लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है वर्णन कीजिए? - lokatantr mein satta kee saajhedaaree kyon jarooree hai varnan keejie?

Solution : (i) टकराव को रोकने के लिए- सत्ता की साझेदारी जरूरी इसलिए है क्योंकि इससे सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है। चूंकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनैतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है। बहुसंख्यक समुदाय की इच्छा को बाकी सभी पर थोपना तात्कालिक तौर पर लाभकारी लग सकता है पर आगे चलकर यह देश की अखंडता के लिए घातक हो सकता है। बहुसंख्यकों का आतंक सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए ही परेशानी पैदा नहीं करता, अक्सर यह बहुसंख्यकों के लिए भी बर्बादी का कारण बन जाता है। <br> (ii) लोकतंत्र की आत्मा- सत्ता की साझेदारी वास्तव में लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का अर्थ ही होता है कि जो लोग इस शासन-व्यवस्था के अंतर्गत है, उनके बीच सत्ता को बाँटा जाए और ये लोग इसी ढरें से रहें। इसलिए वैध सरकार वही है जिसमें अपनी भागीदारी के माध्यम से सभी समूह शासन व्यवस्था से जुड़ते हैं।


अध्याय : 1. सत्ता की साझेदारी

सत्ता की साझेदारी क्यों आवश्यक है

तुलना : बेल्जियम के नेताओं ने समझा कि सत्ता में साझेदारी में आपसी समझौते से देश में एकता बनी रहेगी। परन्तु श्रीलंका में बहुसंख्यक समुदाय दूसरों पर प्रभुत्व कायम करना चाहता था, जिससे कि देश की एकता पर संकट आया। सत्ता की साझेदारी अच्छी है क्योंकि :
1. विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है।
2. राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है।
3. सत्ता की साझेदारी लोकतंत्रा की आत्मा है। लोकतंत्रा का मतलब होता है कि जो लोग इस शासन व्यवस्था के अंतर्गत उनके बीच सत्ता को बाँटा जाए।
4. एक को हम युक्तिपरक कहते हैं यह लाभकारी परिणामों पर जोर देता है।
5. नैतिक तर्क सत्ता के बँटवारे के अंतर्भूत महत्त्व को बताता है।


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बेल्जियम में देश की कुल आबादी का 59 प्रतिशत हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता है और डच बोलता है। चालीस प्रतिशत लोग वेलोनिया क्षेत्र में रहते है और फ्रेंच बोलते है। श्रीलंका में सिंहलियों की संख्या कुल जनसंख्या का 74 प्रतिशत है।श्रीलंका में 1956 में एक कानून द्वारा सिहंली को राजभाषा घोषित कर दिया। सन् 1948 में श्रीलंका स्वतन्त्र राष्ट्र बना तथा सिहंली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना चाहा। सन् 1956 में कानून बनाकर सिंहली को एक मात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया। बेल्जियम ने समझदारी का परिचय दिया और अपने संविधान में संशोधन करके ऐसा प्रावधान किया कि किसी को बेगानेपन का अहसास न हो।बेल्जियम मॉडल को आदर्श मानते हुए यूरोपीय देशों ने यूरोपीय संघ का मुख्यालय ब्रूसेल्स को बनाया। चलिए पढ़ते हैं Satta Ki Sajhedari Class 10 के बारे में विस्तार से।

लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है वर्णन कीजिए? - lokatantr mein satta kee saajhedaaree kyon jarooree hai varnan keejie?

लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है वर्णन कीजिए? - lokatantr mein satta kee saajhedaaree kyon jarooree hai varnan keejie?

