हड़प्पा सभ्यता का कौनसा स्थल कपास की खेती से संबंधित था? - hadappa sabhyata ka kaunasa sthal kapaas kee khetee se sambandhit tha?

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DSSSB LDC Official Paper 1 (Held on : 18 Aug 2019 Shift 1)

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Latest DSSSB Junior Secretariat Assistant Updates

Last updated on Oct 7, 2022

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मेहरगढ़
مہرگڑھ

हड़प्पा सभ्यता का कौनसा स्थल कपास की खेती से संबंधित था? - hadappa sabhyata ka kaunasa sthal kapaas kee khetee se sambandhit tha?

हड़प्पा सभ्यता का कौनसा स्थल कपास की खेती से संबंधित था? - hadappa sabhyata ka kaunasa sthal kapaas kee khetee se sambandhit tha?

Shown within Pakistan#Balochistan Pakistan

हड़प्पा सभ्यता का कौनसा स्थल कपास की खेती से संबंधित था? - hadappa sabhyata ka kaunasa sthal kapaas kee khetee se sambandhit tha?

हड़प्पा सभ्यता का कौनसा स्थल कपास की खेती से संबंधित था? - hadappa sabhyata ka kaunasa sthal kapaas kee khetee se sambandhit tha?

मेहरगढ़ (Balochistan, Pakistan)

स्थान धादर, बलोचिस्तान, पाकिस्तान
क्षेत्र दक्षिण एशिया
निर्देशांक 29°23′N 67°37′E / 29.383°N 67.617°Eनिर्देशांक: 29°23′N 67°37′E / 29.383°N 67.617°E
इतिहास
स्थापित लगभग 7000 ईसा पूर्व
परित्यक्त लगभग 2600 ईसा पूर्व
काल नवपाषाण युग
स्थल टिप्पणियां
उत्खनन दिनांक 1974–1986, 1997–2000
पुरातत्ववेत्ता जीन-फ़्रांसीस जर्रिज, कैथरीन जर्रिज
आगामी सभ्यता: सिन्धु घाटी सभ्यता

पाकिस्तान का मानचित्र जहाँ मेहरगढ़ का क्वेटा, कलात, सिबी व कराची के मैदानों से सम्बन्ध दर्शाया गया है।

मेहरगढ़ पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण एक स्थान है जहाँ नवपाषाण युग (७००० ईसा-पूर्व से ३३००ईसा-पूर्व) के बहुत से अवशेष मिले हैं। यह स्थान वर्तमान बलूचिस्तान (पाकिस्तान) के कच्ची मैदानी क्षेत्र में है। यह स्थान विश्व के उन स्थानों में से एक है जहाँ प्राचीनतम कृषि एवं पशुपालन से सम्बन्धित साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। इन अवशेषों से पता चलता है कि यहाँ के लोग गेहूँ एवं जौ की खेती करते थे तथा भेड़, बकरी एवं अन्य जानवर पालते थे। "[1]. मेहरगढ़ आज के बलूचिस्तान में बोलन नदी के किनारे स्थित है। भारतीय इतिहास में इस स्थल का महत्व अनेक कारणों से है। यह स्थल भारतीय उप महाद्वीप को भी गेंहूँ-जौ के मूल कृषि वाले क्षेत्र में शामिल कर देता है और नवपाषण युग के भारतीय काल निर्धारण को विश्व के नवपाषण काल निर्धारण के अधिक समीप ले आता है। इसके अतिरिक्त इस स्थल से सिंधु सभ्यता के विकास और उत्पत्ति पर प्रकाश पड़ता है। यह स्थल हड़प्पा सभ्यता से पूर्व का ऐसा स्थल है जहां से हड़प्पा जैसे ईंटों के बने घर मिले हैं और लगभग 6500 वर्तमान पूर्व तक मेहरगढ़ वासी हड़प्पा जैसे औज़ार एवं बर्तन भी बनाने लगे थे। निश्चित तौर पर इस पूरे क्षेत्र में ऐसे और भी स्थल होंगे जिनकी यदि खुदाई की जाए तो हड़प्पा सभ्यता के संबंध में नए तथ्य मिल सकते हैं। मेहरगढ़ से प्राप्त एक औज़ार ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। यह एक ड्रिल है जो बहुत कुछ आधुनिक दाँत चिकित्सकों की ड्रिल से मिलती जुलती है। इस ड्रिल के प्रयोग के साक्ष्य भी स्थल से प्राप्त दाँतों से मिले हैं। यह ड्रिल तांबे की है और इस नयी धातु को ले कर आरंभिक मानव की उत्सुकता के कारण इस पर अनेक प्रयोग उस समय किए गए होंगे ऐसा इस ड्रिल के आविष्कार से प्रतीत होता है। एक अन्य महत्वपूर्ण वस्तु है सान पत्थर जो धातु के धारदार औज़ार और हथियार बनाने के काम आता था।

