लेखक क्यों कहता है को फादर को जहरबाद से नहीं मरना चाहिए? - lekhak kyon kahata hai ko phaadar ko jaharabaad se nahin marana chaahie?

NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 13 मानवीय करुणा की दिव्या चमक के अंतर्गत आने वाले हर प्रकार के महत्वपूर्ण सवालों का जवाब इस ब्लॉग पोस्ट में आप सभी विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए मिलेगा, क्योंकि इस ब्लॉग को तैयार किया है, ज्ञान मंच आर बी के विशिष्ट शिक्षकों के द्वारा विद्यार्थी समझ में आने लायक सरल भाषा में सभी प्रश्नों का जिक्र किया गया है, अगर विद्यार्थी पूरा अध्ययन कर ले तो उन्हें याद करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी और आने वाले वार्षिक परीक्षा में अच्छा अंक लाने में काफी मदद मिलेगी तो चलिए शुरू करते हैं।

  • पाठ 13-मानवीय करुणा की दिव्य चमक महत्वपूर्ण सवालों का हल 
        • (2.) फादर की मृत्यु किससे हुई थी? लेखक को यह बुरा क्यों लगा? 
        • (3.) फादर की व्यक्तित्व के बारे में क्या बताया गया है ? 
        • (5.) लेखक के साथ फादर का व्यवहार कैसा रहता था?
        • (6.) जहरबाद किस रोग को कहते है? 
        • (8.) फादर को याद करना कैसा है और क्यों ? 
        • (10.) फादर किस प्रकार आत्मीयता दर्शाते थे ? 
      • पाठ 13-मानवीय करुणा की दिव्य चमक नसरत सलूशन 
        • (12.) लेखक के जीवन में फादर का स्थान सर्वोपरि था। सिद्ध करें।
        • (14.) परिमल’ में क्या होता था ?
        • (17.) फादर बुल्के पारिवारिक बंधु जैसे थे- सिद्ध करें। 
        • (20.) फादर बुल्के और लेखक के बीच कैसे सम्बन्ध थे? 
    • More Resources for Ncert Class 10:-

पाठ 13-मानवीय करुणा की दिव्य चमक महत्वपूर्ण सवालों का हल 

पाठ 13-मानवीय करुणा की दिव्य चमक अभ्यास प्रश्न के उत्तर 

पाठ 13-मानवीय करुणा की दिव्य चमक कवि परिचय 

( 1.) पाठ तथा उसके लेखक का नाम लिखें। 

उत्तर-पाठ का नाम- मानवीय करुणा की दिव्य चमक 

लेखक का नाम- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना। 

(2.) फादर की मृत्यु किससे हुई थी? लेखक को यह बुरा क्यों लगा? 

उत्तर-फादर की मृत्यु जहरबाद अर्थात् ग्रैंग्रीन नामक रोग से हुई। उनका एक फोड़ा पक गया था और जहर शरीर में फैल गया था। इसी से उनकी मृत्यु हो गई। लेखक को यह बुरा इसलिए लगा क्योंकि फादर जीवन भर दूसरों के लिए मिठास भरा अमृत बाँटते रहे थे और भगवान ने उन्हीं के लिए जहर का विधान कर दिया।

(3.) फादर की व्यक्तित्व के बारे में क्या बताया गया है ? 

उत्तर-फादर के व्यक्तित्व के बारे में बताया गया है कि वे लंबे कद के थे। उनका शरीर सफेद चोगे में ढका रहता था। उनका रंग गोरा था और उनकी दाढ़ी सफेद झाई मारती भूरी थी। उनकी आँखें नीली थीं। उनका व्यक्तित्व आकर्षक था।

(4.) अपने प्रियजनों के लिए फादर के मन में क्या भाव रहता था?

उत्तर-अपने प्रियजनों के लिए फादर के मन में ममता और अपनत्व के भाव रहते थे। ये साधु जैसे होते हुए भी अपने लोगों के लिए प्रेमभाव रखते थे। 

(5.) लेखक के साथ फादर का व्यवहार कैसा रहता था?