टेक्स्ट बुक NCERT
पुस्तक कक्षा 10
विषय लोकतांत्रिक राजनीति
पाठ पाठ 1
पाठ का नाम सत्ता की साझेदारी
मीडियम हिंदी

This Blog Includes:
  1. सत्ता की साझेदारी
  2. भारत में सत्ता की साझेदारी
  3. सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता
  4. सत्ता की साझेदारी के रूप
  5. विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा
  6. विभिन्न प्रकार के दबाव समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा
  7. सत्ता की साझेदारी के लाभ
  8. प्रश्न-उत्तर
  9. MCQs
  10. FAQs

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सत्ता की साझेदारी

सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में नागरिकों के पास इस बात का अधिकार रहता है कि शासन के तरीकों के बारे में उनसे सलाह ली जाये।

भारत में सत्ता की साझेदारी

हमारे देश में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है। इसलिए भारत के नागरिक प्रत्यक्ष मताधिकार का प्रयोग करके अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं। उसके बाद चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा एक सरकार का चुनाव किया जाता है। फिर चुनी हुई सरकार अपने विभिन्न कर्तव्यों का पालन करती है, जैसे रोजमर्रा का शासन चलाना, नये नियम बनाना, पुराने नियमों का संशोधन करना, आदि।

लोकतंत्र में जनता ही हर तरह की राजनैतिक शक्ति का स्रोत होती है। यह लोकतंत्र का एक मूलभूत सिद्धांत है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में लोग स्वराज की संस्थाओं द्वारा अपने आप पर शासन करते हैं। ऐसी व्यवस्था में समाज के विभिन्न समूहों और मतों को उचित सम्मान मिलता है। जन नीतियों का निर्माण करते समय हर नागरिक की आवाज सुनी जाती है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि राजनैतिक सत्ता का बँटवारा संभवत: अधिक से अधिक नागरिकों के बीच हो।

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सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता

  • समाज में सौहार्द्र और शांति बनाये रखने के लिये
  • बहुसंख्यक के आतंक से बचने के लिये
  • लोकतंत्र की आत्मा का सम्मान रखने के लिये

ऊपर दिये गये पहले दो कारण हैं, समझदारी भरे कारण, और अंतिम कारण है सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण।

सत्ता की साझेदारी के रूप

शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा: सत्ता के विभिन्न अंग हैं; विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। इन अंगों के बीच सत्ता के बँटवारे से ये अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं। इस तरह के बँटवारे को सत्ता का क्षैतिज बँटवारा कहते हैं। इस तरह के बँटवारे से यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी एक अंग के पास असीमित शक्ति नहीं रहती है। इससे विभिन्न संस्थानों के बीच शक्ति का संतुलन बना रहता है।

सत्ता के उपयोग का अधिकार कार्यपालिका के पास होता है, लेकिन कार्यपालिका संसद के अधीन होती है। संसद के पास कानून बनाने का अधिकार होता है, लेकिन संसद को जनता को जवाब देना होता है। न्यायपालिका स्वतंत्र रहती है। न्यायपालिका यह देखती है कि विधायिका और कार्यपालिका द्वारा सभी नियमों का सही ढ़ंग से पालन हो रहा है।

विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा

 भारत एक विशाल देश है। इतने बड़े देश में सरकार चलाने के लिए सत्ता की विकेंद्रीकरण जरूरी हो जाता है। हमारे देश में सरकार के दो मुख्य स्तर होते हैं: केंद्र सरकार और राज्य सरकार। पूरे राष्ट्र की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर होती है, तथा गणराज्य की विभिन्न इकाइयों की जिम्मेदारी राज्य सरकारें लेती हैं। दोनों के अधिकार क्षेत्र में अलग अलग विषय होते हैं। कुछ विषय साझा लिस्ट में रहते हैं।

सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा: हमारे देश में विविधता भरी पड़ी है। इस देश में अनगिनत सामाजिक, भाषाई, धार्मिक और जातीय समूह हैं। इन विविध समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा जरूरी हो जाता है। इस प्रकार के बँटवारे का एक उदाहरण है, समाज के पिछ्ड़े वर्ग के लोगों को मिलने वाला आरक्षण। इस प्रकार के आरक्षण से पिछ्ड़े वर्ग का सरकार में सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाता है।

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विभिन्न प्रकार के दबाव समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा

राजनैतिक पार्टियों के बीच सत्ता का बँटवारा: सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी या सबसे बड़े राजनैतिक गठबंधन को सरकार बनाने का मौका मिलता है। इसके बाद जो पार्टियाँ बच जाती हैं, उनसे विपक्ष बनता है। विपक्ष की जिम्मेदारी होती है यह सुनिश्चित करना कि सत्ताधारी पार्टी लोगों की इच्छा के अनुरूप काम करे। इसके अलावा कई तरह की कमेटियाँ बनती हैं जिनके अध्यक्ष और सदस्य अलग-अलग पार्टियों से होते हैं।

