गुलमोहर का फूल कैसा होता है - gulamohar ka phool kaisa hota hai

गुलमोहर का फूल कैसा होता है - gulamohar ka phool kaisa hota hai

यह लेख गुलमोहर के पेड़ (Gulmohar Ka Ped) पर आधारित है, जिसमे हम (Gulmohar Tree Information in Hindi) गुलमोहर के पेड़, और गुलमोहर के फूल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आपको प्रदान करेंगे। इसके अलावा और भी कई बातें आज हम गुलमोहर से जुड़ी जानेगे, जिसमे इसके अलावा इसके फायदे और यह फूल कहाँ होता है यह भी जानेगे। ऐसे कई रोचक तथ्य इस लेख में शामिल है। 

गुलमोहर का पेड़ फूलो से लदा रहता है। जिस समय इसके ऊपर फूल आते है, यह किसी शानदार स्वर्ग के पेड़ से कम नहीं लगता है। यह पूरा पेड़ गुलमोहर लाल फूलो से भर जाता है। जो की ऐसा लगता है, जैसे मानो किसी ने सूरज की रौशनी को पेड़ पर बिखेर दिया हो। यह हमारे आस पास ज्यादातर बगीचों और सड़को को सजाने के लिए लगाए जाते है। चलिए जानते है, इससे जुड़ी अन्य जानकरी –

  • गुलमोहर के पेड़ की जानकारी
  •  
  • गुलमोहर का फूल की जानकारी 
  • गुलमोहर के उपयोग, फायदे और नुक्सान
  • गुलमोहर के अन्य भाषाओ में नाम 
    • पीले और लाल  गुलमोहर के नाम अन्य भाषाओ में –
  • गुलमोहर का पेड़ कैसे लगायें
  • गुलमोहर को बीज से कैसे उगाएं 
  • गुलमोहर का पेड़ बीज से उगाएं वीडियो में देखें
  • गुलमोहर की कलम कैसे लगाएं
  • गुलमोहर की कटिंग कैसे लगाएं वीडियो
  • गुलमोहर का बोन्साई कैसे बनाये
  • गुलमोहर के पौधे की देखभाल कैसे करें 

गुलमोहर के पेड़ की जानकारी

गुलमोहर का पेड़ सबसे ज्यादा भारत में पाया जाता है, जिसका अंग्रेजी नाम फ्लेमबॉयंट या रॉयल पोइंशाना (Flamboyant / Royal Poinciana) और इसका वानस्पतिक नाम डेलोनिक्स रेजीअ (Delonix Regia) यह पौधा फ़बासिए (Fabaceae) परिवार से सम्बंधित है।

गुलमोहर का पेड़ बहुत ही आकर्षक होता है। यह शादबहार पोधो की श्रेणी में आता है, जिसके कारण यह दुनिया के खूबसूरत पेड़ो में से एक है। इस पेड़ की शाखाएं लम्बी और चौड़ी होती है, जो की पेड़ के तने को चारो और से घेरकर छाया प्रदान करती है। इस पेड़ पर जब लाल रंग के फूल खिलते है, तो यह जंगल में सभी पेड़ो से अलग नजर आता है।

गुलमोहर के पेड़ की जड़े बहुत मजबूत होती है। यह किसी भी तरह के आंधी तूफान में गिरता नहीं है। हलाकि इसकी लकड़ी इतनी ज्यादा मजबूत नहीं होती है। इस पेड़ पर गर्मियों के दिनों में फूल आते है, यह मौसम अप्रैल से जून के महीने का होता है। जब इस पेड़ पर फूल आते है, तो इस पर बहुत अधिक मात्रा में मधुमक्खियां और तितलियाँ देखने को मिलती है।

गुलमोहर के पेड़ का अर्थ – गुलमोहर का पेड़ एक शानदार और आकर्षाक पौधा है, जो मार्च से जून के महीनो में फूलो से लदा रहता है। इसके फूलो का रंग लाल और नारंगी होता है।

