गिनती सीखने से पहले बच्चों को क्या ज्ञान होना चाहिए? - ginatee seekhane se pahale bachchon ko kya gyaan hona chaahie?

गणित सीखने-सिखाने का सही क्रम क्या होना चाहिए?

बच्चों के पास स्कूल आने से पहले गणित से सम्बन्धित अनेक अनुभव पास होते हैं बच्चों के तमाम खेल ऐसे जिनमें वे सैंकड़े से लेकर हजार तक का हिसाब रखते हैं। वे अपने खेलों में चीजों का बराबर बँटवारा कर लेते हैं।

 अपनी चीजों का हिसाब रखते हैं। छोटा-बड़ा, कम-ज्यादा, आगे-पीछे, उपर-नीचे, समूह बनाना, तुलना करना, गणना करना, मुद्रा की पहचान, दूरी का अनुमान, घटना-बढ़ना जैसी तमाम अवधारणाओं से बच्चे परिचित होते हैं।

 हम बच्चों को प्रतीक ही सिखाते हैं। उनके अनुभवों को प्रतीकों से जोड़ना महत्वपूर्ण है।

गणित मूर्त और अमूर्त से जुड़ने और जूझने का प्रयास है अवधारणाएँ अमूर्त होती हैं चाहे विषय कोई भी हो।

 गणितीय अमूर्तता को मूर्त, ठोस चीजों की मदद से सरल बनाया जा सकता है। जब मूर्त को अमूर्त से जोड़ा जाता है तो अमूर्त का अर्थ स्पष्ट हो जाता है।

 प्रस्तुतीकरण के तरीकों से भी कई बार गणित अमूर्त प्रतीत होने लगता है।

शुरुआती दिनों में गणित सीखने में ठोस वस्तुओं की भूमिका अहम होती है इस उम्र में बच्चे स्वाभाविक तौर पर तरह-तरह की चीजों से खेलते हैं, उन्हें जमाते. बिगाड़ते और फिर से जमाते हैं। 

इस प्रक्रिया में उनकी सारी इंद्रियों सचेत होती हैं, और वे उनके सहारे मात्राओं को टटोलते व समझते रहते हैं - यहीं से शुरू होती है गणित सीखने की प्रक्रिया।

 गणित सीखने का एक निश्चित क्रम है। पहले ठोस वस्तुओं के साथ काम, चित्रों के साथ काम और बाद में संकोश तथा प्रतीकों के साथ काम करना आवश्यक है।

गिनती सीखने से पहले बच्चों को क्या ज्ञान होना चाहिए? - ginatee seekhane se pahale bachchon ko kya gyaan hona chaahie?


 

प्रारम्भिक कक्षाओं में छोटे बच्चों के सन्दर्भ में यह क्रम विशेष उपयोगी है ठोस वस्तुओं से अवधारणाओं को समझने में मदद मिलती है।

बच्चा स्वयं कुछ करते हुए अनुभव करता है। बच्चे को सभी इन्द्रियों के प्रयोग का अवसर मिलता है। जब बच्चों के अपने अनुभव और कक्षा के अनुभव में विरोधाभास होता है तो उन्हें अमूर्त विचार ग्रहण करने में मुश्किल होती है।

गिनती सीखने से पहले बच्चों को क्या ज्ञान होना चाहिए? - ginatee seekhane se pahale bachchon ko kya gyaan hona chaahie?



गिनना सीखने से पहले बच्चों को किसका ज्ञान होना चाहिए?

पूर्व संख्या अवधारणा को पढ़ाना: अंकों को पढ़ना और लिखना सीखने से पहले, बच्चे को यह जानना होगा कि गिनना कैसे है। आम तौर पर क्रम संख्या --- एक, दो, तीन, चार, और इसी तरह बच्चे को दोहराने के लिए बच्चे को सिखाकर गिनती गिनाई जाती है। हालांकि, यह भी सच है कि संख्या नामों को सुनाने की क्षमता गिनती करने की क्षमता से अलग है।

गणित सीखने और सिखाने का क्रम क्या है?

गणित सीखने का एक निश्चित क्रम है। पहले ठोस वस्तुओं के साथ काम, चित्रों के साथ काम और बाद में संकोश तथा प्रतीकों के साथ काम करना आवश्यक है। प्रारम्भिक कक्षाओं में छोटे बच्चों के सन्दर्भ में यह क्रम विशेष उपयोगी है ठोस वस्तुओं से अवधारणाओं को समझने में मदद मिलती है।

प्राथमिक स्तर पर गणित सीखने का उद्देश्य क्या है?

एन. सी. एफ. – 2005 के अनुसार, उच्च प्राथमिक स्तर पर गणित शिक्षण का मुख्य उद्देश्य दैनिक जीवन की कई समस्याओं को समझने तथा उन्हें हल करने करने के लिए तरीके प्रदान करना है। अंकगणित से बीजगणित की ओर संक्रमण इसका एक उदहारण है। प्राथमिक स्तर पर प्राप्त की गई दक्षताओं तथा अवधारणाओं का दृढ़ीकरण भी इस स्तर पर होना आवश्यक है।

संख्या को पढ़ाने का सही क्रम क्या है?

प्राथमिक स्तर पर संख्याओं की सहज समझ को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए अर्थात बच्चे वस्तुओं की संख्या को गिनने से पहले ही पहचान सकेंगे। प्राथमिक स्तर पर संख्याओं की अनुक्रम असंगति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, बच्चों को पहले अंक लिखने का अभ्यास करना चाहिए और फिर संख्या नामों की ओर जाना चाहिए।