दबाव समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा: एसोचैम, छात्र संगठन, मजदूर यूनियन, आदि विभिन्न प्रकार के दबाव समूह हैं। इन संगठनों के प्रतिनिधि कई नीति निर्धारक अंगों का हिस्सा बनते हैं। इससे इन दबाव समूहों को सत्ता में साझेदारी मिलती है।

सत्ता की साझेदारी के लाभ

सत्ता की साझेदारी के लाभ नीचे दिए गए हैं-

  • सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र का मूल मंत्र है जिसके बिना प्रजातंत्र की कल्पना ही नहीं किया जा सकती है। 
  • जब देश सभी लोगो को देश की प्रशासनिक व्यवस्था में भागीदारी बनाया जाता है तो देश और भी मजबूत होता है। 
  • जब बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों के हितों को ध्यान में रखा जाता है और उनकी भावनाओं का आदर किया जाता है तो किसी भी प्रकार के संघर्ष की संभावना समाप्त हो जाती है तथा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है।
  • सत्ता की साझेदारी अपना के विभिन्न समूहों के बीच आपसी टकराव तथा गृहयुद्ध की संभावना को समाप्त किया जा सकता है।

प्रश्न-उत्तर

आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग अलग तरीके क्या हैं? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें।

उत्तर: आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के निम्न तरीके हैं”
सरकार विभिन्न अंगों के बीच सत्ता की साझेदारी: उदाहरण: विधायिका और कार्यपालिका के बीच सत्ता की साझेदारी।सरकार के विभिन्न स्तरों में सत्ता की साझेदारी: उदाहरण: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता की साझेदारी। सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी: उदाहरण: सरकारी नौकरियों में पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण। दबाव समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी: नये श्रम कानून के निर्माण के समय ट्रेड यूनियन के रिप्रेजेंटेटिव से सलाह लेना।

भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताएँ।

उत्तर: युक्तिपरक कारण: सत्ता की साझेदारी से विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव कम करने में मदद मिलती है। इसलिये सामाजिक सौहार्द्र और शांति बनाए रखने के लिए सत्ता की साझेदारी जरूरी है। नैतिक कारण: लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण रखना।

इस अध्याय को पढ़ने के बाद तीन छात्रों ने अलग अलग निष्कर्ष निकाले। आप इनमें से किससे सहमत हैं और क्यों? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में दें
थम्मन: जिन समाजों में क्षेत्रीय, भाषायी और जातीय आधार पर विभाजन हो सिर्फ वहाँ सत्ता की साझेदारी जरूरी है।
मथाई: सत्ता की साझेदारी सिर्फ ऐसे बड़े देशों के लिए उपयुक्त है जहाँ क्षेत्रीय विभाजन मौजूद होते हैं।
औसेफ: हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है भली ही वह छोटा हो या उसमें सामाजिक विभाजन न हों।

उत्तर: मैं औसेफ से सहमत हूँ। हम जानते हैं कि लोकतंत्र की मूल भावना है लोगों के हाथ में सत्ता देना। सत्ता की साझेदारी करके हम लोकतंत्र की मूल भावना का सम्मान करते हैं। यदि सत्ता की साझेदारी नहीं होती है तो सत्ता कुछ चुनिंदा हाथों तक ही सीमित रह जाती है। ऐसी स्थिति से तानाशाही का जन्म होता है जिससे लोकतंत्र की हत्या हो जाती है।

बेल्जियम में ब्रूसेल्स के निकट स्थित शहर मर्चटेम के मेयर ने अपने यहाँ के स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर लगी रोक को सही बताया है। उन्होंने कहा कि इससे डच भाषा न बोलने वाले लोगों को इस फ्लेमिश शहर के लोगों से जुड़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि यह फैसला बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी व्यवस्था की मूल भावना से मेल खाता है? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में लिखें।

