बेर के पेड़ में किसका वास होता है? - ber ke ped mein kisaka vaas hota hai?

वृक्षों, पौधों, लताओं आदि वनस्पतियों से हमें फल, फूल, सब्जी, कंद-मूल, औषधियां, जड़ी-बूटी, मसाले, अनाज आदि सभी तो प्राप्त होते ही हैं साथ ही उक्त सभी वनस्पतियां हमारे जलवायु और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखकर वर्षा, नदी, पहाड़ और समुद्र का संरक्षण भी करती हैं।

भारत में स्थानीय विश्वासों के आधार पर कई ऐसे वृक्ष हैं जिन्हें भूतों का बसेरा माना जाता है तो कई ऐसे भी वृक्ष हैं जिनमें देवताओं का निवास होता है। भारत के लोगों में यह धारणा भी प्रचलित है कि चलने और उड़ने वाले पेड़ भी होते हैं। कल्पवृक्ष के संबंध में ऐसी धारणा है कि वह हमारी सभी तरह की मनोकामना की पूर्ति कर देता है।

कुछ वृक्षों या पौधों से सोना बनाया जा सकता है, तो कुछ ऐसे भी वृक्ष हैं जिनको घर में लगाने से सुख और समृद्धि आती है। तंत्र-मंत्र में विश्वास रखने वाले लोग अक्सर ऐसे वृक्षों की खोज में लगे रहते हैं जिसकी छाल या अन्य किसी हिस्से से वशीकरण का इत्र, गायब होने की बुटिका या आज्ञाचक्र को खोलकर त्रिकालज्ञ बनने की औषधि बनाना चाहते हैं। वेद, पुराण, गीता आदि सभी ग्रंथों में वृक्षों के औषधीय, धार्मिक, पर्यावरण, व्यापारिक, सामाजिक आदि सभी गुणों का महत्व विस्तार से वर्णित किया गया है। 

हम आपको बताएंगे कि वृक्ष किस तरह हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं और किस तरह हम वृक्षों के माध्यम से अपने जीवन को परिवर्तित कर सकते हैं। कर्ज, संतानहीनता, गृहकलह, धनाभाव, रोग और शोक आदि आपके जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या हो, तो वृक्षों के माध्यम से उसका समाधान हो सकता है। 

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विषयसूची

  • 1 बेर का पेड़ लगाने से क्या होता है?
  • 2 सफेदे के पेड़ को कैसे सुखाएं?
  • 3 कटहल का पौधा कब लगाया जाता है?
  • 4 कटहल का पेड़ कितने साल में फल देता है?
  • 5 कटहल के पौधे कितने प्रकार के होते हैं?
  • 6 कटहल कितने दिन में फल देता है?

बेर का पेड़ लगाने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंबेर के पेड़ को लगाने से आर्थिक नुकसान होता है। इससे घर में पैसा नहीं टिकता है और मां लक्ष्मी का वास नहीं होता है। 7. घर में बोनसाई का पौधा लगाना भी अशुभ माना जाता है।

सफेदे के पेड़ को कैसे सुखाएं?

पेड़ को कैसे सुखाएं?

  1. 1 किसी पेड़ को सुखाने के तरीके 1.1 एप्सन सॉल्ट या सेंधा नमक का प्रयोग करें 1.2 सूर्य की किरणों से बचने के लिए सूंड को ढँक दें
  2. 2 अन्य तकनीकों का उपयोग हम एक पेड़ को हटाने के लिए कर सकते हैं 2.1 इस पहली विधि में हमें ड्रिल का उपयोग करना होगा 2.2 इस दूसरी विधि में हमें नाखूनों का उपयोग करना होगा

आंकड़े के पेड़ की पूजा कैसे की जाती है?

इसे सुनेंरोकेंजब सफेद आंकड़े की इस जड़ को पानी में से निकाला जाता है तो भगवान गणेश के शरीर की बनावट इसमें दिखाई देने लगती है। श्वेतार्क गणेश को घर के मंदिर में लाल कपड़े पर रखना चाहिए। रोज स्नान के बाद लाल चंदन, चावल, लाल फूल, सिंदूर से पूजा करें। धूप-दीप जलाएं, लड्डूओं का भोग लगाएं, दूर्वा अर्पित करें।

कटहल का पौधा कब लगाया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंरोपाई के लिए उपयुक्त समय जुलाई से सितम्बर है। मई-जून के महीने में भूमि की अच्छी तरह से जुताई करने के बाद पाटा चलाकर भूमि को समतल बना लेना चाहिए। कटहल का पौधा आकार में बड़ा तथा अधिक फैलावदार होता है अतः इसे 10 x 10 मी. की दूरी पर लगाया जाता है।

कटहल का पेड़ कितने साल में फल देता है?

इसे सुनेंरोकेंकटहल की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में हो जाती है, लेकिन फिर भी इसकी बागवानी के लिए गहरी दोमट और बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त है. इसकी खेती के लिए पानी की ज्यादा जरुरत होती है. बीज से पौधे को उगाने के करीब 4 से 5 साल बाद फल लगने लगते हैं.

बेर के पेड़ में किसका वास होता है?

इसे सुनेंरोकेंभगवान विष्णु की चिंता को दूर करने के लिए समस्त देवताओं ने यज्ञ से एक दिव्य कन्या को प्रकट किया और भगवान विष्णु को इसे अर्धागिनी के रूप में स्वीकार करने को कहा। इतने में लक्ष्मी बदरी (बेर) के पेड़ के रूप में सहभागिनी बनी हुई थी और सब घटना देख रही थी।

कटहल के पौधे कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंकटहल की किस्में (Jackfruit Varieties) इसकी कई प्रमुख किस्में रसदार, खजवा, सिंगापुरी, गुलाबी, रुद्राक्षी आदि हैं.

