घ ईर्ष्या का क्या काम है ईर्ष्या से प्रभावित व्यक्ति किसके समान है? - gh eershya ka kya kaam hai eershya se prabhaavit vyakti kisake samaan hai?

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घ ईर्ष्या का क्या काम है ईर्ष्या से प्रभावित व्यक्ति किसके समान है? - gh eershya ka kya kaam hai eershya se prabhaavit vyakti kisake samaan hai?
Class 8 Hindi Chapter 20

These exercise of chapter 20 eershya: too na gaee mere man se contains 5 questions and the answers to them are provided in the DAV Class 8 Hindi Chapter 20 Question Answer. Solutions of DAV Class 8 Hindi chapter 20 eershya: too na gaee mere man se help to boost the writing skills of the students, along with their logical reasoning. Students can go through class 8 Hindi Gyan Sagar chapter 20 solutions to learn an effective way of expressing their answers in the Hindi exam.

DAV class 8 Hindi Chapter 20 eershya: too na gaee mere man se Question Answer is given below. Here DAV class 8 Hindi chapter 20 solutions is provided with detailed explanation.

Highlights

  • पाठ में से
  • बातचीत के लिए
  • अनुमान और कल्पना
  • भाषा की बात
  • जीवन मूल्य

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DAV Class 8 Hindi Chapter 20 Question Answer

पाठ में से

1. ईर्ष्या का अनोखा वरदान क्या है?

उत्तर: ईर्ष्या का अनोखा वरदान यह है कि, जिस मनुष्य के हृदय में ईर्ष्या घर बना लेती है, वह उन चीजो से सुख-समृद्धि नहीं उठाता जो उसके पास मौजूद है, बल्कि उन वस्तुओं से दुखी होता है जो दूसरे के पास है। वह अपनी तुलना दूसरों से करता है।

2. ईर्ष्या की बेटी किसे और क्यों कहा गया है?

उत्तर: ईर्ष्या की बेटी निंदा को कहा गया है क्योंकि जिस व्यक्ति में किसी के प्रति ईर्ष्या होती है वह मौका पाते ही दूसरों के सामने उस व्यक्ति की निंदा करने लगता है। उसका मानना है कि ऐसा करने से वह उस व्यक्ति को दूसरों की नज़र में गिरा देगा और खुद लोगों की नजर में श्रेष्ठ बन जाएगा।

3. ईर्ष्यालु व्यक्ति उन्नति कब कर सकता है?

उत्तर: ईर्ष्यालु व्यक्ति उन्नति तब कर सकता है जब वह दूसरों से ईर्ष्या रखकर उसे पीछे करने की भावना से मुक्त होकर अपने आपको को आगे बढ़ाने की सोचे।

4. ईर्ष्या का क्या काम है? ईर्ष्या से प्रभावित व्यक्ति किसके समान है?

उत्तर: ईर्ष्या का काम जलाना है। ईर्ष्या से प्रभावित मनुष्य ग्रामोफोन के समान है जिसे श्रोता मिलते ही वह अपने दिल का गुबार निकालना शुरू कर देता है।

5. ईर्ष्यालु लोगों से बचने का क्या उपाय है?

उत्तर: ईर्ष्यालु लोगों से बचने के लिए आपको भीड़ से एकांत की ओर भागना पड़ेगा। आजकल आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा ईर्ष्यालु हो चुका है और अगर आप भी ऐसे लोगों की संगति में ज्यादा समय व्यतीत करने लगे तो आपको भी ईर्ष्या का संक्रमण हो सकता है। बेहतर यही होगा कि आप काम भर ही ऐसे लोगों से बातचीत करें जिससे न तो रिश्ते में गहराई आए और न ही कडवाहट।

6. उचित शब्द द्वारा रिक्त स्थान भरिए-

(क) मनुष्य के पतन का कारण अपने ही भीतर के ___________ का ह्रास होता है।

(ख) ईर्ष्या मनुष्य के ___________ गुणों को ही कुंठित बना डालती है।

(ग) तुम्हारी निंदा वही करेगा, जिसकी तुमने ___________ की है।

(घ) ये ___________ हमें सजा देती हैं, हमारे गुणों के लिए।

(ङ) आदमी में जो गुण ___________ समझे जाते हैं, उन्हीं के चलते लोग उससे जलते भी हैं।

