भारत में निर्धनता के कारण – कभी कभी अपनी जीविका चलाने के लिए आवश्यक वस्तुओं को एकत्र करना भी मुश्किल हो
जाता है। आवश्यक वस्तुओं के अभाव में निर्धनता का सामना करना पड़ता है। उत्पादन के ठीक होने किंतु उसका वितरण असमान होने पर भी निर्धनता का जन्म होता है। उत्पादन के साधनों पर कुछ लोगों का एकाधिकार होने पर अधिकांश लाभ वही ले जाते हैं। इस प्रकार आय की असमानता विद्यमान रहती है। अतः लोगों में निर्धनता भी विद्यमान रहती है। Contents भारत में निर्धनता के कारणसंपत्ति एवं आयु का असमान वितरण व्यापारिक मंदी तथा बेरोजगारी की अवस्था भी निर्धनता उत्पन्न करती है। व्यापार में मंदी की स्थिति में अनेक लोग दिवालिया हो जाते हैं और उनकी जमा पूंजी खर्च हो जाती है। बेरोजगारी की अवस्था में भी व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में असमर्थ हो जाता है। फलस्वरुप उसकी कार्य क्षमता घट जाती है, इस प्रकार निर्धनता उत्पन्न हो जाती है। भारत में निर्धनता के कारण निम्न है-
अशिक्षाभारत में सन 2021 की जनगणना के अनुसार, अब तक जनसंख्या का केवल 77% भाग ही साक्षर है, इस प्रतिशत में वे व्यक्ति भी सम्मिलित है जो मामूली रूप से लिख पढ़ सकते हैं। भारत में पुरुषों की साक्षरता दर 82.14% है, वहीं महिलाओं में साक्षरता दर केवल 65.46% है। महिलाओं में कम साक्षरता का कारण परिवार और आबादी की जानकारी कमी है। जो कि भारत में निर्धनता के कारण में प्रधान कारण है। उद्योगों की कमीभारत में आदमी का प्रमुख उद्योग शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित है। ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों का उचित विकास नहीं हुआ है, जिस कारणवश वहां पर बेरोजगारी में वृद्धि होती है। 2015 के बाद से भारत ने उद्योगों की कमी को दूर करने के लिए कई योजनाएं प्रोत्साहन के रूप में शुरुआत की जैसे – मेड इन इंडिया, स्टार्टअप, स्किल इंडिया। भारत Ease of doing business index में 63वें स्थान पर है। जनसंख्या या तो नौकर बनेगी या तो मालिक। अर्थात यदि भारत में उद्योगों की संख्या बढ़ेगी तो Jobs की संख्या भी बढ़ेगी। उद्योग यदि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हो गए तो भारत से निर्धनता तो दूर ही हो जाएगी और भारत विश्व में एक बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा। भारत में निर्धनता के कारणसामाजिक कारणदेश में गरीबी के लिए जाति प्रथा, संयुक्त परिवार प्रथा, उत्तराधिकार के नियम, शिक्षा व मानव कल्याण के प्रति उदासीनता आज के अनेक कारण हैं, जो गरीबों को और गरीब बना रहे हैं। सामाजिक प्रतिस्पर्धा इस क्षेत्र में काफी सहायक है। समाज में आपस में प्रतिस्पर्धा होने पर समाज का विकास होता चला जाता है अर्थात कोई भी गरीब को देखकर गरीब तो नहीं बनना चाहता है लेकिन अपने समाज में किसी सफल व्यक्ति के जैसा अवश्य बनना चाहता है। आप निर्धनता के कारण Hindibag पर पढ़ रहे हैं। प्रौद्योगिकी का निम्न स्तरकृषि तथा विनिर्माण क्षेत्र में परंपरागत उत्पादन तकनीकों ने प्रति व्यक्ति उत्पादकता के स्तर को नीचा बनाए रखा है, जिसके कारण गरीबी और अधिक गहन हुई है। इस समस्या को देखते हुए भारत सरकार ने किसानों के लिए विभिन्न विभिन्न तकनीकी उपकरणों को उपलब्ध कराया है। श्रम की मांग और पूर्ति में असंतुलनजब श्रमिकों की मांग कम होती है और उनकी पूर्ति बढ़ जाती है। तो समस्त श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाता और इस कारण बेरोजगारी मे वृद्धि होती है। भारत सरकार ने इस प्रकार की निर्धनता के कारण को दूर करने के लिए भारत में स्वरोजगारों की संख्या बढ़ाने के कई भरसक प्रयास किए हैं। जनसंख्या में तीव्र वृद्धिभारत की जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हुई है, जिससे गरीबी एवं बेरोजगारी की समस्या की गंभीरता और बढ़ गई है। 