कान्हा जी को खाने में क्या पसंद है? - kaanha jee ko khaane mein kya pasand hai?

यदि घर में विराजे हैं लड्डू गोपाल तो इस विधि और नियम से लगाएं भोग

ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला Published by: Shashi Shashi Updated Tue, 18 May 2021 12:05 PM IST

भगवान श्री कृष्ण को जगत पिता श्री हरि विष्णु के अवतार हैं। भगवान कृष्ण की पूजा राधा रानी के साथ तो की ही जाती है लोग बाल रुप में भी इनकी पूजा करते हैं। जो लोग कृष्ण कन्हैया को बाल रुप में पूजते हैं, वे अपने घर में लड्डू गोपाल रखते हैं। यदि आप अपने घर में लड्डू गोपाल रखते हैं तो उनकी सेवा भी छोटे बालक की तरह करनी चाहिए। उनके भोग का ध्यान खासतौर पर रखना चाहिए। वैसे तो शास्त्रों के अनुसार छप्पन भोग लगाएं जाते हैं, परंतु घर में यह संभव नहीं हो पाता है, फिर भी प्रतिदिन लड्डू गोपाल को नियम के साथ चार समय भोग अवश्य लगाना चाहिए। जानते हैं लड्डू गोपाल को भोग लगाने के नियम और समय।

सबसे पहला भोग

सबसे पहले सुबह उठते ही लड्डू गोपाल को भोग लगाना चाहिए। सुबह को उठकर 6 से 7 बजे के मध्य सबसे पहले घंटी या फिर लयबद्ध तरीके से ताली बजाते हुए, लड्डू गोपाल को जगाना चाहिए फिर इसके बाद उन्हें दूध पिलाना चाहिए। भोग लगाए हुए दूध को पी सकते हैं या फिर चाय में बनाने में उपयोग कर लें। पहला भोग सुबह उठते ही लगाना होता है तो बिना स्नान किए मुंह-हाथ धोकर भी लगा सकते हैं लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आप अपवित्र न हो।

दूसरा भोग

इसके कुछ समय बाद स्वयं स्नान करें और उसके बाद लड्डू गोपाल को स्नान करवाने के बाद उन्हें स्वच्छ वस्त्र पहनाएं और तिलक करने के बाद दूसरा भोग लगाएं। इस भोग में प्रतिदिन उन्हें दही अवश्य अर्पित करना चाहिए। कृष्ण जी को माखन, मिश्री और दही अति प्रिय हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि माखन एक दम शुद्ध हो, इसलिए कृष्ण जी को घर पर बने माखन का भोग ही लगाना चाहिए। इसके अलावा मौसमी फलों का भोग भी लगाना चाहिए।

तीसरा भोग

दोपहर के समय उस भोजन का भोग लगा सकते हैं जो स्वयं के लिए बनाया हो, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि भोजन सात्विक होना चाहिए। उसमें लहसुन और प्याज कुछ भी नहीं होना चाहिए। इसके अलावा आप घर में फल, मिष्ठान जो भी सात्विक चीज लेकर आते हैं उसमें से सर्वप्रथम कृष्ण जी के लिए भी अवश्य अर्पित करें। भोजन में से भी सबसे पहले लड्डू गोपाल के लिए भोग निकालना चाहिए। यदि भोजन में लहसुन और प्याज का प्रयोग करते हैं तो लड्डू गोपाल के लिए मीठी पूरी या पराठा बना लें।

संध्याकाल और रात्रि का भोग

शाम के समय कृष्ण जी को मखाने या मेवा का भोग लगाया जा सकता है, इसके अलावा लड्डू गोपाल को पापड़-चिप्स का प्रसाद भी चढ़ाया जा सकता है। रात्रि के समय भी जो भोजन बनाया हो सबसे पहले लड्डू गोपाल को भोग लगाएं और उन्हें शयन करवाने से पहले दूध पिलाना चाहिए।

Krishna Janmashtami 2022: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को लेकर भक्तों में उत्साह देखने को मिल रहा है. देश-दुनिया में कान्हा के भक्त जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) के त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. यह पावन पर्व भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है. इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं और कान्हा के बाल रूप की पूजा करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जानिए श्रीकृष्ण की उन पांच प्रिय चीजों के बारें में जिनका पूजा-अर्चना में इस्तेमाल किया जाता है. 

