कवि ने जीवन को अपूर्ण क्यों कहा है ? - kavi ne jeevan ko apoorn kyon kaha hai ?

Class 9 EVERGREEN PUBLICATION Solutions Hindi Chapter 9 - Chalna Humara Kaam Hai [Poem]

CHAPTER 9

Solution क-i

कवि के पैरों में प्रबल गति भरी पड़ी है। 

Solution क-ii

कवि के पैरों में प्रबल गति है, तो फिर उसे दर-दर खड़ा होने की क्या आवश्यकता है। 

Solution क-iii

कवि को रस्ते में एक साथिन मिल गई जिससे उसने कुछ कह लिया और कुछ उसकी बातें सुन लीं जिसके कारण उसका बोझ कुछ कम हो गया और रास्ता आसानी से कट गया। 

Solution क-iv

गति - चाल  

प्रबल - रफ्तार  

विराम - आराम  

मंज़िल - लक्ष्य 

Solution ख-i

मनुष्य जीवन में आशा और निराशा से घिरा रहता है। 

Solution ख-ii

मनुष्य जीवन में कभी सुख तो कभी दुःख आते है। कभी कुछ पाता है तो कभी खोता है। आशा और निराशा से घिरा रहता है। इसलिए कवि ने जीवन को अपूर्ण कहा है। 

Solution ख-iii

कवि के अनुसार इस संसार में हर व्यक्ति को सुख और दुख सहना पड़ता है और ईश्वर के आदेश के अनुसार चलना पड़ता है। इसीलिए कवि कहता है कि दुःख आने पर में क्यों कहता फिरूँ के मुझसे विधाता रुष्ट है। 

Solution ख-iv

अपूर्ण - जो पूरा न हो 

आठों याम - आठ पहर 

विशद - बड़े 

वाम - विरुद्ध 

Solution घ-i

उपर्युक्त पंक्ति का आशय निरंतर गतिशीलता से है। जीवन के पड़ाव में कई मोड़ आते हैं, कई साथी मिलते है, कुछ साथ चलते हैं तो कुछ बिछड़ भी जाते हैं। पर इसका यह अर्थ नहीं कि जीवन थम जाए जो भी कारण हो लेकिन जीवन को अबाध गति से चलते ही रहना चाहिए।

Solution घ-ii

प्रस्तुत कविता में कवि पूर्णता की चाह रखता है और इसी पूर्णता को पाने के लिए वह दर-दर भटकता है।

Solution घ-iii

रोड़ा - बाधा

निराशा - दुःख 

अभिराम - सुंदर 

Solution घ-iv

जीवन इसी का नाम से तात्पर्य आगे बढ़ने में आने वाली रुकावटों से है। कवि के अनुसार इस जीवन रूपी पथ पर आगे बढ़ते हुए हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है परंतु हमें निराश या थककर नहीं बैठना चाहिए। जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए बाधाओं का आना स्वाभाविक है क्योंकि जीवन इसी का नाम होता है जब हम इन बाधाओं को पार कर आगे बढ़ते हैं। 


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कवि ने अपने जीवन की तुलना किसस...

लिखित उत्तर

Solution : कवि ने अपने जीवन की तुलना वसन्त से की है, क्योंकि कवि नयी आशा एवं उल्लास से भरा जीवन जीना चाहता है।

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कवि ने जीवन को अपूर्ण क्यों बताया है?

ICSE (2017) Solutions for Class Hindi ICSE Chapter 9: Chalna Humara Kaam Hai [Poem] | TopperLearning.

फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ मुझ पर विधाता वाम है का अभिप्राय स्पष्ट करें?

'फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है' – का आशय स्पष्ट कीजिए। उत्तर: कवि के अनुसार इस संसार में हर व्यक्ति को सुख और दुख सहना पड़ता है और ईश्वर के आदेश के अनुसार चलना पड़ता है। इसीलिए कवि कहता है कि दुःख आने पर में क्यों कहता फिरूँ के मुझसे विधाता रुष्ट है।

चलना हमारा काम है कविता में मनुष्य निराशा की भावना से ग्रसित कब हो जाता है?

जब तक वह मंजिल नहीं मिलती तब तक हमें रुकना नहीं है। एवं निरंतर आगे चलते रहना ही हमारा काम है। यह जीवन आशा निराशा से घिरा है कभी रोना है तो कभी हंसना है। इस संसार रूपी सागर में भला किसको नहीं बहना पड़ा, सभी को सुख-दुख झेलना ही पड़ा है।

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