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जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जाता है वह स्वर कहलाता है क्योंकि स्वर सीधा कंठ से होकर बिना कोई स्वर तंत्री से टकराए हुए मुंह के बाहर निकल जाता है इसे ही स्वतंत्र रूप से उच्चारण उच्चारण करना कहते हैं इसलिए जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जाता है वह स्वर ही होता है धन्यवाद Romanized Version जिन वर्णों के उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है उन्हें क्या कहते हैं?जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जाता है, उन्हें स्वर कहते हैं।
जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी सहायता तथा रुकावट के स्वतंत्र रूप से होता है वह क्या कहलाते हैं?(1) स्वर (vowel) :- वे वर्ण जिनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती, स्वर कहलाता है। दूसरे शब्दों में- जिन वर्णों के उच्चारण में फेफ़ड़ों की वायु बिना रुके (अबाध गति से) मुख से निकल जाए, उन्हें स्वर कहते हैं।
जिन व्यंजनों का उच्चारण स्वतन्त्र रूप से होता हो और जो व्यंजनों के उच्चारण में सहायक हो वे क्या कहलाते है?यह अनुनासिक कहलाता है।
जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरतंत्री में कंपन नहीं होता उन्हें क्या कहते हैं?जिन व्यंजनों के उच्चारण में स्वरतंत्रियों में कंपन होता है, उन्हें घोष या सघोष कहा जाता हैं। दूसरे प्रकार की ध्वनियां अघोष कहलाती हैं। स्वरतंत्रियों की अघोष स्थिति से अर्थात जिनके उच्चारण में कंपन नहीं होता उन्हें अघोष व्यंजन कहा जाता है।
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