महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारणों एवं परिणामों की विवेचना करें । - mahamood gajanavee ke bhaarat par aakraman ke kaaranon evan parinaamon kee vivechana karen .

महमूद गजनवी - भारत पर आक्रमण के कारणों तथा प्रभाव

B.A. I, History I / 2020  
प्रश्न 2. महमूद गजनवी के आक्रमणों का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा ?

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अथवा ''महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारणों तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।

उत्तर-सुबुक्तगीन की मृत्यु के पश्चात् उसका बड़ा पुत्र महमूद गजनवी गजनी की राजगद्दी पर बैठा। उसमें एक कुशल सैनिक और योग्य सेनापति के गुण विद्यमान थे। उसने प्रारम्भ से ही यह संकल्प कर लिया था कि वह अपना अधिकांश समय तथा साम्राज्य के साधन इस्लाम धर्म के प्रचार में व्यतीत करेगा और मूर्ति उपासकों का नाश करेगा।

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारणों एवं परिणामों की विवेचना करें । - mahamood gajanavee ke bhaarat par aakraman ke kaaranon evan parinaamon kee vivechana karen .

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारण

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

(1) इस्लाम धर्म का प्रचार - कुछ विद्वानों के अनुसार महमूद सैनिक बल पर भारत में इस्लाम धर्म का प्रचार करना चाहता था। उसने प्रतिवर्ष भारत पर आक्रमण करने की शपथ ली थी।

(2) सम्पत्ति प्राप्त करना- अनेक विद्वानों का मत है कि महमूद गजनवी ने इस्लाम धर्म के प्रचार के लिए नहीं, वरन्म न्दिरों में एकत्रित अपार सम्पदा को लूटने के उद्देश्य से भारत पर आक्रमण किए।

(3) साम्राज्य को दृढ़ बनाने के लिए - महमूद को मध्य एशिया में अपने 'साम्राज्य को दृढ़ रखने के लिए धन की आवश्यकता थी, इसलिए भी उसने भारत पर आक्रमण किए। उल्लेखनीय है कि धन-सम्पदा प्राप्ति के उद्देश्य से ही उसने भारत के समृद्धशाली नगरों और धन-धान्य से पूर्ण मन्दिरों को ही अपना निशाना बनाया।महमूद गजनवी के आक्रमण के समय भारत धन-धान्य से परिपूर्ण था। व्यापार भी उन्नति पर था। भारत 'सोने की चिड़िया' कहलाता था। दूसरी ओर अराजकता व अव्यवस्था फैली थी। ऊँच-नीच के भेदभाव के कारण समाज में एकता नहीं थी। भारत अनेक छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था। भारतीय शासकों में संगठित होकर शत्रु का सामना करने की क्षमता नहीं थी। फिर भी यह निश्चित है कि महमूद गजनवी भारत में अपने साम्राज्य का विस्तार नहीं चाहता था। यदि उसका ऐसा इरादा होता तो वह भारतीय राजपूत राजाओं को हराकर उनके राज्यों को अपने राज्य में सम्मिलित कर लेता।

 महमूद गजनवी के आक्रमणों का भारत पर प्रभाव

डॉ. ईश्वरी प्रसाद का मत है कि धन के लोभ ने महमूद गजनवी को महत्त्वपूर्ण लाभों की ओर से अन्धा बना दिया था, जो भारत की विजय द्वाराविजेता को प्राप्त होते। वह भारत में इस्लाम धर्म का प्रचार नहीं कर सका, क्योंकि उसकी विध्वंसात्मक नीति ने हिन्दुओं में इस्लाम के प्रति घृणा की भावना जाग्रत कर दी, जो भारत के हिन्दुओं में पर्याप्त समय तक विद्यमान रही, जिसके कारण दोनों धर्मों में सामंजस्य नहीं हो सका।

पंजाब के उसके राज्य में सम्मिलित होने के अतिरिक्त उसके आक्रमणों का कोई स्थायी परिणाम नहीं हुआ, किन्तु कुछ-न-कुछ दूरस्थ परिणाम अवश्य हुए, जिनके कारण भारत के इतिहास में कुछ विभिन्नता उत्पन्न हुई। अन्य स्थानों पर उसके आक्रमणों का प्रभाव नष्ट हो गया। लगभग दो शताब्दी तक राजपूत उत्तर भारत के स्वामी बने रहे। उन्होंने उसे एक आँधी के समान समझा, जो आई और चली गई। उसके आक्रमण के अन्य प्रभाव निम्नलिखित हैं

(1) राजाओं की शक्ति को आघात -उसके आक्रमणों के कारण भारतीय राजाओं की सैनिक शक्ति को गहरी आघात पहुँचा।

