मानव विकास क्या है in Hindi? - maanav vikaas kya hai in hindi?

सन 1990 में सर्वप्रथम प्रकाशित ‘human development report’ के अनुसार मानव विकास लोगों के सामने विकल्प के विस्तार की प्रक्रिया है। यूएन डीपी की मानवीय विकास रिपोर्ट 1997 में मानव विकास की अवधारणा की व्याख्या इस प्रकार की गई है-

“वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जन सामान्य के विकल्पों का विस्तार किया जाता है और इनके द्वारा उनके कल्याण के उन्नत स्तर को प्राप्त किया जाता है। यही मानवीय विकास की धारणा का मूल सिद्धांत है।

मानव विकास को लोगों के चयन में वृद्धि की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। विकास के सभी स्तरों पर लोगों के तीन अनिवार्य चुनाव में एक दीर्घकालीन स्वस्थ जीवन व्यतीत करना अच्छा ज्ञान प्राप्त करना तथा शानदार जीवन स्तर के लिए आवश्यक संसाधनों की पहुंच सम्मिलित हैं।


  • यदि वह आवश्यक चुनाव उपलब्ध नहीं हैं तो जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए बहुत से अन्य अवसर पहुंच के बाहर होंगे। मानव विकास के दो आयाम हैं- मानव योग्यता प्राप्त करना और इन प्राप्त योग्यताओं का प्रयोगउत्पादकताआराम और अन्य उद्देश्यों के लिए करने से है।


  • मानव विकास के लाभआय विस्तर और धन संचय से कहीं अधिक आगे तक जाते हैंक्योंकि लोग मानव विकास की आवश्यकता का निर्माण करते हैं। मानव विकासआर्थिक संवृद्धि से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। 


  • आर्थिक संवृद्धि केवल एक विकल्प में सुधार पर ध्यान केंद्रित करती है अर्थात् आय या उत्पादजबकि मानव विकास सभी मानवीय विकल्पों में वृद्धिजिनमें शिक्षास्वास्थ्यस्वच्छ पर्यावरण और भौतिक कल्याण शामिल हैंपर ध्यान केंद्रित करता है। इस प्रकार लोगों के जीवन को सुधारने के विकल्प विस्तृत रूप से आर्थिक संवृद्धि की गुणवत्ता से प्रभावित होते हैंकिंतु इस प्रकार की संवृद्धि का प्रभाव केवल इसके परिमाणात्मक पहलू तक ही सीमित रहता है।


  • दूसरे शब्दों मेंआर्थिक संवृद्धि को एक साधन के रूप में देखने की आवश्यकता है। यद्यपि एक महत्वपूर्ण साधन के रूप मेंकिंतु विकास के एक अंतिम उद्देश्य के रूप में नहीं। आयमोटे रूप से मानव कल्याण में एक महत्वपूर्ण योगदान देती हैयदि इसके लाभ लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए हों। किंतु आय में संवृद्धि अपने में एक उद्देश्य नहीं है। संवृद्धि की गुणवत्ता हैन कि इसका परिमाणजो कि मानव के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।

 

मानव विकास की अवधारणा

  • इस प्रकारमानव विकास की अवधारणा का संबंध मुख्य रूप से मानव प्रयास के अंतिम उद्देश्यलोगों को अच्छा जीवन बिताने के योग्य बनाने से है। देखना है कि यह उद्देश्य केवल आय में सुधार के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है अथवा लोगों के भौतिक कल्याण से।


  • जैसा कि 1996 की मानव विकास रिपोर्ट में कहा गयासंवृद्धि रोजगार सृजन की अपेक्षा बिना रोजगार कानिर्धनता कम करने की अपेक्षाक्रूरभागीदार होने की अपेक्षा बिना आवाज कासांस्कृतिक रूप से ऊंचा होने की अपेक्षानिर्मूलपर्यावरण के अनुकूल होने की अपेक्षा बिना भविष्य का हो सकता है। 


