वास्तु : पेड़-पौधों के आधार पर करें भूमि का चयन
जिस भूमि पर तुलसी के पौधे लगे हों वहां भवन निर्माण करना उत्तम है तुलसी का पौधा अपने चारों ओर का 50 मीटर तक का वातावरण शुद्ध रखता है, क्योंकि शास्त्रों में यह पौधा बहुत ही पवित्र एवं पूजनीय माना गया है।
भारतीय संस्कृति में वृक्षों का अपना महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक ने भी वातावरण की शुद्धता के लिए विशेष वृक्षों का महत्व बताया है। अंततोगत्वा भूमि पर उत्पन्न होने वाले वृक्षों के आधार पर भूमि का चयन किया जाता है।
कांटेदार वृक्ष घर के समीप होने से शत्रु भय होता है। दूध वाला वृक्ष घर के समीप होने से धन का नाश होता है। फल वाले वृक्ष घर के समीप होने से संतति का नाश होता है। इनके काष्ठ भी घर पर लगाना अशुभ हैं। कांटेदार आदि वृक्षों को काटकर उनकी जगह अशोक, पुन्नाग व शमी रोपे जाएं तो उपर्युक्त दोष नहीं लगता है।
* पाकर, गूलर, आम, नीम, बहेड़ा तथा काँटेदार वृक्ष, पीपल, अगस्त, इमली ये सभी घर के समीप निंदित कहे गए हैं।
* भवन निर्माण के पहले यह भी देख लेना चाहिए कि भूमि पर वृक्ष, लता, पौधे, झाड़ी, घास, कांटेदार वृक्ष आदि नहीं हों।
*जिस भूमि पर पपीता, आंवला, अमरूद, अनार, पलाश आदि के वृक्ष बहुत हों वह भूमि, वास्तुशास्त्र में बहुत श्रेष्ठ बताई गई है।
* जिन वृक्षों पर फूल आते रहते हैं और लता एवं वनस्पतियां सरलता से वृद्धि करती हैं इस प्रकार की भूमि भी वास्तुशास्त्र में उत्तम बताई गई है।
* जिस भूमि पर कंटीले वृक्ष, सूखी घास, बैर आदि वृक्ष उत्पन्न होते हैं। वह भूमि वास्तु में निषेध बताई गई है।
* जो व्यक्ति अपने भवन में सुखी रहना चाहते हैं उन्हें कभी भी उस भूमि पर निर्माण नहीं करना चाहिए, जहां पीपल या बड़ का पेड़ हो।
* सीताफल के वृक्ष वाले स्थान पर भी या उसके आसपास भी भवन नहीं बनाना चाहिए। इसे भी वास्तुशास्त्र ने उचित नहीं माना है, क्योंकि सीताफल के वृक्ष पर हमेशा जहरीले जीव-जंतु का वास होता है।
* जिस भूमि पर तुलसी के पौधे लगे हों वहां भवन निर्माण करना उत्तम है तुलसी का पौधा अपने चारों ओर का 50 मीटर तक का वातावरण शुद्ध रखता है, क्योंकि शास्त्रों में यह पौधा बहुत ही पवित्र एवं पूजनीय माना गया है।
* भवन के निकट वृक्ष कम से कम दूरी पर होना चाहिए ताकि दोपहर की छाया भवन पर न पड़े। > >
वास्तुशास्त्र वास्तुशास्त्र में घर के आसपास पेड़-पौधे होना बहुत शुभ होता है, लेकिन घर की किस दिशा में कौनसा वृक्ष
होना चाहिए यह देखना भी जरूरी है। कुछ वृक्ष सकारात्मक ऊर्जा देते हैं और कुछ नाकारात्मक। इनमें से जो पेड़ या वृक्ष सकारात्मक ऊर्जा देते हैं उन्हें घर की किस दिशा में लगाएं यह जानना जरूरी है। हालांकि पेड़ लगाने से बुरा नहीं अच्छा ही होता है, यहां पेड़ लगाने का विरोध नहीं है लेकिन कहा यह जा रहा है कि किसी वास्तुशास्त्री से पूछकर ही पेड़-पौधे लगाएं। अच्छे पेड़ पौधे लगाएं।
पीपल, बरगद, नीम, शमी और बांस के पेड़ बहुत अच्छे होते हैं। लेकिन उन्हें घर के द्वार के ठीक सामने नहीं लगाया जा सकता।
वास्तुशास्त्र में वृक्षवेध के बारे में भी उल्लेख मिलता है। उक्त पेड़ों को लगाना चाहिए लेकिन किस दिशा में यह जरूर जानें।
