सिरकोनी विकास खण्ड के माधोपुर पट्टी गांव में त्यौहारों पर गांव की हर गली में लाल-नीली बत्तियों वाली गाड़ियां ही नजर आती हैं। गांव की आबादी करीब 800 है, जिसमें सबसे ज्यादा संख्या राजपूतों (Madhopatti Village Caste) की है। माधोपुर पट्टी गांव का एक बड़ा सा प्रवेश द्वार गांव के खास होने का अहसास कराता है। यह गांव देश के दूसरे गांवों के लिए रोल मॉडल है। खास बात यह है कि इस गांव में कोई भी कोचिंग इंस्टीट्यूट नहीं है, बावजूद कड़ी मेहनत और लगन से युवा बुलंदियों को छू रहे हैं। माधोपट्टी के एक शिक्षक के मुताबिक, इंटरमीडिएट से ही आईएएस और पीसीएस की तैयारी शुरू कर देते हैं। Show एक ही परिवार में पांच आईएएस एशिया का सबसे बड़ा गांव जहां पैदा हुए सबसे ज्यादा फौजी, जानें इस गांव की और भी रोचक बातेंगांव की बहू बेटियों ने भी बढ़ाया मान 1914 में गांव के पहले अफसर बने थे मुस्तफा हुसैन
जौनपुरएक वर्ष पहले
जौनपुर के माधोपट्टी गांव की देश-दुनिया में पहचान अफसरों वाले गांव के नाम से है। अब इस गांव की एक और पहचान बनती जा रही है। दरअसल, 47 अफसर देने वाला गांव विकास से कोसों दूर है। चलने के लिए लोगों के पास सड़क तक नहीं है। गांव से बाहर जाता रास्ता कच्चा है। बरसात में और भी ज्यादा बुरा हाल हो जाता है। बच्चों के स्कूल की भी अच्छी व्यवस्था नहीं है। अब लोग दुनियाभर में मशहूर इस गांव को अफसर वाला गांव होने के साथ-साथ यह भी कहने लगे हैं कि ऐसा लगता है, जैसे इन अफसरों ने अपने गांव को पलटकर कभी नहीं देखा। आइए जानते हैं कौन-कौन से अधिकारी यहां से निकले और क्या है गांव वालों का कहना। 47 आईएएस अधिकारी विभिन्न विभागों में सेवा दे रहे हैं। अफसर भी ऐसे-वैसे नहीं हैं, कोई अमेरिका, स्पेन में राजदूत तो कोई तमिलनाडु तक दे चुका है सेवाएं। गुस्से में ग्रामीण, कह रहे- रोड नहीं तो वोट नहीं
माधोपट्टी गांव ने देश को अब तक 47 IAS-IPS ऑफिसर दिए हैं। ये प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के कार्यालयों में कार्यरत हैं। पगडंडियों से होकर गुजरता है स्कूल तक का रास्ता इस गांव के इंदू प्रकाश सिंह का 1952 में आईएएस की दूसरी रैंक में सलेक्शन हुआ। आईएएस बनने के बाद इंदू प्रकाश सिंह फ्रांस सहित दुनिया के कई देशों में भारत के राजदूत रहे। सुविधाएं देखने कोई भी अधिकारी नहीं आया इस गांव के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज है। एक ही परिवार के चार भाईयों ने आईएएस की परीक्षा पास की थी। तब यह गांव काफी सुर्खियों में रहा था, जो लगातार बना हुआ है। गांव के अन्य निवासी सुजीत कुमार कहते हैं कि गांव में चार पहिया वाहन आने के लिए जगह नहीं है। रोड नहीं तो वोट नहीं का पोस्टर इसीलिए लगाया गया है कि कोई प्रशासनिक अधिकारी इस बात की सुध ले सके। कहने को तो यह आईएएस और आईपीएस का गांव है मगर यहां पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। वह कहते हैं कि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे भी कचरे के रास्ते से आते जाते हैं। विद्यालय की तरफ से भी कई बार आवेदन दिया गया है, मगर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। कई बार तहसील दिवस पर जाकर संबंधित अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया गया है। अभी भी गांव के हालात वैसे ही बने हुए हैं। 2013 की परीक्षा के रिजल्ट में इस गांव की बहू शिवानी सिंह ने पीसीएस परीक्षा पास की। गांव के ही अन्मजेय सिंह विश्व बैंक मनीला में, डॉक्टर नीरू सिंह, लालेंद्र प्रताप सिंह वैज्ञानिक के रूप में भाभा इंस्टीट्यूट में तो ज्ञानू मिश्रा इसरो में सेवाएं दे रहे हैं। गांव के ये लोग बने अधिकारी
इस गांव के राममूर्ति सिंह, विद्याप्रकाश सिंह, प्रेमचंद्र सिंह, पीसीएस महेंद्र प्रताप सिंह, जय सिंह, प्रवीण सिंह और उनकी पत्नी पारुस सिंह, रीतू सिंह, अशोक कुमार प्रजापति, प्रकाश सिंह, संजीव सिंह, आनंद सिंह, विशाल सिंह और उनके भाई विकास सिंह, वेदप्रकाश सिंह, नीरज सिंह पीसीएस अधिकारी बने। इन पदों पर गांव के बेटे
माधोपट्टी में कितने आईएएस हैं?जौनपुर जिले के माधोपट्टी में सिर्फ 75 परिवार हैं और 47 आईपीएस और आईएएस ऑफिसर हैं. ये अधिकारी अपने राज्य सहित पूरे देश में सेवा देते हैं. दिलचस्प बात तो ये है कि आज़ादी के वक़्त से पहले से इस गांव के लोग प्रशासनिक सेवा में कार्यरत रहे हैं. और आज भी वही परंपरा जारी है.
जौनपुर जिले में कितने आईएएस है?जिलाधिकारी सूची. जौनपुर जिला का आईएएस कौन है?जिला स्तरीय अधिकारी. सबसे ज्यादा आईएएस कौन से राज्य से निकलते हैं?देश भर के कुल 4925 आईएएस अधिकारियों में 462 अकेले बिहार से हैं। यानी, 9.38 प्रतिशत टॉप ब्यूरोक्रेट्स बिहारी हैं। - पिछले 20 सालों का रिकॉर्ड देखें तो बिहार से आईएएस अधिकारियों की संख्या में इजाफा हुआ है।
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