Date: 27-10-16 Show To Download Click Here गुटनिरपेक्ष आंदोलन का गठन अफ्रीका, एशिया, लेटिन अमेरिका एवं विश्व के अन्य उन देशों को मिलाकर किया गया, जो तत्कालीन दौर में उपनिवेशी समस्याओं से गुजर रहे थे। आंदोलन की स्थापना के शुरूआती वर्षों में इसके सदस्य देशों में से कुछ ने तो स्वतंत्रता प्राप्त कर ली और कुछ स्वतंत्रता प्राप्ति की प्रक्रिया में थे। इसका गठन करने वाले पाँच देशों के प्रमुखों में पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू भी थे। गुटनिरपेक्ष आंदोलन का गठन जिन परिस्थितियों और उद्देश्य को लेकर किया गया था, अब वे कितने प्रासंगिक हैं, इसमें संदेह है। हाल ही में वेनेजुएला में हुए इस सम्मेलन में हमारे प्रधानमंत्री के भाग न लेने की वजह भी यही रही है। भारत की ओर से उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के नेतृत्व में एक दल ने सम्मेलन में भाग लिया। आंदोलन वास्तव में कितना प्रासंगिक है?
‘द हिंदू’ में प्रकाशित टी.पी.श्रीनिवासन के लेख पर आधारित। गुटनिरपेक्ष आंदोलन का क्या महत्व है?गुटनिरपेक्ष आंदोलन का एक प्रमुख उद्देश्य था कि सार्वभौमिक परमाणु निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देना। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद परमाणु सम्पन्न देशों ने परमाणु निरस्त्रीकरण के बजाय अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को बढ़ाने पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया। गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सदस्य देश ही परमाणु परीक्षणों को अंजाम दे रहे थे।
गुट निरपेक्ष आंदोलन क्या है?राज्यों का समूह जो औपचारिक रूप से किसी प्रमुख शक्ति गुट के साथ या उसके विरुद्ध नहीं है। गुट निरपेक्ष आंदोलन (NAM) राष्ट्रों की एक अन्तरराष्ट्रीय संस्था है, जिहोंने निश्चय किया है, कि विश्व के वे किसी भी पावर ब्लॉक के संग या विरोध में नहीं रहेंगे।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन की स्थापना कब और कहां हुई?1961गुट निरपेक्ष आंदोलन / स्थापना की तारीख और जगहnull
गुट निरपेक्ष आंदोलन कब हुआ?1961 में बेलग्रेड में अपने प्रथम शिखर सम्मेलन में 25 राष्ट्रों की भागीदारी से यह आंदोलन आरम्भ हुआ था ।
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