उत्तर: बेल्जियम में सत्ता की साझेदारी के तहत डच भाषी और डच भाषा न बोलने वालों को बराबर की हिस्सेदारी दी गई है। ब्रूसेल्स की सरकार में फ्रेंच भाषी और डच भाषी लोगों में सत्ता का बराबर बँटवारा है। इससे पता चलता है कि दोनों समूहों में एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना है। इसलिये फ्रेंच भाषा वाले स्कूलों पर बैन लगाकर गलत किया है।

नीचे दिए गए उद्धरण को गौर से पढ़ें और इसमें सत्ता की साझेदारी के जो युक्तिपकर कारण बताए गए हैं उसमें से किसी एक का चुनाव करें।
“महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने और अपने संविधान निर्माताओं की उम्मीदों को पूरा करने के लिए हमें पंचायतों को अधिकार देने की जरूरत है। पंचायती राज ही वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करता है। यह सत्ता उन लोगों के हाथों में सौंपता है जिनके हाथों में इसे होना चाहिए। भ्रष्टाचार कम करने और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है। जब विकास की योजनाओं को बनाने और लागू करने में लोगों की भागीदारी होगी तो इन योजनाओं पर उनका नियंत्रण बढ़ेगा। इससे भ्रष्ट बिचौलियों को खत्म किया जा सकेगा। इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्र की नींव को मजबूत करेगा।“

उत्तर: इस उद्धरण में सरकार के विभिन्न स्तरों पर सत्ता की साझेदारी की बात की गई है जो सत्ता की साझेदारी का एक युक्तिपरक कारण है।

सत्ता के बँटवारे के पक्ष और विपक्ष में कई तरह के तर्क दिए जाते हैं। इनमें से जो तर्क सत्ता के बँटवारे के पक्ष में हैं उनकी पहचान करें और नीचे दिए गए कोड से अपने उत्तर का चुनाव करें।
विभिन्न समुदायों के बीच टकराव को कम करती है।
पक्षपात का अंदेशा कम करती है।
निर्णय लेने की प्रक्रिया को अटका देती है।
विविधताओं को अपने में समेट लेती है।
अस्थिरता और आपसी फूट को बढ़ाती है।
सत्ता में लोगों की भागीदारी बढ़ाती है।
देश की एकता को कमजोर करती है।

उत्तर: a, b, d, f

बेल्जियम और श्रीलंका की सत्ता में साझेदारी की व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित बयानों पर विचार करें:

बेल्जियम में डच भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया।
सरकार की नीतियों ने सिंहली भाषी बहुसंख्यकों का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया।
अपनी संस्कृति और भाषा को बचाने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसर के लिए श्रीलंका के तमिलों ने सत्ता को संघीय ढ़ाँचे पर बाँटने की माँग की। बेल्जियम में एकात्मक सरकार की जगह संघीय शासन व्यवस्था लाकर मुल्क को भाषा के आधार पर टूटने से बचा लिया गया।
ऊपर दिए गए बयानों में से कौन से सही हैं?
उत्तर: b, c और d

सत्ता की साझेदारी के बारे में निम्नलिखित दो बयानों पर गौर करें और नीचे दिए प्रश्न का जवाब दे:
सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए लाभकर है।
इससे सामाजिक समूहों में टकराव का अंदेशा घटता है।
इन बयानों में कौन सही है और कौन गलत?

उत्तर: दोनों बयान सही हैं।

सामाजिक विभाजन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- विविधता विकासशील समाजों की विशेषता है। एक देश या क्षेत्र में निवास करने वाले जाति, धर्म, सम्प्रदाय के लोगों के बीच, जो विभिन्नताएँ होती हैं, वे सामाजिक विभेद कहलाती है। परन्तु धन, रंग, क्षेत्र का विभेद सामाजिक विभाजन का रूप लेता है। भारत में सवर्ण और दलित, गोरे-काले या गरीब-अमीर का विभेद सामाजिक विभेद है।

सांप्रदायिकता क्या है?

उत्तर- जब समाज में एक धर्म के लोग दूसरे धर्म को छोटा एवं अपने धर्म को सर्वोच्च समझने लगते हैं तो समाज में धार्मिक आधार पर बिलगाव उत्पन्न होती है। इसी अवधारणा को सांप्रदायिकता कहते हैं। यह किसी भी लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

साम्प्रदायिक सद्भाव को प्रोत्साहित करने के लिए आप क्या करेंगे?