माखन-मिश्री का भोग
मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण बचपन में माखन मिश्री को बेहद पसंद था. साथ ही इसको चुराकर खाने की कथाएं भी खूब प्रचलित हैं. इसी वजह से कान्हा जी को जन्माष्टमी पर माखन मिश्री का का भोग लगाया जाता है. 

बांसुरी
भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी बेहद पसंद है, इसी वजह से वह इसको हमेशा अपने पास रखते हैं. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के दौरान बांसुरी रखने से सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है. ऐसे में जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की पूजी के दौरान बांसुरी भी रख सकते हैं. 

धनिया की पंजीरी
लोग कान्हा जी के माखन प्रेम के बारे में जानते हैं लेकिन उनको इसके अलावा धनिया की पंजीरी का प्रसाद भी खूब पसंद है. आप कान्हा जी को धनिया की पंजीरी का भी भोग लगा सकते हैं. 

वैजयंती के फूल
मान्यताओं के मुताबिक वैजयंती का फूल को भगवान कृष्ण का बहुत प्रिय माना जाता है. ऐसे में पूजा में वैजयंती के पुष्प या उसकी माला चढ़ा सकते हैं. इससे कान्‍हा जी प्रसन्‍न होकर मनोकामना पूरी करते हैं. 

मोर पंख
आपने गौर किया हो तो देखा होगा कि भगवान कृष्ण का कोई भी चित्र आपको बिना मोर पंख के नहीं मिलेगा. इसको कान्हा जी का प्रिय माना जाता है. इसलिए जन्माष्टमी पर पूजा के दौरान इसको शामिल कर सकते हैं. वहीं मान्यता है कि कि जहां मोर पंख होता है, वहां से नकारात्मकता खत्म हो जाती है. 

जानिए कब है जन्माष्टमी (Kab Hai Krishna Janmashtsami 2022)
बता दें, इस बार इस बार अष्टमी 18 अगस्‍त की रात 09:20 बजे से शुरू होगी जो 19 अगस्त 2022 को रात 10:59 तक रहेगी. चूंकि भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्‍म मध्‍यरात्रि में हुआ था. इसलिए जन्‍माष्‍टमी 18 अगस्‍त की रात को मनाई जाएगी. इस दिन ध्रुव और वृद्धि योग भी बन रहे हैं. जन्‍माष्‍टमी की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त 18 अगस्त की रात 12:03 बजे से 12:47 बजे तक रहेगा.

भगवान कृष्‍ण को मिठाई खाने का शौक था इसलिए इस दिन घर में लड्डू गोपाल को खुश करने के लिए महिलाएं तरह-तरह के पकवान बनाती हैं और उसका प्रसाद चढ़ाती हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। माखन चोर, लड्डू गोपाल, कान्‍हा, चितचोर, चाहें जितने ही नामों से पुकारों कन्‍हैया हर भाव, हर नाम से सुनते हैं। यूं तो कान्‍हा को प्रिय है माखन मिश्री का भोग लेकिन सुदामा के मुठठी भर सूखे चावलों से भी वो तृप्‍त हो जाते हैं। भगवान भूखें हैं तो बस भक्ति भाव के। इस बात को हर भक्‍त जानता है लेकिन फिर भी अपने गोपाल को मनाने के लिए आज घर घर में विशेष भोग बनाने की तैयारियां चल रही हैं। ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार यह सही है कि कन्‍हैया भक्ति भाव से ही तृप्‍त होते हैं लेकिन यदि प्रमुख पांच प्रसाद जन्‍माष्‍टमी की पूजा में चढ़ाएं जाएं तो विशेष फलदायी होते हैं। इसके पीछे मान्‍यता है कि

भगवान कृष्‍ण को मिठाई खाने का शौक था इसलिए इस दिन घर में लड्डू गोपाल को खुश करने के लिए महिलाएं तरह-तरह के पकवान बनाती हैं और उसका प्रसाद चढ़ाती हैं।

ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा

आटे की पंजीरी

जन्‍माष्‍टमी के दिन प्रसाद के लिए बहुत सारे पकवान बनाए जाते हैं और आटे की पंजीरी उसमें से एक है। इसे बनाना बहुत ही आसान है, बस इसमें पड़ने वाली सामग्री और विधि का ध्‍यान रखा जाए तो यह बेहद स्‍वादिष्‍ट बनती है।

