Hindu New Varsh 2022 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि के साथ हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो रही है। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार इस नव संवत्सर 2079 के राजा शनि होंगे। जानिए नव संवत्सर के बारे में सभी जानकारी।
नई दिल्ली, Hindu New Varsh 2022: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो रही है। इतना ही नहीं नया संवत्सर 2079 भी इसी दिन लग रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार 2 अप्रैल, शनिवार का दिन कई मायनों में खास होने वाला है। क्योंकि इस दिन हिंदू नववर्ष की शुरुआत के साथ चैत्र नवरात्रि, गुड़ी पड़वा का भी पर्व मनाया जा रहा है। इतना ही नहीं ज्योतिषों के अनुसार विक्रम संवत 2079 में कई ग्रहों का राशि परिवर्तन भी हो रहा है जिसका असर हर व्यक्ति के जीवन में अच्छा या फिर बुरा प्रभाव डालेगा। जानिए हिंदू नववर्ष के बारे में हर एक चीज।
चैत्र नवरात्रि पर विक्रम संवत 2079 की शुरुआत
हिंदू पंचांग के अनुसार, विक्रम संवत 2079 का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ होता है। इस बार चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 2 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 58 मिनट में समाप्त होगी। लेकिन हमेशा नववर्ष की शुरुआत सूर्योदय के साथ मानी जाती है। इस कारण विक्रम संवत 2079 या हिंदू नववर्ष 2079 का पहला दिन 2 अप्रैल ही माना जाएगा। इसके साथ ही इस दिन हिंदू धर्म का पवित्र दिन नवरात्रि की भी शुरुआत हो रही है।
विक्रम संवत 2079 का कौन है राजा और कौन है मंत्री?
ज्योतिषों के अनुसार, हिंदू नववर्ष में राजा शनि होंगे और महामंत्री गुरु बृहस्पति होंगे। शनि के राजा होने से इस वर्ष जातकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। वह महंगाई, अर्थव्यवस्था, राजनीति में परिवर्तन आदि शामिल है। इसके साथ ही शनि की ढैय्या से मिथुन और तुला राशि को मुक्ति मिलेगी, जिससे जातकों को हर कष्ट से छुटकारा मिलेगा। इसके साथ ही धनु राशि के जातकों को शनि के साढ़े साती से निजात मिलेगी, जिससे भाग्योदय होगा। आर्थिक स्थिति सही होने के साथ हर तरह के रोगों से भी मुक्ति मिलेगी।
हिंदू नववर्ष पर बन रहा दुर्लभ संयोग
ज्योतिष गणना के अनुसार, इस बार हिंदू नववर्ष में दुर्लभ संयोग बन रहा है जो करीब 1500 साल बाद होगा। क्योंकि 18 महीने बाद राहु-केतु राशि परिवर्तन कर रहे हैं। इसके साथ ही मंगल ग्रह अपनी उच्च राशि मकर राशि में रहेगा, जिससे हर राशियों के जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा हिंदू नववर्ष में रेवती नक्षत्र भी बन रहा है।
नववर्ष की शुरुआत में ही नौ ग्रहों का गोचर
2 अप्रैल से शुरू हो रहे हिंदू नववर्ष में एक साथ नौ ग्रह राशि परिवर्तन कर रहे हैं। इन ग्रहों में मंगल, शनि, राहु, केतु, गुरु, सूर्य, शुक्र, चंद्रमा और बुध ग्रह आदि अन्य राशियों में प्रवेश कर रहे हैं।
Grah Gochar April 2022: अप्रैल में राहु-केतु, शनि, मंगल सहित ये ग्रह कर रहे हैं गोचर, हर राशि पर पड़ेगा प्रभाव
Pic Credit- Instagram/ karni_meharara
डिसक्लेमर'
इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
Edited By: Shivani Singh
Hindu Nav samvatsar 2078: हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। इस बार यह तिथि 2 अप्रैल 2022 को रहेगी। यह नववर्ष सन् 2079 रहेगा। आओ जानते हैं इस संबंध में कुछ खास।
Hindu Nav Varsh 2022 : नव संवत्सर 2079 इस बार 2 अप्रैल शनिवार से शुरू होगा, न्याय के देवता शनि ग्रह का 2022 में रहेगा जबरदस्त प्रभाव। वह सुख और समृद्धि दिलाएंगे, लेकिन जीवन के कर्म का फल भी प्रदान करेंगे, इसीलिए सतर्कता भी जरूरी है। दरअसल नए वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को उस वर्ष का स्वामी मानते हैं। इस वर्ष का प्रथम दिन शनिवार को है और इसके देवता शनि है।
ग्रह परिवर्तन : नववर्ष के प्रथम माह में सभी ग्रहों का परिवर्तन होने वाला है। राहु, केतु, गुरु, शनि सभी ग्रह परिवर्तन करेंगे। 13 अप्रैल 2022 को कुंभ राशि से मीन में प्रवेश करेंगे। राहु 12 अप्रैल को सुबह वृषभ से मेष राशि में गोचर करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। शनिवार को त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि पर चंद्रमा धनु राशि के साथ ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण में होगा।