गुलमोहर का पेड़ मेडागास्क का निवासी माना जाता है, यह भारत के सभी हिस्सों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। भारत में गुलमोहर का जन्म कई हजार वर्ष पहले हुआ था। इसे गुलमोहर के अलावा “कृष्ण चूड” के नाम से भी जाना जाता है। इसका नाम “कृष्ण चूड” इसलिए पड़ा क्योकिं कुछ लोगो का मानना है, की इसके फूल को कृष्ण जी के मुकुट में भी सजाया जाता था। यह पौधा भारत के अलावा अन्य कई देश यूरोप, ब्राज़ील, और श्रीलंका में भी पाया जाता है।

गुलमोहर का पेड़ बहुत तेजी से वृद्धि करता है। जिसके कारण इस पौधे को बड़ा होने में ज्यादा समय नहीं लगता है। इस पेड़ की लम्बाई एक साल में लगभग 5 से 8 फिट तक बढ़ती है। इसी तरह से यह पेड़ लगभग दस से बारह सालो में 40 से 50 फीट ऊँचा हो जाता है। गुलमोहर के पेड़ का जीवनकाल लगभग 50 से 60 का होता है। अगर इस पेड़ की देखभाल अच्छे से की जाती है।

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गुलमोहर का फूल कैसा होता है - gulamohar ka phool kaisa hota hai

गुलमोहर का फूल की जानकारी 

अगर यह पौधा जंगल में कही पर रहता है, तो इसका जीवन काल और भी ज्यादा बढ़ सकता है। क्योकिं घरो और बगीचों के मुकाबले जंगल की मिटटी ज्यादा बेहतर रहती है, जिससे पेड़ की जड़े जमीन से ज्यादा पोषण प्रदान करती है। इसके पौधे को लगाने के बाद आपको अच्छे से देखभाल करनी है, और यह आपको लगभग पांच साल के अंदर फूल देने लगता है। जब गुलमोहर का पेड़ 5 साल का हो जाता है तब जा कर इसपर फूल खिलना शुरू हो जाते है।

गुलमोर की पत्तियों का रंग हरा होता है। जिनका आकर छोटा इमली के पत्तो की तरह होता है। यह एक बड़ी पत्ती की शाखा से लगभग 20 से 25 की संख्या में निकलती है। यह चमकदार और चिकनी होती है। गुलमोहर के पेड़ पर सामान्य रूप से मई महीने में फूल आने शुरू हो जाते है, और यह फूल जून के अंतिम महीने तक खलते है।

लेकिन अगर मौसम अच्छा रहता है, तो यह फूल जुलाई के महीने तक भी पौधे पर खिलते है। इन फूलो का रंग पीला और नारंगी होता है, जो दिखने में बहुत आकर्षक और शानदार लगते है। जिस समय गुलमोहर का पेड़ फूलो से लदा होता है, तो इसकी खूबसूरती को निहारना तो बनता ही है।

गुलमोहर के फूल जब पक जाते है, तो यह एक फल के रूप में परिवर्तित हो जाते है। जिसे सामान्य भाषा में गुलमोहर की फली भी कहते है। इस फल का आकर लगभग 40 से 70 सेंटीमीटर होता है। इसका आकर चपटा और छोड़ा होता है। जिस समय गुलमोहर की फली कच्ची होती है, इसका रंग हरा होता है।

लेकिन जब यह धीरे धीरे पकने लगती है, तो इसका रंग भूरा होने लगता है। इन फली के अंदर से बहुत छोटे छोटे बीज निकलते है। यह बहुत कठोर होते है, इन बीजो का रंग भी भूरा होता है। इन बीजो की अगर वजन के अनुसार बात की जाए, तो यह लगभग 0.4 के होते है। यह आकर में लम्बे होते है।