(2) सैनिक दुर्बलता का ज्ञान-भारतीय राजाओं की राजनीतिक तथा सैनिक दुर्बलता का ज्ञान विदेशियों को हो गया, जिसका उन्होंने पूर्ण लाभ उठाया।

(3) अतुल सम्पत्ति का विदेश जानाउसके आक्रमणों द्वारा भारत की अतुल सम्पत्ति विदेश चली गई, जिसके कारण भारत की आर्थिक स्थिति में विकार उत्पन्न हो गया। उसने हिन्दुओं के उन मन्दिरों को विशेष रूप से लूटा जिनमें अतुल धन संचित था। महमूद ने इस सम्पत्ति का प्रयोग अपनी पश्चिमी विजयों में किया।

(4) स्थापत्य कला के नमूनों का अन्त- महमूद गजनवी ने बहुत-से मन्दिरों तथा भव्य भवनों को नष्ट कर दिया, जिसके कारण भारतीय स्थापत्य कला को बड़ी हानि पहुँची और कला के अनुपम नमूने नष्ट हो गए।

(5) पंजाब का भारत से सम्बन्ध-विच्छेद-महमूद ने पंजाब को अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया। इससे पंजाब का भारत से सम्बन्ध-विच्छेद हो गय और वह अफगानिस्तान के निकट हो गया।

(6) अग्रदूत का कार्य- महमूद गजनवी के आक्रमणों ने मुहम्मद गौरी के अग्रदूत का कार्य किया। यह महमूद ही था जिसने 12वीं शताब्दी में मुहम्मद गौरी की स्थायी विजयों के लिए द्वार खोल दिया। कुछ विद्वानों की धारणा है कि यदि मुहम्मद गौरी को महमूद गजनवी का निर्देशित मार्ग न मिला होता, तो वह आपना भारत विजय का स्वप्न साकार नहीं कर सकता था।

(7) आक्रमण के लिए नये मार्ग का खुलना -महमूद गजनवी ने मुस्लिम आक्रमण के लिए एक नया मार्ग खोल दिया और सिद्ध कर दिया कि उसके द्वाराखोला गया मार्ग अरबों के मार्ग की अपेक्षा अधिक सुगम है तथा इसी मार्ग के द्वारा भारत विजय सम्भव है। भारत पर अन्य सभी आक्रमण इसी मार्ग से हुए और विदेशी आक्रमणकारियों को सफलता प्राप्त हुई।

(8) अधिकांश भारत का ज्ञान- महमूद ने भारत पर सत्रह बार आक्रमण किए, जिनके कारण मुसलमानों को उत्तर भारत का ज्ञान प्राप्त हो गया तथा भारत की दुर्बलताओं की भी जानकारी मिल गई, जिसका उन्होंने पूरा लाभ उठाया।
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महमूद गजनवी के भारत आक्रमण का मुख्य कारण क्या है?

(3) साम्राज्य को दृढ़ बनाने के लिए - महमूद को मध्य एशिया में अपने 'साम्राज्य को दृढ़ रखने के लिए धन की आवश्यकता थी, इसलिए भी उसने भारत पर आक्रमण किए। उल्लेखनीय है कि धन-सम्पदा प्राप्ति के उद्देश्य से ही उसने भारत के समृद्धशाली नगरों और धन-धान्य से पूर्ण मन्दिरों को ही अपना निशाना बनाया।

महमूद गजनवी के आक्रमण के कारण और प्रभाव क्या थे?

भारत में इस्लामी शासन लाने और अपने छापों के कारण भारतीय हिन्दू समाज में गजनवी को एक आक्रामक शासक के रूप में जाना जाता है। वह पिता के वंश से तुर्क था पर उसनेफ़ारसी भाषा के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाँलांकि गजनवी के दरबारी कवि फ़िरदौसी ने शाहनामा की रचना की पर वह हमेशा फ़िरदौसी का समर्थन नहीं करता था।

महमूद गजनवी के आक्रमण का सामना करने वाला भारतीय शासक कौन था?

बारहवाँ आक्रमण (1018 ई.)- अपने बारहवें अभियान में महमूद ग़ज़नवी ने कन्नौज पर आक्रमण किया। उसने बुलंदशहर के शासक हरदत्त को पराजित किया।

मोहम्मद गौरी व महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किस उद्देश्य से किए थे व उन्हें सफलता मिलने के क्या कारण थे लिखिए?

अफगानिस्तान की एक छोटी-सी रियासत गौर के शासक मुहम्मद गौरी ने पश्चिमोत्तर भारत पर आक्रमण किया। उसका भारत पर आक्रमण करने का उद्देश्य धन प्राप्ति इस्लाम का प्रचार करना था। भारतीय राजाओं के आपसी संघर्ष का लाभ उठाते हुए गौरी ने लगभग 1175 ई. में भारत पर पहला आक्रमण कर मुल्तान तथा सिन्ध पर भी अधिकार किया।