कैसे बनाएं

एक कढ़ाई लें और उसमें घी डाल कर खरबूजे के बीज भून लें। हलके सुनहरे होने के बाद इन्‍हें निकाल कर अलग रख दें। इसके बाद फिर कढ़ाई में घी डालें और कटे हुए मेवे डाल कर तल लें। इसके बाद एक बार फिर कढ़ाई में घी डालें और आटा व सूखे धनिय को धीमी आंच पर सुनहरा होने तक भूने। इसके बाद इसमें मेवा और खरबूजे के बीज डाल दें। सामग्री के ठंडा होने पर बूरा मिलाएं। इस तरह पंजीरी तैयार हो जाएगी। स्‍वाद के लिए आप इसमें पिसी हुई इलाइची भी मिला सकती हैं।

मक्‍खन मिश्री

लड्डू गोपाल को माखन चोर भी कहा जाता है और यह बात सभी जानते हैं कि लड्डू गोपाल को मक्‍खन मिश्री बहुत पसंद है। अगर आप जन्‍माष्‍टमी पर लड्डू गोपाल को खुश करना चाहती हैं तो मक्‍खन मिश्री का प्रसाद जरूर चढ़ाएं।

कैसे बनाएं

सबसे पहले एक बड़े बर्तन में दही डालें और फिर उसे मथनी से मथें। इसके बाद दही को ब्‍लैंडर में डालें। ब्‍लैंड करने से आसानी से मक्‍खन निकल आता है। मक्‍खन को एक कटोरी में निकालें और उपर से मिश्री और पिस्‍ता बादाम डाल दें। अच्‍छे फ्लेवर के लिए आप इसमें केसर भी डाल सकती हैं। भगवान कृष्ण की प्रेमिका ही नहीं गुरु भी थी राधा, जानें रहस्य

मखाना पाग

लड्डू गोपाल को मखना पाग मिठाई भी बहुत पसंद है। इसे बहुत ही आसानी से घर पर बनाया जा सकता है। मखाने के साथ आप अन्‍य मेवा को भी पाग सकती हैं।

कैसे बनाएं

इसके लिए मखानों को देसी घी में अच्‍छे से तले। इसके बाद तीन तार की चाशनी बनाएं और उसमें मखानों को डुबो दें। तीन तार की चाशनी बहुत गाढ़ी होती है यह मखानों में आसानी से लिपट जाती है।

पंचामृत

जन्‍माष्‍टमी में पंचामृत का विशेष महत्‍व है। यह ऐसा प्रसान है जिससे लड्डू गोपाल को नेहलाया जाता है और उस पंचामृत को प्रसाद की तरह लोग पीते हैं।

कैसे बनाएं

एक बर्तन में दही लें और अच्‍छे से फेंट लें। फिर इसमें दूध, शहद, गंगाजल और तुलसी डालें। इसके साथ ही इसमें मखाना, गरी, चिरोंजी, किशमिश और छुआरा जैसी मेवा डालें। अंत में थोड़ा सा घी डालें। पंचामृत तैयार हो जाएगा।

मखाने की खीर

लड्डू गोपाल को दूध, घी, मक्‍खन और मेवे से बने सारे पकवान बहुत पसंद है। इसलिए खीर भी लड्डू गोपाल का प्रसाद के तौर पर जन्‍माष्‍टमी के दिन चढ़ाई जाती है।

कैसे बनाएं

सबसे पहले काजू और बादाम को महीन-महीने काटकर अलग रख लें। मखानों को महीन-महीन काट लें और फिर मिक्‍सी में दरदरा पीस ले। अब एक पैन से घी गरम करें उसमें मखानों को एक मिनट के लिए भून लें। फिर उसमें दूध डालकर उबालें। मखाने पूरी तरह गल जएं तो उसमें कटे हुए मेवे को डालें और फिर चीनी डालें। खीर तैयार होने पर उपर से पिसी हुई इलाइची डालें।

सात दिन भूखे रहे भगवान तब चढ़ाए गए छप्‍पन भोग

ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू बताती हैं कि शास्‍त्रों में वर्णित है कि बाल रूप में भगवान कृष्ण दिन में आठ बार (अष्ट पहर) भोजन करते थे। मां यशोदा उन्हें तरह-तरह के पकवान बनाकर खिलाती थीं। यह बात तब कि है जब इंद्र के प्रकोप से सारे ब्रज को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार सात दिन तक उन्होंने अन्न जल ग्रहण नहीं किया था। आठवें दिन जब बारिश थम गई, तब कृष्ण ने सभी ब्रजवासियों को अपने-अपने घर जाने को कहा और गोवर्धन पर्वत को जमीन पर रख दिया। इन सात दिनों तक भगवान कृष्ण भूख रहे थे।