उत्तर- भारत में विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं। राजनीतिक व आर्थिक स्वार्थों की पूर्ति के कारण सांप्रदायिक सद्भाव के स्थान पर सांप्रदायिक संघर्ष का जन्म होता है। सांप्रदायिक सद्भाव के लिए शिक्षा व जागरूकता का विकास, विभिन्न धर्मों के लोगों में आपसी समझ का विकास तथा धर्म के राजनीतिक उपयोग पर रोक लगाना आवश्यक है।

संघीय व्यवस्था राष्ट्रीय एकता के संवर्द्धन में सहायक है। कैसे?

उत्तर- भारत में संघीय शासन व्यवस्था की स्थापना की गई है। संविधान की रचना करते समय हमारे राष्ट्रीय नेता देश की एकता के प्रति चिंतित थे। हमारी ऐतिहासिक और भौगोलिक परिस्थितियों ने हमें संघीय व्यवस्था अपनाने के लिए बाध्य किया। यदि आजादी के प्रारंभ से ही हमारी संघीय व्यवस्था की नींव कमजोर होती तो राष्ट्रीय एकता खतरे में पड़ जाती। उस समय देश-विभाजन के कारण जातीयता, धार्मिक एवं साम्प्रदायिक उन्माद एवं क्षेत्रीय भावना चरम पर थी। स्वत: ऐसी विकट परिस्थितियों में मजबूत संघीय व्यवस्था की स्थापना कर ही साम्प्रदायिक सद्भाव कायम रखा जा सकता था ताकि देश की एकता एवं अखंडता अक्षुण्ण रह सके। इसलिए केंद्र को शक्तिशाली बनाया गया।

सामाजिक विभेद किस प्रकार सामाजिक विभाजन के लिए उत्तरदायी है?

उत्तर- वास्तव में सामाजिक विभेद सामाजिक विभाजन, और सामाजिक संघर्ष के लिए मूल रूप से उत्तरदायी होता है। प्रत्येक समाज में विभिन्न जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र के लोग निवास करते हैं। सामाजिक विभेद का मूल कारण जन्म को माना जाता । विविधता अच्छी चीज है, परंतु यह राष्ट्र के लिए घातक भी है। धर्म, क्षेत्र, भाषा, सप्रदाय आदि के नाम पर आपस में उलझना राष्ट्र को कमजोर बनाना और सामाजिक विभाजन के खतरे बढ़ जाते हैं। अतः सामाजिक विभेद को मिटाकर ही सामाजिक विभाजन को रोका जा सकता है।

सामाजिक विभेद और सामाजिक विभाजन में अंतर बताएँ?

उत्तर- विविधता विकासशील समाजों की विशेषता है। एक देश या क्षेत्र में निवास करने वाले जाति, धर्म, सम्प्रदाय के लोगों के बीच, जो विभिन्नता को वे सामाजिक विभेद कहलाती है। परन्तु धन, रंग, क्षेत्र का विभेद सामाजिक विभाजन का रूप ले लेता है। भारत में सवर्ण और दलित, गोरे-काले या गरीब-अमीर का विभेद सामाजिक विभेद है।

वंशवाद से क्या समझते हैं ?

उत्तर- भारत के सभी राजनीतिक दलों में नेतृत्व का संकट है। अधिकांश राजनीतिक दलों में कोई ऐसा नेता नहीं है, जो सर्वमान्य हो। प्रायः सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को यह देखा गया है कि शीर्ष पर बैठे नेता अपने संगे-संबंधियों. दोस्तों और रिश्तेदारों को दल के प्रमुख पदों पर बैठाते हैं और यह सिलसिला पीढ़ी दर पीढ़ी कायम रहता है। वंशवाद की समाप्ति राजनीतिक दलों के सामने प्रमुख चुनौती है।

प्रश्न : निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए

लिस्ट 1 लिस्ट 2
1. सरकार के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा a) सामुदायिक सरकार
2. विभिन्न स्तर की सरकारों के बीच अधिकारों का बँटवारा b) अधिकारों का वितरण
3. विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी c) गठबंधन सरकार
4. दो या अधिक दलों के बीच सत्ता की साझेदारी d) संघीय सरकार

