Women’s Movement in India Show Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान में महिला आंदोलन के बारे में । इस Topic के जरिए हम जानेंगे कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में महिलाओं से संबंधित विभिन्न आंदोलन कहां तक अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सफल रहे । परिचय ऋग्वेद कालीन भारत में स्त्री का स्थान काफी सम्मानजनक था और स्त्री शिक्षा से वंचित नहीं थी और पर्दे का कोई विवाद नहीं था और स्त्री को अपना वर्क चने का अधिकार था । परंतु उत्तर वैदिक काल में महिलाओं की स्थिति धीरे-धीरे गिरती गई । इसके बाद आया मध्य काल और मध्य काल में भारत पर इस्लामी आक्रमण हुआ और भारत पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा । हिंदुओं में बाल विवाह और प्रदा प्रथा शुरू हो गई । नारियों का अपमान किया जाने लगा । नारी की रक्षा के लिए पर्दे को जरूरी माना गया और तभी से पर्दा प्रथा का आरंभ हुआ और कुछ राजपूत घरानों में कन्याओं की हत्या भी की जाने लगी । इसके बाद सती प्रथा शुरू हो गई । नारीवाद की अवधारणा के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ Click करें । इसके बाद इन सब बातों से तंग आकर कुछ विचारकों ने अपनी आवाज़ उठाई और अंत में इन कुरीतियों को समाप्त करने के लिए बहुत सारे महिला आंदोलन चलाए गए जिसकी निम्नलिखित रूप से देखा जा सकता है । समाज में धर्म सुधार आंदोलन 19वीं शताब्दी में 3 बड़े आंदोलन चलाए गए । जिन्होंने समाज को प्रभावित किया । एक तो ब्राह्मण समाज था और दूसरा थियोसोफिकल सोसाइटी । जिनमें स्त्रियों की दशा में सुधार के लिए अनेक प्रयास किए गए और इसके फल स्वरुप 1829 में सती प्रथा के विरुद्ध कानून बनाया गया और इसमें महिलाओं की स्थिति में सुधार आ गया । स्वतंत्रता आंदोलन में भी महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । जैसे असहयोग आंदोलन में महिलाओं ने सक्रिय भूमिका निभाई । इसी प्रकार दुर्गा धामी, सुशीला देवी आदि ने क्रांतिकारियों का भरपूर सहयोग दिया । महिला दिवस क्यों मनाया जाता है (International Women’s Day), जानने के लिए यहाँ Click करें ! समकालीन भारत में महिला आंदोलन समकालीन भारत में महिला आंदोलन सबसे तेजी से बढ़ता हुआ सामाजिक आंदोलन है । इसके साथ साथ वैश्वीकरण के कारण नारी शक्ति और महिला सशक्तिकरण की विचारधारा को बढ़ावा मिलता है । समकालीन महिला आंदोलन की विशेषताएं इस तरह हैं । किसान आंदोलन के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ Click करें । i) परिवार में महिला की स्थिति को मजबूत करने पर बल दिया जा रहा है और महिलाओं के लिए सुविधाओं को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है । ii) महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए महिला आरक्षण की मांग तेजी से बढ़ रही है । महिलाऐं आरक्षण का समर्थन करती हैं । लेकिन लंबे समय से यह कानून पास नहीं हो पाया है । iii) महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि बहुत जरूरी है और भागीदारी में बढ़ोतरी के लिए इस आंदोलन इसका प्रमुख उद्देश्य है । प्रमुख महिला आंदोलन आइये अब बात करते हैं, उन आंदोलनों की जिनमें महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है, और जिनके कारण महिलाओं को एक नई पहचान मिली और उनकी शक्ति को पहचाना गया । 1 चिपको आंदोलन : 1970 के दशक में पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए उसके विरुद्ध चलाए गए चिपको आंदोलन में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । 2 ताड़ी विरोध : दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश की महिलाओं ने ताड़ी विरोधी आंदोलन चलाया और यह आंदोलन 1980 और 1990 के दशक तक चलता रहा, हालांकि सरकार द्वारा यह आंदोलन सफल नहीं हो सका फिर भी इससे महिलाओं को नई पहचान मिली । नारीवाद की विशेषताएं और प्रकार के बारे में पढ़ने के लिए Click Here !! 