उत्तर-लेखक के साथ फादर का व्यवहार अत्यंत आत्मीयता से भरा था। फादर जब भी दिल्ली आते, लेखक से मिलने अवश्य आते थे। वे उनसे आलिंगनबद्ध होकर मिलते थे। लेखक अपनी छाती पर उनका दबाव अनुभव करते थे। 

(6.) जहरबाद किस रोग को कहते है? 

उत्तर- जहरबाद गैंग्रीन नामक रोग को कहते हैं। इसमे शरीर में जहरीला फोड़ा हो जाता है जिससे असह्य दर्द होने लगता है। 

(7.) लेखक क्यों कहते हैं कि फादर को जहरबाद से नहीं मरना चाहिए था? 

उत्तर-फादर बुल्के का पूरा जीवन दूसरों को प्यार, अपनत्व और ममता का अमृत बाँटते-बाँटते बीता। ऐसे मधुर एवं त्यागी व्यक्ति के शरीर में जहरीला फोड़ा होना उनके साथ अन्याय का ही सूचक है। 

(8.) फादर को याद करना कैसा है और क्यों ? 

उत्तर-फादर बुल्के को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है। उनकी याद आते ही उदासी घिर आती है, पर वे संगीत की तरह झंकृत करने वाले थे। वे करुणा के सागर थे। 

(9.) परिमल’ क्या है ? उसके याद करने का क्या कारण है ?

उत्तर-‘परिमल’ एक साहित्यिक संस्था है जिसकी स्थापना 10 दिसंबर, 1944 को प्रयोग विश्वविद्यालय के साहित्यिक अभिरुचि रखने वाले उत्साही युवकों ने की। लेखक को ‘परिमल’ के दिन इसलिए याद आते हैं क्योंकि तब सभी लोग एक प्रकार के पारिवारिक रिश्तों में बँधे रहते थे। 

(10.) फादर किस प्रकार आत्मीयता दर्शाते थे ? 

उत्तर-फादर बुल्के अपने परिचितों के घरों में होने वाले उत्सवों और संस्कारों में बड़े भाई पुरोहित की तरह शामिल होकर आत्मीयता दर्शाते थे। 

पाठ 13-मानवीय करुणा की दिव्य चमक नसरत सलूशन 

(11.) लेखक को क्या घटना याद आती है? 

उत्तर-लेखक को वह घटना याद आती है जब फादर बुल्के ने लेखक के बच्चे के मुख में पहली अन्न डाला था। अर्थात् अन्नाप्राश किया था। तब उनकी नीली आँखों में वात्सल्य तैर रहा था। 

(12.) लेखक के जीवन में फादर का स्थान सर्वोपरि था। सिद्ध करें।

उत्तर-लेखक फादर को अपने जीवन में सर्वोच्च स्थान देता था। उसने अपने पुत्र के मुख में पहली बार अन्न डालने का पवित्र संस्कार फादर के हाथों से कराया। यह कार्य सदा किसी पूज्य पुरोहित से कराया जाता है। लेखक ने फादर को यह सम्मान दिया। इससे पता चलता है कि लेखक के जवीन में फादर का स्थान सर्वोच्च था।

(13.) लेखक फादर को देवदारु की छाया-सा क्यों कहता है ? 

उत्तर-लेखक फादर को देवदारु की छाया-सा कहता है। कारण यह कि फादर ने सदा परिमल के सभी सदस्यों को अपना स्नेह और आशीर्वाद दिया। उन्होंने सभी के सुख-दुख में साथ निभाया। उनका जीवन करुणा, स्नेह और ममता से परिपूर्ण रहा। 

(14.) परिमल’ में क्या होता था ?

उत्तर-परिमल में साहित्यिक चर्चाएँ हुआ करती थीं। हिन्दी की कविताओं, कहानियों, उपन्यासों और नाटकों पर खुली बहसें हुआ करती थीं। विभिन्न साहित्यिक रचनाओं पर गंभीर बहसें तथा बेबाक राय दी जाती थी।  

(15.) फादर बुल्के सन्यासी थे भी और नहीं भी – क्यों? 