उत्तर: 1 – b, 2 – d, 3 – a, 4 – c

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MCQs

1. भारत में कहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है?
(क) लोकसभा
(ख) विधानसभा 
(ग) मंत्रिमंडल
(घ) पंचायती राज संस्थाएँ

उत्तर-(घ)

2. वित्तीय राजधानी के रूप में जानी जाती है-
(क) बैंगलूरु
(ख) नई दिल्ली
(ग) मुंबई
(घ) पटना

उत्तर-(ग)

3. निम्नलिखित में कौन केन्द्र शासित प्रदेश है?
(क) छत्तीसगढ़
(ख) उत्तराखंड
(ग) चण्डीगढ़
(घ) केरल

उत्तर-(ग)

4. निम्नलिखित व्यक्तियों में कौन लोकतंत्र में रंगभेद के विरोधी नहीं थे?
(क) किंग मार्टिन लूथर
(ख) महात्मा गाँधी
(ग) ओलंपिक धावक टोमी स्मिथ एवं जॉन कॉलेंस
(घ) जेड० गुडी

उत्तर-(घ)

5. भारत में किस तरह के लोकतंत्र की व्यवस्था की गई है? 
(क) प्रत्यक्ष
(ख) अप्रत्यक्ष
(ग) प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष 
(घ) सभी गलत हैं।

उत्तर-(ख)

6. भारत में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है?
(क) प्रधानमंत्री
(ख) राष्ट्रपति
(ग) संसद
(घ) कोई नहीं

उत्तर-(ख)

7. दलित और महादलित की एक नई पहचान बना है-
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) राजस्थान
(ग) बिहार
(घ) हरियाणा

उत्तर-(ग)

8. भारत में सामाजिक विभाजन है-
(क) जटिल
(ख) सरल
(ग) न सरल, न जटिल
(घ) उपर्युक्त सभी

उत्तर-(क)

9. लोकतंत्र एक शासन व्यवस्था है-
(क) लोगों का
(ख) लोगों के द्वारा
(ग) लोगों के लिए
(घ) उपर्युक्त सभी

उत्तर-(घ)

10. मुम्बई में उत्तर भारतीय हिन्दी भाषी लोग जाने जाते हैं-
(क) गरीब भैया
(ख) बिहारी भैया
(ग) बिहारी बाबू
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर-(क)

11. ‘लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है’ यह कथन किसका है?
(क) अरस्तू का 
(ख) अब्राहम लिंकन का
(ग) रूसो का
(घ) महात्मा गाँधी का

उत्तर-(ख)

12. संघ सरकार का उदाहरण है-
(क) अमेरिका
(ख) चीन
(ग) ब्रिटेन
(घ) इन में से कोई नही

उत्तर (क)

13. 2011 की जनगणना अनुसार, भारत में कितने प्रतिशत साक्षर हैं?
(क) 62.6 प्रतिशत
(ख) 63.6 प्रतिशत
(ग) 64.6 प्रतिशत
(घ) 65.6 प्रतिशत

उत्तर-(ग)

14. 18 वर्ष की आयु पर स्विट्जरलैंड में महिलाओं को मताधिकार कब प्रदान किया गया?
(क) 1970 ई. में
(ख) 1971 ई. में
(ग) 1973 ई. में
(घ) 1974 ई. में

उत्तर-(ख)

15. सांप्रदायिक राजनीति किस पर आधारित है?
(क) एक धर्म दूसरे से श्रेष्ठ है।
(ख) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी
(ग)  एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(घ) किसी धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम रखने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जाता है।

उत्तर-(ग)

16. किस देश को सामाजिक विभेद के कारण विखण्डन का सामना करना पड़ा?
(क) यूगोस्लोवाकिया को 
(ख) भारत को
(ग) बेल्जियम को
(घ) श्रीलंका को

उत्तर-(क)

17. निम्नलिखित में भारत के लिए का यहाँ धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत है। सा कथन सही है?
(क) यहाँ धर्मनिपेक्षता का सिद्धन्त है
(ख) यहाँ धर्म की प्रधानता है।
(ग) यहाँ धार्मिक सौहार्द्र का प्रभाव है।
(घ) यहाँ धार्मिक स्वतंत्रता का अभाव है।