मां यशोदा के साथ ही सभी ब्रजवासियों को यह जरा भी अच्छा नहीं लगा कि दिन में आठ बार भोजन करने वाले हमारा कन्हैया पूरे सात दिन भूखा रहा।

इसके बाद पूरे गांव वालों ने सातों दिन के आठ प्रहर के हिसाब से पकवान बनाए और भगवान को भोग लगाया। तब से छप्‍पन भोग की प्रथा चली आ रही है।

ये हैं वो छप्‍पन भोग

- भक्त (भात)

- सूप (दाल)

- प्रलेह (चटनी)

- सदिका (कढ़ी)

- दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी)

- सिखरिणी (सिखरन)

- अवलेह (शरबत)

- बालका (बाटी)

- इक्षु खेरिणी (मुरब्बा)

- त्रिकोण (शर्करा युक्त)

- बटक (बड़ा)

- मधु शीर्षक (मठरी)

- फेणिका (फेनी)

- परिष्टश्च (पूरी)

- शतपत्र (खजला)

- सधिद्रक (घेवर)

- चक्राम (मालपुआ)

- चिल्डिका (चोला)

- सुधाकुंडलिका (जलेबी)

- धृतपूर (मेसू)

- वायुपूर (रसगुल्ला)

- चन्द्रकला (पगी हुई)

- दधि (महारायता)

- स्थूली (थूली)

- कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी)

- खंड मंडल (खुरमा)

- गोधूम (दलिया)

- परिखा

- सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त)

- दधिरूप (बिलसारू)

- मोदक (लड्डू)

- शाक (साग)

- सौधान (अधानौ अचार)

- मंडका (मोठ)

- पायस (खीर)

- दधि (दही)

- गोघृत

- हैयंगपीनम (मक्खन)

- मंडूरी (मलाई)

- कूपिका (रबड़ी)

- पर्पट (पापड़)

- शक्तिका (सीरा)

- लसिका (लस्सी)

- सुवत

- संघाय (मोहन)

- सुफला (सुपारी)

- सिता (इलायची)

- फल

- तांबूल

- मोहन भोग

- लवण

- कषाय

- मधुर

- तिक्त

- कुटू

- अम्ल  

Edited By: Tanu Gupta

कान्हा जी को क्या क्या खिलाना चाहिए?

कृष्ण जी को मक्‍खन-मिश्री और लड्डू अति प्रिय हैं, इसलिए कृष्ण जी को इनका भोग लगाएं. इसके अलावा मौसमी फलों का भोग भी लगा सकते है. दोपहर के समय लड्डू गोपाल को उस भोजन का भोग लगाएं, जो स्वयं के लिए बनाया हो. पर इस बात का ध्यान रखें कि भोजन में लहसुन और प्याज कुछ भी ना हो.

लड्डू गोपाल जी को खाने में क्या पसंद है?

कृष्ण जी को माखन, मिश्री और दही अति प्रिय हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि माखन एक दम शुद्ध हो, इसलिए कृष्ण जी को घर पर बने माखन का भोग ही लगाना चाहिए। इसके अलावा मौसमी फलों का भोग भी लगाना चाहिए।

कान्हा जी का भोग कैसे बनाते हैं?

धनिया पंजीरी बनाने की विधि- पैन में बचा घी डालकर मखाने 2-3 मिनट तक लगातार चलाते हुए भूनें। धीमी आंच करके इसमें ड्राई फ्रूट्स, चिरौंजी दाना, मगज, चीनी, नारियल का बूरा और धनिया पाउडर डालकर मिलाएं। तैयार पंजीरी को सर्विंग बाउल में निकालकर कान्हा जी को भोग लगाकर प्रसाद के तौर पर खाएं।

कान्हा जी को कौन सा रंग पसंद है?

कहा जाता है कि श्री कृष्ण को नारंगी और पीला रंग सबसे ज्यादा पसंद था और इसलिए इन रंगों के कपड़े पहनकर पूजा करना शुभ माना जाता है।

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