भगवान कृष्ण ने राधा को श्राप क्यों दिया था? - bhagavaan krshn ne raadha ko shraap kyon diya tha?

“श्री” का अर्थ है “शक्ति” अर्थात “राधा जी” कृष्ण यदि शब्द हैं तो राधा अर्थ हैं। कृष्ण गीत हैं तो राधा संगीत हैं, कृष्ण वंशी हैं तो राधा स्वर हैं, कृष्ण समुद्र हैं तो राधा तरंग हैं, कृष्ण पुष्प हैं तो राधा उस पुष्प कि सुगंध हैं।

राधा जी कृष्ण जी कि ह्लादिनी शक्ति हैं। वह दोनों एक दूसरे से अलग हैं ही नहीं। ठीक वैसे जैसे शिव और हरि एक ही हैं। भक्तों के लिए वे अलग-अलग रूप धारण करते हैं, अलग-अलग लीलाएं करते हैं।

राधा एक आध्यात्मिक पृष्ठ हैं जहां द्वैत-अद्वैत का मिलन है। राधा एक सम्पूर्ण काल का उदगम है जो कृष्ण रुपी समुद्र से मिलती हैं। श्री कृष्ण के जीवन में राधा प्रेम की मूर्ति बनकर आईं।

जिस प्रेम को कोई नाप नहीं सका, उसकी आधारशिला राधा जी ने ही रखी थी। संपूर्ण ब्राह्मंड की आत्मा भगवान कृष्ण हैं और कृष्ण की आत्मा राधा हैं। आत्मा को देखा है किसी ने तो राधा को कैसे देख लोगे। राधा रहस्य थीं और रहेंगी।

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सृष्टि से पूर्व दिव्य गो लोक धाम में निरंतर रास-विलास करते-करते एक बार श्री राधा जी के मन में एक पुत्र पैदा करने की इच्छा हुई। इच्छा होते ही पुत्र की उत्पति हुई। परम सुंदरी का पुत्र भी परम सुंदर हुआ।

एक दिन उस पुत्र न् जम्हाई ली। उस के पंच भूत, आकाश, पाताल, वन, पर्वत, वृक्ष, अहंतत्व, अहंकार, प्रकृति, पुरूष सभी दिखाई दिए। उसके मुख में ऐसी आलय बलाय देख कर सुकुमारी श्री राधा रानी को बड़ा बुरा लगा।

उन्होंने मन ही मन सोचा कैसा विराट् बेटा हुआ है.? उन्होंने उसे जल में रख दिया। वही बेटा विराट पुरूष हुआ। उसी से समस्त ब्राहमण्डों की उत्पति हुई।

राधा रानी का अपने पुत्र के प्रति ऐसा व्यवहार देखकर श्री कृष्ण ने राधा रानी को श्राप दिया,” अब भविष्य में तुम्हें कभी संतान होगी ही नहीं।” तभी तो राधा रानी का नाम कृशोदरी पड़ा। इनका पेट कभी बढ़ता ही नहीं।

हिंदुओं में देवी राधा और भगवान श्री कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना गया है। मगर, इनका विवाह कभी नहीं हुआ। आखिर क्यों नही हुई राधा-कृष्ण की शादी? 

हिंदू धर्म में बहुत सारे देवी और देवताओं को पूजा जाता है। श्री कृष्ण और देवी राधा को भी हिंदू धर्म मेंविशेष स्थान प्राप्त है। ऐसा कहा जाता है कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु का अवतार थे वही देवी राधा लक्ष्मी जी का स्वरूप थीं। राधा और कृष्ण के आलौकिक प्रेम से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं। इन दोनों की प्रेम गाथा पर कई फिल्में और टीवी सीरियल गढ़े गए। इन सभी में जहां एक तरफ राधा और कृष्ण की प्रेम लीलाओं को दिखाया गया वहीं दूसरी तरफ राधा और कृष्ण के बिछड़ने को भी नजअंदाज नहीं किया गया।

आजकल टीवी में एक और सीरियल प्रसारित हो रहा है, नाम है ‘राधाकृष्ण’। श्री कृष्ण और राधा की अनोखी प्रेम कहानी पर बने इस सीरियल को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। अब तक इस सीरियल में राधा और कृष्ण की प्रेम लीलाएं दिखाई गई हैं। यहां तक कि दोनों के विवाह की बातें भी हुईं और तैयारियां भीं। मगर, सीरियल में एक मोड़ ऐसा भी आया जब राधा और कृष्ण का न तो विवाह हुआ और उन्‍हें एक-दूसरे से अलग भी होना पड़ा। 

वास्तव में भी राधा-कृष्ण से जुड़ी कथाओं में भी यही सुनने को मिला है कि राधा और कृष्ण ने एक दूसरे से कभी विवाह नहीं किया था। मगर, सभी यह भी जानना चाहते हैं कि आखिर ऐसी क्या वजह थी जो राधा और कृष्ण का विवाह नहीं हुआ।

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क्या है कथा 

शो की शुरुआत में ही दिखाया गया था कि भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त श्रीधामा जब उनके दर्शन के लिए गोलोक पहुंचते हैं तो वह अपने आराध्य को पुकारते हैं। बहुत पुकारने पर भी उन्हें श्री कृष्ण के दर्शन नहीं होते हैं। तब वह नारद जी के पास जा कर इसका कारण पूछते हैं। नारद उन्हें बताते हैं कि आप अधूरा नाम ले रहे हैं। गोलोक मेंश्री कृष्ण से पहले आपको श्री कृष्ण प्रेमिका राधा रानी का नाम लेना होगा। श्रीधामा को नारद मुनी की बात समझ नहीं आती है। वह किसी तरह से अपने आराध्य के दर्शन करते हैं। उन्हें भोग में माखन चढ़ाते हैं। मगर, जब श्रीधामा देखते हैं कि राधा उन्हें अपना झूठा माखन खिला रही हैं तो उन्हें क्रोध आ जाता है।