उत्तर-(क)

18. भारत में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियर कुब बना?
(क) 1960 ई. में
(ख) 1970 ई. में
(ग) 1980 ई. में
(घ) 1990 ई. में

उत्तर-(घ)

19. धर्म को समृदाय का मुख्य आधार माननेवाला व्यक्ति क्या कहलाता है?
(क) धर्मनिरपेक्ष
(ख) सांप्रदायिक
(ग) जातिवादी
(घ) आदर्शवादी

उत्तर-(ख)

20. किस देश में तमिलों की समस्या हाल तक बनी हुई थी?
(क) श्रीलंका में
(ख) भारत में
(ग) भूटान में
(घ) पाकिस्तान में

उत्तर-(क)

21. बेल्जियम देश किस महाद्वीप में है ?

A- एशिया 
B- यूरोप 
C- अफ्रीका 
D- ऑस्ट्रेलिया

उत्तर: B

22. बेल्जियम की सीमा किन किन देशों से लगती है ?

A- फ्रांस 
B- नीदरलैंड 
C- जर्मनी और लक्जमबर्ग
D- उपरोक्त सभी 

उत्तर- D

23. बेल्जियम की राजधानी क्या है ?

A- वियना
B- ब्रुसेल्स
C- पेरिस
D- बर्लिन

उत्तर- B

24. श्रीलंका में किनकी जनसंख्या अधिक है ?

A- तमिल 
B- ईसाई
C- सिंहली
D- इनमे से कोई नहीं

उत्तर- C

25. श्रीलंका कब आजाद हुआ ?

A- 1946
B- 1947
C- 1948
D- 1949

उत्तर- C

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लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है वर्णन कीजिए? - lokatantr mein satta kee saajhedaaree kyon jarooree hai varnan keejie?

लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है वर्णन कीजिए? - lokatantr mein satta kee saajhedaaree kyon jarooree hai varnan keejie?

FAQs

सत्ता की साझेदारी कक्षा 10 में कितने देशों के बारे में बताया गया है?

सत्ता की साझेदारी कक्षा 10 में 2 देशों के बारे में बताया गया है।

सत्ता की साझेदारी कक्षा 10 में बताए गए देशों के नाम बताएं?

बेल्जियम और श्रीलंका।

श्रीलंका में सिंहलियों की संख्या कुल जनसंख्या का कितना प्रतिशत है?

श्रीलंका में सिंहलियों की संख्या कुल जनसंख्या 74 प्रतिशत है।

दो या अधिक दलों के बीच सत्ता की साझेदारी क्या कहलाती है?

दो या अधिक दलों के बीच सत्ता की साझेदारी को सत्ता का क्षैतिज बंटवारा कहते हैं।

कौन सा देश सत्ता में भागीदारी का सिस्टम प्रतिमान है?

श्रीलंका सत्ता में भागीदारी का सिस्टम प्रतिमान है।

लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी?

सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है।

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लोकतंत्र में साझेदारी क्यों आवश्यक है?

Solution : (i) टकराव को रोकने के लिए- सत्ता की साझेदारी जरूरी इसलिए है क्योंकि इससे सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है। चूंकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनैतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है।

लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी से आप क्या समझते हैं?

सत्ता की साझेदारी से तात्पर्य ऐसी शासन व्यवस्था से हैं, जिसमें कि समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। तथा सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूल मंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में राष्ट्र का प्रत्येक व्यक्ति की हिस्सेदारी होती हैं, जो भागीदारी के द्वारा ही संभव हो पाता है।

सत्ता की साझेदारी का क्या मतलब है?

सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है।

सत्ता की साझेदारी का क्या लाभ है?

जब बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों के हितों को ध्यान में रखा जाता है और उनकी भावनाओं का आदर किया जाता है तो किसी भी प्रकार के संघर्ष की भावना समाप्त हो जाती है तथा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है। सत्ता की साझेदारी अपनाकर विभिन्न समूह के बीच आपसी टकराव तथा गृह युद्ध की संभावना को समाप्त किया जा सकता है।