मानव की उत्पत्ति कहां से हुई - maanav kee utpatti kahaan se huee

Updated: | Mon, 25 Jan 2016 10:12 AM (IST)

विज्ञान की नजर से देखें तो जीव (मनुष्य) की उत्पत्ति की एक अलग प्रक्रिया है, लेकिन हिंदू धर्म ग्रंथों विशेष तौर पर ऋग्वेद और उपनिषद का अध्ययन करें तो पता चलता है कि मनुष्य को ब्रह्माजी ने बनाया है।

मनुष्य का शरीर पंचभूतों यानी अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी और आकाश से मिलकर बना है। इन पंचतत्वों को विज्ञान भी मानता है। वायु को छोड़कर सभी 4 तत्व दिखाई देते हैं। महर्षि अरविंद ने अपनी किताब 'दिव्य जीवन' में मनुष्य के जन्म के बारे में विस्तार से बताया है।

दिव्य जीवन के अनुसार, ब्रह्म से आत्मा। आत्मा से जगत की उत्पत्ति हुई। पुराणों के अनुसार धरती पर जीवन की उत्पत्ति, विकास और उत्थान के बारे में बताया है। पृथ्वी सूर्य से निकली एक पिंड थी, जब धरती ठंडी होने लगी तो उस पर बर्फ और जल का साम्राज्य हो गया। तब धरती पर जल ही जल हो गया। इस जल में ही जीवन की उत्पत्ति हुई। आत्मा ने ही खुद को जलरूप में व्यक्त किया।

पढ़ें: यहां देखें मुहूर्त और वहां करें अपनी योजनाओं का श्रीगणेश

ब्रह्म से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई और ब्रह्मा ने स्यवं को दो भागों में विभक्त कर लिया। उनका एक रूप पुरुष स्वायंभुव मनु और एक भाग स्त्री यानी शतरूपा था। सप्तचरुतीर्थ के पास वितस्ता नदी की शाखा देविका नदी के तट पर मनुष्य जाति की उत्पत्ति हुई। पौराणिक मतानुसार आदि सृष्टि की उत्पत्ति ब्रह्मावर्त क्षेत्र यानी भारत के उत्तराखंड में ही हुई थी।

पढ़ें: जब जंगली मक्खी और मकड़ी ने बचाई एक राजा की जान

वेदों में सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, विध्वंस और आत्मा की गति को पंचकोश के क्रम में समझाया गया है। पंचकोश क्रमशः अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनंदमय हैं। पंचकोश को ही 5 तरह का शरीर भी कहा गया है। वेदों का यह धारणा विज्ञान सम्मत है।

Posted By:

  • Font Size
  • Close

  • # Science
  • # process
  • # people
  • # Maharshi Aurobindo
  • # Hindu mythological story
  • # Manu
  • # shatarupa
  • # the origin of life
  • # regeneration
  • # the Upanishads
  • # mythical opinion

मनुष्य की उत्पत्ति का सिद्धांत हर धर्म में अलग-अलग है। मनुष्य की उत्पत्ति कब हुई, कैसे हुई और क्या मनुष्य बंदरों का विकसित रूप है? ऐसे कई सवाल मन में उठते हैं जिसका जवाब विज्ञान अपने तरीके से देता है और धर्म अपने तरीके से। यहां प्रस्तुत है हिंदू धर्मानुसार मनुष्‍य की उत्पत्ति का सिद्धांत।

#

हिन्दू धर्म अनुसार मानव किसी भी प्रकार के बंदर का विकसित रूप नहीं है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार वानर और बंदरों को मनुष्य से अलग माना गया है। मानव की पहले लंबाई, आयु और उसका रूप भिन्न था लेकिन फिर भी मानव जैसा प्राचीन काल में दिखता था वैसा ही आज भी है। बस उसके शरीर पर से बालों की मात्रा कम हो गई। जिस तरह वानरों या बंदरों की कई प्रजातियां होती है उसी तरह मानव की भी कई प्रजातियां थी और आज भी उनमें से कुछ विद्यमान है।

#

संसार के इतिहास और संवतसरों की गणना पर दृष्टि डालें तो ईसाई संवत सबसे छोटा अर्थात 2018 वर्षों का है। सभी संवतों की गणना करें तो ईसा संवत से अधिक दिन मूसा द्वारा प्रसारित मूसाई संवत 3,585 वर्ष का है। इससे भी प्राचीन संवत युधिष्ठिर के प्रथम राज्यारोहण से प्रारंभ हुआ था। उसे 4,172 वर्ष हो गए हैं। इससे पहले कलियुगी संवत शुरू 5,117 वर्ष पहले शुरू हुआ।