  • आर्थिक संवृद्धिजो कि बिना रोजगारक्रूरबिना आवाज तथा बिना भविष्य की हैमानव विकास की प्रेरक नहीं होती। आय का अभाव अथवा आय की निर्धनतामानव निर्धनता का एक पहलू हैअभाव का कष्ट अन्य क्षेत्रों मे भी हो सकता हैजैसे-कम तथा अस्वस्थ जीवनअशिक्षित अथवा भागीदारी की अनुमति का न होनाव्यक्तिगत असुरक्षा अनुभव करना आदि । इस प्रकारमानव निर्धनताआय की निर्धनता से अधिक बड़ी है।

 

मानव विकास सूचकांक

  • मानव विकास सूचकांक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी होने वाली वार्षिक रिपोर्ट है जो जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और आय के मानकों के आधार पर प्रकाशित की जाती है। सबसे पहले 1990 में एचडीआई रिपोर्ट जारी की गई थी। तब से हर साल इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया जा रहा है।


मानव विकास सूचकांक दूसरे शब्दों में 

  • मानव विकास सूचकांक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी होने वाली वार्षिक रिपोर्ट है जो जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और आय के मानकों के आधार पर प्रकाशित की जाती है। सबसे पहले 1990 में एचडीआई रिपोर्ट जारी की गई थी। तब से हर साल इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया जा रहा है।


मानव विकास को मापना : मानव विकास सूचकांक (HDI)

 

  • जैसा पहले कहा जा चुका है कि मानव विकास की तीन दिशाएंलोगों की दीर्घ तथा स्वस्थ जीवन यापन करने की क्षमताएंज्ञान प्राप्त करना तथा एक शानदार जीवन स्तर के लिए अनिवार्य संसाधनों तक पहुंच हैं। मानव विकास के विभिन्न घटकों का मिला-जुला प्रभावमानव विकास सूचकांक (HDI) के माध्यम से मापा जाता है। 
  • मानव विकास सूचकांक के चार चर हैं। जन्म के समय जीवन की प्रत्याशा (दीर्घ स्वस्थ जीवन की दिशा को प्रदर्शन करना)वयस्क साक्षरता दर और ज्ञान की दिशा का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्राथमिकद्वितीयक तथा विश्वविद्यालय स्तर का मिश्रित नामांकन और प्रति व्यक्ति वास्तविक सकल घरेलू उत्पादजो शानदार जीवन स्तर के लिए अनिवार्य संसाधनों का प्रतिनिधित्व कर सके। इस प्रकारमानव विकास सूचकांक न केवल सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि दर बल्कि देश के मानव विकास को मापने के लिए शिक्षास्वास्थ्यलिंगअसमानता तथा आय की स्थिर राशि पर भी विचार करता है।

 

  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रमजो तीन योग्यता अर्थात् एक दीर्घ और स्वस्थ जीवन बितानाशिक्षित तथा योग्य होना तथा एक शानदार आर्थिक रहन-सहन का स्तर रखना के आधार पर मानव विकास सूचकांक का अनुमान लगाता है।



मानव विकास रिपोर्ट (Humen Develpment Report- HDR) 2020 

  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा जारी मानव विकास रिपोर्ट (Humen Develpment Report- HDR) 2020 के अनुसार, मानव विकास सूचकांक ((Humen Develpment Index- HDI) में भारत 131वें स्थान पर है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भारत इस सूचकांक में 129वें स्थान पर था।

 

  • वर्ष 2020 की इस रिपोर्ट में 189 देशों को उनके मानव विकास सूचकांक (HDI) की स्थिति के आधार पर रैंकिंग प्रदान की गई है।


  • HDR 2020 में पृथ्वी पर दबाव-समायोजित मानव विकास सूचकांक को पेश किया गया है, जो देश के प्रति व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन तथा सामग्री के पदचिह्न (Footprint) द्वारा मानक मानव विकास सूचकांक (HDI) को समायोजित करता है।


अन्य सूचकांक जो इस रिपोर्ट का ही भाग हैं, इस प्रकार हैं:

  • असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक (Inequality adjusted Human Development Index-IHDI)
  • लैंगिक विकास सूचकांक (GDI),
  • लैंगिक असमानता सूचकांक (GII)
  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI).



