हिंदी समय में सूरदास की रचनाएँ
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SolutionsML Aggarwal Solutions प्रश्न क-i: उत्तर: प्रश्न क-ii: उत्तर
: प्रश्न क-iii: उत्तर: प्रश्न क-iv: उत्तर: प्रश्न ख-i: उत्तर: प्रश्न ख-ii: उत्तर: प्रश्न ख-iii: उत्तर: प्रश्न ख-iv: उत्तर: प्रश्न ग-i: उत्तर: प्रश्न ग-ii: उत्तर: प्रश्न ग-iii: उत्तर: प्रश्न
ग-iv: उत्तर: कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं कबहुँ अधर फरकावै?कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै। सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सैन बतावै॥ इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरैं गावै। जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ, सो नंद-भामिनि पावै॥
जसोदा हरि पालने झुलावै हलरावै दुलराय मल्हावै जोइ कछु गावै इन पंक्तियों में कौन सा रस है?Explanation: जसोदा हरि पालनैं झुलावै में वात्सल्य रस है। वात्सल्य रस की परिभाषा अनुसार — माता—पिता का संतान के प्रति जो स्नेह होता है, उसे 'वात्सल्य' कहते हैं, यही 'वात्सल्य' स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में संयुक्त होकर रस रूप में परिणत हो जाता है, तब 'वात्सल्य रस' कहलाता है।
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