1. कदम्ब, केला और नींबू जिसके घर में उत्पन्न होता है, उस घर का मालिक कभी विकास नहीं करता। अत: इसकी दिशा का ज्ञान होना जरूरी है।
2. पाकड़, गूलर, आम, नीम, बहेड़ा तथा कांटेदार वृक्ष, पीपल, अगस्त, इमली ये सभी घर के समीप निंदित कहे गए हैं। घर की छाया से थोड़ी दूर पर पीपल, आम और नीम लगा सकते हैं।
3. कहते हैं कि पूर्व में पीपल, अग्निकोण में दुग्धदार वृक्ष, दक्षिण में
पाकड़, निम्ब, नैऋत्य में कदम्ब, पश्चिम में कांटेदार वृक्ष, उत्तर में गूलर, केला, छाई और ईशान में कदली वृक्ष नहीं लगाना चाहिए। किसी वास्तुशास्त्री से सलाह लें।
4. पूर्व में लगे फलदार वृक्ष से संतति की हानि, पश्चिम में लगे कांटेदार वृक्ष से शत्रु का भय, दक्षिण में दूधवाले वृक्ष लगे होने से धन नाश होता है। ये वृक्ष पीड़ा, कलह, नेत्ररोग तथा शोक प्रदान करते हैं। हालांकि ये वृक्ष घर की किसी भी दिशा में नहीं हों, तो ही अच्छा है।
5. बैर, पाकड़, बबूल, गूलर आदि कांटेदार पेड़ घर में दुश्मनी
पैदा करते हैं। इनमें जति और गुलाब अपवाद हैं। घर में कैक्टस के पौधे नहीं लगाएं।
6. जामुन और अमरूद को छोड़कर फलदार वृक्ष भवन की सीमा में नहीं होने चाहिए। इससे बच्चों का स्वास्थ्य खराब होता है।
7. आवासीय परिसर में दूध वाले वृक्ष लगाने से धनहानि होती है।
8. जिन पेड़ों से गोंद निकलता हो अर्थात चीड़ आदि घर के परिसर में नहीं लगाने चाहिए। यह धनहानि की आशंका को बढ़ाता है।
9. घर की दक्षिण दिशा में गुलमोहर, पाकड़, कटहल के वृक्ष लगाने से अकारण शत्रुता, अर्थनाश, असंतोष व कलह होने की
आशंका रहती है।
10. दक्षिण पूर्व दिशा अर्थात आग्नेय कोण की ओर पलाश, जवाकुसुम, बरगद, लाल गुलाब अशुभ एवं कष्टदायक होते हैं। इस दिशा में लाल फूलों के वृक्षों व लताएं तथा कांटे वाले वृक्ष अनिष्टकारक एवं मृत्युकारक माने गए हैं।
घर में अमरूद का पेड़ शुभ या अशुभ: वास्तु शास्त्र में ऐसे पेड़ पौधों का महत्व बताया गया है, लेकिन घर के किस दिशा में कौन से पेड़ पौधे लगाने चाहिए। यह बताना भी बहुत जरूरी है क्योंकि गलत दिशा में पेड़ नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। सही दिशा में पेड़ों की उपस्थिति सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है, तो आइए जानते हैं कि घर की दिशा में कौन सा पेड़ बहुत शुभ माना जाता है। और घर के अंदर कौन से पेड़ नहीं लगाने चाहिए।
Lal Kitab in Hindi
केले के पेड़ को कभी भी घर के अंदर नहीं लगाना चाहिए। आपको बता दें कि, अमरूद का पेड़ इसके साथ नहीं लगाना चाहिए। घर के अंदर कभी भी पीपल का पेड़ नहीं लगाना चाहिए।
आग के कोण पर दक्षिण में नींबू कांटेदार पेड़ लगाना खतरनाक हो सकता है।
घर की उत्तर दिशा में गूलर के उत्तरी लाल कोने में कद्दू के पेड़ लगाना न भूलें। क्योंकि यहां, अपने घर में विवाद को जन्म दें।
फलदार पेड़ कभी भी घर के पूर्व में नहीं लगाने चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से बच्चों की खरीद में दिक्कतें आती हैं।
दूध को दक्षिण दिशा में नहीं लगाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से आपको घर में धन हानि का सामना करना पड़ता है।
जामुन और अमरूद छोड़ने और घर में फलदार पेड़ लगाने से संतान का स्वास्थ्य बिगड़ता है।
आप अभी जान गए होंगे “घर में अमरूद का पेड़ शुभ या अशुभ”