मानव विकास सूचकांक परिचय: 

HDI इस बात पर ज़ोर देता है कि किसी देश के विकास का आकलन करने के लिये वहाँ के लोगों तथा उनकी क्षमताओं को अंतिम मानदंड माना जाना चाहिये, न कि केवल आर्थिक विकास को।

 

मानव विकास तीन बुनियादी आयामों पर आधारित होता  है:

 

  • लंबा और स्वस्थ जीवन,
  • ज्ञान तक पहुँच,
  • जीने का एक सभ्य मानक।


वर्ष 2019 में शीर्ष स्थान प्राप्तकर्त्ता:

 

  • नॉर्वे इस सूचकांक में शीर्ष पर है, इसके बाद आयरलैंड, स्विट्ज़रलैंड, हॉन्गकॉन्ग और आइसलैंड का स्थान है।


एशियाई क्षेत्र की स्थिति:

 

  • वैश्विक सूचकांक में "बहुत उच्च मानव विकास" के साथ एशियाई देशों के मध्य शीर्ष स्थान का प्रतिनिधित्त्व करते हुए सिंगापुर 11वें, सऊदी अरब 40वें और मलेशिया  62वें स्थान पर थे।


  • शेष देशों में से श्रीलंका (72), थाईलैंड (79), चीन (85), इंडोनेशिया और फिलीपींस (दोनों 107) तथा वियतनाम (117)  "उच्च मानव विकास" वाले देशों की श्रेणी में थे।


  • 120 से 156 रैंक तक भारत, भूटान, बांग्लादेश, म्याँमार, नेपाल, कंबोडिया, केन्या और पाकिस्तान "मध्यम मानव विकास" श्रेणी वाले देशों में शामिल थे।


मानव विकास सूचकांक और  भारत की स्थिति:

 

  • वर्ष 2019 के लिये HDI 0.645 है, जो देश को 'मध्यम मानव विकास' श्रेणी में  तथा 189 देशों में 131वें स्थान पर रखता है।
  • वर्ष 1990 और 2019 के मध्य भारत का HDI मान 0.429 से बढ़कर 0.645 हो गया है, यानी इसमें 50.3% की वृद्धि हुई है।


लंबा और स्वस्थ जीवन: 

  • वर्ष 2019 में भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 69.7 वर्ष थी, जो दक्षिण एशियाई औसत 69.9 वर्षों की तुलना में थोड़ी कम थी।
  • वर्ष 1990 और 2019 के मध्य भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में 11.8 वर्ष की वृद्धि हुई है।


ज्ञान तक पहुँच: 

  • भारत में स्कूली शिक्षा के लिये प्रत्याशित वर्ष 12.2 थे, जबकि बांग्लादेश में 11.2 और पाकिस्तान में 8.3 वर्ष थे।
  • वर्ष 1990 और 2019 के बीच स्कूली शिक्षा के प्रत्याशित औसत वर्षों में 3.5 वर्ष की वृद्धि हुई तथा स्कूली शिक्षा के प्रत्याशित अनुमानित वर्षों में 4.5 वर्ष की वृद्धि हुई।
  • जीने का एक सभ्य मानक: प्रति व्यक्ति के संदर्भ में सकल राष्ट्रीय आय (GNI) पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट के बावजूद वर्ष 2019 में कुछ अन्य देशों की तुलना में भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा है।
  • वर्ष 1990 और 2019 के मध्य भारत के प्रति व्यक्ति GNI में लगभग 273.9% की वृद्धि हुई है।


