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२०५ होम्योपैथिक औषधियों का सजीव-विधायक

कैंसर और ट्यूमर में भी बरया कि गिल्टियो का कडापन होता है उन्हें भी यह ठीक करता है। स्त्रियों के स्तन के कैंसर में स्तन की गिल्टिया मूज जाती हैं,

ग्माशय के कैमर मै गर्भाशय का मुख अत्यन्त कडा पड जाता है, दर्द होता है, खून भी जाता है इन सब गित्टियो के कटेपन में कार्यो एनीमलिस को स्मरण करना चाहिये।

१८४१ मे डा. हार्ट में ऑस्ट्रिया के फील्ड मार्गल कोट रेडेंटस्की के आश के दगमर को क्यों एमीम मिस ३० के प्रयोग से ठीक के। कर दिया था

जो कि उनके आँख के ट्यूमर को डाक्टरों ने असाध्य घोषित कर दिया था। कार्यों एनिमल्स की सन्धि कड़ी पड जाती है, पकती नहीं। इम क्षेत्र में इसकी बेलाडोना से तुलना को जाती है।

(२) प्रोग्य-शोथ मे क्यो एनिमल्स तथा बेलाडोना की तुलना बेलाडोना में भी सब ग्रग्विषा सू जाती है, छूने से गर्म लगती हैं, स्पर्म नहीं किया जा सकता ।

पहले चमकदार लाली दिखाई देती है, फिर नौलान्सा रग आ जाता है और अगर इलाज न किया जाय तो जख्म फूट जाता है, पम पड़ जाती है। परन्तु का्यो एनीमेलिंस में ऐसा नही होता।

ग्रन्थि का दौ ीरे-धौरे होता है, उसकी चाल भी छोटी होती है और वह पकने के स्थान में कडपन पर आकर रुक जाती है।

पके तो पस निकल जाने और मूक जाने पर ठीक हो जाय, परन्तु यह ठीक नहीं होती, पकने की जगह कडी पट जाती है।

स्त्रियों में सग सूज कर कटा पद जाता है। अन्य प्रकार के जख्म भी ठीक होने के स्थान पर कडे ये जाते है। इस बीच की विशेषता ही यह है

रोग का भाकरमण ग्रंथियों पर होता है और ग्रन्विया पकने के बडाम कडी पड जाती है, और किचन पर जाकर बहन को जात है ।

लेखक प्रो. सत्यव्रत सिद्धांतालंकार – Prof Satyavrat Siddhantalankar
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 820
PDF साइज़ 34.5 MB
Category स्वास्थ्य(Health)

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