उत्तर-फादर बुल्के संकल्प से तो सन्यासी थे, पर कभी-कभी लगता था कि वे मन से सन्यासी नहीं थे। वे रिश्ते में विश्वास रखते थे, तोड़ते नहीं थे। वे गर्मी, सर्दी और बरसात झेलकर भी लोगों से मिलने जाते थे, चाहे दो मिनट के लिए ही सही। यह काम प्रायः सन्यासी नहीं करते। इसी मायने में वे सन्यासी नहीं थे। 

(16.) हिन्दी के लिए फादर के मन में क्या भाव था?

उत्तर-हिन्दी के लिए फादर बुल्के के मन में बहुत उच्च भाव था। वे उसे राष्ट्रभाषा के रूप में देखना चाहते थे। वे हिन्दी के पक्ष में अकाट्य तर्क देते थे। हिन्दी की उपेक्षा कर वे दुःखी हो जाते थे। 

(17.) फादर बुल्के पारिवारिक बंधु जैसे थे- सिद्ध करें। 

उत्तर-फादर बुल्के संन्यासी कम, पारिवारिक बंधु अधिक थे। वे लेखक के साथ गहरा पारिवारिक लगाव रखते थे। वे जब भी दिल्ली आते थे, उन्हें खोज-ढूँढ़कर उनसे मिलने अवश्य आते थे। मिलने पर उनके व्यक्तिगत सुख-दुख की हर बात करते थे। बड़े-से-बड़े दुख में उनके मुख से निकले सांत्वना के शब्द बहुत शांतिदायी होते थे। 

(18.) ‘फादर के शब्दों से विरल शान्ति झरती थी’ कैसे ? 

उत्तर-जब कोई व्यक्ति दुःखी होता तब फादर के शब्दों में विरल शान्ति झरती प्रतीत होती थी। लेखक की पत्नी और पुत्र की मृत्यु पर उन्होंने सांत्वना भरे शब्दों से लेखक को धैर्य बँधाया था। उनसे उन्हें असीम शान्ति का अनुभव हुआ था। 

(19) फादर बुल्के पारिवारिक बंधु जैसे थे- सिद्ध करें। 

उत्तर-फादर बुल्के सन्यासी कम, पारिवारिक बंधु अधिक थे। वे लेखक के साथ गहरा पारिवारिक लगाव रखते थे। वे जब भी दिल्ली आते थे, उन्हें खोज-ढूँढकर उनसे मिलने अवश्य आते थे। मिलने पर उनके व्यक्तिगत सुख-दुख की हर बात करते थे। बड़े-से-बड़े दुख में उनके मुख से निकले सांत्वना के शब्द बहुत शांतिदायी होते थे। 

(20.) फादर बुल्के और लेखक के बीच कैसे सम्बन्ध थे? 

उत्तर-फादर बुल्के और लेखक के बीच गहरे आत्मीय सम्बन्ध थे। फादर लेखक से गहरा लगाव रखते थे। वे जब भी दिल्ली आते थे, लेखक को ढूँढकर उससे मिलते अवश्य थे। मिलने पर वे लेखक के घर-परिवार और व्यक्तिगत सुख-दुख के बारे में अवश्य पूछते थे। दुख के क्षणों में उनके मुख से निकला एक-एक शब्द गहरी शांति देता था। वास्तव में उनका व्यक्तित्व छायादार था। अत: वे लेखक को अपनी छाया का सुख प्रदान किया करते थे। लेखक सालों बाद मिलने पर भी उनकी गंध को महसूस करता था। 

(21.) किसे सबसे अधिक छायादार, फल-फूल भरा कहा गया है और क्यों ? 

उत्तर-फादर कामिल बुल्के को सबसे अधिक छायादार और फल-फूल-भरा कहा गया है। उन्होंने अपने सभी परिचितों को स्नेह, करुणा, वात्सल्य और सांत्वना दी थी. इसलिए उन्हें छायादार पेड़ के समान कहा गया है। उन्हें फल-फूल भरा इसलिए कहा गया है क्योंकि वे स्वयं बहुत अच्छे साहित्यकार, विद्यार्थी और कोशकार विद्वान थे। उन्होंने हिन्दी साहित्य को बहुत कुछ दिया। 

(22.) फादर को सबसे अलग सबसे ऊँचा और सबका अपने क्यों कहा गया है?