मेहरगढ़ से प्राप्त होने वाली अन्य वस्तुओं में बुनाई की टोकरियाँ, औज़ार एवं मनके हैं जो बड़ी मात्र में मिले हैं। इनमें से अनेक मनके अन्य सभ्यताओं के भी लगते हैं जो या तो व्यापार अथवा प्रवास के दौरान लाये गए होंगे। बाद के स्तरों से मिट्टी के बर्तन, तांबे के औज़ार, हथियार और समाधियाँ भी मिलीं हैं। इन समाधियों में मानव शवाधान के साथ ही वस्तुएँ भी हैं जो इस बात का संकेत हैं कि मेहरगढ़ वासी धर्म के आरंभिक स्वरूप से परिचित थे।

दुर्भाग्य से पाकिस्तान की अस्थिरता के कारण अतीत का यह महत्वपूर्ण स्थल उपेक्षित पड़ा है। इस स्थल की खुदाई १९७७ ई० मे हुई थी। यदि इसकी समुचित खुदाई की जाए तो यह स्थल इस क्षेत्र में मानव सभ्यता के विकास पर नए तथ्य उद्घाटित कर सकता है। अभी तक की इस खुदाई में यहाँ से नवपाषण काल से लेकर कांस्य युग तक के प्रमाण मिलते है जो कुल 8 पुरातात्विक स्तरों में बिखरे हैं। यह 8 स्तर हमें लगभग 5000 वर्षों के इतिहास की जानकारी देते हैं। इनमें सबसे पुराना स्तर जो सबसे नीचे है नवपाषण काल का है और आज से लगभग 9000 वर्ष पूर्व का है वहीं सबसे नया स्तर कांस्य युग का है और तकरीबन 4000 वर्ष पूर्व का है। मेहरगढ़ और इस जैसे अन्य स्थल हमें मानव प्रवास के उस अध्याय को समझने की बेहतर अंतर्दृष्टि दे सकते है जो लाखों वर्षों पूर्व दक्षिण अफ्रीका से शुरू हुआ था और विभिन्न शाखाओं में बंट कर यूरोप, भारत और दक्षिण- पूर्व एशिया पहुंचा hai

स्थिति[संपादित करें]

यह स्थल वर्तमान पकिस्तान के पश्चिम मे सिन्ध - बलूचिस्तान सीमा पर बोलन नदी के किनारे कच्छी मैदान मे स्थित है।

  • यह विषय निम्न पर आधारित एक श्रृंखला का हिस्सा हैं:

    भारत का इतिहास

    प्राचीन

    • निओलिथिक, c. 7600 – c. 3300 BCE
    • सिन्धु घाटी सभ्यता, c. 3300 – c. 1700 BCE
    • उत्तर-सिन्धु घाटी काल, c. 1700 – c. 1500 BCE
    • वैदिक सभ्यता, c. 1500 – c. 500 BCE
      • प्रारम्भिक वैदिक काल
        • श्रमण आन्दोलन का उदय
      • पश्चात वैदिक काल
        • जैन धर्म का प्रसार - पार्श्वनाथ
        • जैन धर्म का प्रसार - महावीर
        • बौद्ध धर्म का उदय
    • महाजनपद, c. 500 – c. 345 BCE
    • नंद वंश, c. 345 – c. 322 BCE
    • मौर्या वंश, c. 322 – c. 185 BCE
    • शुंग वंश, c. 185 – c. 75 BCE
    • कण्व वंश, c. 75 – c. 30 BCE
    • कुषाण वंश, c. 30 - c. 230 CE
    • सातवाहन वंश, c. 30 BCE - c. 220 CE

