क्या कचरे का निपटान केवल सरकार का ही दायित्व है? - kya kachare ka nipataan keval sarakaar ka hee daayitv hai?

हेलो स्टूडेंट आपके सामने एक पर्सन लिया है कि क्या कचरे का निपटान केवल सरकार का ही उत्तर दायित्व है आपको इस पर चर्चा करनी है कि आपसे पूछा है कि सरकार का ही उत्तरदायित्व है क्या कचरे का निपटान करना तो इसका उत्तर होगा नहीं कचरे का निपटान करना केवल सरकार का उत्तरदायित्व नहीं है कचरे का निपटान प्रत्येक नागरिक का उत्तरदायित्व है यानी प्रत्येक जो नागरिक है उसको कचरे का निपटान करना चाहिए और प्रत्येक जो नागरिक है उसका उत्तर दायित्व बनता है और इसे हम कह सकते हैं कि प्रत्येक

नागरिक है उसको किस प्रकार से कचरे का निपटान करना चाहिए तो हम कह सकते हैं कि जो व्यक्ति है उसको सार्वजनिक जो स्थान है तो सार्वजनिक स्थानों पर जैसे कूड़ा करकट होता है जिसे हम कह सकते हैं बस स्टैंड रेलवे स्टेशन पार्क इन में कूड़ा नहीं डालना चाहिए और कूड़ा जो है उसके लिए कूड़ेदान का प्रयोग करना चाहिए

क्योंकि कूड़ा इधर-उधर नहीं डालेंगे तो सब अच्छा बनी रहेगी और कूड़ेदान का जो प्रयोग है वह प्रत्येक नागरिक को करना चाहिए जिससे जो समझता है वह बनी रहती है इसी प्रकार घर तथा अस्पताल में जो कूड़े हैं उस कूड़े के निपटान में सहायता करनी चाहिए तो इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि प्रत्येक नागरिक का उत्तर दायित्व है कि वह थोड़ा नए फैलाई तथा कूड़े का उचित निपटान करें

प्रश्न 1. निम्नलिखित के उत्तर दीजिएः
1.1. लाल केंचुए किस प्रकार के कचरे को कम्पोस्ट में परिवर्तित नहीं करते?

उत्तर: ऐसा कचरा जिसमें नमक, तेल, अचार, दूध के पदार्थ, सिरका, और मॉस हों, उसे लाल केंचुए नहीं परिवर्तित करते।

1.2. क्या आपने अपने वंफपोस्ट गड्ढे में लाल केंचुओं के अतिरिक्त किसी अन्य जीव को भी देखा है? यदि हाँ, तो उनका नाम जानने का प्रयास कीजिए। उनका चित्र भी बनाइए।

उत्तर: यह प्रश्न स्वयं करें ।

“MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 16 कचरा: संग्रहण एवं निपटान” में एक प्रश्न है कि क्या कचरे का निपटान केवल सरकार का ही उत्तरदायित्व है? यह प्रश्न बेहद महत्वपूर्ण है आइये जानते है इस प्रश्न का उत्तर।

क्या कचरे का निपटान केवल सरकार का ही उत्तरदायित्व है?

बिलकुल नही, कचरे का निपटान केवल सरकार का उत्तरदायित्व नही है यह देश के नागरिको का भी उत्तरदायित्व है। केवल सरकारी योजनाओ के प्रारम्भ करने मात्र से ही कचरे का निपटारा सम्भव नही है, दोनों का समान उत्तरदायित्व है की देश को स्वच्छ रखने में सहयोग करे। अपितु दोनों को की समस्याओ का सामना करना पड़ेगा।

देश के नागरिको को कचरे के निपटारे के लिए स्वयं भी कई प्रयास करना चाहिए जैसे अपशिष्ट पदार्थों और कचरे का पुनः चक्रण करे तथा उनके लिए पुनः चक्रण केन्द्र स्थापित करने का प्रयास करे। अगर आपको अपशिष्टों के निपटाने के तरीके ज्ञात है तो उन्हें लोगो के साथ साझा करे, जैवीय तथा अजैवीय अपघटित अपशिष्टों को अलग-अलग डिब्बों में एकत्रित करना चाहिए। प्लास्टिक और पॉलीथीन थैलियों का उपयोग नही कर्मणा चाहिए। घर में जो खाना बच जाता है उसे जानवरों को खिला दे या फिर कम्पोस्ट बनाने में उपयोग कर ले। अगर हम कचरे का निपटारा नही करेंगे तो वातावरण में गंदगी फेलेगी जो कई प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकती है इसीलिए पूर्ण रूप से सर्कार पर आश्रित नही रहना चाहिए।