उत्तर-फादर को सबसे ऊँचा इसलिए कहा गया है क्योंकि वे औरों से महान थे। वे सबको अपनी छाया और करुणा प्रदान किया करते थे। फादर सबसे अलग इसलिए थे क्योंकि वे ईसाई पादरी अर्थात् सन्यासी होने के कारण अपने सब संसारी साथियों से अलग थे। वे सन्यासी के रूप में भी अन्य सन्यासियों से अलग थे। उनका मन प्रेम के रिश्ते बनाना और निभाना जानता था। वे सबके अपने इसलिए थे क्योंकि वे सबको अपनत्व देते थे। बदले में लोग उनसे प्रेम करते थे। 

(23.)यज्ञ की पवित्र आग की तरह कहने का क्या आशय है? 

उत्तर-यज्ञ की पवित्र आग की तरह कहने का आशय है- फादर कामिल बुल्के का जीवन बहुत पवित्र था। वे कभी काम-क्रोध आदि वासनाओं के लिए नहीं जिए।मानव-प्रेम और करुणा के लिए जिए। उनका जीवन तपस्यापूर्ण था।  

(24.) लेखक क्या बात नहीं जानता? 

उत्तर-लेखक यह बात नहीं जानता कि इस सन्यासी अर्थात् फादर बुल्के ने कभी सोचा थे। भी न होगा कि उनकी मृत्यु पर कोई रोने वाला भी होगा। लेकिन आशा के विपरीत उनकी मृत्यु पर रोने वालों की कमी न थी। 

(25.)फादर कामिल बुल्के ने सबका मन जीत लिया था- सिद्ध करें।

उत्तर-फादर कामिल बुल्के ने अपने सभी परिचितों का मन मोह लिया था। उनके सभीसाथी-परिचित उनसे गहरा प्रेम करते थे। यही कारण है कि उनकी मृत्यु पर बहुत  लोग रोए। 

(26.) मानवीय करुणा की दिव्य चमक लहलहाने वाला किसे कहा गया है और क्यों? 

उत्तर-फादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक लहलहाने वाला कहा गया है। क्योंकि फादर के व्यक्तित्व में मानव के दुख को समझने और उसे पर सांत्वना देने की दिव्य शक्ति थी। यह शक्ति उनके चेहरे पर भी विराजती थी। उनका सारा व्यवहार इसी मानवीय करुणा के कारण गरिमाशाली थी। jac boarb

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फादर को जहरबाद से नहीं मरना चाहिए था लेखक ने ऐसा क्यों कहा था?

फ़ादर की मृत्यु एक प्रकार के ज़हरीले फोड़े अर्थात जहरबाद (गैंग्रीन) से हुई थी। फादर के मन में सदैव दूसरों के लिए प्रेम व अपनत्व की भावना थी । ऐसे सौम्य व स्नेही व्यक्ति की ऐसी दर्दनाक मृत्यु होना उनके साथ अन्याय है इसलिए लेखक ने कहा है कि “फादर को जहरबाद से नहीं मरना चाहिए था।”

लेखक ने फादर को संकल्प से सन्यासी क्यों कहा है?

फादर संकल्प से सन्यासी थे, मन से नहीं। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि फादर बुल्के भारतीय सन्यासी प्रवृत्ति खरे नही उतरते थे। उन्होंने परंपरागत सन्यासी प्रवृत्ति से अलग एक नई परंपरा को स्थापित किया था। वह सन्यासियों जैसा प्रदर्शन नहीं करते थे, लेकिन अपने कर्मों से वह सन्यासी ही थे

फादर की मृत्यु किस रोग से हुई लेखक ने उनके रोग के विधान पर क्या टिप्पणी की है?

Solution : फादर की मृत्यु गैंग्रीन नामक रोग से हुई। इस रोग में शरीर के अंदर एक जहरीला फोड़ा हो जाता है, जो बहुत यातना देता है। लेखक ने फादर के शांत अमृतमय जीवन को देखा था।

फादर बुल्के की मृत्यु का मुख्य कारण क्या था?

17 अगस्त 1982 में गैंगरीन के कारण एम्स, दिल्ली में इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी।