कृषि उत्पादकता से आप क्या समझते हैं भारतीय कृषि उत्पादकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए? - krshi utpaadakata se aap kya samajhate hain bhaarateey krshi utpaadakata par ek sankshipt lekh likhie?

उत्तर :

स्वतंत्रता के पश्चात् कृषि को देश की आत्मा के रूप में स्वीकार करते हुए जवाहर लाल नेहरू ने कहा था ‘सब कुछ इंतज़ार कर सकता है मगर खेती नहीं।’ इस तथ्य का अनुसरण करते हुए अनेक कार्यक्रमों एवं नीतियों का संचालन किया गया। किंतु सकारात्मक परिवर्तनों की बजाय कृषि नकारात्मक कारणों- किसानों द्वारा आत्महत्या का रास्ता अपनाना, कृषि ऋण माफी हेतु प्रदर्शन के कारण ही चर्चा में रहती है।

मानवीय कारक:  इसके अंतर्गत सामाजिक प्रथाओं और रीति-रिवाज़ों को शामिल किया जाता है। भारतीय किसानों का भाग्यवादी दृष्टिकोण और नई कृषि तकनीकों की अनभिज्ञता से उनका निवेश व्यर्थ हो जाता है। खेती पर जनसंख्या का बढ़ता बोझ भी निम्न उत्पादकता का महत्त्वपूर्ण कारण है।

कनीकी कारक: सिंचाई सुविधाओं की पर्याप्तता का अभाव, उच्च उत्पादकता वाले बीजों की अनुपलब्धता, किसानों के पास मृदा परख तकनीक का अभाव और  कीटों, रोगाणुओं और चूहों जैसे अन्य कृंतकों से बचाव की वैज्ञानिक पद्धति की जानकारी का न होना। इसके अतिरिक्त किसानों द्वारा उर्वरकों या कीटनाशकों के उचित अनुपात में प्रयोग न करना आदि कारण हैं।

संस्थागत कारक: जोतों का छोटा आकार, किसानों के पास कृषि में निवेश के लिये साख का अभाव, कृषि उत्पादों के लिये बाज़ार की अनुपलब्धता, समर्थन मूल्य का तार्किक निर्धारण न होना। इसके साथ-साथ कृषि में  संस्थागत सुधारों के प्रति नौकरशाहों में उदासीनता का भाव और राजनेताओं में इच्छाशक्ति का अभाव आदि।

कृषि उत्पादकता में सुधार के लिये निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं- 

  • नई राष्ट्रीय कृषि नीति की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत किसानों को सूखा एवं वर्षा के साथ-साथ अन्य आपदाओं के लिये राहत प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। हाल ही में शुरू की गई प्रधानमंत्री  फसल बीमा योजना के माध्यम से फसल बीमा को काफी व्यापक बनाया गया है।
  • हाल ही में सरकार द्वारा शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना मृदा की गुणवत्ता को सुधारने के लिये एक महत्त्वपूर्ण पहल है। इस योजना में मृदा की प्रकृति को परख कर फसल और उर्वरक आदि का निर्धारण किया जाता है।
  • किसानों की साख में सुधार के लिये राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, किसान विकास पत्र  आदि को आरंभ किया गया है। 
  • किसानों को उत्पादों के उचित और एकीकृत मूल्य प्रदान करने के लिये ई-नाम (e-NAM) की शुरुआत की गई है।

इसके अतिरिक्त जैविक खेती को बढ़ावा, किसानों के लिये सिंचाई परियोजनाओं का विकास, मनरेगा के माध्यम से तालाब का निर्माण, भूमि की चकबंदी, किसानों को जलवायु के अनुकूल फसल उत्पादन करने का प्रशिक्षण आदि शामिल है।

कृषि उत्पादकता से क्या अर्थ है भारत में न्यून कृषि उत्पादकता के कारणों पर प्रकाश डालें?

खेती पर जनसंख्या का बढ़ता बोझ भी निम्न उत्पादकता का महत्त्वपूर्ण कारण है। कनीकी कारक: सिंचाई सुविधाओं की पर्याप्तता का अभाव, उच्च उत्पादकता वाले बीजों की अनुपलब्धता, किसानों के पास मृदा परख तकनीक का अभाव और कीटों, रोगाणुओं और चूहों जैसे अन्य कृंतकों से बचाव की वैज्ञानिक पद्धति की जानकारी का न होना।

कृषि उत्पादकता से क्या तात्पर्य है?

इस वैज्ञानिक युग में भी भारत के किसान कृषि यन्त्रों के रूप में अभी तक लकड़ी के हल, पटेता, कसी, दराती आदि का प्रयोग करते हैं। ट्रेक्टर तथा दूसरे कृषि सम्बन्धी यन्त्रों का प्रयोग बहुत ही कम होता है। खेती में पुराने यन्त्रों का प्रयोग करने से भूमि की उत्पादकता में वृद्धि नहीं हो पाती तथा कृषि उत्पादन कम हो जाता है ।

भारत में कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता की प्रवृति के महत्व को समझाएं इसका हमारी खाद्य सुरक्षा से क्या संबंध है?

कृषि के लिए विकास कार्य नीति के तहत संधारणीय जीविका को बढ़ावा देने के उद्देश्य से और भारत में गरीबी में कमी लाने हेतु छोटे जोत वाली खेती को प्राथमिकता देनी चाहिए। कृषि की उत्पादकता, उर्वरकों के उपयोग, सिंचाई की उपलब्धता, प्रौद्योगिकी, फसल की गहनता और फसल उगाने हेतु चुने गए तरीके, आदि कारकों पर निर्भर करती है।

कृषि में उत्पादन और उत्पादकता में क्या अंतर है?

उत्पादकता एवं उत्पादन में अंतर 'उत्पादकता' साधनों का कुल उत्पत्ति से अनुपात है। समस्त साधनों से प्राप्त होने वाला माल एवं सेवाएँ 'उत्पादन' है। इसमें व्यय के पहलू पर ध्यान नहीं दिया जाता है क्योंकि साधनों पर अधिक से अधिक व्यय करके उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि उत्पादकता में वृद्धि हो गई हो।

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