बारहमासा चित्र से क्या तात्पर्य है? - baarahamaasa chitr se kya taatpary hai?

बारहमासा (पंजाबी में बारहमाहा) मूलतः विरह प्रधान लोकसंगीत है। वह पद्य या गीत जिसमें बारह महीनों की प्राकृतिक विशेषताओं का वर्णन किसी विरही या विरहनी के मुँह से कराया गया हो। मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित पद्मावत में वर्णित बारहमासा हिन्दी का सम्भवतः प्रथम बारहमासा है।

वर्ष भर के बारह मास में नायक-नायिका की शृंगारिक विरह एवं मिलन की क्रियाओं के चित्रण को बारहमासा नाम से सम्बोधित किया जाता है। श्रावण मास में हरे-भरे वातावरण में नायक-नायिका के काम-भावों को वर्षा के भींगते हुए रुपों में, ग्रीष्म के वैशाख एवं जयेष्ठ मास की गर्मी में पंखों से नायिका को हवा करते हुए नायक-नायिकाओं के स्वरुप आदि उल्लेखनीय है।

जब किसी स्त्री का पति परदेश चला जाता है और वह दुखी मन से अपने सखी को बारह महीने की चर्चा करती हुई कहती है कि पति के बिना हर मौसम व्यर्थ है। इस गीत में वह अपनी दशा को हर महीने की विशेषता के साथ पिरोकर रखती है।

ऐतिहासिक दृष्टि से बारहमासा, संस्कृत साहित्य का षडऋतु वर्णन की राह का काव्य है। कालिदास का ऋतुसंहार षडऋतुवर्णन ही है।

उदाहरण[संपादित करें]

हिन्दी में मलिक मोहम्मद जायसी कृत पद्मावत में 'नागमती वियोग-वर्णन' बारहमासा का प्रसिद्ध उदाहरण है।

अगहन दिवस घटा निसि बाढ़ी। दूभर रैनि जाइ किमि काढ़ी॥
अब यहि बिरह दिवस भा राती। जरौं बिरह जस दीपक बाती॥
काँपै हिया जनावै सीऊ। तो पै जाइ होइ सँग पीऊ॥
घर-घर चीर रचे सब का। मोर रूप रंग लेइगा ना॥
पलटि न बहुरा गा जो बिछाई। अबँ फिरै फिरै रँग सोई॥
बज्र-अगिनि बिरहिनि हिय जारा। सुलुगि-सुलुगि दगधै होइ छारा॥
यह दु:ख-दगध न जानै कंतू। जोबन जनम करै भसमंतू॥
पिउ सों कहेहु संदेसडा हे भौरा! हे काग!
जो घनि बिरहै जरि मुई तेहिक धुवाँ हम्ह लाग॥

पूस जाड थर-थर तन काँपा। सूरुज जाइ लंकदिसि चाँपा॥
बिरह बाढ दारुन भा सीऊ। कँपि-कँपि मरौं लेइ-हरि जीऊ ॥
कंत कहा लागौ ओहि हियरे। पंथ अपार सूझ नहिं नियरे॥
सौंर सपेती आवै जूडी। जानहु सेज हिवंचल बूडी॥
चकई निसि बिछुरै दिन मिला। हौं दिन रात बिरह कोकिला॥
रैनि अकेलि साथ नहिं सखी। कैसे जियै बिछोही पँखी॥
बिरह सचान भयउ तन जाडा। जियत खाइ और मुए न छाँडा॥
रकत ढुरा माँसू गरा हाड भएउ सब संख।
धनि सारस होइ ररि मुई आई समेटहु पंख॥

लागेउ माघ परै अब पाला। बिरहा काल भएउ जड काला॥
पहल-पहल तन रुई जो झाँपै। हहरि-हहरि अधिकौ हिय काँपै॥
नैन चुवहिं जस माहुटनीरू। तेहि जल अंग लाग सर-चीरू॥
टप-टप बूँद परहिं जस ओला। बिरह पवन होई मारै झोला॥
केहिक सिंगार को पहिरु पटोरा? गीउ न हार रही होई होरा॥
तुम बिनु काँपौ धनि हिया तन तिनउर-भा डोल।
तेहि पर बिरह जराई कै चहै उडावा झोल॥

