भारत में जनहित याचिका के जनक - bhaarat mein janahit yaachika ke janak

भारत में जनहित याचिका के जनक - bhaarat mein janahit yaachika ke janak

जनहित याचिका या Public Interest Litigation (PIL) न्यायालय द्वारा लाया गया एक ऐसा उपकरण है जिससे सरकार की गलत नीतियों या फैसलों से बढ़ रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा हो, उसके लिए जनहित याचिका दायर की जा सकती है।

सामाजिक रुप से ऐसे जागरूक नागरिक जो समाज को ठीक करना चाहते हैं या समाज में बदलाब लाना चाहते हैं PIL या जनहित याचिका के द्वारा इसे न्यायालय में ला सकते हैं।

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जनहित याचिका क्या है ?

जनहित याचिका भारतीय कानून में सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए मुकदमें का एक प्रावधान है अन्य सामान्य याचिकाओं से अलग इसमें जरूरी नहीं कि पीड़ित पक्ष खुद न्यायालय में मौजूद हो।

यह किसी भी व्यक्ति या न्यायालय द्वारा भी पीड़ित के पक्ष में दायर किया जा सकता हैं, जनहित याचिका का विवरण संविधान में नहीं मिलता यह सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक व्याख्या से निकला है, इसलिए इसे लागू करने का श्रेय सुप्रीम कोर्ट को जाता है।

जनहित याचिका कब लागू हुआ

जनहित याचिका की उत्पत्ति एवं विकास सर्वप्रथम अमेरिका में 1960 के दशक में हुआ वहां इसे प्रतिनिधित्वविहीन समुहों को कानूनी प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए न्यायपालिका द्वारा शुरू किया गया एक विधि है।

भारत में जनहित याचिका या PIL सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक सक्रियता का एक उत्पाद है जिसकी शुरुआत 1980 के दशक में हुई। जस्टिस पी. आर.कृष्णा और जस्टिस पी.एन. भगवती जनहित याचिका के जनक माने जाते है।

भारत के संदर्भ में

PIL यानी जनहित याचिका के अंतर्गत कोई भी जनभावना वाला व्यक्ति या सामाजिक संगठन किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के अधिकार को दिलाने के लिए न्यायालय जा सकता है अगर यह व्यक्ति या समूह निर्धनता, अज्ञानता अथवा अपनी सामाजिक आर्थिक दुर्बलता के कारण न्यायालय जाने में असमर्थ है।

PIL कानून के शासन के लिए बहुत जरूरी है इससे न्याय को आम लोगों तक पहुँचाया जा सकता है। तथा सामाजिक एवं आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के मौलिक अधिकारों तक उनकी पहुंच को बनाया जा सकता है।

PIL की स्वीकृति हेतु नियम

जनहित याचिका के अंतर्गत कोई भी जनभवना वाला व्यक्ति या सामाजिक संगठन, व्यक्ति या समूहों के अधिकार दिलाने के लिए न्यायालय जा सकता है।

● न्यायालय को दिया गया पत्र या पोस्टकार्ड भी याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया जाता है।

● अगर न्यायालय चाहे तो याचिका हेतु सामान्य न्यायालय शुल्क भी माफ कर सकता है।

● यह सरकार तथा निजी दोनों तरह की संस्थाओं के विरुद्ध लायी जा सकती है।

जनहित याचिका की विशेषताएं

1.) जनहित याचिका कानूनी सहायता आंदोलन का अंग है और इसके माध्यम से जनता तक न्याय को पहुंचाना तथा न्यायालय की गरिमा को बनाये रखना।

2.) यह मौलिक अधिकारों को मज़बूती प्रदान करता है जिससे लोगों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।

3.) PIL कार्यपालिका एवं विधायिका को संवैधानिक कर्तव्य को निर्वहन करने की शक्ति देती है।

4.) PIL द्वारा भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की बुनियाद रखी जा सकती है।

5.) जनहित याचिका की मांग है कि उन लोगों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए जिनकी संख्या बहुत बड़ी है, जो गरीब और अशिक्षित हैं और सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर है।


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PIL कौन दायर कर सकता है ?

कोई भी भारत का नागरिक PIL या जनहित याचिका दायर कर सकता है। यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि PIL निजी हित के लिए न होकर सार्वजनिक हित के लिए दायर करना चाहिए।

अगर न्यायालय को लगे कोई मामला जो अति आवश्यक है तो वह स्वयं भी मामले को स्वीकार कर सकती है इसके लिए वह वकील नियुक्ति का भी आदेश दे सकती है।

जनहित याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में तथा अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट में दायर की जा सकती है।”

PIL कैसे दायर करें

जनहित याचिका(PIL) दायर करने से पहले संबंधित मामले की पूरी जानकारी इकट्ठा कर ले, उससे जुड़े सारे दस्तावेज अपने पास सुरक्षित रख लेनी चाहिए।

जनहित याचिका जिस व्यक्ति या संगठन से जुड़ा है दायर करने से पहले उस व्यक्ति या संगठन से अनुमति ले लेनी चाहिए।

जनहित याचिका में उल्लेखित प्रत्येक प्रतिवादी 50 रुपये अदा करना पड़ता है।

जनहित याचिका की पैरवी खुद भी न्यायालय में की जा सकती है परंतु अगर आप इसके लिए वकील रखते है तो अच्छा होगा क्योंकि वकील को कानून की ज्यादा जानकारी होती है।

भारत में जनहित याचिका की शुरुआत कब हुई थी?

कहा जा सकता है कि ७० के दशक से शुरुआत होकर ८० के दशक में इसकी अवधारणा पक्की हो गयी थी।

भारत में जनहित याचिका के जनक कौन थे?

ध्यातव्य है कि भारत के पूर्व न्यायाधीश पी. एन. भगवती को 'जनहित याचिका का जनक' माना जाता है।

जनहित याचिका कहाँ से प्रारंभ हुई?

जनहित याचिका की अवधारणा 1960 के दशक के मध्य में संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्पन्न हुई थी। इसने जनहित कानून में योगदान दिया था। यह कानूनी सहायता आंदोलन का हिस्सा था। पहला कानूनी सहायता कार्यालय न्यूयॉर्क में 1876 में स्थापित किया गया था।

जनहित याचिका कौन जारी करता है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अन्तर्गत उच्च न्यायालय के समक्ष । कोई भी व्यक्ति जो सामाजिक हितों के बारे में सोच रखता हो, वह जनहित याचिका दायर कर सकता है । इसके लिये यह जरूरी नहीं कि उसका व्यक्तिगत हित भी सम्मिलित हो। जनहित याचिका ठीक उसी प्रकार से दायर की जाती है, जिस प्रकार से रिट (आदेश) याचिका दायर की जाती है।