फसल को 'हाथों के स्पर्श की गरिमा' और 'महिमा' कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है? Show Solutionफसल के लिए भले ही पानी, मिट्टी, सूरज की किरणें तथा हवा जैसे तत्वों की आवश्यकता है। परन्तु मनुष्य के परिश्रम के बिना ये सभी साधन व्यर्थ हैं। यदि मनुष्य अपने परिश्रम के द्वारा इसे भली प्रकार से नहीं सींचे तब तक इन सब साधनों की सफलता नहीं होगी। अत: मानव श्रम फसल के लिए सबसे अधिक आवश्यक है। Concept: पद्य (Poetry) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? APPEARS INफसल को हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा का कर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है?फसल को 'हाथों के स्पर्श की गरिमा, और 'महिमा' कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है ? Solution : इसमें कवि कहना चाहता है कि किसानों के हाथों का प्यार भरा स्पर्श पाकर ही ये फसलें इतनी फलती-फूलती हैं। यह किसानों के श्रम की गरिमा और महिमा ही है जिसके कारण फसलें इतनी अधिक बढ़ती चली जाती हैं।
के लिए हाथों के स्पर्श का क्या महत्व है?Answer: कवि के अनुसार फसल नदियों के पानी का जादू है, हाथों के स्पर्श की महिमा है, मिट्टी का गुण धर्म है सूर्य की किरणों का तेज है और हवा की थिरकन है। ... उत्तर: मिट्टी में उपस्थित पोषक, सूर्य की किरणें, पानी और हवा; ये सभी फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्व हैं।
कोटि कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा से कवि का क्या आशय है?व्याख्या- कवि कहता है कि फसल को उत्पन्न करने के लिए एक-दो नहीं बल्कि अनेक नदियों से प्राप्त होने वाला पानी अपना जादुई प्रभाव दिखाता है। उसी पानी के कारण यह पनपती है, बढ़ती है। इसे उगाने के लिए किसी एक व्यक्ति के नहीं, दो के नहीं बल्कि लाखों-करोड़ों हाथों के द्वारा छूने की गरिमा छिपी हुई है।
फसल को किसकी गरिमा बताया है?उत्तर :- कवि ने फसल को' हाथों के स्पर्श की गरिमा इसलिए कहा है क्यूंकि , फसल के लिए भले ही पानी, मिट्टी, सूरज की किरणें तथा हवा जैसे तत्वों की आवश्यकता है। परन्तु मनुष्य के परिश्रम के बिना ये सभी साधन व्यर्थ हैं।
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