उत्तर: (क) सद्गुणों (ख) मौलिक (ग) भलाई (घ) मक्खियाँ (ड) महान

बातचीत के लिए

1. क्या ईर्ष्या चिंता से ज्यादा खराब है? विचार कीजिए।

उत्तर: ईर्ष्या चिंता से कई गुना ज्यादा खराब है क्योंकि चिंता में मनुष्य का शरीर क्षीण हो जाता है परंतु ईर्ष्या में मनुष्य की आत्मा क्षीण हो जाती है। चिंता करने वाले जब सही लोगों से मिलते हैं तो उनकी समस्या का निदान हो जाता है, जबकि ईर्ष्यालु व्यक्ति जब किसी से मिलते हैं तो दूसरों की निंदा करना शुरू कर देते हैं।

2. चिंता-दग्ध मनुष्य समाज की दया का पात्र क्यों है?

उत्तर: चिंता- दग्ध मनुष्य समाज की दया का पात्र है क्योंकि वह अज्ञानता के कारण चिंतित रहता है। उसकी क्षीण और दयनीय अवस्था को देखकर समाज के सभ्य और समझदार लोग उसे उपदेश और परामर्श देते हैं जिससे उसकी समस्या का समाधान हो जाता है।

3. ईर्ष्या से मनुष्य के आनंद में भी बाधा पड़ती है। उदाहरण द्वारा सिद्ध कीजिए।

उत्तर: ईर्ष्या के कारण मनुष्य अपने सुखों का लाभ भी पूरी तरह नहीं उठा पाता क्योंकि वह अपने सुख से जितना सुखी नहीं होता है उतना दूसरों के सुख से दुखी होता है।

4. कोई ऐसी घटना बताइए जब आपको किसी से या किसी को आपसे ईर्ष्या हुई हो।

उत्तर: छात्र स्वयं करें।

अनुमान और कल्पना

1. कल्पना कीजिए कि आपको प्रार्थना-सभा में सफलता के सूत्रों के बारे में अपने सहपाठियों को बतानाहै तो आप क्या बताएँगे?

उत्तर: यदि मुझे सफलता के बारे में अपने सहपाठियों को प्रार्थना सभा में बताना पड़े तो मैं बुलंद आवाज़ में सबसे पहले अपने या किसी महापुरुष के उपलब्धि के बारे में बताऊँगा और उस उपलब्धि को पाने के लिए किए गए मेहनत, रणनीति, ज़िद, लगन, कौशल अर्जन आदि के बारे में भी बताऊँगा।

2. यदि आपके पड़ोसी या जानकार आपसे ईर्ष्या करें तो आप उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगे?

उत्तर: यदि मेरे पड़ोसी या जानकार मुझसे ईर्ष्या करें तो भी मैं उन पर ध्यान नहीं दूंगा और कभी नज़रें मिल जाने पर सामान्य अभिवादन के साथ उनसे सलीके से पेश आऊँगा।

3. अगर मनुष्य में केवल सकारात्मक भावनाएँ होंगी तो संसार कैसा होगा?

उत्तर: अगर मनुष्य में केवल सकारात्मक भावनाएँ होंगी तो संसार में भले और बुरे में अंतर करने की ज़रूरत ही नहीं होगी और भलाई या सकारात्मक सोच समाज के लिए कितनी महत्त्वपूर्ण हैं यह महत्त्व की बात न रहकर सामान्य बात हो जाएगी।

भाषा की बात

1. नीचे दिए गए शब्दों में से उपसर्ग व मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए-

घ ईर्ष्या का क्या काम है ईर्ष्या से प्रभावित व्यक्ति किसके समान है? - gh eershya ka kya kaam hai eershya se prabhaavit vyakti kisake samaan hai?
उपसर्ग व मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

उत्तर:

