सिर्फ एक फूल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं ईश्वर, जानें किस देवता पर कौन सा फूल चढ़ाएंवीडियो डेस्क। वैसे तो किसी भी भगवान को कोई भी फूल चढ़ाया जा सकता है, लेकिन धर्म ग्रंथों के अनुसार, कुछ फूल देवताओं को विशेष प्रिय होते हैं। मान्यता है कि देवताओं को उनकी पसंद के फूल चढ़ाने से वे अति प्रसन्न होते हैं और साधक की हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं। Show वीडियो डेस्क। वैसे तो किसी भी भगवान को कोई भी फूल चढ़ाया जा
सकता है, लेकिन धर्म ग्रंथों के अनुसार, कुछ फूल देवताओं को विशेष प्रिय होते हैं। मान्यता है कि देवताओं को उनकी पसंद के फूल चढ़ाने से वे अति प्रसन्न होते हैं और साधक की हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं। जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वास्तु शास्त्र में कनेर के पौधे को घर के लिए काफी शुभ माना गया है। कहा जाता है कि कनेर में साक्षात भगवान बसते हैं। कनेर का पेड़ दो तरह का होता है। सफेद फूलों वाला कनेर और पीले फूलों वाला कनेर। शास्त्रों में कहा गया है कि सफेद फूलों वाले कनेर का पेड़ मां लक्ष्मी को प्रिय है और पीले फूलों वाले कनेर के पेड़ पर साक्षात विष्णु भगवान बसते हैं। कहा जाता है कि जिस तरह कनेर का पेड़ पूरे साल फूलों से भरा रहता है उसी प्रकार इसे घर में लगाए जाने से पूरे साल घर में धन का आगमन रहता है। कनेर का पौधा मन को शांत रखता है और वातावरण में सकारात्मकता लाता है। सफेद कनेर के फूलों को मां लक्ष्मी जी की पूजा में रखा जाए तो लक्ष्मी मां प्रसन्न होकर जातके के घर ठहर जाती है। वहीं दूसरी ओर कनेर के पीले फूलों से भगवान श्रीहरि की पूजा करने पर पारिवारिक खुशहाली आती है, धन संपत्ति बढ़ती है और मांगलिक काम में रुकावटें नहीं आती। ध्यान रखें यूं तो कनेर का पौधा कई बीमारियों औषधि के रूप में काम आता
है लेकिन इसके फूल औऱ बीज जहरीले होते हैं। इसलिए इसे घर के अंदर लगाने की बजाय घर की सीमा से बाहर या आंगन में ऐसी जगह लगाना चाहिए ताकि बच्चों की पहुंच से यह दूर रहे। हिंदू धर्म में विभिन्न फूलों का विशेष महत्व है। धार्मिक अनुष्ठान, पूजन, आरती आदि कार्य बिना फूल के अधूरे ही माने जाते हैं। फूलों के संबंध में शारदा तिलक नामक पुस्तक में कहा गया है-दैवस्य मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा। अर्थात- देवता का मस्तक सदैव पुष्प से सुशोभित रहना चाहिए। वैसे तो किसी भी भगवान को कोई भी फूल चढ़ाया जा सकता है, लेकिन कुछ फूल देवताओं को विशेष प्रिय होते हैं। इन फूलों का वर्णन विभिन्न धर्म ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि देवताओं को उनकी पसंद के फूल चढ़ाने से वे अति प्रसन्न होते हैं और साधक की हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि किस देवता के पूजन में कौन से फूल चढ़ाना चाहिए- भगवान श्रीगणेश- आचार भूषण ग्रंथ के अनुसार भगवान श्रीगणेश को तुलसीदल को छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढाएं जा सकते हैं। पद्मपुराण आचाररत्न में भी लिखा है कि ‘न तुलस्या गणाधिपम’अर्थात् तुलसी से गणेश जी की पूजा कभी न करें। गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा है। गणेश जी को दूर्वा बहुत ही प्रिय है। दूर्वा के ऊपरी हिस्से पर तीन या पांच पत्तियां हों तो बहुत ही उत्तम है। भगवान शिव- भगवान शंकर को धतूरे के फूल, हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के फूल चढ़ाने का विधान है। भगवान शिव को केवड़े का पुष्प नहीं चढ़ाया जाता है। भगवान विष्णु- इन्हें कमल, मौलसिरी, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय हैं। विष्णु भगवान तुलसी दल चढ़ाने से अति शीघ्र प्रसन्न होते है। कार्तिक मास में
