इस कविता से हमें क्या संदेश मिलता है? Show इस कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि जिस प्रकार वसंत ऋतु के आगमन से सारी सृष्टि खिलकर मनमोहक बन जाती है उसी प्रकार हमें भी अपने श्रेष्ठ कार्यो से समाज, राष्ट्र व विश्व की आभामय बनाना चाहिए। एस कार्य करने चाहिए कि सभी हमारा यशगान करें। 3268 Views कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा? कवि को स्वयं पर दृढ़ विश्वास है कि वह अपनी कर्तव्यपरायणता तथा सक्रियता से विमुख होकर अपनै जीवन का अंत नहीं होने देगा। वह तो अपने यशस्वी कार्यो की आभा को वसंत की भाँति सुगंधित रूप में सब और फैलाना चाहता है। 6841 Views फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है? कवि चाहता है कि वसंत के सुगंधित व आकर्षक फूल अनंतकाल तक खिलते रहें। इस हेतु वह उनका आलस्य व प्रमाद छीनकर उन्हें चिरकाल तक खिले रहने के लिए प्रेरित करता है। वह चाहता है कि वे फूल सदैव अपनी आभा, सौंदर्य व सुषमा की छटा वातावरण में बिखेरते रहें। वह उस अनंत व अदृश्य से सप्राण भेंट करना चाहता है। 3793 Views कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन है? इन पंक्तियों में वसंत की आभा का वर्णन किया गया है। 1477 Views वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए। ऋतुओं में ग्रीष्म, वर्षा, शरद तथा पतझड़ भी वातावरण को प्रभावित करते हैं लेकिन वसंत ऋतु के आते ही पसीना, ठिठुरना, कीचड़ आदि नकारात्मक तत्त्व नही होते। पुष्प स्वयं खिलते हैं। प्रकृति की नई सुषमा चारों और वातावरण में छा जाती है। आलस्य और निराशा दूर भाग जाते है। स्वास्थ्य, सौंदर्य और स्फुर्ति का वातावरण होता है। पक्षियों का कलरव चारों ओर सुनाई देता हे। बच्चे, बूढ़े सभी के चेहरों पर नया नूर झलकता है। प्रकृति के इसी परिवर्तन के कारण वसंत को ‘ऋतुराज’ या ‘ऋतुओं की रानी’ कहा जाता है। 10605 Views कवि पुष्पों तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है? कवि अपने हाथों के सुधा स्पर्श से पुष्पों की नींद व आलस्य मिटाकर उन्हैं चुस्त, प्राणवान, आभामय व पुष्पित करना चाहता है। ऐसा करने का उसका उद्देश्य है कि धरा पर जरा भी आलस्य, प्रमाद, निराशा व मायूसी का निशान तक न रहे। वह हर ओर वसंतकी भाँति हरियाली, सौंदर्य, सुख और आनंद की अनुभूति चाहता है । 2672 Views कविता में कवि ने क्या संदेश दिया है *?कवि ने इस कविता के माध्यम से संदेश देना चाहा है कि पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं। यानी स्वतंत्रता सबसे अच्छी है। स्वतंत्र रहकर ही अपने सपने और अरमान पूरे किए जा सकते हैं। पराधीनता में सारी इच्छाएँ खत्म हो जाती हैं।
कवि प्रकृति के माध्यम से क्या संदेश देना चाहता है?कवि ने इस कविता के द्वारा प्रकृति के प्रति मानवीय संवेदना को दर्शाया है। कवि इस कविता के द्वारा प्रकृति के उदाहरण प्रस्तुत करते है और किस तरह प्रकृति के प्रति इंसान की अर्थात् मानव की जो भाव रहते है उन्हें दर्शाया गया है। और वह किस तरह से प्रकृति से प्रेरणा ले सकते है।
प्रेरणा इस कविता में क्या संदेश दिया है?उत्तर: त्रिपुरारि जी दवारा रचित 'प्रेरणा' कविता 'साँस' के सिक्के नामक त्रिवेणी-संग्रह का एक छोटा-सा अंश है। प्रस्तुत त्रिवेणियों में कवि ने माता, पिता और पुत्र के प्रेम संबंध को दर्शाने के साथ ही सुख-दुख की स्थिति में स्थिर रहने का महत्त्वपूर्ण संदेश दिया है।
इस कविता से हमें क्या सीख मिलती है?यह कविता पढ़कर हमें यह प्रेरणा मिलती है कि सभी प्राणियों को एक समान मानना चाहिए। जन्म को आधार मानकर किसी को अछूत कहना निन्दनीय अपराध हैं। किसी को निम्न जाति का मानकर मंदिर में प्रवेश न करने देना, मारपीट करना सरासर गलत है। मानव-मानव में भेद नहीं करना चाहिए।
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