    शब्द              उपसर्ग           मूल शब्द

(क) अभाव             अ                  भाव

(ख) सुयश              सु                   यश

(ग) दुर्भावना           दुर्                 भावना

(घ) निमग्न              नि                   मग्न

2. पाठ में से कोई पाँच भाववाचक संज्ञा शब्द छाँटकर लिखिए-

उत्तर: (क) शोहरत (ख) ईर्ष्या (ग) सुख (घ) आनंद (ङ) उद्यम

जीवन मूल्य

1. ईर्ष्या, द्वेष, निंदा, घृणा, गुस्सा आदि नकारात्मक भाव जागने से मनुष्य के व्यक्तित्व में क्या बदलाव आता है?

उत्तर: ईर्ष्या, द्वेष, निंदा, घृणा, गुस्सा आदि नकारात्मक भाव जागने से मनुष्य के व्यक्तित्व में अनिष्ट तत्त्वों का समावेश हो जाता है जिससे उसका व्यक्तित्व मलिन और सोच धूमिल हो जाती है। फलस्वरूप, वह न तो अपने लिए और न ही समाज के लिए कोई उत्थान का कार्य कर पाता है।

2. इन नकारात्मक भावों को मन से निकालने के लिए हम क्या-क्या उपाय कर सकते हैं?

उत्तर: इन नकारात्मक भावों को मन से निकालने के लिए हमें सबसे पहले स्वयं से यह सवाल करना चाहिए की क्या इन सब अवांछित तत्वों के हमारे व्यक्तित्व में रहने से हमें किसी भी प्रकार का चिरस्थायी लाभ हो रहा है? मुझे पूरा यकीन है कि उत्तर न में ही मिलेगा और इसके बाद हम अपनी आवश्यकता काम कर सकते हैं।

4 ईर्ष्या का क्या काम है ईर्ष्या से प्रभावित व्यक्ति किसके समान है?

यह मनुष्य की बुराईयों को बहार लाने का काम करतीं है। ईर्ष्या से युक्त मनुष्य हमेशा ही दुखी रहता है , वह अपने सुख को न देखकर दूसरे के सुख को देखकर दुखी रहता है। ईर्ष्या से युक्त व्यक्ति बुराईयों की की तरफ आसानी से आकर्षित होकर बुराइयों में लिप्त हो जाता है। इस प्रकार ईर्ष्या मनुष्य को जानवर के सामान बना देती है।

ईर्ष्या का मुख्य कार्य क्या है?

ईर्ष्या एक आवश्यक भावना है क्योंकि यह सामाजिक बंधनों को बरकरार रखता है। ईर्ष्या के कारण प्यार किया जाता है, जो एक के संबंध में सुरक्षा की भावना की कमी के कारण होता है, जो भावनात्मक चिंता, का एक विशेष रूप है। ईर्ष्या अधिक बच्चों में पाया जाता है गुस्से और डर दोनों के कारण। यह सुरक्षा की भावना की कमी से निकलती है।

ईर्ष्यालु व्यक्ति दुखी क्यों रहता है?

इसे सुनेंरोकेंईर्ष्यालु व्यक्ति अपनी तुलना ऐसे व्यक्तियों से करता है जो उससे किन्हीं बातों में श्रेष्ठ हैं। ऐसा व्यक्ति उन चीज़ों का आनन्द नहीं उठा पाता जो उसके पास मौजूद होती हैं, बल्कि दूसरों की चीज़ों को देख कर दुखित होता है।

ग इर्ष्या का लाभदायक पक्ष क्या हो सकता है?

उत्तर – ईर्ष्या का लाभदायक पक्षयहहैकिहमेंअपनेजैसेलोगोंकोप्रतिद्वंद्वी मानकरउनसेआगेबढ़नेकाप्रयासकरें। जब कोई व्यक्ति अपनीआयएवंसाधनकेमुताबिक किसीसेआगेबढ़नेकाप्रयासकरताहैतोयहईर्ष्या कालाभदायक पक्षहोताहै। इसमें जलन याईर्ष्या केबदलेस्पर्धा कीभावनाहोतीहै