कार्नो प्रमेय क्या है इसे सिद्ध करो? - kaarno pramey kya hai ise siddh karo?

कार्नो प्रमेय के अनुसार:

  • किन्हीं दो ऊष्माशयों (heat reservoirs) के बीच काम करने वाला कोई भी ऊष्मा इंजन उन्हीं ऊष्माशयों के बीच काम करने वाले कार्नो इंजन (Carnot engine) से कम दक्ष होगा।
  • दो ऊष्माशयों के बीच कार्य करने वाले सभी 'उत्क्रमणीय' ऊष्मा इंजन (reversible heat engines) उन्हीं ऊष्माशयों के बीच कार्य करने वाले कार्नो इंजन के बराबर ही दक्षता वाले होते हैं।

इस अधिकतम दक्षता का सूत्र है-

कार्नो प्रमेय क्या है इसे सिद्ध करो? - kaarno pramey kya hai ise siddh karo?

जहाँ TC ठण्डे ऊष्माशय का परम ताप है और TH गरम ऊष्माशय का परम ताप है। यहाँ दक्षता की परिभाषा है -

= इंजन द्वारा किया गया कार्य / गरम ऊष्माशय से ली गयी ऊर्जा

कार्नो प्रमेय क्या है इसे सिद्ध करो? - kaarno pramey kya hai ise siddh karo?

कार्नो प्रमेय की सिद्धि (उपपत्ति)

== ईंधन सेल और बैटरियों पर कार्नो प्रमेय की अनुप्रयोज्यता (Applicability) ==Mukesh keer

सन्दर्भ[संपादित करें]

हेलो फ्रेंड हमारा प्रश्न है कारणों पर में लिखिए या फिर कार्यों पर में क्या होती है भाई इसको देख लेते हैं तो इसकी परिभाषा देख लेते हैं क्या है कारणों ने ऊष्मा इंजन की दक्षता के संबंध में एक नियम प्रतिपादित किया था यानी कि सिद्धांत प्रस्तुत किया था जो कि कारणों पर में कहलाता है यानी कि स्कूल कारणों के में कहते हैं जो कारणों ने उस में इंजन की दक्षता के संबंध में जो नियम दिया था इस नियम के अनुसार क्या होता है मैं आपको बता देता हूं इस नियम में उन्होंने यानी कि कारणों ने बताया कि समानता पर कार्यरत यानी की समानता पर कार्य कर रहे साधारण इंजन की दक्षता किसी भी साधारण ऊष्मा इंजन की दक्षता कार्नो इंजन की दक्षता होगी उससे क्या होगी कम होगी कारण इंजन की दक्षता से साधारण इंजन की दक्षता होगी वह कम हो गई है बता देता हूं कार्नो इंजन क्या होता है कारण उन्हें एक इंजन का मॉडल यानी कि एक प्रारूप प्रस्तुत किया था उन्होंने बताया था कि यह एक आदर्श इंजन होता है जोकि

किसको दी गई उड़ जाए आसमां को पूर्ण रूप से कार्य में परिवर्तित कर देता है यानी कि मान लेते हैं कि कोई कार्नो इंजन है तो उसको क्यों है सूचना देने पर यह संपूर्ण उस्मा का या ऊर्जा का रूपांतरण कार्य में कर देता है जबकि जो साधारण इंजन होते हैं उन्हें बताया कि इनको जब सूचना दी जाती है यानी कि की मान लेते हैं इनको क्यों स्मार्ट प्रदान की गई उनके द्वारा जो कार्य किया जाएगा वह यानी कि मुझे दी गई कुल उसमें है उसका पूरा का पूरा महान कार्य में परिवर्तित नहीं होता कुछ महान इसका उर्जा का विकिरण या किसी भी आने रूप में छह हो जाता है और पूर्व दी गई उसमें है पूर्ण रूप से कार के रूप में परिवर्तित नहीं हो पाती क्योंकि जो कारणों ने इंजन की जो प्रस्तुति है प्रारूप दिया था यह की एक काल्पनिक इंजन की दक्षता का ही प्रारूप है ऐसा कोई भी नहीं है संसार में उपस्थित नहीं इसको दी गई उसमें पूर्ण रूप से कार्य में परिवर्तित हो जाती है लेकिन जो कारणों का इंजन था उससे हम अन्य नियमों की दक्षता का मान प्राप्त करते हैं

क्योंकि इसको आदर्श इंजन मान करके इस की दक्षता सॉफ्ट मानी जाती है क्योंकि पूर्ण रूप से काट दी गई ऊष्मा को कार्य में परिवर्तित करता है तो इसके आधार पर हमने इंजनों की दक्षता का मान ज्ञात करते हैं आई होप आप लोगों को यह क्वेश्चन समझ में आ गया होगा थैंक्यू फॉर वाचिंग

कार्नो प्रमेय

कार्नो प्रमेय क्या है इसे सिद्ध करो? - kaarno pramey kya hai ise siddh karo?

