ब्रेड पर फफूंद क्यों आ जाती है? - bred par phaphoond kyon aa jaatee hai?

इसे सुनेंरोकेंकोई भी खाने की चीज जो उपयोग में नहीं ली जाती है उस पर फफूंद लगने लगती है। अक्सर फल, ब्रेड या अन्य खाने की चीज़ों पर इस प्रकार की फफूंद (Fungus) को देखा जा सकता है, खासकर बारिश के दिनों में। खाद्य सामग्री पर दिखाई देने वाली हरी-सफेद मखमली फफूंद में पूरी फफूंद के बीजाणु भरे होते हैं जो फफूंद को फैलाने का काम करते हैं।

अचार में फफूंद क्यों आती है?

इसे सुनेंरोकेंयह अचार में डाली गई चीजों में नमी रहने की वजह से भी लग सकता है। अचार में तेल पर्याप्त मात्रा में ना होने की वजह से भी यह खराब हो सकता है। इसके अलावा अचार बनाते वक्त इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन अगर साफ ना हो तो इसमें फफूंद लगने की संभावना बनी रहती है।

फफूंद की वृद्धि के लिए कौन सी परिस्थिति उत्तरदाई है?

इसे सुनेंरोकेंकवक की अधिकाधिक वृद्धि विशेष रूप से आर्द्र परिस्थितियों में, अँधेरे में या मंदप्रकाश में होती है। इसीलिए छत्रक अधिक संख्या में आर्द्र और उष्ण तापवाले जंगलों में उगते हैं।

पढ़ना:   गंगा धरती पर कब आई?

कौन सी रोटी पापड़ से ज्यादा महीन होती है * पराठा नान चपाती तुनकी?

इसे सुनेंरोकेंतुनकी विशेष प्रकार की रोटी है। यह पापड़ से भी अधिक पतली होती है।

इसे सुनेंरोकेंऐसा ही एक हानिकारक तत्व है फंगस। जिसे हमें आम भाषा में फफूंद (Fungus) कहते हैं। कोई भी खाने की चीज जो उपयोग में नहीं ली जाती है उस पर फफूंद लगने लगती है। अक्सर फल, ब्रेड या अन्य खाने की चीज़ों पर इस प्रकार की फफूंद (Fungus) को देखा जा सकता है, खासकर बारिश के दिनों में।

ब्रेड बनाने के लिए किसका उपयोग किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंखमीर वाले ब्रेड सबसे आम होते हैं, जिसमे चार मुख्य सामग्रियों का उपयोग किया जाता है- आटा, नमक, शक्कर, पानी और खमीर। ब्रेड बनाने के लिए, सही पैमाने में सामग्री को तौल कर सुनिश्चित करे। एक बार यह होने पर, आप ब्रेड के लिए आटा गूंथना शुरू कर सकते हैं।

इसे सुनेंरोकेंयह अचार में डाली गई चीजों में नमी रहने की वजह से भी लग सकता है। इसके ऊपर तेल की परत इसे खराब होने से बचाती है। अचार में तेल पर्याप्त मात्रा में ना होने की वजह से भी यह खराब हो सकता है। इसके अलावा अचार बनाते वक्त इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन अगर साफ ना हो तो इसमें फफूंद लगने की संभावना बनी रहती है।

पढ़ना:   नाईट फॉल का इलाज क्या है?

ब्रेड बनाने की मशीन कितने की आती है?

इसे सुनेंरोकेंइसमें हर तरह की मशीनरी और इक्यूपमेंट का खर्च शामिल है. यानी 5.36 लाख रुपये की लागत से बिस्कुट मैन्युफैक्चरिंग का बिजनेस शुरू किया जा सकता है. इसमें अपनी जेब से सिर्फ 90 हजार रुपये लगाकर बाकी रकम टर्म लोन और वर्किंग कैपिटल लोन के टर्म पर जुटाई जा सकती है.

क्या ब्रेड में अंडा होता है?

इसे सुनेंरोकेंखाने की चीजों में शाकाहारी लोगों के लिए अंडे सबसे बड़ी समस्या हैं. पास्ता और ब्रेड, कन्फेक्शनरी- इनमें ज्यादातर में अंडा पड़ा होता है. आपको अंडा नहीं खाना है तो आपको सुनिश्चित करना होगा कि अनग्लेज्ड ब्रेड ही खरीदें.

