मंगल दोष कब कब नहीं लगता है? - mangal dosh kab kab nahin lagata hai?

 नई दिल्ली, Mangal Dosh: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में मौजूद हर एक ग्रह का अपना एक स्थान और लाभ होता है। लेकिन अगर इनमें से किसी एक ग्रह की भी दशा खराब हो जाएं तो व्यक्ति को कई तरह की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसी तरह अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल की दशा खराब है तो इसे मंगल दोष या फिर मांगलिक दोष के नाम से जाना जाता है। इसके कारण कर्ज का बोझ बढ़ जाता है। इसके अलावा प्रापर्टी संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं कि कुंडली में मंगल दोष कैसे बनता है, इसके लक्षण और कैसे करें बचाव।

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मंगल दोष के लक्षण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कुंडली में किसी ग्रह की स्थिति खराब होती है तो वह संकेत देना शुरू कर देते हैं जिन्हें पहचान कर आप कुछ उपाय कर सकते हैं। इसी तरह मंगल ग्रह की स्थिति कुंडली में खराब होने पर वह कई तरह के संकेत देना शुरू कर देता हैं। जानिए इन लक्षणों के बारे में।

  • मंगल की स्थिति खराब होने के कारण जातक को अधिक गुस्सा आता है। इसके साथ ही उसकी किसी भी अन्य व्यक्ति से जल्दी बनती नहीं है।
  • जब मंगल कुंडली में द्वादश भाव में होता है तो व्यक्ति की विवाह में कई तरह की मुश्किल आती हैं।
  • मंगल दोष के कारण संतान प्राप्ति में दिक्कत आने लगती हैं।
  • कुंडली में मंगल दोष होने से बड़े भाई से किसी न किसी कारण लड़ाई होती रहती है।
  • कुंडली में मंगल की स्थिति खराब होने से जातक को आंखों संबंधी समस्याओं के अलावा उच्च रक्तचाप, फोड़े-फुंसी, लीवर, किडनी संबंधी कई कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • मंगल दोष के कारण कोर्ट-कचहरी के मामलों में अधिक फंसे रहते हैं।
  • मंगल दोष होने के कारण जातक को रक्त संबंधी किसी न किसी बीमारी का सामना करना पड़ता है।
  • अगर मंगल अष्टम भाव में होता है तो वैवाहिक जीवन में खटास बनी रहती है।

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कुंडली में किस भाव में होता है मंगल दोष

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब जन्मपत्रिका में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव होता है तो मंगल दोष का कारण बनता है। इसी कारण जातक के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ने लगता है। लेकिन कहा जाता है कि अगर जातक की कुंडली में मंगल ग्रह पर किसी शुभ ग्रह का प्रभाव पड़ता है तो इसका दुष्प्रभाव कम हो जाता है।

कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत करने के उपाय

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर कुंडली में मंगल की स्थिति खराब है तो इसके लिए हर मंगलवार और शनिवार के दिन भगवान हनुमान जी की पूजा करना लाभकारी होगा।
  • नियमित रूप से हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ करें। इससे भी काफी हद तक मंगल दोष से राहत मिलेगी।
  • मंगल दोष के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए लाल रंग के कपड़े में थोड़ा सा सौंफ बांध लें और इसे अपने बेडरूम में किसी जगह रख दें।
  • मंगल दोष से राहत पाने के लिए दान देना फायदेमंद साबित हो सकता है। इसलिए गेहूं, लाल रंग के वस्त्र, गुड़, तांबा, घी, शक्कर, मसूर की दाल आदि का दान करना चाहिए।
  • मंगल दोष होने के कारण शादी में अड़चन आती हैं। इसे मांगलिक दोष के नाम से जानते हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए भगवान हनुमान की विधिवत तरीके पूजा अर्चना करें।
  • हनुमान जी को लाल रंग का सिंदूर चढ़ाएं। इससे जातक को काफी लाभ मिलेगा।

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मंगल भावनाओं का स्वामी भी होता है इसलिए वैवाहिक जीवन की हर भावना को प्रभावित करता है. विवाह के समय इसीलिए मंगल दोष को देखना महत्वपूर्ण हो जाता है. मंगल का कुंडली के कुछ विशेष भावों में स्थित होना मंगल दोष कहलाता है. मान्यता है कि मंगली व्यक्ति का विवाह मंगली से ही कराया जाना चाहिए अन्यथा वैवाहिक जीवन में बड़ी समस्याएँ आ सकती हैं. कभी कभी तो ये भी कहा जाता है कि मंगल दोष होने से दूसरे पक्षकार की मृत्यु तक हो सकती है.

कैसे बनता है मंगल दोष ?

- मंगल एक क्रूर ग्रह है , अतः विवाह पर इसका प्रभाव होना एक समस्या बनता है.

- जिस कुंडली में मंगल दोष होता है , वहाँ पर विवाह के मामले में सावधानी रखनी चाहिए.

- कुंडली के लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में मंगल, मंगल दोष पैदा करता है

- यह अगर कुछ मामलों में ख़राब होता है तो कुछ मामलों में विशेष तरह का लाभ भी देता है

अगर मंगल प्रथम भाव में हो ?