कार्नो प्रमेय (Carnot's theorem) किसी ऊष्मा इंजन की अधिकतम क्षमता की सीमा बताने वाला सिद्धान्त है। इसे सन् १८२४ में सादी कार्नो ने प्रतिपादित किया था। इसे 'कार्नो का नियम' भी कहते हैं। कार्नो प्रमेय के अनुसार.

6 संबंधों: ऊष्मा इंजन, ऊष्मागतिक तापक्रम, दक्षता, सादी कार्नो, ईंधन सेल, उष्मागतिकी।

ऊष्मा इंजन

एक ऊष्मा इंजन का चित्र: यह इंजन TH ताप वाले गरम स्रोत से QH ऊर्जा लेती है और इसमें से W ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा के रूप में बदलकर शेष QC ऊष्मा को TC ताप वाले सिंक को स्थानातरित कर देती है। जो इंजन है ऊष्मा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलते हैं उन्हें ऊष्मा इंजन (थर्मल इंजन) कहते हैं। ये इंजन ऊष्मा के उच्च ताप से निम्न ताप पर प्रवाहित होने के गुण का उपयोग करके बनाए जाते हैं। इसके विपरीत वे इंजन जो यांत्रिक ऊर्जा की सहायता से ऊष्मा को अधिक ताप से कम ताप पर ले जाते हैं उन्हें 'ऊष्मा पम्प' या 'प्रशीतक' (रेफ्रिजिरेटर) कहते हैं। उच्च ताप से निम्न ताप पर ऊष्मा किसी तरल के सहारे स्थानान्तरित होती है। ऊष्मा मशीनें प्रायः किसी ऊष्मा चक्र में काम करती हैं। इसीलिए इन्हें सम्बन्धित ऊष्मागतिकीय चक्र (थर्मोडाइनेमिक सायकिल) के नाम से जाता जाता है। उदाहरण के लिए कर्ना चक्र पर काम करने वाला ऊष्मा इंजन 'कर्ना इंजन' कहलाता है। ऊष्मा इंजन अन्य इंजनों से इस मामले में भिन्न हैं कि इनकी अधिकतम दक्षता कर्ना के प्रमेय से निर्धारित होती है जो अपेक्षाकृत बहुत कम होती है। किन्तु फिर भी ऊष्मा इंजन सर्वाधिक प्रचलित इंजन है क्योंकि लगभग सभी प्रकार की उर्जाओं को ऊष्मा में बहुत आसानी से बदला जा सकता है और ऊष्मा इंजन द्वारा इस ऊष्मा को यांत्रिक ऊर्जा में। ऊष्मा इंजन और ऊर्जा का संतुलन .

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ऊष्मागतिक तापक्रम

ऊष्मगतिक तापक्रम (Thermodynamic temperature) या 'परम ताप' (absolute temperature)' तापमान का विशुद्ध माप है। यह ऊष्मगतिकी के मुख्य प्राचलों (पैरामीटर) में से एक है। ऊष्मागतिक तापक्रम ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम द्वारा परिभाषित है जिसमें सिद्धान्त रूप में न्यूनतम सम्भव ताप को 'शून्य बिन्दु' माना जाता है। इस ताप को 'परम शून्य' (absolute zero) भी कहते हैं। इस ताप पर पदार्थ के कण न्यूनतम गति की स्थिति में होते हैं तथा इससे कम ठण्डे नहीं हो सकते। क्वाण्टम यांत्रिकी की भाषा में, परम ताप पर पदार्थ अपनी निम्नतम अवस्था (ground state) में होता है जो इसकी न्यूनतम ऊर्जा की अवस्था है। इस कारण ही ऊष्मागतिक तापक्रम को 'परम ताप' भी कहा जाता है। एट्मॉस्फेयर दबाव में दर्शित है। इन सामान्य तापमान पर स्थित परमणुओं की एक औसत गति निश्चित होती है (यहां दो ट्रिलियन गुणा कम करी गयी है)। किसी दिये गये समय पर हीलियम परमाणु औसत से कहीं अधिक तेज गति पर हो सकता है, वहीं कोई दूसरा एकदम निष्क्रीय भी हो सकता है। गति दिखाने हेतु पाँच परमाणु लाल दर्शित हैं। .