डबलरोटी या ब्रैड भाड़ में पकाई हुई खमीर लगे मैदे की रोटी होती है। यह मोटी व गुदगुदी होती है। ब्रेड एक मुख्य भोजन है जो आटे और पानी के लोई से तैयार किया जाता है, सामान्यतः बेक करके बनाया जाता है। पूरे रिकॉर्ड किए गए इतिहास में, यह दुनिया के बड़े हिस्से में प्रमुख भोजन रहा है। यह मानव निर्मित सबसे पुराने खाद्य पदार्थों में से एक है, जिसका कृषि की शुरुआत से ही महत्वपूर्ण महत्व रहा है, और धार्मिक अनुष्ठानों और धर्मनिरपेक्ष संस्कृति दोनों में आवश्यक भूमिका निभाता है।

आजकल विश्व के लगभग सारे देशों में डबलरोटी (ब्रेड) का उपयोग हो रहा है। लेकिन आधुनिक लोगों की पसंदीदा डबलरोटी आज से नहीं सदियों पहले से अस्तित्व में है। कहते हैं कि ईसा से 3000 वर्ष पूर्व मिस्र में डबल रोटी की शुरूआत हुई थी। वहां के लोग गुंधे हुए आटे में खमीर मिली टिकिया को भट्टी में पकाकर डबलरोटी बनाते थे। इस प्रकार डबलरोटी बनाने के नमूने मिस्र के मकबरों में मिलते हैं।

अलग-अलग देशों में अलग-अलग पदार्थों से डबलरोटी तैयार की जाती है। कहीं नमक मिले आटे या मैदा से, तो कहीं आलू, मटर, चावल या जौ का आटा मिलाकर इसे बहुत स्वादिष्ट बनाने का प्रयास किया जाता है। डबलरोटी के आटे में मिला खमीर पकाए जाने पर गैस बनाता है, जो बुलबुले के रूप में फटकर बाहर निकलती है। इसी कारण डबलरोटी में सुराख होते हैं। आदि मानव गेहूं के दानों को भिगोकर, पत्थर पर पीस लेता था। फिर उस लुगदी को अंगारों या गरम पत्थर पर सेंक लिया करता था।

ब्रेड सबसे पुराने तैयार किए जाते खाद्य पदार्थों में से एक है। यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में 30,000 वर्ष पहले के साक्ष्य से पता चलता है कि पौधों की कुटाई करने के लिए उपयोग की जाने वाली चट्टानों पर स्टार्च अवशेष हैं। [1][2] यह संभव है कि इस समय के दौरान, पौधों की जड़ों से स्टार्च का अर्क, जैसे कि कैटेल और फ़र्न, सपाट चट्टान पर फैला हुआ था, आग पर रखा गया था और रोटी के आदिम रूप में पकाया गया था। ब्रेड बनाने का दुनिया का सबसे पुराना सबूत जॉर्डन के उत्तरपूर्वी रेगिस्तान में 14,500 वर्ष पुरानी नाटुफियन स्थल में पाया गया है। [3][4]

सभ्यता के विकास के साथ-साथ रोटी ने भी अपना रूप बदला और लुगदी की रोटी की जगह, आज खमीर युक्त डबल रोटी ने ले ली है। डबलरोटी बनाने के लिए गेहूं का आटा बनाने की प्रक्रिया भी बडी मनोरंजक है। बड़ी-बड़ी कोठियों में गेहूं जमा किया जाता है और शक्तिशाली पम्पों से एक मिनट में लगभग ढाई टन गेहूं ऊपर खींच लिया जाता है।

यह जमा किया हुआ गेहूं भी ज्यों का त्यों काम में नहीं लिया जाता बल्कि बड़ी आटा मिल में एक टॉवरनुमा ढांचे में लगी अनेक मोटी और महीन छलनियों से गुजरता है। इस प्रक्रिया से गेहूं के कंकड़ और तिनके आदि साफ हो जाते हैं। अब गेहूं धुलाई कक्ष से गुजरता हुआ गरम हवा में सूखने के लिए कुछ देर रुकता है। सूखने पर निर्धारित माप के बेलनों से इसको मोटा-मोटा दला जाता है। इसके बाद बारीक बेलनों से इसकी पिसाई होती है।

उस महीन आटे को भी पांच-छ मोटी, बारीक छलनियों से गुजरना पडता है। इन छलनियों में ताकतवर चुम्बक लगे रहते हैं, ताकि आटे में पडी लोहे की अशुध्दियों को खींच सकें। अब यह शोधित आटा मैदा बनकर बाजार में आ जाता है। बस, इसी मैदे से बनती हैं - डबल रोटियां। सर्वप्रथम एक बडे बर्तन में यंत्र द्वारा मैदा डाला जाता है। उसमें साफ पानी और निर्धारित मात्रा में चीनी एवं खमीर युक्त घोल मिलाकर गूंधा जाता है।

