हरड़ का मुरब्बा बनाने की विधि - harad ka murabba banaane kee vidhi

पोषक तत्वों और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर मुरब्बे हमारे स्वास्थ्य के लिए ही फायदेमंद नहीं, खूबसूरती बढ़ाने में भी सहायक हैं। ये हमारे शरीर को एनर्जी देने के साथ-साथ इम्यूनिटी बूस्टर का भी काम करते हैं। आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा में तो इन्हें दवा की तरह इस्तेमाल किया जाता है। ठंडी तासीर लिए इन मुरब्बों का इस्तेमाल गर्मी के मौसम में कई बीमारियों को दूर रखने में सहायक है।

आंवला मुरब्बा
गोलाकार, पीले और हरे नीबू के आकार का आंवला विटामिन सी, अमीनो एसिड, लिपिड और तांबा, जस्ता जैसे मिनरल्स का भंडार है। इसके नियमित सेवन से हमारे पाचन तंत्र और इम्यून सिस्टम मजबूत होते हैं। यह फेफड़ों को मजबूती देता है। इसके इस्तेमाल से सांस संबंधी संक्रामक बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है। यह एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण हृदय, लीवर संबंधी बीमारियों की रोकथाम में लाभदायक है।

आंवले के मुरब्बे में मौजूद विटामिन सी शरीर में कैल्शियम और आयरन के अवशोषण को बढ़ावा देता है। इससे सर्दी-जुकाम और कफ में आराम मिलता  है और हड्डियां, दांत, नाखून और बाल मजबूत और स्वस्थ होते हैं। इसके इस्तेमाल से कोलेजन फाइबर के गठन में मदद मिलती है, जो जोड़ों के दर्द में आराम पहुंचाता है। यह पाचन प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में सहायक और पेट दर्द, अम्लता, कब्ज या पेट में गैस, उल्टी, सिर दर्द जैसी पेट संबंधी समस्याओं में फायदेमंद है।
यह एक रासायनिक टॉनिक है, जिससे बच्चों की याददाश्त और एकाग्रता बढ़ती है। यह गर्भवती महिलाओं में खून की कमी तथा रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करता है। बाल झड़ने, बाल असमय सफेद होने जैसी समस्याओं में मुरब्बे का सेवन काफी कारगर है। इससे कफ और पित्त में आराम मिलता है। हमारे शरीर में बढ़ती उम्र के साथ पड़ने वाली झुर्रियों, नजर कमजोर होने जैसे प्रभावों को भी यह कम करता है।

गाजर का मुरब्बा
एंटीऑक्सीडेंट तत्वों से भरपूर गाजर के मुरब्बे के नियमित सेवन से हाई ब्लड प्रेशर और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम रहता है। यह लंबी बीमारी के बाद शरीर को तंदुरुस्त बनाने में सहायक साबित होता है। शरीर में आयरन की पूर्ति कर खून की कमी को पूरा करता है और स्फूर्ति प्रदान करता है। शीतल प्रभाव के कारण गाजर का मुरब्बा पेट की जलन, दर्द, भूख न लगने जैसी पेट की तकलीफों में भी आराम पहुंचाता है।

इसमें मौजूद बीटा कैरोटीन और विटामिन ए जैसे पोषक तत्व कैंसर और रतौंधी को रोकने में मदद करते हैं। यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक है। बीटा कैरोटीन सूरज की यूवी किरणों से त्वचा को होने वाले नुकसान को कम करता है।

कच्चे आम या केरी का मुरब्बा
फिनोलिक नामक एंटीऑक्सीडेंट गुण से भरपूर आम का मुरब्बा शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता के विकास में सहायक है। यह अम्लता और पाचन प्रणाली में गड़बड़ी के इलाज में मदद करता है। बैक्टीरियल संक्रमण, कब्ज, दस्त, पेचिश की स्थिति में इस मुरब्बे के सेवन से आराम मिलता है।  

इसमें मौजूद विटामिन ए, बीटा कैरोटीन, विटामिन ई और सेलेनियम हृदय रोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह नेत्र विकारों के इलाज में भी मददगार है। इसमें आयरन तत्व काफी मात्रा में मिलते हैं। इसके सेवन से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर नियंत्रित रहता है। यह एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति और गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है। कैलरी और काबार्ेहाइड्रेट की अधिकता वाला आम का मुरब्बा वजन बढ़ाने और शरीर को तंदुरुस्त रखने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है। यह एनर्जी बूस्टर का काम करता है।