भगवान नारायण केतकी के फूलों से पूजा करने से विशेष रूप से प्रसन्न होते है । लेकिन विष्णु जी पर आक, धतूरा, शिरीष, सहजन, सेमल, कचनार और गूलर आदि। सूर्य नारायण- इनकी उपासना कुटज के पुष्पों से की जाती है। इसके अलावा कनेर, कमल, चंपा, पलाश, आक, अशोक आदि के पुष्प भी इन्हें प्रिय हैं। भगवान श्रीकृष्ण- अपने प्रिय पुष्पों का उल्लेख महाभारत में युधिष्ठिर से करते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं- मुझे कुमुद, करवरी, चणक, मालती, पलाश व वनमाला के फूल प्रिय हैं। भगवती गौरी- शंकर भगवान को चढ़ने वाले पुष्प मां भगवती को भी प्रिय हैं। इसके अलावा बेला, सफेद कमल, पलाश, चंपा के फूल भी चढ़ाए जा सकते हैं। लक्ष्मीजी- मां लक्ष्मी का सबसे अधिक प्रिय पुष्प कमल है। उन्हें पीला फूल चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है। इन्हें लाल गुलाब का फूल भी काफी प्रिय है। हनुमान जी- इनको लाल पुष्प बहुत प्रिय है। इसलिए इन पर लाल गुलाब, लाल गेंदा आदि मां काली - मां दुर्गा- इनको लाल गुलाब या लाल अड़हुल के पुष्प चढ़ाना श्रेष्ठ है। मां सरस्वती- विद्या की देवी मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए सफेद या पीले रंग का फूल चढ़ाए जाते हैं। सफेद गुलाब, सफेद कनेर या फिर पीले गेंदे के फूल से भी मां सरस्वती वहुत प्रसन्न होती हैं। शनि देव- शनि देव को नीले लाजवन्ती के फूल चढ़ाने चाहिए, इसके अतिरिक्त कोई भी नीले या गहरे रंग के फूल चढ़ाने से शनि देव शीघ्र ही प्रसन्न होते है। ध्यान रखने योग्य बातें-भगवान की पूजा कभी भी सूखे व बासी फूलों से न करें। कमल का फूल को लेकर मान्यता यह है कि यह फूल दस से पंद्रह दिन तक भी बासी नहीं होता। चंपा की कली के अलावा किसी भी पुष्प की कली देवताओं को अर्पित नहीं की जानी चाहिए। आमतौर पर फूलों को हाथों में रखकर हाथों से भगवान को अर्पित किया जाता है। ऐसा नहीं करना चाहिए। फूल चढ़ाने के लिए फूलों को किसी पवित्र पात्र में रखना चाहिए और इसी पात्र में से लेकर देवी-देवताओं को अर्पित करना चाहिए। तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है। इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार शिवजी को प्रिय बिल्व पत्र छह माह तक बासी नहीं माने जाते हैं। अत: इन्हें जल छिड़क कर पुन: शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है। कनेर का फूल कौन से भगवान को चढ़ाया जाता है?कनेर का फूल मां लक्ष्मी के साथ- साथ भगवान विष्णु को भी हैं प्रिय
शंकर भगवान को कौन से फूल पसंद है?भगवान शिव भगवान शिव को धतूरे के फूल, हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश के फूल प्रिय होते हैं. भगवान शिव की पूजा में तुलसी और केवड़े का पुष्प नहीं चढ़ाना चाहिए. भगवान विष्णु को तुलसी सबसे अधिक प्रिय है.
राधा जी को कौन सा फूल पसंद है?बेला, चमेली, केसर, श्वेत कमल, पलाश, चंपा, कनेर, अपराजित आदि फूलों से भी देवी की पूजा की जाती है.
तुलसी जी को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए?भगवान विष्णु- इन्हें कमल, मौलसिरी, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय हैं। विष्णु भगवान तुलसी दल चढ़ाने से अति शीघ्र प्रसन्न होते है। कार्तिक मास में भगवान नारायण केतकी के फूलों से पूजा करने से विशेष रूप से प्रसन्न होते है ।
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