विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, हालांकि हर विकास के अपने सकरात्मक और नकरात्मक नतीजे होते हैं। लेकिन जब निवासियों के लाभ के लिए विकास किया जा रहा हो, तो पर्यावरण का ख्याल रखना भी उतना ही जरुरी है। अगर बिना पर्यावरण की परवाह किये विकास किया जाएं तो पर्यावरण पर इसके नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होने लग जाते हैं, जिससे यह उस स्थान पर रहने वाले निवासियों पर भी हानिकारक प्रभाव डालते हैं। ऐसे ही शहरीकरण के इस दौर में लोग पर्यावरण को पीछे छोड़ते जा रहे हैं, ऐसे में वर्तमान संकट हमें यह याद दिलाता है कि पर्यावरण के करीब रहने से हम कितने स्वस्थ रहते हैं। आखिरकार, स्वास्थ्य ही धन है। Show शहरी नियोजन (Urban Planning) के पिता सर पैट्रिक गेडिस (Sir Patrick Geddes) ने एक बार सुझाव दिया था - "यह विश्व तुलनात्मक रूप से कुछ छोटे जानवरों के साथ एक हरे रंग का है, जो हरी भरी पत्तियों पर निर्भर है। पत्ते हैं तो हम हैं।" शहरीकरण मुख्य रूप से उस क्षेत्र की भौतिक वृद्धि को परिभाषित करता है जो औद्योगिक विकास में विविधता लाता है और इस प्रकार एक आधुनिक दृष्टिकोण और एक सामाजिक वातावरण को उत्पन्न करता है, और साथ ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच अंतर उत्पन्न करता है। मानव उपनिवेश को ग्रामीण या शहरी के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जो किसी विशेष क्षेत्र में मानव निर्मित संरचनाओं और निवासी लोगों के घनत्व पर निर्भर करता है। शहरी क्षेत्रों में शहर और नगर शामिल हो सकते हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में गांव और गांवड़ी (छोटे गाँव) शामिल होते हैं। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र एक क्षेत्र में उपलब्ध प्राकृतिक वनस्पतियों और जीवों के आधार पर विकसित होते हैं, जबकि शहरी उपनिवेश को उचित, योजनाबद्ध उपनिवेश के साथ शहरीकरण की एक प्रक्रिया के अनुसार बनाया जाता है। शहर की परिभाषा ग्रामीण की परिभाषा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच के अंतर को स्पष्ट रूप से आप निम्न तालिका से समझ सकते हैं :- संदर्भ :- हमें अक्सर बताया जाता है कि भारत अपने गाँवों में बसता है। हालाँकि हाल ही में शहरी विकास पर प्रकाशित रिपोर्ट और अध्ययन इस पर प्रश्न चिन्ह लगाते हैं। वैश्विक स्तर पर देखने से पता चलता है कि २०१८ में ५५% आबादी के साथ, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक लोग रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि भारत में २०५० तक ४१.६ करोड़ निवासी शहरो में और जुड़ जाएँगे। लेकिन यह देखना जरूरी है कि "शहरी" और "ग्रामीण" को परिभाषित करने में हम अब तक अटके हुए हैं। हाल ही के एक अध्ययन में, आईडीएफसी संस्थान के शोधकर्ताओं ने भारत में "शहरी" होने की वर्तमान परिभाषा पर ध्यान दिया है। अध्ययन ने सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एनआरइजीइस) और भारत में ‘शहरी’ और ’ग्रामीण’ होने की परिभाषा के आधार पर इसके कार्यान्वयन का आकलन किया। अध्ययन को एशियन इकोनॉमिक्स नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को वर्गीकृत करने के लिए भारत सरकार के पास दो तरीके हैं। पहली प्रशासनिक परिभाषा है, जो स्थानीय निकाय के शहरी या ग्रामीण होने से सम्बंधित है। दूसरी परिभाषा, भारत की जनगणना पर आधारित है, जिसमें कहा गया है कि ५,००० से अधिक लोगों वाली बस्तियों जहाँ जनसंख्या घनत्व ४०० व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक और जिनमें से ७५% पुरुष श्रमिक गैर-कृषि कार्यों में शामिल हैं, वे बस्तियाँ भी शहरी की श्रेणी में आती हैं। लेकिन, सवाल यह है कि क्या ये वास्तव में भारत में बढ़ते शहरों के प्रसार पर सही रूप से इशारा करते है?
भारत में कुछ बड़ी केंद्र प्रायोजित योजनाएँ, जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ग्रामीण क्षेत्रों की पहचान करने और उन्हें लक्षित करने के लिए प्रशासनिक परिभाषा का उपयोग करती हैं। अध्ययन में कहा गया है कि दोषपूर्ण परिभाषाएँ योजना को उनके लक्ष्य से भटकाती हैं। बात इसके कारण योजनाएँ उन लोगों की पहुँच से वंचित हो जाती है जिन्हें इन योजनाओं की आवश्यकता होती है, या उन लोगों
तक पहुँच जाती हैं जिन्हें उनकी आवश्यकता ही नहीं होती है। लेकिन, फंड आवंटन के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की पहचान करने में प्रशासनिक परिभाषा का उपयोग करने पर वांछित परिणाम नहीं आ सकते हैं और वे नागरिकों के लिए सही रूप से उपयोगी नहीं हो सकते हैं। इसलिए, जैसा कि अध्ययन में उल्लेख किया गया है, "नीति निर्धारकों के लिए ऐसे मानदंडों पर भरोसा करना बेहतर हो सकता है, जिन्हें निष्पक्ष रूप से मापा जा सके और जिससे शहरी-ग्रामीण वर्गीकरण पर निर्भरता को कम किया जा सके।" अध्ययन का तर्क है कि भारत में शहरीकरण की सही सीमा प्रशासनिक परिभाषा द्वारा सही रूप से परिभाषित नहीं की गई है।
ग्रामीण क्षेत्र और शहरी क्षेत्र में क्या अंतर है?जो क्षेत्र शहर और शहरों के बाहर स्थित होते हैं उन्हें ग्रामीण क्षेत्र कहा जाता है जबकि वे क्षेत्र जहां शहर, कस्बे और उपनगर स्थित होते हैं वे शहरी क्षेत्र कहलाते हैं। इन दोनों क्षेत्रों में मुख्य अंतर यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व कम होता है जबकि शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक होता है।
ग्रामीण और शहरी जीवन में क्या अंतर है?शहरी और ग्रामीण जीवन एकदूसरे के बिल्कुल विपरीत है और इन दोनों जीवनों में जमीन आसमान का फर्क है। एक तरफ जहां ग्रामीण जीवन में संयुक्त परिवार, मित्रो, रिश्तेदारों और साधरण जीवन को महत्व दिया जाता है। वही शहरी जीवन में लोग एकाकी तथा चकाचौंध भरा जीवन जीते है। गांवों में भी जीवन की अपनी समस्याएं हैं।
रूरल और अर्बन क्या होता है?Rural means relating to country areas as opposed to large towns.
शहरी क्षेत्रों की विभिन्न समस्याएं क्या हैं?शहरीकरण से जुड़ी मुख्य समस्याओं में शामिल है:. शहरी फैलाव,. आवास और मलिन बस्तियों का विस्तार,. भीड़ और व्यक्तिवाद की भावना,. पानी की आपूर्ति और जल निकासी का बेहतर न होना,. शहरी बाढ़,. परिवहन और यातायात की समस्या,. बिजली की कमी,. प्रदूषण,. |