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आज देश-दुनिया में प्रयोग होने वाले इलैक्ट्रॉनिक गैजेट्स बेकार होने के बाद वातावरण को जहरीला बना रहे हैं, जिससे पूरे विश्व में पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी खतरा बढ़ता जा रहा है। अगर जल्द ही इससे निपटने का हल न खोजा गया तो यह समस्या पूरी दुनिया को भयानक तबाही की ओर ले जा सकती है। यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी की ओर से जारी ‘ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2020’ रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में दुनिया में 5.36 करोड़ मीट्रिक टन ई-कचरा पैदा हुआ था। अनुमान है कि साल 2030 तक वैश्विक इलैक्ट्रॉनिक कचरे में तकरीबन 38 प्रतिशत तक वृद्धि हो जाएगी। स्पष्ट है कि यह समस्या अभी और विकराल होने वाली है।

दरअसल कोई भी इलैक्ट्रॉनिक सामान, जैसे मोबाइल फोन, टी.वी., फ्रिज, कम्प्यूटर या अन्य उपकरण बेकार होने के बाद ई-कचरा कहलाते हैं। इन्हें 2 व्यापक श्रेणियों में बांटा जा सकता है- 1. सूचना प्रौद्योगिकी और संचार उपकरण, 2. विद्युत और इलैक्ट्रॉनिक्स उपकरण। दुनिया भर में इलैक्ट्रॉनिक उत्पादों की खपत के साथ-साथ इलैक्ट्रॉनिक कचरे की समस्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है। आजकल रोज नई-नई तकनीकें आ रही हैं।

पुराने इलैक्ट्रॉनिक उत्पादों को फैंक कर नए अपनाने की प्रक्रिया का रुझान बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा इन इलैक्ट्रॉनिक सामानों का जीवनकाल भी ज्यादा लंबा नहीं होता, ये जल्द ही बेकार हो जाते हैं और इस तरह ई-कचरा बढ़ता जाता है। इन उत्पादों की मुरम्मत और रीसाइक्लिंग में आने वाला खर्च काफी ज्यादा होता है। इसीलिए लोग इन्हें ठीक कराने की बजाय बदल कर दूसरा लेना ज्यादा पसंद करते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक साल 2019 में यदि उत्पादित कुल इलैक्ट्रॉनिक कचरे को रीसाइकिल कर लिया गया होता तो करीब 4,25,833 करोड़ रुपए का फायदा होता। यह आंकड़ा दुनिया के कई देशों की जी.डी.पी. से भी ज्यादा है।

इलैक्ट्रॉनिक क्रांति ने विभिन्न आविष्कारों के माध्यम से संचार तंत्र को विकसित किया एवं हमारे जीवन को सुख-सुविधाओं से भर दिया है। इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण ने मानव सभ्यता को नया आयाम दिया है, साथ ही इससे व्यावसायिक क्षेत्र में रोजगार के अनेकों अवसर पैदा हुए हैं। लेकिन इससे पैदा होने वाला ई-कचरा हमारे पर्यावरण और हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाल रहा है। दरअसल ई-कचरे में भारी धातुएं एवं अन्य प्रदूषित पदार्थ जैसे-पारा, कैडमियम और क्रोमियम आदि कई विषैले घटक शामिल होते हैं, जिनका सुरक्षित निस्तारण नहीं हो पाता और ये मिट्टी और भूजल को दूषित कर देते हैं।

इलैक्ट्रॉनिक सामानों के अधिकतर अवयवों में बायोडिग्रेडेबल होने की विशेषता नहीं होती और न ही इनमें मिट्टी में घुल जाने का गुण पाया जाता है। ये कई रासायनिक तत्वों व यौगिकों से मिल कर बने होते हैं। उदाहरण के लिए, एक सैल्युलर फोन में 40 से अधिक तत्व विद्यमान हो सकते हैं। ई-कचरे में मुख्य रूप से लोहा, जस्ता, एल्यूमीनियम, सीसा, टिन, चांदी, सोना, आर्सेनिक, गिल्ट, क्रोमियम, कैडमियम, पारा, इण्डियम, सैलिनियम, वैनेडियम, रूथेनियम जैसी धातुएं मिली होती हैं।

भारत में ई-कचरे के निपटान के लिए 16 कंपनियां हैं, जिनकी कुल निपटान क्षमता 66,000 मीट्रिक टन है, किंतु इन कम्पनियों द्वारा देश में विद्यमान कुल कचरे का केवल 10 फीसदी ही निपटान हो पाता है। एक शोध के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2025 तक 1000 मिलियन से भी अधिक कम्प्यूटरों की रीसाइक्लिंग की व्यवस्था की जरूरत होगी तथा एक दशक में भारत में 130 मिलियन डैस्कटॉप कम्प्यूटर और 900 मिलियन लैपटॉप ई-कचरे में रूपांतरित हो जाएंगे, जिसका निपटान करना आसान नहीं होगा। हमारे देश में कम्प्यूटर जनित ई-कचरा कुल ई-कचरे का लगभग 33 प्रतिशत है। इसकी रीसाइक्लिंग उचित दिशा-निर्देशों के अंतर्गत ही की जानी चाहिए। किंतु प्राय: असंगठित क्षेत्र की कंपनियां ई-कचरे के निपटारे के दौरान प्रोटोकाल का सही रूप से पालन नहीं करतीं।

