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फागुन की मस्त बयार का मानव मन पर क्या प्रभाव होता है?
इसे सुनेंरोकेंफागुन की मस्ती इतनी अधिक और रंगीन है कि मानव-मन इससे उत्फुल्ल और प्रसन्न दिखाई देता है। वह सौंदर्य से इतना प्रभावित है कि अपनी आँखें बंद नहीं करना चाहता । वह उस सौंदर्य को हमेशा-हमेशा के लिए अपनी आँखों में समा लेना चाहता है।
फागुन मास में श्वास लेने पर क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: सुहावना वातावरण, हवाओं का चलना फागुन मास का साँस लेना है। श्वास लेने पर मन चारों ओर फैली सुगंध से भर जाता है।
फागुन मास का पेड़ पर क्या प्रभाव पड़ता है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: Explanation: चारों ओर प्रकृति का सौन्दर्य चरम पर होता है। वृक्ष हरे-भरे पत्तों से युक्त रंग-बिरंगे फूलों की सुगंध से ऐसा लगता है मानो स्वयं वृक्षों ने मंद-सुगंध वाले फूलों की माला गले में धारण की हो।
फागुन के गले में क्या पड़ी है 😕
इसे सुनेंरोकेंपेड़ों पर नए पत्ते निकल आए हैं, जो कई रंगों के हैं। कहीं-कहीं पर कुछ पेड़ों के गले में लगता है कि भीनी-भीनी खुशबू देने वाले फूलों की माला लटकी हुई है। हर तरफ सुंदरता बिखरी पड़ी है और वह इतनी अधिक है कि धरा पर समा नहीं रही है।
मानव के मन पर फागुन के सौन्दर्य का क्या प्रभाव पड़ता है अट नहीं रहीं है कविता के आधार पर लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: फागुन की प्रकृति का प्रभाव मनुष्यों के मन पर देखा जा सकता है। कवि तो प्रकृति के सौंदर्य से इतना प्रभावित है कि वह प्रकृति के दर्शन से तृप्त भी नहीं हो पा रहा है। फागुन का इतना प्रभाव है कि सर्वत्र उल्लास और उत्साह दिखाई देता है।
फाल्गुन के मदमाते वातावरण का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
इसे सुनेंरोकेंफागुन का महीना मस्ती से भरा होता है जो सारी प्रकृति को नया रंग प्रदान कर देता है। पेड़-पौधों की शाखाएँ हरे–हरे पत्तों से लद जाती हैं। लाल-लाल कोंपलें अपार सुंदर लगती हैं। यह महीना तो अपार सुखदायी बन कर सबके मन को मोह लेता है।
फागुन के साँस लेते ही प्रकृति में क्या क्या परिवर्तन आ जाते हैं?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: Explanation: फागुन के साँस लेते ही प्रकृति में यह परिवर्तन दिखाई देते हैं कि सर्वत्र खुशभू व्याप्त हो जाती है। इसका प्रभाव तन-मन, पेड़-पौधों की डालियों, नए-नए पत्तों एवं फूलों पर दिखाई देता है।
सांस लेना किसका परिचायक है Class 10?
इसे सुनेंरोकें10 ‘साँस लेना’ किस स्थिति का परिचायक है? उत्तर ‘अट नहीं रही है’ कविता में फागुन ऋतु में प्राकृतिक सौंदर्य पेड़-पौधों पर नए-नए फूल-पत्तों के उगने के रूप में अपनी शोभा को स्वच्छंद भाव से प्रकट कर रहा है। प्रकृति की इसी स्वच्छंदता को कवि ने ‘साँस लेने’ के रूप में प्रकट किया है।
फागुन मास आते ही वृक्ष कैसे लगने लगते हैं *?
इसे सुनेंरोकेंफागुन का महीना मस्ती से भरा होता है जो सारी प्रकृति को नया रंग प्रदान कर देता है। पेड़-पौधों की शाखाएँ हरे–हरे पत्तों से लद जाती हैं। लाल-लाल कोंपलें अपार सुंदर लगती हैं। रंग-बिरंगे फूलों की बहार-सी छा जाती है।
फागुन माह की प्रमुख विशेषता क्या होती है?
इसे सुनेंरोकेंफागुन में वर्षा होती है, बारिश की बूँदें वातावरण को स्वच्छ कर देती हैं तथा पूरा वातावरण सुंदर प्रतीत होता है। आसमान अत्यंत साफ़ सुथरा लगता है, प्रकृति में चारों तरफ़ हरियाली ही हरियाली होती है, वातावरण शीतल तथा शांत हो जाता है। इन्हीं विशेषताओं के कारण फागुन का मौसम अन्य सभी ऋतुओं से भिन्न होता है।
अट नहीं रही है कविता के आधार पर बताओं की साँस कौन ले रहा है?
इसे सुनेंरोकेंअट नहीं रही है’ का अर्थ है – समा नहीं रही है। कवि बताना चाहता है कि फागुन में वसंत की सुंदरता चारों ओर फैली है जहाँ देखो वहाँ सौंदर्य ही सौंदर्य है। ऐसा लगता है कि फागुन में ‘वसंत की सुंदरता धरती पर समा नहीं रही है।
फागुन में किसका आगमन होता है?
इसे सुनेंरोकेंफागुन में हवा के जोर बढ़े ला आ एह हवा के फगुनहट कहल जाला। फसल पाके के खुसी आ बसंत के आगमन एह महीना के आनंद आ फूहर गीत (कबीरा आ जोगीरा) के महीना बना देला।