शिशु के जन्म के बाद जब अपरा (प्लेसेंटा) गर्भाशय से अलग होती है, तो रक्त वाहिकाएं खुली रह जाती है, जिससे गर्भाशय में खून बहता रहता है। प्लेसेंटा की डिलीवरी के बाद गर्भाशय को प्रबल रूप से संकुचित होना चाहिए, ताकि रक्त वाहिकाएं बंद हो सकें और रक्तस्त्राव रुक जाए। Show प्रसव के बाद भारी रक्तस्त्राव होने का सबसे आम कारण है गर्भाशय का उचित ढंग से संकुचित न होना। चिकित्सकीय भाषा में इस स्थिति को 'यूटेरीन एटॉनी' कहा जाता है। प्रसव के तीसरे चरण में गर्भाशय अपने आप ही संकुचित होना शुरु कर देता है। यदि तीसरा चरण चिकित्सकीय सहायता से हो रहा हो तो गर्भाशय को सिकुड़ने में मदद के लिए इंजेक्शन दिया जाता है। इसके बाद डॉक्टर प्लेसेंटा को डिलीवर करने में मदद करती हैं। इंजेक्शन लेने से डिलीवरी के तुरंत बाद भारी रक्तस्त्राव होने का खतरा कम हो जाता है। सभी महिलाओं को डिलीवरी के तुरंत बाद थोड़ा रक्तस्त्राव (लोकिया) होता है, फिर चाहे उनकी नॉर्मल डिलीवरी हुई हो या सिजेरियन ऑपरेशन। हालांकि, कई बार सामान्य लोकिया से भी ज्यादा भारी रक्तस्त्राव होता है। इसे अंग्रेजी में पोस्टपार्टम हेमरेज कहा जाता है। प्राइमरी पोस्टपार्टम हेमरेज (पीपीएच) महिलाओं में थोड़ा-बहुत पीपीएच होना आम है यानि कि प्रसव के बाद 500 मि.ली. से 1000 मि.ली के बीच खून बहना। मगर इतनी मात्रा में रक्तस्त्राव होने पर भी अधिकांश महिलाएं शारीरिक तौर पर इससे अच्छी तरह उबर जाती हैं। 1000 मि.ली से ज्यादा रक्तस्त्राव गंभीर पीपीएच माना जाता है। यदि आपकी डॉक्टर को लगे कि डिलीवरी के बाद आपका बहुत ज्यादा खून बह रहा है, तो आपको आपातकाल इलाज की जरुरत होगी। हालांकि, जरुरी नहीं है कि हमेशा ऐसा हो, मगर यूटेरीन एटॉनी की वजह से प्राइमरी पीपीएच होने की संभावना निम्नांकित स्थितियों में बढ़ सकती है:
शिशु के जन्म के बाद आपको भारी रक्तस्त्राव होने के और भी बहुत से कारण हो सकते हैं। मगर ये कारण यूटेरीन एटॉनी की तुलना में इतने आम नहीं हैं। इन कारणों में शामिल हैं:
बहरहाल, बहुत सी महिलाएं जिन्हें पीपीएच होता है, उन्हें पहले से इसका कोई जोखिम नहीं होता। सामान्यत: विकासशील देशों में प्रसव के बाद भारी रक्तस्त्राव की संभावना निम्नांकित वजहों से ज्यादा हो सकती है:
यदि आपको डिलीवरी के बाद भारी रक्तस्त्राव हो, तो आपको शायद ऐसा लग सकता है कि योनि से खून रिस रहा है। या फिर संभव है कि गर्भाशय या योनि में खून इकट्ठा होता रहे और जब आप हिले-डुले या खड़ी हों तो यह तेज बहाव के साथ बह निकले। आपको शायद पीपीएच का पता तब तक न चले, जब तक कि इसके अन्य लक्षण सामने न आएं, जैसे कि:
