पुष्प
एन्जियोस्पर्स में जनन हेतु बनने वाली संरचना वास्तव में रूपान्तरित प्ररोह है। इसका पुष्पासन संघनित तना है जिसमें पर्व का अभाव होता है, केवल पर्वसन्धियाँ होती हैं। पर्वसन्धियों पर पाई जाने वाली पत्तियाँ रूपान्तरित होकर विभिन्न पुष्पीय भाग बनाती हैं। पुष्प विभिन्न आकार, आकृति, रंग के होते हैं। सरसों के पुष्प के निम्नलिखित भाग होते हैं
- बाह्यदलपुंज
- दलपुंज
- पुमंग
- जायांग
बाह्यदलपुंज तथा दलपुंज सहायक अंग और पुमंग तथा जायांग जनन अंग कहलाते हैं। पुष्पीय भाग पुष्पवृन्त के शिखर पर स्थित पुष्पासन पर लगे रहते हैं।
1. बाह्यदलपुंज:
यह पुष्प का सबसे बाहरी चक्र है। इसकी इकाई को बाह्यदल कहते हैं। ये प्रायः हरे होते हैं। सरसों के बाह्यदल हरे-पीले रंग के होते हैं। बाह्यदल अन्य पुष्पीय भागों की सुरक्षा करते हैं। भोजन का निर्माण करते हैं। रंगीन होने पर परागण में सहायक होते हैं। चिरलग्न बाह्यदल प्रकीर्णन में सहायता करते हैं।
2.
दलपुंज:
यह पुष्प का दूसरा चक्र है। इसका निर्माण रंगीन दलों से होता है। सरसों में चार पीले रंग के दल होते हैं। इनका ऊपरी सिरा चौड़ा तथा निचला सिरा पतला होता है। ये परस्पर क्रॉस ‘X’ रूपी आकृति बनाते हैं; अत: इनको क्रॉसरूपी कहते हैं। ये एक-दूसरे से स्वतन्त्र अर्थात् पृथक्दली होते हैं। दल परागण में सहायक होते हैं।
3. पुमंग:
यह पुष्प का नर जनन अंग है। इसका निर्माण पुंकेसरों से होता है। प्रत्येक पुंकेसर के तीन भाग होते हैं-पुंतन्तु, योजि तथा परागकोश में परागकण या
लघुबीजाणु बनते हैं। सरसों में 6 पुंकेसर होते हैं। ये 4+2 के चक्रों में व्यवस्थित होते हैं। भीतरी चक्र में 4 लम्बे पुंतन्तु वाले तथा बाहरी चक्र में 2 छोटे पुतन्तु वाले पुंकेसर होते हैं। पुंकेसरों के आधार पर मकरन्द ग्रन्थियाँ पाई जाती हैं।
4. जायांग:
यह पुष्प का मादा जनन अंग है। इसका निर्माण अण्डपों से होता है। प्रत्येक अण्डप के तीन भाग होते हैं-अण्डाशय, वर्तिका तथा वर्तिकाग्र। सरसों का जायांग द्विअण्डपी, युक्ताण्डपी तथा ऊर्ध्ववर्ती अण्डाशय युक्त होता है। अण्डाशय में
बीजाण्ड भित्तिलग्न बीजाण्डन्यास में लगे होते हैं। अण्डाशय पहले एक कोष्ठीय होता है, बाद में
सरसों के पुष्प के विभिन्न भाग - (A) पुष्प, (B) पुष्प के विभिन्न भाग, (C) बाह्य दल, (D) दल, (E) पुमंग एवं जायंग |
कूटपट:
बनने के कारण द्विकोष्ठीय हो जाता है। वर्तिका एक तथा वर्तिकाग्र द्विपालित होता है।
पुष्प सूत्र - Ebr⊕ K2 + 2
C× 4 A2 + 4 G (2)
निषेचन के पश्चात् बीजाण्ड से बीज तथा अण्डाशय से फल का निर्माण होता है। सरसों के फल सरल, शुष्क, सिलिकुआ होते हैं।
विषयसूची
पुष्प के सहायक अंग कौन कौन से हैं?
इसे सुनेंरोकेंबाह्य दलपुंज एवं दलपुंज को पुष्प का सहायक अंग या अनावश्यक भाग तथा पुमंग एवं जायांग को पुष्प का आवश्यक भाग कहा जाता है। पुमंग एवं जायांग पुष्प के वास्तविक जनन भाग हैं। पुमंग पुष्प का नर जनन भाग तथा जायांग मादा जनन भाग है। बाह्य दलपुंज (Calyx): यह पुष्प के सबसे बाहर का चक्र है।
पुष्प में कितने अंग होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंपौधे के पुष्प के मुख्य रूप से चार भाग होते हैं- प्रथम एवं द्वितीय भाग बाह्य दल एवं दल एक तरह से सहायक जनन अंग होते हैं या कह सकते हैं कि ये लैंगिक जनन में सहायता प्रदान करते हैं। कली रूप में बाह्य दल पुष्प के सभी चक्रों की रक्षा करता है।
एक प्रारूपिक पुष्प के सहायक अंग एवं आवश्यक अंग में क्या भिन्नता है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: पुष्प अथवा फूल सरल संरचना है जो पौधों में पाए जाते हैं यह मैगनोलिया फाइटर प्रकार के पौधों में पाए जाते हैं जिसे इगनियो शुक्राणु भी कहा जाता है एक फूल की जैविक क्रिया यह है कि वह पूर्व शुक्राणु और मादा बीजाणु के संघ के लिए मध्यस्थता करें प्रक्रिया परागण से शुरू होती है जिसका अनुसरण गर्भधारण से होता है।
पुष्प के मादा भाग को क्या कहते हैं?
इसे सुनेंरोकेंपुष्प का मादा अंग ‘अंडप/ कार्पेल’ (carpel) कहलाता है। यह पौधे के मादा युग्मकों या अंड कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है और बीजांड (Ovules) में पाया जाता है। नर युग्मक मादा युग्मक से निषेचन करता है। निषेचित अंड कोशिकाएं बीजांड (ovules) में विकसित होती हैं और बीज बन जाती हैं।
पुष्प का अनिवार्य अंग कौन सा है?
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Chapter Name | पुष्पीय पादपों में लैंगिक जनन |
Subject | Biology (more Questions) |
Class | 12th |
Type of Answer | Video & Image |
पुष्प के नर जनन अंग को क्या कहते हैं?
इसे सुनेंरोकेंपुंकेसर और स्त्रीकेसर एक पुष्प के प्रजनन अंग होते हैं जिनमें रोगाणु कोशिकाएं होती हैं। पुंकेसर नर प्रजनन अंग का प्रतिनिधित्व करता है जबकि स्त्रीकेसर मादा प्रजनन अंग है।