इब्रानी संवत के अनुसार 6,029 वर्ष हो चुके हैं, इजिप्शियन संवत 28,669 वर्ष, फिनीशियन संवत 30,087 वर्ष। ईरान में शासन पद्धति प्रारंभ हुई थी तब से ईरानियन संवत चला और उसे अब तक 1,89,995 वर्ष हो गए। ज्योतिष के आधार पर चल रहे चाल्डियन संवत को 2,15,00,087 वर्ष हो गए। खताई धर्म वालों का भी हमारे भारतीयों की तरह ही विश्वास है कि उनका आविर्भाव आदिपुरुष खता से हुआ। उनका वर्तमान संवत 8,88,40,388 वर्ष का है। चीन का संवत जो उनके प्रथम राजा से प्रारंभ होता है वह और भी प्राचीन 9,60,02,516 वर्ष का है।

#

अब हम अपने वैवस्तु मनु का संवत लेते हैं, जो 14 मन्वंतरों में से एक है। उससे अब तक का मनुष्योत्पत्ति काल 12,05,33,117 वर्ष का हो जाता है जबकि हमारे आदि ऋषियों ने किसी भी धर्मानुष्ठान और मांगलिक कर्मकांड के अवसर पर जो संकल्प पाठ का नियम निर्धारित किया था और जो आज तक ज्यों का त्यों चला आता है उसके अनुसार मनुष्य के आविर्भाव का समय 1,97,29,449 वर्ष होता है जबकि 1960853118 वर्ष पहले सृष्टि की उत्पत्ति हुई थी।

#

पुराणों में सृष्टि उत्पत्ति को बहुत विस्तार से बताया गया है। पुराणों अनुसार सृष्टि की आयु कुल 14 मन्वंतर की होती है। एक मन्वंतर में 30 करोड़ 67 लाख 20 हजार वर्ष होते हैं। अब तक 6 मन्वतंतर बीच चुके हैं और यह सातवां मन्वंतर चल रहा है। इस तरह 6 मन्वंतर में 1 अरब 84 करोड़ 3 लाख 20 हजार होते हैं। सातवें मन्वंतर की 27 चतुर्युगी बीच चुकी है और यह 28वीं चतुर्युगी चल रही। 28वीं चतुर्युगी में भी सतयुग, त्रैतायुग और द्वापर युग बीत चुका है और यह कलयुग चल रहा है जिसके 5 हजार एक सौ उन्नीस वर्ष बीच चुके हैं।

#

एक मन्वंतर में 71 चतुर्युगी होती है। एक चतुयुर्गगी में चार युग होते हैं। पहला सतयुग जो 17 लाख 28 हजार वर्षों का है। दूसरा त्रेतायुग जो 12 लाख 96 हजार वर्षों का होता है। तीसरा होता है द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्षों का और चौथा कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्षों का। कुल मिलाकर के एक चतुर्युगी में वर्ष की संख्या 43 लाख 20 हजार वर्ष हुई। इस प्रकार से 6 मन्वंतर सहित सातवें मन्वंतर के बीच चुके काल को जोड़ने के बाद एक अरब छियानवे करोड़, आठ लाख तिरेपन हजार एक सौ उन्नीस वर्ष होते हैं। इसका मतलब यह कि इतने समय पहले सृष्टि की उत्पत्ति हुई थी।

पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति कब और कैसे हुई?

भारतीय कालगणना के मुताबिक, मानव की उत्पत्ति सृष्टि रचना के एक करोड़, 20 लाख, 95 हजार, 989 वर्षों बाद हुई। समुद्र में प्राप्त मूँगा भित्तियों को जीवन की प्रथम नर्सरी कहा गया है। बहुत सम्भव है कि जीवन उत्पत्ति के उस काल में तिब्बती एक समुद्री क्षेत्र ही रहा होगा।

मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई?

ब्रह्म से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई और ब्रह्मा ने स्यवं को दो भागों में विभक्त कर लिया। उनका एक रूप पुरुष स्वायंभुव मनु और एक भाग स्त्री यानी शतरूपा था। सप्तचरुतीर्थ के पास वितस्ता नदी की शाखा देविका नदी के तट पर मनुष्य जाति की उत्पत्ति हुई

हिंदू धर्म के अनुसार मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई?

धरती के प्रथम मानव का नाम स्वयंभू मनु था और प्रथम ‍स्त्री सतरुपा थी महाभारत में आठ मनुओं का उल्लेख है। इस वक्त धरती पर आठवें मनु वैवस्वत की ही संतानें हैं। आठवें मनु वैवस्वत के काल में ही भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था। हिन्दू समुदाय की कालमापनी सबसे बड़ी है।

धरती पर मनुष्य का जन्म कब हुआ था?

लंदन, प्रेट्र। पृथ्वी पर मानव की वर्तमान प्रजाति 3.5 लाख वर्ष पूर्व आई थी।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग