अध्यापक के अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को कायम रखने के लिए आप क्या सुझाव देंगे? - adhyaapak ke achchhe maanasik svaasthy ko kaayam rakhane ke lie aap kya sujhaav denge?

अध्यापक के अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को कायम रखने के लिए आप क्या सुझाव देंगे? - adhyaapak ke achchhe maanasik svaasthy ko kaayam rakhane ke lie aap kya sujhaav denge?
शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाये | Suggestion to Keep Good Mental Health of Teacher

एक शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखने हेतु सुझाव दीजिए।

शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाये (Suggestion to Keep Good Mental Health of Teacher)

रखने हेतु सुझाव शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखने हेतु निम्न उपाय किये जाने चाहिए-

(1) शिक्षक की स्थिति में सुधार- सरकार एवं समाज का यह परम कर्त्तव्य है कि वे शिक्षक की स्थिति में सुधार करें शिक्षकों के वेतन में वृद्धि करें तथा अध्यापन के उचित घण्टे, मनोरंजन एवं विश्राम की सुविधाएँ प्रदान करें तथा पेंशन आदि में वृद्धि की जाय। ऐसा किए जाने पर ही शिक्षक अपना मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रख सकेंगे और देश के भावी नागरिकों का भविष्य उज्ज्वल बनाने में समर्थ हो सकेंगे।

(2) मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का प्रशिक्षण- शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करते समय उन्हें मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का भी प्रशिक्षण देना चाहिए। इसका उनके पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण स्थान होना चाहिए। इससे अध्यापक मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के नियमों से परिचित हो जायेंगे जिससे वे भविष्य में अपना स्वास्थ्य अच्छा रख सकेंगे और अपने विद्यार्थियों का स्वास्थ्य भी अच्छा रख सकेंगे।

(3) शरीर को स्वस्थ रखना- व्यक्ति मनोशारीरिक प्राणी है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए शारीरिक स्वास्थ्य का अच्छा होना नितान्त आवश्यक है। इसलिए अध्यापकों को अपना स्वास्थ्य अच्छा बनाना चाहिए। उन्हें चिकित्सकों के पास जाकर अपने शरीर की परीक्षा करानी चाहिए तथा अपनी शारीरिक कमियों को पूरा करना चाहिए।

(4) मित्र बनाना – शिक्षकों को अपने अच्छे विश्वासी तथा चरित्रवान मित्र बनाने चाहिए जो जीवनरूपी गाड़ी के सम्मुख आने वाली परेशानियों में साथ दे सकें।

(5) आन्तरिक उपाय- गेट्स तथा अन्य विद्वानों ने शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखने के लिए दो आन्तरिक उपायों का उल्लेख किया है, जो निम्नवत् हैं-

(i) अन्तर्दृष्टि विकसित करना-शिक्षकों को अपनी अन्तर्दृष्टि का विकास करना चाहिए। इसके फलस्वरूप विभिन्न समस्याओं के निराकरण करने का प्रयत्न करना चाहिए। उन्हें अपनी कल्पनाओं तथा महत्त्वाकांक्षाओं पर भी दृष्टि रखनी चाहिए।

(ii) अपने आप को स्वीकार करना- शिक्षक को अपना आत्म-विश्लेषण करना चाहिए। उसे अपने स्वप्नों या उद्देश्यों को निश्चित करते समय अपनी दुर्बलताओं को समझ लेना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि जीवन के लक्ष्य तो बड़े-बड़े हों, परन्तु योग्यता कुछ भी न हो। ऐसा करने पर मानसिक अस्वस्थता का शिकार तो होना ही पड़ता है, साथ ही आत्म-उन्नति में भी सफलता नहीं मिल पाती। इस सम्बन्ध में मनोवैज्ञानिक गेट्स एवं अन्य का मत है-“यदि अध्यापक स्वयं को भलीभाँति समझ ले और वह स्वयं को वही माने जैसा कि वह है और यदि वह अपने जीवन को निर्देशित करने में उत्साह से भाग ले तो वह स्वयं अपने मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।”

(6) मनोरंजन सम्बन्धी सुविधाएँ- पूरे दिन कार्य करने के उपरान्त मानसिक स्वास्थ्य के लिए मनोरंजन की नितान्त आवश्यकता होती है। शिक्षकों को अपने घर पर ही मनोरंजन की आवश्यकता की पूर्ति करनी चाहिए अथवा समस्त अध्यापकों को मिल-जुलकर मनोरंजन की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे मानसिक थकान दूर हो जाती है और उनमें पुनः कार्य करने की शक्ति उत्पन्न हो जाती है।

(7) अपने आप अपना कार्यक्रम बनाना- अपने मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अध्यापकों को अपने जीवन का कार्यक्रम स्वयं ही बनाना चाहिए। उन्हें यह भी निश्चित कर लेना चाहिए कि जीवन में उन्हें कौन-कौन से परिवर्तन करने हैं तथा अपने उद्देश्यों की पूर्ति किस प्रकार करनी है। उन्हें अपनी शक्ति से बाहर महत्त्वाकांक्षा नहीं रखनी चाहिए।