3 नक्सलवादी आंदोलन : पश्चिम बंगाल में भूमिहीन किसानों ने नक्सलवादी आंदोलन का आरंभ किया और इस आंदोलन में वहाँ की महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वर्तमान में देश के लगभग 78 जिले नक्सलवादी आंदोलन से प्रभावित हैं । 4 दहेज निरोधक : 1980 के दशक में हिंसा दहेज और यौन उत्पीड़न के विरोध में कई महिला संगठनों ने जोरदार आवाज उठाई और 1986 में IPC की धारा द्वारा दहेज विरोधी अधिनियम 498-A पास किया गया और जिसमें दहेज के लिए महिलाओं का शोषण करने के लिए कार्यवाही की जाएगी और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार 2006 देश में प्रत्यय 29 मिनट एक रेप और 77 मिनिट में दहेज से संबंधित हत्या होती थी । 5 घरेलू हिंसा अधिनियम 2007 के अनुसार महिला के साथ घर में की गई हिंसा और मानसिक उत्पीड़न (Mentally Torture) और उत्पीड़न और शारीरिक उत्पीड़न नहीं किया जा सकता । राष्ट्रपति निर्वाचन प्रणाली और शान्तिकालीन शक्तियों के लिए यहाँ Click करें । राष्ट्रपति : आपातकालीन शक्तियों के लिए यहाँ Click करें । महिला आंदोलन की कमजोरियों और सुधार के सुझाव 1 महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बहुत जरूरी है । अतः शिक्षा और महिलाओं के लिए आरक्षण बहुत जरूरी है । 2 भारत में महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए धार्मिक कारकों जैसे परंपराओं, रूढ़िवादी, पुराने रीतिरिवाजों, ढर्रों आदि में आवश्यक सुधार जरूरी है । 3 भारत में महिलाओं से संबंधित कानूनों को अधिकतर बड़े पैमाने पर प्रचार करना बहुत जरूरी है । Feminism नारीवाद की वीडियो Click Here for Video तो दोस्तों ये था महिला आंदोलनों और सशक्तिकरण के बारे में अगर Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ ज़रूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !! भारत में महिला आंदोलन से संबंधित प्रमुख मुद्दे क्या रहे हैं लिखिए?आज के समय महिला आंदोलन के मुख्य मुद्दे हैं महिलाओं पर हिंसा को रोकना, निजी कानूनों में संशोधन, महिला स्वास्थ्य, आर्थिक दशा में सुधार इत्यादि । भारत में महिला आंदोलन अलग-अलग दौर व पड़ावों से गुज़र कर अपना अस्तित्व जमाए हुए है। स्थापित हुईं।
महिला आंदोलन से आप क्या समझते हैं भारत में महिला आंदोलन की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए?इसने समाज को वैदिक काल के साथ जोड़ने का प्रयास किया जो कि हिन्दुत्व का आधार हैं। वे हिन्दुत्व के आधार के रूप में वैदिक संस्कृति को स्थापित करना चाहते थे जहाँ महिलाओं को समाज में काफी सम्मान प्राप्त था। ब्रह्म समाज की भांति ही इस संगठन ने भी बालविवाह एवं जातिप्रथा जैसी कुरीतियों का विरोध किया।
नारी आंदोलन ने अपने इतिहास के दौरान कौन कौन से मुद्दे उठाए हैं?स्त्रियों के मुद्दे प्रभावकारी रूप में सत्तर के दशक में सामने आए। स्त्रियों से संबंधित ज्वलंत मुद्दों में पुलिस कस्टडी में महिलाओं के साथ बलात्कार, दहेज हत्याएँ तथा लैंगिक असमानता इत्यादि प्रमुख थे। इधर नई चुनौतियाँ लड़कियों के जन्मदर में अत्यधिक कमी के रूप में सामने आई हैं, जो सामाजिक विभेद का द्योतक है।
महिला आंदोलन क्यों शुरू हुआ?भारत में नारीवाद के इतिहास को तीन चरणों में देखा जा सकता है: पहला चरण, 19वीं शताब्दी के मध्य में शुरू हुआ, जब यूरोपीय उपनिवेशवादी, सती की सामाजिक बुराइयों के खिलाफ बोलने लगे; दूसरा चरण, 1915 से, जब भारतीय स्वतंत्रता के लिये गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और कई स्वतंत्र महिला संगठन ...
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