    शास्त्रीय

    • गुप्त वंश, c. 200 - c. 550 CE
    • चालुक्य वंश, c. 543 - c. 753 CE
    • हर्षवर्धन वंश, c. 606 CE - c. 647 CE
    • कार्कोट वंश, c. 724 - c. 760 CE
    • अरब अतिक्रमण, c. 738 CE
    • त्रिपक्षीय संघर्ष, c. 760 - c. 973 CE
      • गुर्जर-प्रतिहार, पाल और राष्ट्रकूट साम्राज्य
    • चोल वंश, c. 848 - c. 1251 CE
    • द्वितीय चालुक्य वंश(पश्चिमी चालुक्य), c. 973 - c. 1187 CE

    मध्ययुगीन

    • दिल्ली सल्तनत, c. 1206 - c. 1526 CE
      • ग़ुलाम वंश
      • ख़िलजी वंश
      • तुग़लक़ वंश
      • सैयद वंश
      • लोदी वंश
    • पाण्ड्य वंश, c. 1251 - c. 1323 CE
    • विजयनगर साम्राज्य, c. 1336 - c. 1646 CE
    • बंगाल सल्तनत, c. 1342 - c. 1576 CE
    • मुग़ल वंश, c. 1526 - c. 1540 CE
    • सूरी वंश, c. 1540 - c. 1556 CE
    • मुग़ल वंश, c. 1556 - c. 1707 CE
    • मराठा साम्राज्य, c. 1674 - c. 1818 CE

    आधुनिक

    • मैसूर की राजशाही, c. 1760 - c. 1799 CE
    • कम्पनी राज, c. 1757 - c. 1858 CE
    • सिख साम्राज्य, c. 1799 - c. 1849 CE
    • प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, c. 1857 - c. 1858 CE
    • ब्रिटिश राज, c. 1858 - c. 1947 CE
      • स्वतन्त्रता आन्दोलन
    • स्वतन्त्र भारत, c. 1947 CE - वर्तमान

    सम्बन्धित लेख

    • भारतीय इतिहास की समयरेखा
    • भारतीय इतिहास में वंश
    • आर्थिक इतिहास
    • भाषाई इतिहास
    • वास्तुशास्त्रीय इतिहास
    • कला का इतिहास
    • साहित्यिक इतिहास
    • दार्शनिक इतिहास
    • धर्म का इतिहास
    • संगीतमय इतिहास
    • शिक्षा का इतिहास
    • मुद्रांकन इतिहास
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इतिहास
    • आविष्कारों और खोजों की सूची
    • सैन्य इतिहास
    • नौसैन्य इतिहास

    • दे
    • वा
    • सं

    सन्दर्भ[संपादित करें]

    1. Hirst, K. Kris. 2005. "Mehrgarh" Archived 2011-08-25 at the Wayback Machine. Guide to Archaeology

    • प्राचीन भारत का इतिहास - द्विजेन्द्र नरायण झा एवम कृष्ण मोहन श्रीमाली। प्रकशक: हिन्दी मध्यम कर्यन्वयन निदेशलय दिल्ली विश्वविदयालय

    बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

    • Dr. Ahmad Hasan Dani, "History Through The Centuries", National Fund for Cultural Heritage
    • Mehrgarh (Balochistan)
    • Jonathan Mark Kenoyer, "Early Developments of Art, Symbol and Technology in the Indus Valley Tradition"
    • "Stone age man used dentist drill" BBC News
    • "Mehrgarh", Travel Web

हड़प्पा सभ्यता का कौनसा स्थल कपास की खेती से संबंधित है?

". मेहरगढ़ आज के बलूचिस्तान में बोलन नदी के किनारे स्थित है। भारतीय इतिहास में इस स्थल का महत्व अनेक कारणों से है।

हड़प्पा सभ्यता का कौन सा स्थल कपास की खेती से संबंधित था A मोहनजोदड़ो B मेहरगढ़ C कालीबंगा D लोथल?

सही उत्तर मेहरगढ़ है।

कपास की खेती सबसे पहले कहाँ हुई?

उत्तर: [d] मेहरगढ़ यह संसार में कपास का प्राचीनतम साक्ष्य है। यूनानी इसी कारण इस क्षेत्र को सिण्डन कहने लगे, जो सिंधु शब्द से निकला है। 1921 ई.

हड़प्पा सभ्यता में किसकी खेती की जाती थी?

यह पाया गया है कि गेहूं, जौ और मटर सर्दियों में उगाए जाते थे जबकि चावल, बाजरा और उष्णकटिबंधीय सेम गर्मियों में उगाए जाते थे। गन्ने की खेती नहीं की गई थी, घोड़ा, लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाता था। भेड़, बकरी और भैंस जैसे जानवरों को पालतू बनाया जाता था।