जब एक झूठी प्राथमिकी आपके विरुद्ध दर्ज किए है कि क्या करना है - jab ek jhoothee praathamikee aapake viruddh darj kie hai ki kya karana hai

चंदौसी। थाना बनियाठेर के गांव गुमथल में पांच दिन पुरानी घटना की क्रास एफआईआर की तहरीर मिलने पर पुलिस ने मृत युवक के खिलाफ छेड़खानी, घर में घुसकर मारपीट करने और एससीएसटी एक्ट के मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया। विधि विशेषज्ञ बोले कि झूठी शिकायत पर पुलिस वादी के खिलाफ आईपीसी की धारा-182 की कार्रवाई कर सकती है।

पुलिस को झूठी सूचना देने के आरोप में पुलिस मुकदमे में एफआर(अंतिम रिपोर्ट) भी लगाकर न्यायालय में भेज सकती है। पुलिस को झूठी सूचना देने के आरोप में वादी को सजा भी हो सकती है। विधि विशेषज्ञ का मानना है कि इस मामले में वादी के साथ ही पुलिस भी लापरवाह है। घटना सात जनवरी को हुई। पुलिस ने पहले पक्ष की ओर से घर में घुसकर मारपीट करने, गाली गलौज करने, बलवा के मामले में एफआईआर दर्ज की थी। विधि व्यवस्था (सीआरपीसी) के अंतर्गत पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के 24 घंटे के भीतर मौके पर जाकर जांच करनी चाहिए थी। दूसरे पक्ष ने घटना के पांच दिन बाद क्रास एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर दी थी। पांच दिन में पुलिस ने इस मामले में पहले मुकदमे आधार पर जांच की होगी। इसके बाद क्रॉस एफआईआर के लिए पांच दिन मिली तहरीर में इतनी बड़ी खामियां हैं तो इसमें पुलिस की भी बड़ी लापरवाही है।

बोले विधि विशेषज्ञ:
मृतक व्यक्ति के नाम पर मुकदमा दर्ज करने पर पुलिस की लापरवाही भी सामने आ रही है। एक तरफ से मुकदमा पहले दर्ज हो चुका था। पांच दिन बाद दूसरी तहरीर मिली थी, पांच दिन बाद तहरीर मिलना स्वयं घटना पर संशय पैदा करता है। ऐसे में पुलिस को जांच करके वाद दायर करना चाहिए था।
विनोद कुमार सिंह, पूर्व सहायक शासकीय अधिवक्ता क्रिमिनल
पुलिस विवाद के मामले में एक पक्ष की रिपोर्ट दर्ज पहले ही कर चुकी थी। दूसरा पक्ष कई दिन के बाद पुलिस के पास पहुंचा। ऐसे में दूसरा मुकदमा दर्ज करने से पहले जांच करनी चाहिए। इस मामले में पुलिस की लापरवाही भी है। पुलिस झूठी सूचना देने वाले के खिलाफ धारा 182 की कार्रवाई करे और मुकदमे को एक्सपंज करे।

मोहम्मद सगीर सैफी, फौजदारी अधिवक्ता व पूर्व अध्यक्ष चंदौसी बार एसोसिएशन चंदौसी
पुलिस झूठी सूचना देने के आरोपी वादी के खिलाफ आईपीसी की धारा 182 में कार्रवाई कर सकती है। यह अपराध है। साथ ही इस मामले में न्यायालय से आरोपी को छह माह के कारावास की सजा या एक हजार रुपये के अर्थदंड, अथवा दोनों सजा एक साथ सुनाई जा सकती है।
राहुल तिवारी, फौजदारी अधिवक्ता

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आपके खिलाफ कोई झूठा पुलिस केस कर दे तो ऐसे करें बचाव, नहीं होगी गिरफ्तारी

आपका वकील इस धारा के तहत हाईकोर्ट में आपके लिए अर्जी लगा सकता है. इसके जरिये आपको अपनी बेगुनाही का सबूत देना होगा.

TV9 Bharatvarsh | Edited By:

Updated on: Aug 22, 2022, 8:10 AM IST

कानून हमारी सुरक्षा के लिए बने हैं. हमें न्‍याय दिलाने के लिए बने हैं. लेकिन कुछ लोग कानून का दुरुपयोग करते हैं. साजिशन, किसी दुश्‍मनी में या फिर द्वेषवश कुछ लोग किसी के खिलाफ झूठा पुलिस केस कर देते हैं. झूठे आरोप लगाकर निर्दोष लोगों को फंसा देते हैं और परेशानी में डाल देते हैं. ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है. तो क्‍या ऐसी स्थिति में फंसने पर कोई कानूनी रास्‍ता है, जिससे बचाव हो सके?

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जी हां, बचाव के लिए कानूनी रास्‍ता है. अगर आपके खिलाफ कोई झूठी एफआईआर दर्ज करवा दे तो आईपीसी यानी भारतीय दंड संहिता में इसके बचाव के लिए भी प्रावधान किए गए हैं. दिल्‍ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाली अधिवक्‍ता शुभम भारती ने बताया कि आईपीसी की धारा 482 के तहत झूठी एफआईआर को चैलेंज किया जा सकता है.

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अगर आपके खिलाफ या आपके जाननेवाले के खिलाफ कोई झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है तो धारा 482 के तहत उसे हाईकोर्ट से राहत मिल सकती है. इस मामले में आपके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी और पुलिस को अपनी कार्रवाई रोकनी होगी. लेकिन एफआईआर को झूठा साबित करने के लिए आपके पास पर्याप्‍त सबूत होने चाहिए.

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आपका वकील इस धारा के तहत हाईकोर्ट में आपके लिए अर्जी लगा सकता है. इसके जरिये आपको अपनी बेगुनाही का सबूत देना होगा. आप सबूत तैयार करने के लिए वकील की मदद से एविडेंस तैयार रख सकते हैं. साथ ही अपने पक्ष में गवाह भी तैयार रख सकते हैं. अपनी अर्जी में इनका जिक्र जरूरी होगा.

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जब यह मामला कोर्ट में आएगा और कोर्ट को लगेगा कि आपके पक्ष में पेश किए गए सबूत और गवाह पर्याप्‍त हैं तो पुलिस को तुरंत कार्रवाई रोकनी होगी. यदि किसी भी मामले में आपको साजिश करके फंसाया जा रहा हो तो आप हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं. हाईकोर्ट में केस चलने के दौरान पुलिस आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती.

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अगर आपके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट भी जारी होता है तो पुलिस आपको गिरफ्तार नहीं कर सकती. यानी झूठी एफआईआर होने पर आप वकील के जरिये सीधे हाईकोर्ट की शरण में जा सकते हैं. कोर्ट के जज को जरूरी लगेगा तो वह जांच अधिकारी को जांच के संबंध में आदेश-निर्देश भी दे सकते हैं. आप सही हुए तो आपको राहत मिल जाएगी. लेकिन आप गलत हुए तो आपको कोई राहत नहीं मिलेगी.

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