हम पंछी उन्मुक्त गगन का क्या अर्थ है? - ham panchhee unmukt gagan ka kya arth hai?

Hum Panchi Unmukt Gagan Ke/हम पंछी उन्‍मुक्‍त गगन के/शिवमंगल सिंह सुमन/Class 7 Hindi Vasant 2

हिंदी कविता - हम पंछी उन्‍मुक्‍त गगन के (Hindi Poem - Hum Panchi Unmukt Gagan Ke)

हिंदी कविता - हम पंछी उन्‍मुक्‍त गगन के (Hindi Poem - Hum Panchi Unmukt Gagan Ke)


सन्दर्भ : शिवमंगल सिंह सुमन की इस कविता में पंछी हम मनुष्यों से यह प्रार्थना कर रहे हैं की वो उन्मुक्त (खुले) गगन (आकाश) में रहने वाले प्राणी हैं, उनको पिंजरे में ना कैद किया जाए ।

हम पंछी उन्‍मुक्‍त गगन के
पिंजरबद्ध न गा पाएँगे,
कनक-तीलियों से टकराकर
पुलकित पंख टूट जाऍंगे।

हिंदी में अर्थ / व्याख्या  : हम खुले (उन्मुक्त) आसमान (गगन) में उड़ने वाले पक्षी (पंछी) है , हम पिंजरे के अंदर बंद होकर (पिंजरबद्ध) नहीं गा पाएंगे। सोने की सलाखों (कनक तीलियों) से टकराकर हमारे नरम (पुलकित) पंख टूट जाएँगे।

हम बहता जल पीनेवाले
मर जाएँगे भूखे-प्‍यासे,
कहीं भली है कटुक निबोरी
कनक-कटोरी की मैदा से,

हिंदी में अर्थ / व्याख्या  : हम (पंछी) बहता हुआ जल पीने वाले प्राणी हैं। हम भूखे प्यासे मर जायेंगे। कड़वी निंबोरी (नीम के पेड़ का फल) सोने की कटोरी (कनक कटोरी) में मिलने वाले भोजन (मैदा) से अच्छी (भली) है।

 स्‍वर्ण-श्रृंखला के बंधन में
अपनी गति, उड़ान सब भूले,
बस सपनों में देख रहे हैं
तरू की फुनगी पर के झूले।

हिंदी में अर्थ / व्याख्या  : सोने की जंजीरों (स्वर्ण-श्रृंखला) में बंधे होने को वजह से हम अपनी रफ़्तार (गति) और उड़ने की कला (उड़ान) भूल चुके हैं। पेड़ (तरु) की टहनियों (फुनगी) और पंखों (पर) के झूलों को हम सिर्फ सपनों में ही देख पा रहे हैं।

 ऐसे थे अरमान कि उड़ते
नील गगन की सीमा पाने,
लाल किरण-सी चोंचखोल
चुगते तारक-अनार के दाने।

हिंदी में अर्थ / व्याख्या  : हमारी इच्छा यह थी कि हम नीले आसमान की सीमा (क्षितिज) तक उड़ते। अपनी लाल किरण जैसी चोंच खोलकर हम तारे (तारक) जैसे बिखरे हुए अनार के दाने खाते (चुगते) ।

होती सीमाहीन क्षितिज से
इन पंखों की होड़ा-होड़ी,
या तो क्षितिज मिलन बन जाता
या तनती साँसों की डोरी।

हिंदी में अर्थ / व्याख्या  : सीमाहीन (जिसकी कोई सीमा नहीं है) क्षितिज (जहाँ धरती और आसमान मिलते हैं) तक पहुँचने की हमारे पंखों में (विभिन्न पक्षियों के) प्रतियोगिता होती। या तो हम क्षितिज तक पहुंच जाते या हमारी साँस फूल जाती (तनती साँसों को डोरी) ।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का
आश्रय छिन्‍न-भिन्‍न कर डालो,
लेकिन पंख दिए हैं, तो
आकुल उड़ान में विघ्‍न न डालो।

हिंदी में अर्थ / व्याख्या  : भले ही हमें पेड़ की टहनियों पर घोसलों (नीड़) में न रहने दो और हमारे रहने के स्थान (आश्रय) भी नष्ट (छिन्न - भिन्न) कर डालो। पर हमें पंख दिए है (भगवान ने) तो हमारी बैचैन (आकुल) उड़ान में रुकावट (विघ्न) ना डालो।-

शिवमंगल सिंह सुमन (Shiv Mangal Singh Suman)

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हम पक्षी उन्मुक्त गगन के क्या अर्थ है?

भावार्थ – ' हम पंछी उन्मुक्त गगन के ' कविता में कवि शिवमंगल सिंह सुमन जी ने पक्षी के माध्यम से मनुष्य जीवन में स्वतंत्रता के महत्व को दर्शाया है। इन पंक्तियों में कवि स्पष्ट करना चाहते हैं कि भगवान् ने सभी प्राणियों को किसी न किसी विशेषता के साथ इस धरती पर भेजा है। जैसे पक्षियों की विशेषता है उड़ना।

हम पक्षी उन्मुक्त गगन के कविता का संदेश क्या है?

'हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता के माध्यम से कवि हमें क्या सन्देश देना चाहता है? Solution : इस कविता के माध्यम से कवि हमें संदेश देना चाहता है कि हमें परतंत्रता किसी भी कीमत पर पसन्द नहीं है । यदि किसी कारण परतंत्रता की बेड़ियाँ पड़ भी जाएँ तो हमें स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु निरन्तर प्रयास करना चाहिए।

हम पंछी उन्मुक्त गगन के इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता की इन पंक्तियों में पंछियों की स्वतंत्र होने की चाह को दर्शाया है। इन पंक्तियों में पक्षी मनुष्यों से कहते हैं कि हम खुले आकाश में उड़ने वाले प्राणी हैं, हम पिंजरे में बंद होकर खुशी के गीत नहीं गया पाएंगे।

हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता में किसका वर्णन किया?

कवि शिवमंगल सिंह सुमन ने अपनी कविता 'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' में आजादी और स्वतंत्रता के महत्व के बारे में बताया है इस कविता को पिंजरे में बंद पक्षी के माध्यम से दर्शाया गया है. कवि ने पिंजरे में बंद पक्षी की भावनाओं को स्वर प्रदान किया है.

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