फागुन पवन झकोरा बहा। चौगुन सीउ जाई नहिं सहा॥
तन जस पियर पात भा मोरा। तेहि पर बिरह देइ झझकोरा॥
परिवर झरहि झरहिं बन ढाँखा। भई ओनंत फूलि फरि साखा॥
करहिं बनसपति हिये हुलासू। मो कह भा जग दून उदासू।
फागु करहिं सब चाँचरि जोरी। मोहि तन लाइ दीन्हि जस होरी॥
जौ पै पीउ जरत अस पावा। जरत मरत मोहिं रोष न आवा॥
राति-दिवस बस यह जिउ मोरे। लगौं निहोर कंत अब तोरे॥
यह तन जारौं छार कै कहौ कि "पवन उडाउ।
मकु तेहि मारग उडि पैरों कंत धरैं जहँ पाँउ॥

बारहमासा और षड्ऋतु[संपादित करें]

बारहमासा में विप्रलभ शृंगार (विरह शृंगार) होता है जबकि षड्ऋतु में संयोग शृंगार।

सन्दर्भ[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • जायसी का बारहमासा

बाहरी कडियाँ[संपादित करें]

  • बारहमासा (विद्यापति)

विषयसूची

  • 1 बारहमासा चित्र से क्या तात्पर्य?
  • 2 जायसी ने बारहमासा में कौन कौन से महीनों का वर्णन किया है?
  • 3 बारहमासा वर्णन में पौष मास के बाद कौन सा मास आता है?
  • 4 बारहमासा कविता के कवि का क्या नाम है *?
  • 5 जल्दी जल्दी कौन सा अलंकार है?
  • 6 दोनों पंक्तियों में कौन सा अलंकार है उत्तर बताइए?

बारहमासा चित्र से क्या तात्पर्य?

इसे सुनेंरोकेंवर्ष भर के बारहमास में नायक – नायिका की श्रृंगारिक विरह और मिलन की क्रियाओं के चित्रण को बारहमासा कहते हैं। इसके पद्य या गीत में बारहों महीने की प्राकृतिक विशेषताओं का वर्णन किसी विरही या विरहनी के मुख से कराया जाता है।

जायसी ने बारहमासा में कौन कौन से महीनों का वर्णन किया है?

इसे सुनेंरोकेंचार महीनों का वर्णन इस अंश में किया गया है : अगहन (वर्ष का 9वां महीना), पूस (अगहन के बाद का), माघ, फागुन !

तन जस पियर पात भा में कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकेंफागुन पवन ऑकोरै बहा। चौगुन सीउ जाइ किमि सहा। तन जस पियर पात भा मोरा। बिरह न रहै पवन होइ झोरा।।

मलिक मुहम्मद जायसी के पिता का नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमलिक मुहम्मद जायसी के वंशज अशरफी खानदान के चेले थे और मलिक कहलाते थे। फिरोज शाह तुगलक के अनुसार बारह हजार सेना के रिसालदार को मलिक कहा जाता था। जायसी ने शेख बुरहान और सैयद अशरफ का अपने गुरुओं के रूप में उल्लेख किया है।

बारहमासा वर्णन में पौष मास के बाद कौन सा मास आता है?

इसे सुनेंरोकेंश्रावण मास में हरे-भरे वातावरण में नायक-नायिका के काम-भावों को वर्षा के भींगते हुए रुपों में, ग्रीष्म के वैशाख एवं जयेष्ठ मास की गर्मी में पंखों से नायिका को हवा करते हुए नायक-नायिकाओं के स्वरुप आदि उल्लेखनीय है।

बारहमासा कविता के कवि का क्या नाम है *?

इसे सुनेंरोकेंमलिक मोहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य ‘पदमावत’ का एक प्रमुख हिस्सा ‘जायसी का बारहमासा’ है। ‘ जायसी ‘ हिन्दी साहित्य के भक्ति धारा के कवि थे।

मलिक मुहम्मद जायसी की कविता बारहमासा में कौन से रस की प्रधानता है *?

