हिंदी न्यूज़ धर्मEkadashi March 2022: मार्च महीने में पड़ने वाली आमलकी एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त व महत्व
हर माह में दो एकादशी व्रत रखे जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी व्रत रखते हैं। हिंदू धर्म में यूं तो सभी एकादशी व्रत खास माने जाते हैं, लेकिन...
Saumya Tiwariलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीMon, 14 Mar 2022 06:39 AM
हर माह में दो एकादशी व्रत रखे जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी व्रत रखते हैं। हिंदू धर्म में यूं तो सभी एकादशी व्रत खास माने जाते हैं, लेकिन इनमें से आमलकी एकादशी का विशेष महत्व है। आमलकी एकादशी को आमलक्य एकादशी भी कहते हैं। इस साल आमलकी एकादशी 14 मार्च 2022, सोमवार को है।
आमलकी एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि 13 मार्च, रविवार को सुबह 10 बजकर 21 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है, जो कि 14 मार्च, सोमवार को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि में आमलकी एकादशी व्रत 14 मार्च, सोमवार को रखा जाएगा।
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आमलकी एकादशी पूजा विधि-
-भगवान की पूजा के पश्चात पूजन सामग्री लेकर आंवले के वृक्ष की पूजा करें।
सबसे पहले वृक्ष के चारों की भूमि को साफ करें और उसे गाय के गोबर से पवित्र करें।
- पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाकर उस पर कलश स्थापित करें। इस कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें।
- कलश में सुगंधी और पंच रत्न रखें। इसके ऊपर पंच पल्लव रखें फिर दीप जलाकर रखें। कलश पर श्रीखंड चंदन का लेप करें और वस्त्र पहनाएं।
- अंत में कलश के ऊपर श्री विष्णु के छठे अवतार परशुराम की स्वर्ण मूर्ति स्थापित करें और विधिवत रूप से परशुरामजी की पूजा करें।
- रात्रि में भगवत कथा व
भजन-कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण करें।
- द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन करवा कर दक्षिणा दें साथ ही परशुराम की मूर्तिसहित कलश ब्राह्मण को भेंट करें। इन क्रियाओं के पश्चात परायण करके अन्न जल ग्रहण करें।
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आमलकी एकादशी महत्व-
शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु ने आंवले को आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया था। इसके हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है। मान्यता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवला और श्री हरि की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हिंदी न्यूज़ धर्मPradosh Vrat : मार्च में कब- कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत? यहां देखें सही डेट और शुभ मुहू्र्त
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष...
Yogesh Joshiलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 04 Mar 2022 10:30 PM
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है। प्रदोष व्रत पर विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है। मार्च माह में 2 प्रदोष व्रत पड़ेंगे। एक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में और एक चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं मार्च माह में कब- कब पड़ेंगे प्रदोष व्रत...
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत-
- मार्च 15, 2022, मंगलवार- मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।
मुहूर्त-
- फाल्गुन, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ - 01:12 पी एम, मार्च 15
- फाल्गुन, शुक्ल त्रयोदशीसमाप्त - 01:39 पी एम, मार्च 16
- प्रदोष काल- 06:29 पी एम से 08:53 पी एम
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चैत्र माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत-
- मार्च 29, 2022, मंगलवार- मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।
मुहूर्त-
- चैत्र, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ - 02:38 पी एम, मार्च 29
- चैत्र, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त - 01:19 पी एम, मार्च 30
- प्रदोष काल - 06:37 पी एम से 08:57 पी एम
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प्रदोष व्रत पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- अगर संभव है तो व्रत करें।
- भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
- इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
- भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान शिव की आरती करें।
- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।