शिशु के जन्म के बाद डॉक्टर नियमित तौर पर आपके गर्भाशय के ऊपरी सिरे (फंडस) को छूकर देखेंगी ताकि सुनिश्चित हो सके कि यह ठोस और संकुचित रहे। यदि यह नरम लगे, तो वे मालिश के जरिये संकुचन पैदा करने के प्रयास करेंगी। वे योनि के जरिये हो रहे रक्तस्त्राव पर भी नजर रखेंगी कि यह बहुत ज्यादा न हो। गर्भाशय को सिकुड़ने में मदद के लिए डॉक्टर आपको ड्रिप, इंजेक्शन या सपोजिटरी के जरिये दवा देंगी। यदि आपका पेरिनियम क्षेत्र (योनि और गुदा के बीच का स्थान) फट गया था, तो डॉक्टर उसे सावधानीपूर्वक सिल देंगी। आपका रक्त स्तर फिर से सामान्य हो जाए, इसके लिए डॉक्टर आपको आयरन की गोलियां देंगी। यदि आपका बहुत ज्यादा खून बह जाए, तो आपको शायद खून चढ़वाने की जरुरत पड़ सकती है। मगर ऐसा बहुत दुर्लभ ही होता है। सैकंडरी पोस्टपार्टम हेमरेज पीपीएच प्रसव के बाद यदि घर आने के बाद खून के बड़े थक्के निकल रहे हों या तेज बहाव के साथ खून आ रहा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यदि संभव हो तो खून के थक्के को डॉक्टर को दिखाने के लिए रख लें या इसकी फोटो ले लें। इससे डॉक्टर को जांच के दौरान स्थिति का आंकलन करने में मदद मिलेगी। साथ ही, यदि आपको एक घंटें में एक से ज्यादा सैनिटरी पैड इस्तेमाल करना पड़ रहा हो और रक्तस्त्राव कम होता न लग रहा हो, तो अपनी डॉक्टर को बताएं। यदि आपको प्राइमरी पीपीएच या रिटेंड प्लेसेंटा की समस्या हुई थी, तो आपको सैकंडरी पीपीएच होने की संभावना ज्यादा रहती है। हो सकता है अपरा या झिल्लियों के छोटे टुकड़े गर्भाशय में रह जाने की वजह से या किसी इनफेक्शन की वजह से रक्तस्त्राव हो रहा हो। यदि आपके साथ ऐसा हो, तो इनफेक्शन दूर करने के लिए आपको एंटिबायोटिक दवाएं लेनी होंगी। या गर्भाशय से उत्तकों के अंश निकालने के लिए डॉक्टर को एक छोटा ऑपरेशन करना पड़ सकता है। यदि आपका घर में ही आपातकाल प्रसव हुआ था, तो सुनिश्चित करें कि शिशु के जन्म के बाद आपको तुरंत उचित चिकित्सकीय देखभाल मिले। यहां जाने की प्रसव के बाद के किन लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए। अंग्रेजी के इस लेख से अनुवादित: Why does heavy bleeding happen soon after birth? हमारे लेख पढ़ें:
Neha translates BabyCenter India's English content into Hindi to make it available to a wider audience. डिलीवरी के बाद प्लेसेंटा का क्या किया जाता है?उनका मानना है कि डिलीवरी के बाद प्लेसेंटा के बाहर आने का इंतज़ार करना चाहिए और उसके बाद कॉर्ड क्लैंपिंग करनी चाहिए. उनका दावा है कि बच्चे के पैदा होने के साथ ही अगर कॉर्ड क्लैपिंग की जाए तो बच्चे की हार्ट-बीट बढ़ जाती है.
पोस्टीरियर प्लेसेंटा का मतलब क्या होता है?पोस्टीरियर प्लेसेंटा
जब फर्टिलाइज़्ड एग (निषेचित अंडा ) खुद को गर्भाशय की दीवार की पिछली तरफ जोड़ लेता है तो प्लेसेंटा (अपरा) भी गर्भाशय की पिछली तरफ ही विकसित होती है। इस तरह की प्लेसेंटल पोजीशन को पोस्टीरियर प्लेसेंटा कहते हैं।
प्लेसेंटा का क्या काम है?बीजाण्डासन या अपरा (Placenta) वह अंग है जिसके द्वारा गर्भाशय में स्थित भ्रूण के शरीर में माता के रक्त का पोषण पहुँचता रहता है और जिससे भ्रूण की वृद्धि होती है। यह अंग माता और भ्रूण के शरीरों में संबंध स्थापित करनेवाला है।
गर्भनाल और प्लेसेंटा में क्या अंतर है?प्लेसेंटा मां के रक्तप्रवाह से पोषक तत्वों और ऑक्सीजन को अवशोषित करता है और गर्भनाल के माध्यम से भ्रूण को स्थानांतरित करता है.
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