भगवान श्री कृष्ण के परिवार का अंत कैसे हुआ? - bhagavaan shree krshn ke parivaar ka ant kaise hua?

आखिर कैसे हुई थी भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु, आपको भी जानना चाहिए ये रोचक रहस्य

भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) का जन्म कैसे हुआ? यह बात हम सभी लोग बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन भगवान कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई थी? उनके शरीर का दाह संस्कार (Cremation) किसने किया? इन सवालों के जवाब शायद आपको पता नहीं होंगे. इनके बारे में जानने के लिए सभी लोग उत्सुक हैं. तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर भगवान होते हुए भी श्रीकृष्ण की मृत्यु कैसे हो गई?

  • News18HindiLast Updated :August 28, 2020, 19:53 IST

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भगवान श्री कृष्ण के परिवार का अंत कैसे हुआ? - bhagavaan shree krshn ke parivaar ka ant kaise hua?

पुराणों में मान्यता है कि भगवान कृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व में हुआ था. श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, लेकिन उनका बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगांव, बरसाना और द्वारिका आदि जगहों पर बीता था. कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने 36 वर्षों तक द्वारिका पर राज किया. इसके बाद उन्होंने अपनी देह त्याग दी. मान्यता है कि उस समय उनकी आयु 125 वर्ष थी.

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भगवान श्री कृष्ण के परिवार का अंत कैसे हुआ? - bhagavaan shree krshn ke parivaar ka ant kaise hua?

भागवत पुराण में बताया गया है कि एक बार श्रीकृष्ण के पुत्र सांबा को एक शरारत सूझी. वो एक स्त्री का वेश धारण कर अपने दोस्तों के साथ ऋषि-मुनियों से मिलने गए. स्त्री के वेश में सांबा ने ऋषियों से कहा कि वो गर्भवती है. जब उन यदुवंश कुमारों ने इस प्रकार ऋषियों को धोखा देना चाहा तो ऋषि क्रोधित हो गए और उन्होंने स्त्री बने सांबा को शाप दिया कि तुम एक ऐसे लोहे के तीर को जन्म दोगी, जो तुम्हारे कुल और साम्राज्य का विनाश कर देगा.

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ऋषियों के इस शाप सुनकर सांबा बहुत डर गए. उन्होंने तुरंत ये सारी घटना जाकर उग्रसेन को बताई, जिसके बाद उग्रसेन ने सांबा से कहा कि वे तीर का चूर्ण बनाकर प्रभास नदी में प्रवाहित कर दें, इस तरह उन्हें उस शाप से छुटकारा मिल जाएगा. इसके बाद सांबा ने ऐसा ही किया. साथ ही उग्रसेन ने ये भी आदेश पारित कर दिया कि यादव राज्य में किसी भी प्रकार की नशीली सामग्रियों का ना तो उत्पादन किया जाएगा और ना ही वितरण होगा. इस घटना के बाद द्वारका के लोगों ने कई अशुभ संकेतों का अनुभव किया, जिसमें सुदर्शन चक्र, श्रीकृष्ण का शंख, उनका रथ और बलराम के हल का अदृश्य हो जाना शामिल है. इसके अलावा वहां अपराधों और पापों में बढ़ोतरी होने लगी.

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द्वारिका में चारों ओर अपराध और पाप का माहौल व्याप्त हो गया. ये देखकर श्रीकृष्ण बहुत दुखी हो गए और उन्होंने अपनी प्रजा से ये जगह छोड़कर प्रभास नदी के तट पर जाकर अपने पापों से मुक्ति पाने को कहा. उनकी बात को सबलोग मानकर प्रभास नदी के तट पर गए, लेकिन वहां जाकर सभी मदिरा के नशे में चूर हो गए और एक दूसरे से बहस करने लगे. इसके बाद उनकी बहस ने लड़ाई का रूप धारण कर लिया और वो आपस में ही लड़ने-मरने लगे. इस तरह आपस में ही लड़कर सभी लोग मारे गए.

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भगवान श्री कृष्ण के परिवार का अंत कैसे हुआ? - bhagavaan shree krshn ke parivaar ka ant kaise hua?

भागवत पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण एक दिन एक पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे, तभी जरा नामक एक बहेलिए ने श्रीकृष्ण को हिरण समझकर दूर से उनपर तीर चला लिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई. आपको बता दें कि ऋषि द्वारा कृष्ण के पुत्र सांब को दिए शाप के अनुसार, श्रीकृष्ण को लगे तीर में उसी लोहे के तीर का अंश था, जो सांबा के पेट से निकला था और जिसे उग्रसेन ने चूर्ण बनवाकर नदी में प्रवाहित करा दिया था. इस तरह ऋषि के शाप के अनुसार समस्त यदुवंशियों का नाश भी हो गया था और गांधारी के शाप के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद श्रीकृष्ण के 36 वर्ष भी पूरे गए थे.

First Published: August 28, 2020, 19:43 IST

कृष्ण पुत्र श्याम की मृत्यु कैसे हुई?

एक ऋषि उसकी शरारत को समझ गए और गुस्से में सांब को श्राप दिया कि वह एक लोहे की तीर को जन्म देगा, जिसके कारण उसके कुल का सर्वनाश हो जाएगा। श्राप से मुक्ति के लिए उसने प्रभास नदी में तांबे के तीर का चूर्ण बनाकर प्रवाहित कर दिया। उस चूर्ण को एक मछली ने निगल लिया।

रुक्मणी जी की मृत्यु कैसे हुई?

लेकिन कृष्ण राधा के पास वापस नहीं आए. उनकी शादी भी रुक्मिनी से हुई.

यादव वंश का पतन क्यों हुआ?

महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद जब युधिष्ठर का राजतिलक हो रहा था तब कौरवों की माता गांधारी ने महाभारत युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को दोषी ठहराते हुए श्राप दिया की जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक उसी प्रकार यदुवंश का भी नाश होगा।

यादव कुल का अंत कैसे हुआ?

भगवान श्री कृष्णचन्द्र ने माता गांधारी के उस श्राप को पूर्ण करने के लिये यदुवंशियों की मति को फेर दिया। एक दिन अहंकार के वश में आकर कुछ यदुवंशी बालकों ने दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया। इस पर दुर्वासा ऋषि ने शाप दे दिया कि यदुवंश का नाश हो जाए। उनके शाप के प्रभाव से यदुवंशी पर्व के दिन प्रभास क्षेत्र में आए।