वह श्री कृष्ण से पूछते है कि ‘प्रेम और भक्ति में क्या श्रेष्ठ है’ तब श्रीकृष्ण अपने भक्त को द्वारपाल बना कर विश्राम करने चले जाते हैं और वहीं सोचते हैं, कि ‘प्रेम और भक्ति में क्या श्रेष्ठ है’। श्री कृष्ण को जब कुछ समझ नहीं आता तो वह राधा को याद करते हैं और राधा भी उनके पास दौड़ी चली जाती हैं। मगर, श्रीधामा उन्हें अंदर नहीं जाने देते। दोनों में तर्कवितर्क होता है। जैसे ही राधा श्री कृष्ण के कक्ष में प्रवेश करने वाली होती हैं श्रीधामा उन्हें 100 वर्ष तक श्री कृष्ण को भूल जाने और मृत्युलोक में रहने का श्राप दे देते हैं। श्रीधामा के श्राप के बाद राधा को पृथ्वीलोक जाना होता है। श्री कृष्ण भी अपनी राधा से मिलने के लिए पृथ्वी पर जन्म लेते हैं। मगर, राधा को गोलोक का कुछ भी याद नहीं होता। 

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क्यों नहीं होती शादी 

भले राधा को गोलोक के बारे में कुछ भी याद नहीं होता मगर श्री कृष्ण उन्हें कभी सपने तो कभी अपनी आंखों में गोलोक के दर्शन कराते रहते हैं। राधा को भी श्री कृष्ण से प्रेम हो जाता है। मगर, राधा के बाल सखा एवं महापंडित उग्रपत के पुत्र आयान को भी राधा से प्रेम होता है। वह राधा को हासिल करने के लिए श्री कृष्ण को मारने का प्रयास करता रहता है। राजा कंस के साथ मिल कर वह श्री कृष्ण को राधा से दूर करने के लिए एक के बाद एक असुर बुलाता है। मगर, राधा-कृष्ण को अलग नहीं कर पाता है। तब ही एक घटना के दौरान राधा के पिता को अपने परम मित्र उग्रपत को वचन देना होता है कि वह जीवन में एक बार उग्रपत की किसी एक मांग को जरूर पूरा करेंगे। मौका आने पर उग्रपत अपने बेटे आयान का विवाह राधा से करने की बात रखते हैं। मगर, राधा के पिता राधा का विवाह श्री कृष्ण से ही कराना चाहते हैं और अपना वचन पूरा नहीं कर पाने के लिए वह सन्यास लेने की घोषणा करते हैं। तब ही, श्री कृष्ण को गोलोक में श्री धामा द्वारा राधा को दिया श्राप याद आता है। श्री कृष्ण इस बात का जिक्र राधा से करते हैं और विवाह को न करने की बात रखते हैं। इसके साथ ही वह राधा को पुत्री धर्म निभाने के लिए भी कहते हैं। 

राधा अपने पिता का मान रखने के लिए श्री कृष्ण की जगह अपने बाल सखा आयान से विवाह कर लेती हैं और श्री कृष्ण भी अपना कर्म करने के लिए वृंदावन से मथुरा चले जाते हैं। इस तरह राधा और कृष्ण कभी भी एक दूसरे से विवाह नहीं कर पाते हैं। 

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लक्ष्मी ने राधा जी को श्राप क्यों दिया?

सुदामा ने दिया था राधा को श्राप श्रीकृष्ण और राधा गोलोक एकसाथ निवास करते थे. एक बार राधा की अनुपस्थिति में कृष्ण विरजा नामक की एक गोपिका से विहार कर रहे थे. तभी वहां राधा आ पहुंची और उन्होंने कृष्ण और विरजा को अपमानित किया. इसके बाद राधा ने विरजा को धरती पर दरिद्र ब्राह्मण होकर दुख भोगने का श्राप दे दिया.

राधा की अंतिम इच्छा क्या थी?

यह कि 'वे आखिरी बार कृष्ण को बांसुरी बजाते देखना चाहती थी'। पहली बार कृष्ण राधा से दूर तब गए, जब जब मामा कंस ने उन्हें और बलराम को मथुरा आमंत्रित किया। वृंदावन के लोगों को जब यह बात पता चली, तो वह दुःखी हो गए। मां यशोदा परेशान थीं, तो नंद बाबा चिंतित।

कृष्ण भगवान ने राधा को क्यों छोड़ा?

ऐसी भी मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने राधा से इसलिए विवाह नहीं किया क्योंकि वह साबित करना चाहते थे कि प्रेम और विवाह दो अलग-अलग चीजें हैं. प्रेम एक नि:स्वार्थ भावना है जबकि विवाह एक समझौता या अनुबंध है. एक मत के मुताबिक, श्रीकृष्ण ने राधा से इसलिए विवाह नहीं किया ताकि मनुष्यों को आंतरिक प्रेम के बारे मे सिखाया जा सके.

भगवान कृष्ण ने राधा से शादी क्यों नहीं की?

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, यशोदा के भाई रायान गोपा से राधा का विवाह हुआ था, जिस वजह से राधा रिश्ते में श्रीकृष्ण की मामी लगने लगी थीं. कहा जाता है इस वजह से उनकी शादी नहीं हो सकी. श्रीकृष्ण के रुक्मणी से विवाह के पीछे एक वजह ये भी बताई जाती है कि उन्होंने रुक्मणी को ही राधा का स्वरूप मान लिया था.