केवल दिल्ली में ही हर साल 2 लाख टन ई-कचरा पैदा होता है। इसका निपटारा वैज्ञानिक और सुरक्षित तरीके से नहीं किया जाता, जिससे आग लगने जैसी कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। इसीलिए अब दिल्ली सरकार ने दिल्ली में भारत का पहला इलैक्ट्रॉनिक-वेस्ट ईको-फ्रैंडली पार्क स्थापित करने का फैसला लिया है, जिसमें कचरे का निस्तारण, पुनर्चक्रण और पुन: निर्माण सुरक्षित और वैज्ञानिक तरीके से किया जाएगा। इस पार्क को 20 एकड़ में बनाया जा रहा है। इसमें बैटरी, इलैक्ट्रॉनिक सामान, लैपटॉप, चार्जर, मोबाइल और पी.सी. के लिए द्वितीयक उत्पाद बिक्री बाजार भी बनाया जाएगा। ई-कचरे को चैनलाइज करने के लिए 12 जोन में कलैक्शन सैंटर बनाए जाएंगे। इस इलैक्ट्रॉनिक कचरे को एकत्र करने का काम कर रहे लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा और इस कार्य के लिए उचित उपकरण मुहैया कराए जाएंगे।

वैसे भारत में साल 2011 से ही इलैक्ट्रॉनिक कचरे के प्रबंधन से जुड़े नियम मौजूद हैं तथा 2016 से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा ई-कचरा प्रबंधन नियम भी लागू किए गए थे। इन नियमों के तहत पहली बार इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माताओं को विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी के दायरे में लाया गया तथा नियमों के उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान भी किया गया। लेकिन ई-वेस्ट कलैक्शन से संबंधित डाटा बताता है कि निर्माता अपने दायित्व का निर्वाह ठीक से नहीं कर रहे। इसलिए इन कानूनों को और अधिक कड़ा बनाने की जरूरत है, ताकि बेकार हुए इलैक्ट्रॉनिक उपकरण कम्पनियां लेने को बाध्य हों। साथ ही सरकार व उपभोक्ताओं को जागरूक होना होगा, तभी भविष्य में ई-कचरे की समस्या से छुटकारा मिल सकेगा।

साल 2019 में वैश्विक स्तर पर केवल 17.4 फीसदी ई-वेस्ट को एकत्र और रीसाइकल किया गया था, जबकि 82.6 फीसदी हिस्सा यूं ही बर्बाद चला गया। इस कचरे में मौजूद सोना, चांदी, तांबा, प्लैटिनम और अन्य कीमती सामग्री की कुल कीमत करीब 4,13,277 करोड़ रुपए (5700 करोड़ डॉलर) थी, जो कई देशों की जी.डी.पी. से भी ज्यादा है। बर्बाद हुए ई-कचरे का अगर ठीक से नियंत्रण और प्रबंधन किया जाए तो यह आर्थिक विकास में काफी मददगार साबित हो सकता है।-रंजना मिश्रा 

क्या कचरे का निपटान केवल सरकार का ही उत्तरदायित्व है ख क्या कचरे के निपटान से संबंधित समस्याओं को कम करना संभव है?

2.1 क्या कचरे का निपटान केवल सरकार का ही उत्तरदायित्व है? उत्तर: जी नहीं। यह प्रत्येक नागरिक और श्रेत्र के निवासी की जिम्मेदारी है कि अपने रहने के स्थान के आस पास सफाई सुनिश्चित करें ।

क क्या कचरे का निपटान केवल सरकार का ही उत्तरदायित्व है?

उत्तर: नहीं, कचरे का निपटान केवल सरकार का ही उत्तरदायित्व नहीं है। कचरा निपटान की जिम्मेदारी देश के प्रत्येक नागरिक तथा सरकार दोनों की ही है।

हमें कचरा इधर उधर क्यों नहीं करना चाहिए?

अक्सर कौए और बिल्लियां ही कचरे को इधर-उधर फैलाते रहते हैं । हम कुछ क्यों करें? क्योंकि उसमें में सड़ांध और बदबू आती है। क्योंकि कचरा देखने में खराब लगता है ।

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