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दक्षता

दक्षता (Efficiency) का सामान्य अर्थ यह है कि किसी कार्य या उद्देश्य को पूरा करने में लगाया गया समय या श्रम या ऊर्जा कितनी अच्छी तरह काम में आती है। 'दक्षता' का विभिन्न क्षेत्रों एवं विषयों में उपयोग किया जाता है और विभिन्न सन्दर्भों में इसके अर्थ में भी काफी भिन्नता पायी जाती है। दक्षता एक मापने योग्य राशि है। ऊर्जा के रूपान्तरण की स्थिति में आउटपुट ऊर्जा और इनपुट उर्जा के अनुपात को दक्षता कहते हैं।;उदाहरण कोई ट्रांसफॉर्मर १००० किलोवाट विद्युत ऊर्जा लेकर अपने आउटपुट में जुड़े लोड को ९८० किलोवाट विद्युत ऊर्जा देता है, तो इसकी दक्षता श्रेणी:ऊर्जा श्रेणी:अर्थशास्त्र श्रेणी:ऊष्मा अंतरण श्रेणी:विचार की गुणवत्ताएँ.

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सादी कार्नो

सादी कार्नो निकोलस लिओनार्द सादी कारनो (१७९६ - १८३२) फ्रांसीसी भौतिकीविद् एवं सैन्य इंजीनियर थे। इन्होने १८२४ में लिखित अपनी पुस्तक 'आग की गतिकारी शक्ति एवं उसका उपयोग करने वाले इंजनों पर चिन्तन' (Réflexions sur la puissance motrice du feu et sur les machines propres à développer cette puissance) में सबसे पहले एक सफल ऊष्मा इंजन का सिद्धान्त दिया। अब इस इंजन को 'कार्नो चक्र' (Carnot cycle) के नाम से जाना जाता है। इस पुस्तक में उन्होने ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम की भी आधारशिला रख दी थी। इन्ही कारणों से उन्हें 'ऊष्मागतिकी का जनक' कहा जाता है। 'कार्नो दक्षता', कार्नो प्रमेय, कार्नो ऊष्मा इंजन आदि उनकी ही देन हैं। .

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ईंधन सेल

मिथेनॉल से सीधे विद्युत उत्पादन करने वाले ईंधन से का मॉडल ईंधन सेल (fuel cell) एक विद्युतरासायनिक युक्ति है जो ईंधन से प्राप्त रासायनिक ऊर्जा को सीधे विद्युत में परिवर्तित करती है। यह परिवर्तन एक रासायनिक अभिक्रिया के द्वारा होता है जिसमें धनावेशित हाइड्रोजन ऑयन, आक्सीजन या किसी अन्य आक्सीकारक से क्रिया करते हैं। ईंधन सेल, परम्परागत बैटरियों से इस दृष्टि से भिन्न हैं कि इनकी रासायनिक अभिक्रिया को चलते हुए बनाये रखने के लिये ईंधन और आक्सीजन के अविराम स्रोत आवश्यक होता है। ईंधन सेल तब तक ही विद्युत उत्पादन कर सकते हैं जब तक ईंधन और आक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित बनी रहे। फ्यूल सेल दिष्ट धारा के रूप मे विहात उत्पादन करते है।.

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उष्मागतिकी

भौतिकी में उष्मागतिकी (उष्मा+गतिकी .

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कार्नो प्रमेय क्या है उसे सिद्ध करो?

कार्नो प्रमेय के अनुसार: किन्हीं दो ऊष्माशयों (heat reservoirs) के बीच काम करने वाला कोई भी ऊष्मा इंजन उन्हीं ऊष्माशयों के बीच काम करने वाले कार्नो इंजन (Carnot engine) से कम दक्ष होगा।

कार्नो इंजन क्या है इसकी दक्षता का सूत्र स्थापित कीजिए?

Solution : A से B तक समतापी प्रसार , B से C तक रुद्धोष्म प्रसार ,C से Dतक समतापी संपीडन तथा D से A तक रुद्धोष्म संपीडन होता है । W = W_(1) - W_(3)` <br> ` W = Q_(1) - Q_(2)` <br> अतः कार्नो इंजन की दक्षता `eta = (Q_(1) - Q_(2))/Q_(1) = 1 - Q_(2)/Q_(1)` <br> `:.

इंजन की दक्षता क्या होती है?

इंजन से एक चक्र में प्राप्त कार्य तथा इसके द्वारा ली गई ऊष्मा `Q_(1)` की निष्पत्ति को ऊष्मा इंजन की दक्षता कहते है ।

कार्यों चक्र क्या है उत्क्रमणीय ऊष्मा इंजन की दक्षता की विवेचना कीजिये?

कार्नो चक्र (Carnot cycle) सादी कार्नो द्वारा १८२४ में प्रस्तुत किया गया एक सैद्धान्तिक ऊष्मागतिक चक्र है। यह प्रदर्शित किया जा सकता है कि किसी दी हुई ऊष्मीय ऊर्जा को कार्य में बदलने के लिये या कार्य को तापान्तर में बदलने के लिये यही ऊष्मा-चक्र सबसे अधिक दक्ष है।