इसे सुनेंरोकेंमलिक मोहम्मद जायसी का स्थान भक्ति कालीन निर्गुण संत कवि परंपरा में है। इनके काव्य में श्रृंगार रस की भरमार है , जिसका उदाहरण बारहमासा को पढ़कर लगता है।

बारहमासा कविता में कितने महीनों का वर्णन है?

इसे सुनेंरोकेंबारहमासा (पंजाबी में बारहमाहा) मूलतः विरह प्रधान लोकसंगीत है। वह पद्य या गीत जिसमें बारह महीनों की प्राकृतिक विशेषताओं का वर्णन किसी विरही या विरहनी के मुँह से कराया गया हो। मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित पद्मावत में वर्णित बारहमासा हिन्दी का सम्भवतः प्रथम बारहमासा है।

जल्दी जल्दी कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकेंजल्दी-जल्दी मे रूपक अलंकार है।

दोनों पंक्तियों में कौन सा अलंकार है उत्तर बताइए?

इसे सुनेंरोकेंयहाँ प्रथम और द्वितीय पंक्तियों में एक ही अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग हुआ, है परन्तु प्रथम और द्वितीय पंक्ति में अन्तर स्पष्ट है, अतः यहाँ लाटानुप्रास अलंकार है।

जायसी की काव्य भाषा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइसकी भाषा अवधी है और इसकी रचना शैली पर आदिकाल के जैन कवियों की दोहा चौपाई पद्धति का प्रभाव पड़ा है। उनका देहांत १५५८ में हुआ। अखरावट जायसी कृत एक सिद्धांत प्रधान ग्रंथ है। इस काव्य में कुल ५४ दोहे ५४ सोरठे और ३१७ अर्द्धलिया हैं।

मोहिका हँसेसि कि कोहरहिं किसका कथन है?

इसे सुनेंरोकेंसात वर्ष की आयु में ही चेचक से इनका एक काल और एक ऑख नष्‍ट हो गयी थी। ये काले और कुरूप तो थे ही, एक बार बादशाह शेरशाह इन्‍हें देखकर हॅंसने लगे। लब जायसी ने कहा- ‘मोहिका हॅंसेसि,कि कोहरहिं’ इस बार बादशाह बहुल लज्जित हुए। जायसी एक गुहस्‍थ के रूप में भी रहे।

बारहमासा गीतों में किसका वर्णन मिलता है?

इसके पद्य या गीत में बारहों महीने की प्राकृतिक विशेषताओं का वर्णन किसी विरही या विरहनी के मुख से कराया जाता है। इस गीत में वह अपनी दशा को हर महीने की खासियत के साथ पिरोकर रखती है। इस शैली में ज्यादातर किसी स्त्री का पति परदेस कमाने चला जाता है और वह दुखी मन से अपनी सखी को बताती है कि पति के बिना हर मौसम व्यर्थ है।

बारहमासा में कौन से रस का प्रयोग किया गया है?

मलिक मोहम्मद जायसी हिंदी के प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इनके काव्य में श्रृंगार रस के दोनों पक्ष संयोग तथा वियोग का बड़ा ही तार्किक रूप से प्रयोग किया गया है।

जायसी ने बारहमासा में कौन कौन से महीनों का वर्णन किया है?

पद्मावत, अखरावट और आखिरी कलाम जायसी की प्रमुख काव्य-कृतियाँ हैं, जिनमें पद्मावत उनकी प्रसिद्धि का प्रमुख आधार है। सो धनि बिरहें जरि मुई, तेहिक धुआँ हम लाग ।। कंत कहाँ हौं लागौं हियरै | पंथ अपार सूझ नहिं ।

नागमती वियोग कौन सा खंड है?

आचार्य शुक्ल द्वारा सम्पादित पद्मावत(जायसी ग्रंथावली) का 30वाँ खंड नागमती-वियोग खंड है। पद्मावत में वियोग पक्ष तीन चरित्रों के माध्यम से दिखाया गया है - रत्नसेन, पद्मावती तथा नागमती। जायसी ने नागमती के विरह का विस्तृत वर्णन किया है।