गुंधाई के बाद आटे को धातु की सतह वाली लंबी मेज पर रखकर एक महीन कपड़े से ढंक दिया जाता है। इस बीच खमीर के कारण आटे में खट्टापन आ जाता है और उसका जायका भी कुछ अलग हो जाता है। साथ में कार्बन डाई ऑक्साइड गैस बनती है, जो समूचे आटे को फुलाकर स्पंज की तरह हल्का कर देती है। जब भट्ठी में डबल रोटी सिंकती है तो ताप के कारण गैस रोटी को छलनी करती हुई उड़ जाती है। यह विशेषता सिर्फ गेहूं के आटे में ही होती है।

अब यह गुंधा हुआ मैदा यंत्रों से कांटे पर तुलता है और निर्धारित माप की लोइयों में बंट जाता है। ये लोइयां मशीन द्वारा डबलरोटी के आकार की बनाई जाती हैं। नीचे धातु का एक पात्र रहता है, जिसमें से डबल रोटी गिरती जाती है। इन पात्रों को 450 डिग्री फारेनहाइट से 500 डिग्री फारेनाइट तक के तापमान वाली भट्ठी में रख दिया जाता है।

लगभग 40-50 मिनट बाद डबलरोटी तैयार हो जाती है। इस तैयार डबलरोटी को काटने के लिए बहुत सावधानी की आवश्यकता होती है। अगर ज्यादा गरम अवस्था में इसे पैक कर दिया जाए तो ठंडी पडने पर इसके सील जाने की आशंका रहती है और फफूंद उठ सकती है। इसलिए इसे प्राय: 90 डिग्री फारेनहाइट से 95 डिग्री फारेनहाइट के तापमान पर ही पैक किया जाता है।

ब्रेड मध्य पूर्व, मध्य एशिया, उत्तरी अफ्रीका, यूरोप और यूरोपीय-व्युत्पन्न संस्कृतियों जैसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी अफ्रीका में मुख्य भोजन है। यह दक्षिण और पूर्वी एशिया के कुछ हिस्सों के विपरीत है, जहां चावल या नूडल मुख्य भोजन है। ब्रेड आमतौर पर गेहूं के आटे से बनाई जाती है जिसे खमीर के साथ संवर्धित किया जाता है, उठने दिया जाता है, और अंत में ओवन में बेक किया जाता है। ब्रेड में खमीर मिलाना आमतौर पर ब्रेड में पाए जाने वाले वायु कोटरिका की व्याख्या करता है।[5] [6]

ब्रेड को कई तापमानों पर परोसा जा सकता है; एक बार बेक होने के बाद, इसे बाद में टोस्ट किया जा सकता है। यह आमतौर पर हाथों से खाया जाता है, या तो स्वयं या अन्य खाद्य पदार्थों के कैरियर के रूप में। ब्रेड पर मक्खन लगाया जा सकता है, ग्रेवी, जैतून का तेल, या सूप जैसे तरल पदार्थों में डुबोया जा सकता है; [7] इस पर विभिन्न मीठे और नमकीन स्प्रेड रखा जा सकता है, या मांस, पनीर, सब्जियां और मसालों से युक्त सैंडविच बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। [8]

नमक, वसा और खमीर उठाने वाले एजेंट जैसे खमीर और बेकिंग सोडा आम सामग्री हैं, हालांकि ब्रेड में दूध, अंडा, चीनी, मसाला, फल (जैसे किशमिश), सब्जियां (जैसे प्याज), नट्स (जैसे अखरोट) या बीज (जैसे खसखस) जैसे अन्य तत्व हो सकते हैं।[9]

ब्रेड में फफूंदी क्यों लगती है?

Solution : ब्रेड पर फफूंदी लगने का कारण ब्रेड का सड़ना है, हवा में फफूंदी के जीवाणु तैरते रहते हैं जो इसके लिए जिम्मेदार है।

फफूंद कैसे लगती है?

हमने देखा है कि फफूंद अक्सर गर्म, उमस भरे वातावरण में लगती है- जो फफूंद के विकास के लिए सही और अनुकूल सेटिंग है। आखिरकार, सूखी फफूंद के बीजाणु नए स्थानों की तलाश में हवा में तैरते हैं, जहां कुछ और फफूंदी पनप सकें।

फफूंद की वृद्धि के लिए कौन सी परिस्थिति उत्तरदाई है?

-त्वचा का फफूंद संक्रमण नमी में बढ़ता है। बरसाती मौसम, उमस और नमी भरे वातावरण में फंगस का आक्रमण बढ़ जाता है।