन किया गया।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का उद्देश्य क्या है?

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघ का मुख्य उद्देश्य संसार के श्रमिक वर्ग की श्रम और आवास संबंधी अवस्थाओं में सुधारना तथा पूर्ण रोजगार का लक्ष्य प्राप्त करने पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय क्रिया-कलापों को प्रोत्साहित करना है।

श्रम संगठन क्या है?

उत्तर: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) संयुक्त राष्ट्र संघ की विशिष्ट त्रिपक्षीय एजेंसी है जिसके सदस्य सरकारें, कर्मचारी तथा कामगार हैं। इसकी स्थापना सन् 1919 में वर्साइल की संधि के द्वारा हुई थी। । है और सन् 1922 से अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के शासी निकाय का स्थाई सदस्य है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के महासचिव कौन है?

सही उत्‍तर गिल्बर्ट हौंगबो है। टोगो के गिल्बर्ट हौंगबो को 25 मार्च 2022 को अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अगले महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया। टोगो के पूर्व प्रधान मंत्री हौंगबो एजेंसी के 11वें प्रमुख होंगे और पद संभालने वाले पहले अफ्रीकी होंगे। उनका पांच साल का कार्यकाल 1 अक्टूबर 2022 से शुरू होगा।