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अलंकार की परिभाषा‘अलंकार’ में दो शब्द मिले हैं – अलम + कार इस प्रकार अलंकार का शाब्दिक अर्थ है – आभूषण अथवा जो अलंकृत या भूषित करे। इनके प्रयोग से भाषा चमत्कारी बनती है। ये भाषा में शब्द और अर्थ की दृष्टि से सौंदर्य उत्पन्न करते हैं। अलंकार के मुख्यतः दो भेद होते हैं।
शब्दालंकार के भेद-(i) अनुप्रास अलंकार – जब काव्य में एक ही वर्ण की आवृत्ति बार-बार होती है तो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है; जैसे
(ii) यमक अलंकार – जब कविता में किसी एक शब्द का एक से अधिक बार भिन्न-भिन्न अर्थों में प्रयोग होता हो, तब वहाँ (iii) श्लेष अलंकार – जहाँ किसी शब्द की आवृत्ति एक ही बार में हो, पर उस शब्द के एक से अधिक अर्थ हो, वहाँ श्लेष अलंकार होता है; जैसे
(i) उपमा अलंकार – उपमा का सामान्य अर्थ है – समानता या मिलता-जुलता रूप दिखाना। (ii) रूपक अलंकार – काव्य में जहाँ गुण, स्वभाव आदि की अत्यधिक समानता के कारण प्रस्तुत और (अप्रस्तुत) (उपमेय और उपमान) में भेद न दर्शाया जाए, उसे अभिन्न मान लिया जाए, तो वहाँ रूपक अलंकार होता है; (iii) उत्प्रेक्षा अलंकार – जहाँ भिन्न होते हुए भी समानता प्रकट करने के लिए उपमेय में उपमान की कल्पना या संभावना प्रकट की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है; जैसे (iv) मानवीकरण
अलंकार – जहाँ जड़ वस्तुओं या पदार्थों पर चेतन का आरोप हो अर्थात् प्रकृति के पदार्थों या तत्वों पर मानवीय भावनाओं या क्रियाओं का आरोप हो, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है। जैसे (v) अतिशयोक्ति अलंकार – काव्य में जहाँ किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर किया जाता हैं, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार
होता है; जैसे- Read more पदबंध किसे कहते हैं। जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे पद कहते हैं और जब एक से अधिक पद मिलकर एक व्याकरणिक इकाई का काम करते हैं, तब उस बँधी हुई इकाई को ‘पदबन्ध‘ कहते हैं। शब्द- वर्णों के स्वतंत्र व सार्थक मेल को शब्द कहते है। जैसे- कमल, फूल, तालाब, … Read more निबंध ,लिखने के लिए आवश्यक बातें January 16, 2022 by sudh.pk निबंध किसी भी विषय के मुख्य विचार और नज़रिए का एक सुव्यवस्थित रूप है। निबंध किसी एक विशेष विषय पर आधारित होता है। निबंध जानकारी, विचार या भावनाओं के संचार का एक प्रबल माध्यम है। निबंध के द्वारा व्यक्ति अपने विचारों का संचार करने में समर्थ … Read more संज्ञा और संज्ञा के भेदकिसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान अथवा भाव का बोध कराने वाले
शब्दों को संज्ञा कहते हैं; जैसे स्थानों के नाम – दिल्ली, बनारस, इलाहाबाद, पटना, अमेरिका, चीन, जापान, जयपुर, मथुरा आदि। वस्तुओं के नाम – टीवी, कुरसी, पुस्तक, मोबाइल, फ्रीज़ आदि। संज्ञा के भेद संज्ञा के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं
जैसे – मानवता, मित्रता, प्यास, दया, अहिंसा, बुढ़ापा, मिठास, गरमी, सरदी, सुख-दुख, यौवन, बचपन आदि भाव है। इनका कोई मूर्त रूप या आकार नहीं होता, इन्हें केवल अनुभव किया जा सकता है। ये सभी भाववाचक संज्ञाएँ हैं। अंग्रेजी व्याकरण से प्रभावित होकर कुछ विद्वान संज्ञा के और दो भेद करते हैं। इस प्रकार संज्ञा के कुल पाँच भेद हो जाते हैं। परंतु कुछ विद्वान उपर्युक्त भेदों को जातिवाचक संज्ञा के ही भेद मानते हैं। आइए क्रम से इन दोनों को भी समझें ।
भाववाचक संज्ञा की रचना भाववाचक संज्ञा शब्द जातिवाचक संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया तथा अव्यय से बनाए जाते हैं; जैसे जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनिए-
उत्तर- Read more लिंगलिंग – परिभाषा, भेद और उदाहरण
संज्ञा शब्द के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि वह पुरुष जाति का
है या स्त्री जाति का, उसे लिंग कहते हैं। लिंग के भेदहिंदी भाषा में लिंग के दो भेद होते हैं
लिंग के भेद सजीव वस्तुओं के लिंग की पहचान आसान है लेकिन निर्जीव वस्तुओं को व्यवहार और परंपरा के आधार पर स्त्रीलिंग या पुल्लिंग माना जाता है। ऐसे शब्दों का लिंग जानने के लिए उन शब्दों के साथ वाक्यों में जो क्रिया हो रही है या उनमें आए विशेषण शब्दों पर ध्यान दें, तो लिंग की पहचान आसान हो जाती है। पुल्लिंग शब्दों की पहचानप्राणीवाचक संज्ञा शब्द स्त्री-पुरुष या नर-मादा दोनों का बोध कराते हैं। कुछ शब्द सदा पुल्लिंग या सदैव स्त्रीलिंग रूप में ही प्रयोग किए जाते हैं। सदैव पुल्लिंग शब्द
स्त्रीलिंग शब्द बनाने का नियमनदी, भाषा, लिपि, तिथि, बोली,
बरतन, आदि के नाम स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे इसके अतिरिक्त जिन शब्दों के अंत में आई, ता, नी, आवट, आहट, ई, री, आस, इया, इमा आदि प्रत्यय जुड़े होते हैं, वे भी स्त्रीलिंग में होते है; जैसे कोयल, मकड़ी, लोमड़ी, मछली, जू आदि। संस्कृत के कुछ ऐसे शब्द जो आकारांत होते हैं, वे भी स्त्रीलिंग में होते हैं; जैसे- क्रिया, कृपा, घृणा, सुता, छात्रा आदि। पद सूचक शब्द न तो स्त्रीलिंग होते हैं न पुल्लिंग। इन्हें उभयलिंगी कहते हैं। ये दोनों के लिए प्रयोग किए जाते हैं; जैसे-पार्षद, सचिव, गवर्नर, राजदूत, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, डॉक्टर, मैनेजर आदि। पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियमशब्दों के अंत ‘आ’ जोड़कर शब्दों के अंत में ‘ई’ जोड़कर शब्दों के अंत में ‘इया’ जोड़कर शब्दों के अंत में आनी, आणी जोड़कर शब्दों के अंत में ‘इन’ जोड़कर शब्दों के अंत में ‘नी’ जोड़कर शब्दों के अंत में इको जोड़कर शब्दों के अंत में वान-मान को क्रमशः वती-मती में बदलकर पुल्लिंग शब्दों के उलटे अर्थ वाले |