गुलमोहर के उपयोग, फायदे और नुक्सान

  1. गुलमोहर गठिया के दर्द में बहुत फायदेमंद होता है। इसके अंदर मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ो में होने वाले दर्द को आराम पहुंचते है।
  2. यह गलत खानपान की वजह से हुए डायरिया या दस्त की परेशानी से भी मुक्ति दिलाता है।
  3. गुलमोहर के अंदर कई एंटी बैक्टेरियल तत्व होते है, जो हमारे शरीर की त्वचा में होने वाले छोटे मोठे विकारो को दूर करने में मदद करता है।
  4. गुलमोहर का इस्तेमाल कब्ज रोगो में भी किया जाता है।
  5. गुलमोहर के नुक्सान – गुलमोहर को इस्तेमाल करने के कोई नुक्सान तो नहीं है, लेकिन फिर भी आपको कोई भी घरेलु नुस्खा अपनाने से पहले किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेनी जरूर चाहिए।

गुलमोहर के अन्य भाषाओ में नाम 

पीले और लाल  गुलमोहर के नाम अन्य भाषाओ में –

Tamil मायारम (Mayarum)
Nepali गुल्मोहर (Gulmohar)
Malayalamm गुलपरी (Gulpari)
Telugu चिट्टीकेसर (Chitti-kesar), वटनारायण (Vatanarayana)
Gujrati संधसरो (Sandhsaro)
Bengali कृष्णचूड़ा (Krishanchuda)
Marathi संधसेरा (Sandhsera)
Hindi पीत गुलमोहर, शणकेसर
Nepali पहेलो गुलमोहर (Pahelo gulmohar)
Tamil पेरुगोन्दराई (Perugondrai), वटनारायन (Vatnarayana)
Kannada निरन्गी (Nirangi) केसरका (Kesaraka) केम्पुकेनजिगा (Kempukenjiga)
Kannada दोड्डर्तनाग्रनधी (Doddartnagrandhi)
Bengali राधाचूड़ा (Radhachura)
English फ्लेमबॉयेन्ट ट्री, (Flamboyant tree), गुलमोहर Gulmohar), फ्लेम ट्री (Flame tree), रॉयल पोन्सियाना (Royal poinciana)
Gujrati गुलमोहर (Gulmohar), रक्त गुलमोहर (Rakt gulmohar)
Telugu समिदितोगेडु (Samiditogedu), शीमासुन्केसुला (Shimasunkesula), अग्निपुलु (Agnipulu)
Marathi गुलमोहर (Gulmohar)
Hindi गुलमोहर, रक्त गुलमोहर
Sanskrit कृष्णचूड़ा

गुलमोहर का फूल कैसा होता है - gulamohar ka phool kaisa hota hai

गुलमोहर का पेड़ कैसे लगायें

गुलमोहर का पेड़ लगाना बहुत ही आसान होता है, अक्सर लोग अपने घरो के आस पास और बगीचों में इस पेड़ को लगाते है, क्योकिं यह खूबसूरत फूलो के साथ साथ छाया भी करता ही। इस पेड़ को आप दो तरीको से लगा सकते है, बीजो के द्वारा और कलम के द्वारा, इसके अलावा कुछ लोग गुलमोहर की बोन्साई भी बनाते है। आज हम यह सभी तरीको को जानेगे।

गुलमोहर को बीज से कैसे उगाएं 

गुलमोहर का पेड़ बीजो से उगाने के लिए आपको इसको कई बार इस पौधे को दूसरे गमलो में बदलना पड़ता है। किस तरह से आप बीजों के द्वारा गुलमोहर के पेड़ को लगा सकते है। जानते है –

सबसे पहल आपको गुलमोहर के बीजों को लेना है। अगर आपके पास गुलमोहर के बीज नहीं है, तो आप किसी भी नर्सरी से ला सकते है। इसके बाद आपको यह बीज लगाने के लिए प्लास्टिक की ट्रे का इस्तेमाल करना है। अगर आपके पास प्लास्टिक की ट्रे नहीं है तो आप प्लास्टिक के गिलास भी ले सकते है।

इन सभी ग्लासों में आपको एक अच्छे से तैयार की गयी मिटटी जिसमे कॉकपिट, या पुरानी खाद और सामान्य बगीचे की मिटटी मिली होनी चाहिए। मिटटी को सभी ग्लासों में भरने के बाद आपको किसी लकड़ी से लगभग दो इंच गहरा गड्डा करके अपने बीजो को लगा देना है।