(8) शिक्षक संघ की स्थापना- शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य प्रायः वेतन की कमी, अत्यधिक कार्यभार एवं तानाशाही शासन व्यवस्था के कारण खराब हो जाता है। इन समस्त कारणों के निवारण के लिए प्रान्तीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक संघ की स्थापना होना आवश्यक है तथा अध्यापकों को उसका सदस्य बनना चाहिए। इसकी सहायता से उन्हें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने का प्रयास करना चाहिए।

(9) विरोधी भावनाओं की अभिव्यक्ति करना – शिक्षकों को बुरे कार्यों के प्रति अपने विरोध की भावनाओं को अभिव्यक्त कर देना चाहिए, जिससे उनका शोधन हो और समाज का भी हित हो।

(10) अपनी कठिनाइयों को विशेषज्ञों के सम्मुख रखने में डर का अनुभव न करना- शिक्षकों को अपनी कठिनाइयों को विशेषज्ञों के सम्मुख रखने में डरना नहीं चाहिए। उन्हें निर्भयतापूर्वक अपनी कठिनाइयों को बताना चाहिए जिनका निराकरण करने के लिए वे उचित सुझाव दे सकें। इससे मानसिक स्वास्थ्य की ठीक प्रकार से रक्षा हो सकेगी।

IMPORTANT LINK

  • हिन्दी भाषा का शिक्षण सिद्धान्त एवं शिक्षण सूत्र
  • त्रि-भाषा सूत्र किसे कहते हैं? What is called the three-language formula?
  • माध्यमिक विद्यालय के पाठ्यक्रम में हिन्दी का क्या स्थान होना चाहिए ?
  • मातृभाषा का पाठ्यक्रम में क्या स्थान है ? What is the place of mother tongue in the curriculum?
  • मातृभाषा शिक्षण के उद्देश्य | विद्यालयों के विभिन्न स्तरों के अनुसार उद्देश्य | उद्देश्यों की प्राप्ति के माध्यम
  • माध्यमिक कक्षाओं के लिए हिन्दी शिक्षण का उद्देश्य एवं आवश्यकता
  • विभिन्न स्तरों पर हिन्दी शिक्षण (मातृभाषा शिक्षण) के उद्देश्य
  • मातृभाषा का अर्थ |  हिन्दी शिक्षण के सामान्य उद्देश्य | उद्देश्यों का वर्गीकरण | सद्वृत्तियों का विकास करने के अर्थ
  • हिन्दी शिक्षक के गुण, विशेषताएँ एवं व्यक्तित्व
  • भाषा का अर्थ एवं परिभाषा | भाषा की प्रकृति एवं विशेषताएँ
  • भाषा अथवा भाषाविज्ञान का अन्य विषयों से सह-सम्बन्ध
  • मातृभाषा का उद्भव एवं विकास | हिन्दी- भाषा के इतिहास का काल-विभाजन
  • भाषा के विविध रूप क्या हैं ?
  • भाषा विकास की प्रकृति एवं विशेषताएँ
  • भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता | Unity in Diversity of Indian Culture in Hindi

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us:

You may also like

About the author

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए अध्यापक को क्या करना चाहिए?

(1) सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार- बालकों के प्रति शिक्षक का व्यवहार नम्र, शिष्ट और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए। पक्षपात या भेदभाव किए बिना उसे कक्षा एवं विद्यालय के समस्त बालकों के साथ समान और प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।

कौन से कारक अध्यापक के मानसिक स्वास्थ्य में बाधा डालते हैं?

बालक के मानसिक स्वास्थ्य में बाधा डालने वाले कारक.
ऐसे अनेक कारक या कारण हैं, जो बालक के मानसिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं और उसकी समायोजन की शक्ति को क्षीण कर देते हैं। ... .
परिवार का विघटन ... .
माता-पिता का व्यवहार ... .
शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य में बाधा डालने वाले कारक ... .
अपरिपक्व बुद्धि के बालकों से सम्पर्क.

मानसिक विकास में शिक्षक की क्या भूमिका है?

बालक के मानसिक विकास में अध्यापक की क्या भूमिका है? उत्तर: शिक्षक का कर्तव्य है कि वह बालकों के मानसिक विकास में अपना सहयोग देने के लिए। मानसिक विकास के क्रम और उसे प्रभावित करने वाले कारकों को समझे तथा उनके अनुकूल ही अपने छात्रों के साथ व्यवहार करे।

शिक्षण शिक्षण में मानसिक स्वास्थ्य का क्या महत्व है?

शिक्षण अधिगम में समायोजन की प्रक्रिया का विशेष महत्व है। इसके अभाव में मानसिक संघर्ष होते हैं। मनुष्य अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए अपने वातावरण तथा परिस्थितियों के साथ समायोजन करता है। यह आवश्यक नहीं है कि वह समायोजन की प्रक्रिया में सफलता प्राप्त करे ही, इसलिए उसके मस्तिष्क में संघर्ष उत्पन्न होता ही है।