साथ ही शिवरात्रि व्रत भी होगा।
इस वर्ष का मंत्री मण्डल- राजा-शनि, मन्त्री-गुरु, सस्येश-सूर्य, दुर्गेश-बुध, धनेश-शनि, रसेश-मंगल, धान्येश-शुक्र, नीरसेश-शनि, फलेश-बुध, मेघेश-बुध रहेंगे। संवत्सर का निवास कुम्हार का घर एवं समय का वाहन घोड़ा है।
फल : कहते हैं कि जिस वर्ष समय का वाहन घोड़ा होता है उस वर्ष तेज गति से वायु, चक्रवात, तूफान, भूकंप भूस्खलन आदि की संभावना बढ़ जाती है। मानसिक बैचेनी भी बढ़ जाती है और तेज गति से चलने वाले वाहनों के क्षतिग्रस्त होने की भी संभावना बढ़ जाती है।
हिन्दू नववर्ष सौर मास, चंद्र मास, नक्षत्र मास और सावन मास पर आधारित है। इसी नववर्ष में 12 माह का एक वर्ष, 30 दिन का एक माह और 7 दिन के एक सप्ताह का प्रचलन हुआ। विक्रम कैलेंडर की इस धारणा को यूनानियों के माध्यम से अरब और अंग्रेजों ने अपनाया। बाद में भारत के अन्य प्रांतों ने अपने-अपने कैलेंडर इसी के आधार पर विकसित किए। हिन्दू नव वर्ष चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होता है। इस बार हिन्दू नवर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2 अप्रैल 2022 शनिवार से प्रारंभ हो रहा है।
हिन्दू नववर्ष के माह के नाम ( Names of Months of Hindu New Year) :
1. चैत्र
2. वैशाख
4. आषाढ़
5. श्रावण
6. भाद्रपद
8. कार्तिक
9. मार्गशीर्ष
10. पौष
11. माघ
12. फाल्गुन
चैत्र मास ही हिन्दू नववर्ष का प्रथम मास है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नववर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र मास अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल
के मध्य में शुरु होता है। फाल्गुन मास हिन्दू कैलेंडर का अंतिम माह है जोकि फरवरी और मार्च के मध्य में शुरु होता है, फाल्गुन की अंतिम तिथि से वर्ष की सम्पति हो जाती है।
Hindu nav varsh 2022
सभी हिन्दू मास या महीने के नाम 28 नक्षत्रों में से 12 नक्षत्रों के नामों पर आधारित हैं। जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसी नक्षत्र के नाम पर उस मास का नामकरण हुआ।
1. चित्रा नक्षत्र से चैत्र मास।
2. विशाखा नक्षत्र से वैशाख मास।
3. ज्येष्ठा नक्षत्र से ज्येष्ठ मास।
4. पूर्वाषाढा या उत्तराषाढा से आषाढ़।
5. श्रावण नक्षत्र से श्रावण मास।
6. पूर्वाभाद्रपद या उत्तराभाद्रपद से भाद्रपद।
7. अश्विनी नक्षत्र से अश्विन मास।
8. कृत्तिका नक्षत्र से कार्तिक मास।
9,. मृगशिरा नक्षत्र से मार्गशीर्ष मास।
10. पुष्य नक्षत्र से पौष मास।
11. माघा मास से माघ मास।
12. पूर्वाफाल्गुनी या उत्तराफाल्गुनी से फाल्गुन मास।
हिन्दू माह 30 दिनों का होता है। इन 30 दिनों को चंद्र कला के आधार पर 2 पक्षों में बांटा गया है- कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। प्रत्येक दिन को तिथि कहते हैं। 30 तिथियों में से प्रथम है प्रतिपदा और अंतिम है पूर्णिमा। पंचांग के अनुसार पूर्णिमा माह की 15वीं और शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि है।
30 तिथियों के नाम निम्न हैं:- पूर्णिमा (पूरनमासी), प्रतिपदा (पड़वा), द्वितीया (दूज), तृतीया (तीज), चतुर्थी (चौथ), पंचमी (पंचमी), षष्ठी (छठ), सप्तमी (सातम), अष्टमी (आठम), नवमी (नौमी), दशमी (दसम), एकादशी (ग्यारस), द्वादशी (बारस), त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस) और अमावस्या (अमावस)। पूर्णिमा से अमावस्या तक 15 और फिर अमावस्या से पूर्णिमा तक 30 तिथि होती है। तिथियों के नाम 16 ही होते हैं।
हिन्दू माह सौर, नक्षत्र और सावन माह का भी समावेश है। जैसे सौर माह के नाम है- मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन। इसी तरह नक्षत्र मास के नाम भी 28 नक्षत्रों पर आधारित है। सावन माह ऋतुओं पर आधारित हैं। सभी का मूल आधार पंचांग को माना गया है। पंचांग से ही यह ज्ञान होता है कि कब चंद्रमा किस नक्षत्र में भ्रमण करेगा और कब सूर्य राशि बदलेगा। कब कौनसी तिथि प्रारंभ होगी और कब सूर्य एवं चंद्र ग्रहण होगा।
उक्त सभी कैलेंडर या गणनाएं पंचांग पर आधारित है। पंचांग के पांच अंग हैं- 1. तिथि, 2. नक्षत्र, 3. योग, 4. करण, 5. वार (सप्ताह के सात दिनों के नाम)। भारत में प्राचलित श्रीकृष्ण संवत, विक्रम संवत और शक संवत सभी उक्त काल गणना और पंचांग पर ही आधारित है।