बीजो को लगाने के बाद इसमें भरपूर मात्रा में पानी डाल दे। इसके बाद इन्हे किसी ऐसी जगह पर रख दे, जहाँ पर हलकी धुप और छाया दोनों आते हो। आपके बीजो को उगने में एक सफ्ताह लग जायेगा। जब आपके पौधे थोड़े बड़े हो जाए, तो आप इन्हे किसी दूसरे गमले में लगा सकते है। जैसे जैसे यह अपने आकर को बढ़ाते रहे, आपको उसी प्रकार इन पोधो को बड़े गमले में बदलते रहना है।

गुलमोहर का पेड़ बीज से उगाएं वीडियो में देखें

गुलमोहर की कलम कैसे लगाएं

आपको गुलमोहर को कटिंग के द्वारा लगाने के लिए, सबसे पहले एक अच्छी और लगभग एक से दो इंच मोटी होनी चाहिए। इसके बाद आपको इस कटिंग को पानी में रख देना है, जिससे की यह थोड़ा पानी अपने अंदर अब्सॉर्ब कर ले।

अब आपको एक गमला लेना है, किसी भी पौधे को लगाने से पहले यह जरूर ध्यान रखे की गमले के निचे छेद होना बहुत जरुरी है। गमला लेने के बाद आप इसके अंदर एक अच्छी मिटटी को मिलकर भर लीजिये। इस गमले में आप उसी तरह की मिटटी भर सकते है, जिस तरह की हमने बीजो द्वारा गुलमोहर को लगाने के लिए मिटटी का इस्तेमाल किया था।

गमले मिटटी भरने से पहले इसके छेद पर थोड़े कंकड़ रख लेने चाहिए। इसके बाद आपको अपनी कटिंग को पानी से निकलकर उस पर रूटिंग हार्मोन पाउडर लगाना है। इससे आपकी कटिंग में जड़ बहुत जल्दी आती है। पाउडर लगाने के बाद आपको अपनी कटिंग गमले में लगा देनी है।

कटिंग लगाने के बाद आप इस गमले में भरपूर मात्रा में पानी डाल दे। इससे कटिंग मिटटी को बहुत जल्दी पकड़ लेती है। अब इस गमले को एक ऐसी जगह पर रख दे जहाँ पर थोड़ी छाया और धुप आती हो। अपनी इस कटिंग को कभी भी हिलाकर ना देखे। इससे यह ख़राब हो सकती है। इस कटिंग पर नई शाखाएं लगभग बीस दिन में आना शुरू हो जाती है।

गुलमोहर की कटिंग कैसे लगाएं वीडियो

गुलमोहर का फूल कैसा होता है - gulamohar ka phool kaisa hota hai

गुलमोहर का बोन्साई कैसे बनाये

गुलमोहर की बोन्साई सभी लोगो को बहुत पसंद होती है, लेकिन इसको बनाए में आपको बहुत समय लग सकता है। तो आईये जानते है, गुलमोहर की बोन्साई कैसे बनायें?

Step 1 – सबसे पहले आपको गुलमोहर का एक पौधा उगाना है। इसके बाद उसको तब तक बड़ा होने दे जब तक उस उसकी लम्बाई लगभग एक से दो फुट ना हो जाये।

Step 2 – जब आपका पौधा एक या दो फुट का हो जाता है। इसके बाद आपको इसके तने पर एक एलुमिनियम का तार लपेटकर पौधे को अपने अनुसार आकर दें। तार को आप पहले पौधे के तने में गाड़ दे, जिससे की यह इधर उधर ना जाये।

Step 3 – इसके बाद आपको इस पौधे को तब तक तार से बंधा रखना है, जब तक यह तार इस पौधे के अंदर गड़ने ना लगे। जब आपको लगता है, की तार अब पौधे के अंदर जाने लगा है। तब आप इस तर को खोलकर रख सकते है।

Step 4 – इसके बाद इसकी नई शाखाओं को तार के सहारे मोड़ना शुरू करें। इस सभी प्रक्रियां में आपको बहुत समय लग सकता है। जब आपका पौधा आपने दिए गए, आकर के अनुसार हो जाये। तो आपको इस पौधे को किसी कम गहराई वाले गमले में लगाना है।