2.5% वार्षिक वृद्धि की दर से जनसंख्या का बढ़ना ग्रामीण श्रम पूर्ति की तीव्रता में वृद्धि करता है। श्रमिकों की संख्या में जो तीव्रता से वृद्धि हो रही है, उसके अनुरूप रोजगार सुविधाएं नहीं बढ़ पाती हैं। भारत में निर्धनता के कारणप्राकृतिक प्रकोपहमारी अर्थव्यवस्था प्रकृति पर बहुत अधिक निर्भर है। प्राकृतिक प्रकोपो का सामना करने के पर्याप्त साधनों का ना होना भी हमारी निर्धनता का एक प्रमुख कारण है। तकनीकी प्रशिक्षणरोजगार सुविधाओं को व्यापक रूप से उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक है कि तकनीकी प्रशिक्षण का कार्यक्रम अपनाया जाए। भारत में निर्धनता के इस कारण को दूर करने के लिए भारत सरकार ने स्किल इंडिया जैसे कई तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत की है। जिसका प्रतिफल आगामी भविष्य में देखने को मिलने वाला है, लोग स्वरोजगार की सफलता को देखते हुए उसे अपनाने की कोशिश करेंगे। ग्रामीण ऋणग्रस्तताआय में कमी होने के कारण भारतीय कृषक दैनिक जीवन ऋण लेकर व्यतीत करता है। वह ऋण अदा करने के लिए फसल पर निर्भर रहता है, लेकिन यदि प्राकृतिक प्रकोप या किसी अन्य समस्या से उसकी फसल में नुकसान होता है तो वहां ऋण से ग्रसित हो जाता है। भारत सरकार निरंतर किसानों के कर्ज को कुछ हद तक माफ करती आई है। अब तो प्रत्येक कृषक को भारत सरकार प्रोत्साहन के रूप में राशि भी प्रदान कर रही है। आर्थिक कारणनिर्धनता का संबंध आर्थिक पहलुओं से भी है, आर्थिक दशा का वर्णन आय और व्यय के संबंध में किया जाता है। अपर्याप्त उत्पादन असमान वितरण आर्थिक उच्च वचन निर्धनता एवं बेरोजगारी आदि को जन्म देता है। भारत में उत्पादन के लिए परंपरागत साधनों का प्रयोग किया जाता है जिसके कारण यहां पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता है। भारत में निर्धनता के कारण
Join Hindibag भारत में निर्धनता के मुख्य कारण कौन से हैं?जनसंख्या के अत्यधिक बढ़ जाने से सबकी आवश्यकताओं की भली प्रकार पूर्ति नहीं हो पाती और देश में निर्धनता फैलती है । यातायात के साधनों का अभाव आदि उद्योग और व्यापार की उन्नति में बाधक जितने भी कारक हैं उन सभी से निर्धनता बढ़ती है । अतः निर्धनता स्वयं निर्धनता बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है ।
भारत में निर्धनता के क्या कारण हैं कोई चार कारण लिखिए?आर्थिक कारण
किसी भी देश में पूंजी की कमी, कुशल मानवीय संसाधनों का अभाव, विकास की असमान दर, मुद्रा असंतुलन आदि ऐसी आर्थिक समस्याएं हैं जो निर्धनता को जन्म देती है। निर्धनता और बेरोजगारी की समस्याओं ने वर्तमान में कई लोगों को आत्महत्या करने के लिए विवश कर दिया है।
निर्धनता क्या है भारत में निर्धनता के कारण?निर्धनता और अशिक्षा का भी परस्पर सम्बन्ध है । अशिक्षा से निर्धनता बढ़ती है क्योंकि अशिक्षित व्यक्ति की धन कमाने की सामर्थ्य बहुत कम रहती है । दूसरी ओर बहुत से लोग निर्धनता के कारण पट्ट-लिख नहीं पाते और अशिक्षित रह जाते हैं । इस प्रकार निर्धनता और अशिक्षा एक दूसरे की सहायता करके गरीबों के दुःख बढ़ाती रहती हैं ।
निर्धनता का मुख्य कारण आप क्या?स्वास्थ्य रक्षा की अपर्याप्त व्यवस्था: बीमारी निर्धनता का प्रमुख कारण है । अस्वास्थ्यकर पर्यावरण में रहने से व्यक्ति की कार्यक्षमता भी घटती है । बीमारी के कारण कमाने वाले की मृत्यु हो जाने या नौकरी छूट जाने से घर का घर दरिद्र हो जाता है । बीमारी से व्यक्ति की आय का एक बड़ा भाग उसके उपचार में लग जाता है ।
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