ग्रहीय दबाव-समायोजित HDI/प्लैनेटरी प्रेशर-एड्जस्टेड HDI (PHDI)

 

  • PHDI प्रत्येक व्यक्ति के आधार पर देश के कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन और मैटेरियल पदचिह्न (Material Footprint) के मानक HDI को समायोजित करता है।


मानव विकास सूचकांक और देशों का प्रदर्शन:

  • नॉर्वे जोकि HDI में शीर्ष स्थान पर है, यदि PHDI मीट्रिक में इसका आकलन किया जाए तो यह 15 स्थान नीचे पहुँच जाएगा, आयरलैंड इस तालिका में शीर्ष पर है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका (HDI रैंक -17) और कनाडा (HDI रैंक -16) प्राकृतिक संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव को दर्शाते हुए PHDI में क्रमशः 45वें और 40वें स्थान पर पहुँच जाएंगे।
  • तेल और गैस से समृद्ध खाड़ी राज्यों के स्थान में भी गिरावट आई है। चीन अपने मौजूदा 85वें स्थान से 16 स्थान नीचे आ जाएगा।


भारत का प्रदर्शन:

  • PHDI में आकलन करने पर भारत रैंकिंग में आठ स्थान ऊपर आ जाएगा।
  • पेरिस समझौते के तहत भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन क्षमता को वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक 33-35% कम करने और गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 40% तक विद्युत शक्ति क्षमता प्राप्त करने का वादा किया।
  • भारत में सौर क्षमता मार्च 2014 में 2.6 गीगावाट से बढ़कर जुलाई 2019 में 30 गीगावाट हो गई, परिणामस्वरूप इसने निर्धारित समय से चार वर्ष पहले ही अपना लक्ष्य (20 गीगावाट) प्राप्त कर लिया।
  • वर्ष 2019 में भारत को संस्थापित सौर क्षमता के लिये 5वाँ स्थान प्राप्त हुआ था।
  • राष्ट्रीय सौर मिशन का उद्देश्य विद्युत् उत्पादन के लिये सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना और सौर ऊर्जा को जीवाश्म ईंधन आधारित विकल्पों के साथ प्रतिस्पर्द्धी बनाना है।

    मानव विकास का क्या अर्थ है?

    मानव विकास, स्वास्थ्य भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को सम्मिलित करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।

    मानव विकास का क्या महत्व है?

    भौतिक पर्यावरण की दृष्टि से भी मानव विकास अच्छा है। गरीबी में वनों के विनाश, रेगिस्तान के विस्तार और क्षरण में कमी आती है। गरीबी में कमी से एक स्वस्थ समाज के गठन, लोकतंत्र के निर्माण और सामाजिक स्थिरता में सहायता मिलती है। मानव विकास से सामाजिक उपद्रवों को कम करने में सहायता मिलती है और इससे राजनीतिक स्थिरता बढ़ती हैं।

    मानव विकास के 4 प्रकार कौन से हैं?

    उत्तर-मानव विकास के चार प्रमुख घटक हैं- (1)समता (2)सतत पोषणीयता (3)उत्पादकता और(4) सशक्तिकरण। इन्हें मानव विकास के चार स्तंभ भी कहा जाता है क्योंकि जिस प्रकार किसी इमारत को स्तंभों का सहारा होता है, उसी प्रकार यह चारों मानव विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

    मानव विकास क्या है इसके आयाम क्या है?

    2. सामाजिक/सांवेगिक विकास संवेग अर्थात भावनाएँ यथा प्रेम, ईर्ष्या, क्रोध, चिंता आदि परिस्थितियों की एक जटिल व्यवस्था है, जो कभी व्यक्ति के कार्य में अवरोध उत्पन्न करती हैं तो कभी उसके कार्य में बेहतर प्रदर्शन हेतु प्रेरणास्पद भूमिका में होती है।