जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नही होता है उन्हें अव्यय (अ + व्यय) या अविकारी शब्द कहते है । अव्यय
अव्यय की परिभाषा
किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पत्र नहीं होता। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। चूँकि अव्यय का रूपान्तर नहीं होता, इसलिए ऐसे शब्द अविकारी होते हैं। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है- ‘जो व्यय न हो।’
अव्यय के उदाहरण: Avyay Ke Udaharan
हिन्दी के अव्यय:जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अवश्य, अर्थात इत्यादि।
संस्कृत के अव्यय– अद्य (आज), ह्यः (बीता हुआ कल), श्वः (आने वाला कल), परश्वः (परसों), अत्र (यहां), तत्र (वहां), कुत्र (कहां), सर्वत्र (सब जगह), यथा (जैसे), तथा (तैसे), कथम् (कैसे) सदा (हमेशा), कदा (कब), यदा (जब), तदा (तब), अधुना (अब), कदापि (कभी भी), पुनः (फिर), च (और), न (नहीं), वा (या), अथवा (या), अपि (भी), तु (लेकिन (तो)), शीघ्रम् (जल्दी), शनैः (धीरे), धिक् (धिक्कार), विना (बिना), सह (साथ), कुतः (कहाँ से), नमः (नमस्कार), स्वस्ति (कल्याण हो), किम् (कहा) आदि।
अव्यय के भेद: Avyay Ke Bhed
हिन्दी व्याकरण में भी संस्कृत व्याकरण की ही भांति अव्यय के पांच प्रकार होते हैं-
- क्रिया-विशेषण
- संबंधबोधक
- समुच्चय बोधक
- विस्मयादिबोधक
- निपात
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अव्यय
किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय या अविकारी कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पन्न नहीं होता। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है- ‘जो व्यय न हो’।
उदाहरणहिन्दी अव्यय: जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अवश्य, अर्थात इत्यादि।संस्कृत अव्ययअग्रे / पुरतः | आगे | उच्चैः | जोर से | तदा | तब / तो | यदा | जब |
अजस्रम् | लगातार | एकदा | एक बार / एक दिन | तर्हि | तो | यदि / चेत् | अगर |
अतः | इसलिए | एवम् | इस प्रकार | तावत् | उतना | यद्यपि | हालाँकि |
अन्तरा | मध्य | ऐसम् | इस साल | तावत् | तब तक | यावत् | जब तक |
अत्र | यहाँ | कथञ्चित् / कथञ्चन | किसी प्रकार | तु | तो | यावत् | जब तक |
अथ् किम् | हाँ तो क्या | कथम् | क्यों | दिवा | दिन में | युगपत् | एक साथ |
अद्य | आज | कदा | कब | नक्तम् | रात में | वा / अथवा | या |
अधुना | अब / आजकल | कदा | कब | नाना | अनेक | शनैः | धीरे |
अन्तः | भीतर | कदाचित् | कभी | अधः | नीचे | शीघ्रम् | जल्द ही |
अन्तरा / विना | बिना | किञ्चित् | थोड़ा | न्यूनतम् | कम से कम | सदा / सर्वदा | हमेशा |
अन्यत्र | दूसरी जगह | किमर्थम् | किसलिये | परम् / परन्तु / किन्तु | लेकिन | संभवतः | शायद |
अन्यथा | नहीं तो | किम् | क्या | परश्वः | परसों | समन्तात् | चारों ओर से |
अपरञ्च | और भी | किंवा | अथवा | परितः | चारो ओर | समया / निकषा / पार्श्वे | नजदीक |
अपि | भी | कुतः | कहाँ से | परुत् | पिछले वर्ष | सम्प्रति | अब |
अपितु | बल्कि | कुत्र / क्व | कहाँ | पर्यन्तम् | तक | सम्यक् | ठीक से |
अभितः | सामने | केवलम् | केवल | पुनः/ भूयः/ मुहुः | फ़िर | सर्वत्र | सब जगह |
अरे, रे, रे-रे | अनादर या सामान्य सूचक संबोधन | क्रतम् | बस / काफी | प्रकामम् | अधिक | सहसा / अकस्मात् | अचानक |
अलम् | पर्याप्त / बेकार | क्व / कुत्र | कहाँ | प्रत्युत् | उल्टे | साधु, अतीव शोभनम् | वाह / बहुत अच्छा |
च / तथा | और | प्रातः | सुबह | सामि | आधा-आधी | ||
असक्रत | बार-बार | चिरम् / चिरात् / चिरेण / चिराय / चिरस्य | देर से | बहिः | बाहर | साम्प्रतम् | इन दिनों |
अहो, बत् | निराशा और आश्चर्यसूचक | ततः | वहाँ से | बहुधा | अक्सर | सायम् | संध्या के समय / शाम को / शाम में |
आरात् | पास या दूर | तत्र | वहाँ | भ्रशम् | अधिकाधिक | स्वः | आनेवाला कल |
इतस्ततः | इधर-उधर | तथा | वैसे | यत् | कि | हा, हन्त, धिक् | घ्रणाबोधक |
इत्यम् | इस प्रकार | तथा-तथा | वैसे-वैसे | यत्र | यहां | हा, हा-हा, अहह | अवसादसूचक |
इदानीम | इस समय | तथापि | फिर भी | यथा | जैसे | हि /यतः | क्योंकि |
ईषत् | थोड़ा / कुछ | तदा | तब | यथा-यथा | जैसे-जैसे | ह्यः | बीता कल |
भेद[संपादित करें]
अव्यय पाँच प्रकार के होते हैं-
. क्रिया-विशेषण अर्थ के अनुसार क्रिया-विशेषण के चार भेद हैं-
- 1. कालवाचक
- 2. स्थानवाचक
- 3. परिमाणवाचक
- 4. रीतिवाचक
क्रिया-विशेषण
- 2. संबंधबोधक
- 3. समुच्चय बोधक
- 4. विस्मयादिबोधक
- 5. निपातव
अर्थ के अनुसार क्रिया-विशेषण के चार भेद हैं-
- 1. कालवाचक
- 2. स्थानवाचक
- 3. परिमाणवाचक
- 4. रीतिवाचक
क्रिया-विशेषण