- यहाँ व्यक्ति बहुत ज्यादा सुन्दर नहीं होता , चेहरे पर लालिमा रहती है

- यहाँ मंगल माता और जीवनसाथी के प्रति ख़राब व्यवहार करवाता है

- यहाँ वैवाहिक जीवन में समस्याएं आ जाती है

- व्यक्ति साहसी और पराक्रमी होता है

- कठिन से कठिन स्थितियों में भी समस्याओं पर विजय प्राप्त कर लेता है

- इस मंगल के प्रभाव को समाप्त करने के लिए नियमित रूप से गुड़ का सेवन करें

- लाल रंग का प्रयोग कम से कम करें

अगर मंगल चतुर्थ भाव में हो ?

- यह मंगल दोष सबसे कम अशुभ प्रभाव पैदा करता है

- यह मंगल वैवाहिक जीवन में तालमेल में समस्या देता है

- ऐसे लोग बड़े शक्तिशाली और आकर्षक होते हैं

- दूसरों को बड़ी तेजी से अपनी और आकर्षित करते हैं   

- इस मंगल के प्रभाव को समाप्त करने के लिए हनुमान जी की उपासना करें

- घर में सूर्य के प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था करें

अगर मंगल सप्तम भाव में हो ?

- यह मंगल व्यक्ति के अंदर उग्रता और हिंसा पैदा करता है

- इसके कारण व्यक्ति चीज़ों को लेकर बहुत ज्यादा उपद्रव करता है

- इस मंगल के कारण अक्सर वैवाहिक जीवन में हिंसा आ जाती है

- पर यह मंगल संपत्ति और संपत्ति सम्बन्धी कार्यों में लाभकारी होता है

- व्यक्ति बड़े पद और ढेर सारी सम्पत्तियों का स्वामी होता है  

- इस मंगल के प्रभाव को समाप्त करने के लिए मंगलवार का उपवास रक्खें

- एक ताम्बे का छल्ला , मंगलवार को , अनामिका अंगुली में धारण करें

अगर मंगल अष्टम भाव में हो ?

- यह मंगल वाणी और स्वभाव को ख़राब कर देता है

- इसके कारण जीवन में अकेलापन पैदा होता है

- कभी कभी पाइल्स और त्वचा की समस्या हो जाती है

- ऐसा मंगल वैवाहिक जीवन में अलगाव या दुर्घटनाओं का कारण बनता है

- इस मंगल के कारण आकस्मिक रूप से धन लाभ होता है

- व्यक्ति कभी कभी अच्छा शल्य चिकित्सक भी बन जाता है

- इस मंगल के प्रभाव को समाप्त करने के लिए नित्य प्रातः मंगल के मंत्र का जाप करें

- हर मंगलवार को हनुमान जी को चमेली का तेल और सिन्दूर चढ़ाएं

अगर मंगल द्वादश भाव में हो?

- यह मंगल सुख और विलास की इच्छा को भड़काता है

- ऐसे लोग किसी भी चीज़ से संतुष्ट नहीं होते

- यह मंगल वैवाहिक जीवन तथा रिश्तों में अहंकार की समस्या देता है

- यह मंगल दोष भी सामान्य नकारात्मक होता है , बहुत ज्यादा नहीं

- इस मंगल के कारण व्यक्ति विदेश में खूब सफलता पाता है

- ढेर सारे लोगों के प्रेम और आकर्षण का पात्र बनता है

- ऐसा मंगल होने पर मंगलवार का उपवास रखना लाभदायक होता है

मंगल दोष कब नहीं माना जाता?

-यदि मंगल वक्री, नीच, अस्त का हो तो मंगल दोष नहीं होता। -यदि मंगल-गुरु, मंगल-राहु या मंगल-चंद्र दोनों एक ही राशि में हों तो मंगल दोष नहीं लगता है। -केंद्र-त्रिकोण में शुभ ग्रह और 3,6,11 में पाप ग्रह हों तथा सप्तमेश सप्तम में हो तब भी मंगल दोष नहीं लगता है।

मंगल दोष है या नहीं कैसे पता करें?

यदि किसी जातक के लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में यदि मंगल स्थित हो तो कुंडली में मंगल दोष होता है। अगर जातक के लग्न भाव में सूर्य है तो उसका स्वभाव अत्यधिक तेज, गुस्सैल, और अहंकारी हो जाता है। चतुर्थ भाव में मंगल होने से सुखों में कमी आती है और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

मंगल शुभ कब होता है?

यदि मंगल की शुभ दृष्टि रहती है तो अच्छी होती है और यदि अशुभ दृष्टि हो तो यह भी अव्वल दर्जे की ही होती है। कुंडली के किसी भी एक घर में सूर्य के साथ बुध हो तो मंगल शुभ होता है। शनि-राहु या शनि-केतु जन्मकुंडली में एक ही घर में बैठे हो तो मंगल शुभ फल देने वाला होता है।

आंशिक मांगलिक दोष कितने साल तक रहता है?

क्या आंशिक मांगलिक दोष शादी में बाधा उत्पन्न करता है? और 30 के बाद यह दोष स्वतः समाप्त हो जाता है? - Quora. कुछ ज्योतिषियों के अनुसार 28 वर्ष की आयु होने के बाद मांगलिक दोष अपने आप आपकी कुंडली से समाप्त हो जाता है।

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