कटहल कितने दिन में फल देता है?

इसे सुनेंरोकेंकटहल के बीजू पौधे में 7-8 वर्ष में फलन प्रारम्भ होता है जबकि कलमी पौधों में 4-5 वर्ष में ही फल मिलने लगते है। पेड़ का 12 वर्ष की उम्र तक फलन कम होता है। इसके बाद प्रति पेड़ 100-250 तक फल प्राप्त होते है। कटहल के फलों को विकास के साथ कई प्रकार से उपयोग में लाया जाता है ।

डाली में लगा हुआ बेर का फल

बेर (वानस्पतिक नाम : Ziziphus mauritiana) फल का एक प्रकार हैं। कच्चे फल हरे रंग के होते हैं। पकने पर थोड़ा लाल या लाल-हरे रंग के हो जाते हैं।

बेर एक ऐसा फलदार पेड़़ है जो कि एक बार पूरक सिंचाई से स्थापित होने के पश्चात वर्षा के पानी पर निर्भर रहकर भी फलोत्पादन कर सकता है। यह एक बहुवर्षीय व बहुउपयोगी फलदार पेड़ है जिसमें फलों के अतिरिक्त पेड़ के अन्य भागों का भी आर्थिक महत्व है। शुष्क क्षेत्रों में बार-बार अकाल की स्थिति से निपटने के लिए भी बेर की बागवानी अति उपयोगी सिद्ध हो सकती है। इसकी पत्तियाँ पशुओं के लिए पौष्टिक चारा प्रदान करती है जबकि इसमें प्रतिवर्ष अनिवार्य रूप से की जाने वाली कटाई-छंटाई से प्राप्त कांटेदार झाड़ियां खेतों व ढ़ाणियों की रक्षात्मक बाड़ बनाने व भण्डारित चारे की सुरक्षा के लिए उपयोगी है।

बेर खेती ऊष्ण व उपोष्ण जलवायु में आसानी से की जा सकती है क्योंकि इसमें कम पानी व सूखे से लड़ने की विशेष क्षमता होती है बेर में वानस्पतिक बढ़वार वर्षा ऋतु के दौरान व फूल वर्षा ऋतु के आखिर में आते है तथा फल वर्षा की भूमिगत नमी के कम होने तथा तापमान बढ़ने से पहले ही पक जाते है। गर्मियों में पौधे सुषुप्तावस्था में प्रवेश कर जाते है व उस समय पत्तियाँ अपने आप ही झड़ जाती है तब पानी की आवश्यकता नहीं के बराबर होती है। इस तरह बेर अधिक तापमान तो सहन कर लेता है लेकिन शीत ऋतु में पड़ने वाले पाले के प्रति अति संवेदनशील होता है। अतः ऐसे क्षेत्रों में जहां नियमित रूप से पाला पड़ने की सम्भावना रहती है, इसकी खेती नहीं करनी चाहिए।

जहां तक मिट्टी का सवाल है, बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जीवांश की मात्रा अधिक हो इसके लिए सर्वोत्तम मानी जाती है, हालाकि बलुई मिट्टी में भी समुचित मात्रा में देशी खाद का उपयोग करके इसकी खेती की जा सकती है। हल्की क्षारीय व हल्की लवणीय भूमि में भी इसको लगा सकते है। बेर में 300 से भी अधिक किस्में विकसित की जा चुकी है परन्तु सभी किस्में बारानी क्षेत्रों में विशेषकर कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त नहीं है। ऐसे क्षेत्रों के लिए अगेती व मध्यम अवधि में पकने वाली किस्में ज्यादा उपयुक्त पाई गई है। [1]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. बेर की व्यावसायिक खेती व प्रबन्धन Archived 2016-01-31 at the Wayback Machine (केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर)

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • बनबेर

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • बेर-व्यवसायिक खेती व प्रबंधन (विकासपीडिया)
  • बेर की उत्तम खेती (उत्तमकृषि)
  • बेर की खेती (ग्रामीण सूचना एवं ज्ञान केंद्र)
  • बेर : कैल्शियम से भरपूर (वेबदुनिया)

बेर के पेड़ की पूजा क्यों करते हैं?

बेर का फल भगवान शिव को अर्पण किया जाता है और सभी शिव मंदिरों में विशेषकर महाशिवरात्रि के समय इसे बेल के समान ही महत्त्व दिया जाता है। बेर के पेड़ को सिख धर्म में भी विशेष रूप से पवित्र माना गया है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि सिखों के पहले गुरू नानक देव को बेर के पेड़ के नीचे ही दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

बेर का पेड़ लगाने से क्या होता है?

बेर का पेड़ मान्‍यता है कि इसको घर में लगाना किसी मुसीबत के बराबर है। माना जाता है कि बेर के पेड़ में कांटे लगे होने की वजह से नकारात्‍मक प्रभाव छोड़ता है। घर के अंदर बेर का पेड़ लगाने की वजह से घर के सदस्‍यों के विचार नकारात्‍मक होने लगते हैं और आर्थिक नुकसान की स्थिति बन जाती है।

बेर का पेड़ किसका प्रतीक है?

वे दृढ़ता और आशा के साथ-साथ प्रतिकूल परिस्थितियों में संपन्न सौंदर्य का प्रतीक हैं। जैसा कि बेर का पेड़ दो मौसमों के बीच खिलता है, इसे वसंत के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है - गर्मी, संक्रमण और फलने-फूलने का वादा।

बेर के पेड़ में जल चढ़ाने से क्या होता है?

कुदरत का अनमोल तोहफा है प्रकृति, जो धरती पर जीवन जीने के लिए हमें हर तरह के संसाधन उपलब्ध करवाती है।

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