Updated: | Mon, 03 May 2021 02:28 PM (IST) Show
शिव पुराण, विष्णु पुराण और गरुण पुराण हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। इन ग्रंथों में मनुष्य और इंसान के बारे में बहुत सारी बातें बताई गई हैं, जिनके बारे में आम आदमी को नहीं पता होता है। इन ग्रंथों में लिखी बातों का अनुसरण करके हम अपना जीवन सफल बना सकते हैं और धरती के साथ-साथ स्वर्गलोक में भी अपने कर्म बेहतर कर सकते हैं। गरुण पुराण में लिखा है कि अगर किसी व्यक्ति के पास तुलसी, गंगाजल, श्रीमद्भाग्वत गीता है और उसने अपने जीवन में दान किया है तो उसे दूसरे लोक में कष्ट का सामना नहीं करना पड़ता। ऐसे व्यक्तियों की मौत ज्यादा दर्दनाक नहीं होती है। गंगाजल किसी भी व्यक्ति की मौत के समय आमतौर पर उसके मुंह में गंगाजल और तुलसी डाल दी जाती है। गंगाजल डालने से वह व्यक्ति पवित्र हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को यमलोक में दंड नहीं दिया जाता है। तुलसी अगर मरने वाले व्यक्तिय के घर में तुलसी का पौधा लगा हुआ है या मरने से पहले उसके माथे पर तुलसी की पत्तियां रख दी जाएं तो उस व्यक्ति को यमदंड नहीं मिलता है। ऐसे में वह व्यक्ति यमराज के प्रकोप से बच जाता है। श्रीमद्भागवत गीता धर्म ग्रंथ या श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से दुनिया की मोहमाया से हमें मुक्ति मिलती है। जब हम सांसारिक मोहमाया से मुक्त हो जाते तब हमारी आत्मा आसानी से शरीर को छोड़ पाती है और मृत्यू के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जो लोग सांसारिक मोहमाया में उलझे रहते हैं। उनकी मौत आसानी से नहीं होती है और ऐसे लोगों को बहुत कष्टों का सामना करना पड़ता है। दान हिंदू धर्म में मौत के समय मरने वाले व्यक्ति के हाथ से गाय दान करवाने की प्रथा है। ऐसा करने से प्राण आसानी से निकल जाते हैं और गौदान का पुण्य मिलता है। इसके चलते परलोक में कोई परेशानी नहीं होती है। Posted By: Arvind Dubey
Authored by Rakesh Jha| नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: May 5, 2022, 2:30 AM जीवन भर मनुष्य यह सोचता रहता है कि मृत्यु के बाद उसे नरक ना जाना पड़े इसके लिए दान, तीर्थयात्रा और व्रतोपवास करता है लेकिन गरुड़ पुराण कहता है कि मनुष्य को मृत्यु के बाद अपने अच्छे और बुरे दोनों कर्मों का फल भोगना पड़ता है। यह जरूरी नहीं कि आप बहुत व्रत और दान करें दूसरी ओर पाप कर्म भी करें तो आप पाप के दंड से मुक्त हो जाएंगे। आपको दोनों ही कर्मों का फल बारी-बारी से भोगना पड़ेगा लेकिन गुरुड़ पुराण के नवम अध्याय में एक उपाय बताया गया है जिससे मनुष्य को बिना कुछ किए स्वर्ग में स्थान मिल जाता है। पक्षीराज गरुड़ से भगवान विष्णु कहते हैं कि मृत्यु के समय जिनके पास चार चीजें होती हैं उनके पास यमदूत नहीं आते और व्यक्ति की आत्मा को स्वर्ग में स्थान मिल जाता है।
अंतिम समय में क्या दान करना चाहिए?अन्न, जल, घोड़ा, गाय, वस्त्र, शय्या, छत्र और आसन इन आठ वस्तुओं का दान मृत्यु उपरांत के कष्टों को नष्ट करता है। 6. गाय, घर, वस्त्र, शय्या तथा कन्या इनका दान एक ही व्यक्ति को करना चाहिए। रोगी की सेवा करना, देवताओं का पूजन, ब्राह्मणों के पैर धोना गौ दान के समान है।
मरते समय क्या दान करना चाहिए?मृत्यु के समय मरने वाले के हाथों से तिल का दान करवाना चाहिए। इसके दान से असुर, दैत्य, दानव आदि भाग जाते हैं। मरने वाले के सिरहाने में काले तिल को रखना चाहिए, इससे सद्गति प्राप्त होती है।
मरने के बाद मुंह में सोना क्यों रखा जाता है?तुलसी और गंगाजल के साथ कुछ जगहों पर मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में सोने की टुकड़ा भी रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
दान कैसे लोगों को देना चाहिए?शास्त्रों के अनुसार इन 9 लोगों को दान देना काफी शुभ माना गया है। जैसे माता, पिता, आपके गुरु, दोस्त, विनयी, उपकार करने वाले लोग (परोपकारी मनुष्य), दीन, अनाथ और सज्जन इन लोगों को दान करने से सफलता प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार इन लोगों को दान देना होता है शुभ।
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