हरड़ का मुरब्बा
हरड़ के मुरब्बे के नियमित सेवन से चोट या घाव होने पर जल्द आराम मिलता है। यह सूजन को कम करता है। यह भूख न लगने, पेट में कीड़े होने और पाचन संबंधी समस्याओं में राहत दिलाता है। जठरांत्र रोगों, ट्यूमर, बवासीर, मूत्र विकारों और मूत्राशय की पथरी में हरड़ के मुरब्बे का सेवन काफी लाभदायक होता है। मुरब्बे को गुड़ के साथ सेवन करने पर गठिया में सुधार हो सकता है।

बेल का मुरब्बा
बेल में मौजूद टेनिन और रेचक गुण पेचिश, हैजा, डायरिया जैसी स्थितियों में प्रभावकारी हैं। विटामिन और खनिज तत्वों से समृद्ध इस मुरब्बे का नियमित सेवन पेट के रोगों के खिलाफ लड़ने में प्रभावी भूमिका अदा करता है व पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।

सेब का मुरब्बा दिल का साथी
यह दिल के लिए एक स्वस्थ नुस्खा है। सुबह खाली पेट सेब का मुरब्बा खाकर हृदय रोग के जोखिम को कम किया जा सकता है। इसमें मौजूद फ्लेवोनॉयड फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को कम करता है। शरीर की शिथिलता और मानसिक तनाव को नियंत्रित रखता है। सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, भूलने की स्थिति में सेब का मुरब्बा कारगर है। रात में गर्म दूध के साथ सेब का मुरब्बा लेने से अनिद्रा की स्थिति पर काबू पाया जा सकता है।

इसमें मौजूद विटामिन सी स्कर्वी नामक रोगों के इलाज में मददगार है। इसके सेवन से खांसी में भी राहत मिलती है। सेब का मुरब्बा त्वचा और बालों के लिए बहुत उपयोगी है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों जैसे चेहरे पर झुर्रियां पड़ना, कमजोरी महसूस होना, बाल झड़ना और उनके असमय सफेद होने जैसी समस्याओं के इलाज में यह काफी कारगर है। कोलाइडियन नामक आयरन से भरपूर सेब का मुरब्बा एनीमिया से ग्रस्त लोगों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए फायदेमंद है।

सेवन में बरतें सावधानियां
हालांकि विभिन्न तरह के मुरब्बे हमारे शरीर में पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा करते हैं, फिर भी इनमें कैलरी और शर्करा काफी मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए इनका सेवन एक सीमा में ही करना श्रेेयस्कर है। एक चम्मच मुरब्बे से 8-10 मिलीग्राम कैल्शियम,1-2 मिलीग्राम विटामिन सी और12-15 आइयू विटामिन ए  की जरूरतें पूरी होती हैं। वैज्ञानिक शोधों से साबित हो चुका है कि एक वयस्क व्यक्ति को रोजाना 1000-1200 मिलीग्राम कैल्शियम, 80-90 मिलीग्राम विटामिन सी और 2500-3000 आइयू विटामिन ए की जरूरत होती है।

सर्दी-जुकाम और बुखार से पीड़ित व्यक्ति को ठंडी तासीर वाले इन मुरब्बों को खाने से बचना चाहिए। डायबिटीज के रोगी को इन मुरब्बों का सेवन करते समय चीनी सिरप कम से कम मात्रा में लेना चाहिए, ताकि उन्हें ब्लड मे शुगर लेवल बढ़ने का खतरा न रहे। वजन बढ़ाने में सहायक होने पर भी इन्हें सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए।

(फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रुप की पोषण विशेषज्ञ डॉ. सिमरन सैनी से की गई बातचीत पर आधारित)

हरड़ का मुरब्बा कब खाना चाहिए?

हरड़ के मुरब्बे के नियमित सेवन से चोट या घाव होने पर जल्द आराम मिलता है। यह सूजन को कम करता है। यह भूख न लगने, पेट में कीड़े होने और पाचन संबंधी समस्याओं में राहत दिलाता है। जठरांत्र रोगों, ट्यूमर, बवासीर, मूत्र विकारों और मूत्राशय की पथरी में हरड़ के मुरब्बे का सेवन काफी लाभदायक होता है।

मुरब्बा कितने प्रकार के होते हैं?

आंवले का मुरब्बा बनाने की विधि.
गाजर का मुरब्बा बनाने की विधि.
सेब का मुरब्बा बनाने की विधि.
बेल का मुरब्बा बनाने की विधि.
आम का मुरब्बा बनाने की विधि.