Step 5 – इस तरह से आप एक अच्छा गुलमोहर का बोन्साई बना सकते है। आपको इस पौधे की देखभाल अच्छे से करनी चाहिए।

गुलमोहर के पौधे की देखभाल कैसे करें 

आप इस पौधे को बड़ा होने पर किसी दूसरे बड़े गमले या जमीन पर लगा सकते है। समय समय पर इसकी कटिंग करते रहे। और इसको जड़ो के आस पास खुदाई करते रहे। इससे यह स्वस्थ रहता है।

इस पेड़ को कभी भी चिकनी मिटटी मे नहीं लगाना चाहिए। हमेशा इस पौधे को लगते समय सामान्य मिटटी और गोबर की पुरानी खाद मिलकर लगाना चाहिए।

गर्मियों के मौसम में इस पौधे को प्रतिदिन पानी दे। लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रखे, की गमले में पानी रुकना नहीं चाहिए। अगर आप इस पौधे को ज्यादा पानी देते है, तो इसके पत्ते पीले होना शुरू हो जाते है। जिसकी वजह से यह ख़राब हो जाता है।

अगर आप कभी इस पौधे को ज्यादा पानी दे देते है। तो उस समय इसके आस पास की मिटटी की गुड़ाई करें इससे यह जल्दी सुख जाती है। इसकी जड़े भी स्वस्थ रहती है। गुड़ाई करते समय यह ध्यान रखना जरुरी होता है, की आपको ज्यादा गहराई तक गुड़ाई नहीं करनी चाहिए। इससे पौधे की जड़े भी ख़राब हो सकती है।

इस पौधे को आप एक महीने में एक बार फर्टीलिज़ेर दे सकते है। जब आपका पौधा बड़ा हो जाए, तो आप इसको ज्यादा खाद दे सकते है। खाद देते समय आपको पेड़ की कुछ दुरी पर चारो और एक गोल नाली बनानी है, इसके अंदर खाद डालकर इसको मिटटी से ढक दे। इस तरह से अगर आप खाद देते है, तो आपके पेड़ के लिए यह बहुत फायदेमंद होता है।

अगर आपके पौधे की पत्तियां ख़राब हो रही है। तो आप अपने पौधे के ऊपर नीम के तेल का स्प्रे कर सकते है। इससे आपके पौधे की पत्तियां हमेशा हरी भरी रहेगी।

Note – यह पोस्ट गुलमोहर का पेड़ और फूल की जानकारी पर आधारित थी। आपको यह पोस्ट Gulmohar Tree Information in Hindi कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो कृपया अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले, धन्यवाद।

गुलमोहर कितने प्रकार के होते हैं?

यह दो प्रकार की होती है पीली गुलमोहर और लाल गुलमोहर

गुलमोहर के पेड़ की पहचान कैसे करें?

भरी गर्मियों में गुलमोहर के पेड़ पर पत्तियाँ तो नाममात्र होती हैं, परंतु फूल इतने अधिक होते हैं कि गिनना कठिन। यह भारत के गरम तथा नमी वाले स्थानों में सब जगह पाया जाता है। गुलमोहर के फूल मकरंद के अच्छे स्रोत हैं। शहद की मक्खियाँ फूलों पर खूब मँडराती हैं।

गुलमोहर से क्या लाभ है?

आइए जानें इस फूल के सभी लाभ. दस्त को ठीक करता है – अपच की समस्या से पीड़ित हैं तो इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. ये दस्त दूर करने में मदद करता है. इसके लिए आप गुलमोहर के पेड़ के तने की छाल के पाउडर का इस्तेमाल करके देख सकते हैं.

गुलमोहर का पेड़ कितना बड़ा होता है?

इस पेड़ की लम्बाई एक साल में लगभग 5 से 8 फिट तक बढ़ती है। इसी तरह से यह पेड़ लगभग दस से बारह सालो में 40 से 50 फीट ऊँचा हो जाता है। गुलमोहर के पेड़ का जीवनकाल लगभग 50 से 60 का होता है।