नगर क्या है नगर एवं गांव में अंतर लिखिए - nagar kya hai nagar evan gaanv mein antar likhie

गाँव का एक निश्चित क्षेत्र होता है एवं इनके सदस्यों में हम कि भावना (We feeling) पायी जाती हैं| गाँव में परम्पराओं की प्रधानता होती है| तकनीक अधिक विकसित नहीं होती है तथा आधे से अधिक जनसंख्या जीविकोपार्जन के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर रहती है| गाँव समुदाय को व्यक्त करता है l

रॉबर्ट रेडफील्ड (Robert Redfield) मैक्सिको के टोपोजलान गाँव का अध्ययन कर गाँव को लघु समुदाय कहा एवं इसकी चार विशेषताओं का उल्लेख किया - (1) विशिष्टता (Distinctiveness) (2) लघुता (Smallness) (3) समरूपता (Homogeneity) (4) आत्मनिर्भरता (Self-sufficiency)बी.आर. चौहान ने राजस्थान के सदड़ी गाँव (राणावतों की सदड़ी) का अध्ययन कर पाया कि रेडफील्ड की केवल दो विशेषताएँ - विशिष्टता एवं लघुता ही भारतीय गाँव पर लागू होती है| जबकि समरूपता एवं आत्मनिर्भरता भारतीय गाँव पर लागू नहीं होती|

चार्ल्स मेटकॉफ (Charles Metcalfe) ने भारतीय गाँव को आत्मनिर्भर मानते हुए इसे ग्रामीण गणतंत्र (Village Republic) से संबोधित किया|

मेटकॉफ के अनुसार ग्रामीण समुदाय छोटे गणतंत्र हैं एवं लगभग वे सभी वस्तुएँ उनके पास होती हैं, जिनकी उन्हें आवश्यकता है एवं किसी भी तरह के बाहरी संबंध से स्वतंत्र होते हैं| (The village communities are little republic, having nearly everything that they want within themselves and almost independent of any foreign relations.)

मेकिम मैरियट (Mckim Marriott) ने किसानगढ़ी गाँव का, डी. एन. मजूमदार ने मुहाना गाँव का तथा एस.सी. दूबे ने समीरपेट गाँव का अध्ययन कर पाया कि वहाँ भी आत्मनिर्भरता नहीं पायी जाती|

वास्तव में भारतीय गाँव कम से कम धार्मिक, कर्मकाण्डीय, विवाह आदि के आधार पर तो अन्य गाँवों से जुड़े रहते हैं, क्योंकि पुरोहित, नाई, कहार आदि जातियाँ कर्मकाण्डीय महत्व रखती हैं, एवं ये सभी गाँवो में नहीं पायी जाती हैं| इसलिए भी भारतीय गाँवो में आत्मनिर्भरता का अभाव पाया जाता है|

रेडफील्ड के शिष्य ऑस्कर लेविस (Oscar Lewis) ने रामपुर (जिसे रानीखेड़ा भी कहा जाता है) गाँव के अध्ययन में पाया कि एक गाँव धार्मिक एवं कर्मकाण्डीय रूप से लगभग 400 गाँव से जुड़े हैं| लेविस ने इसे ग्रामीण विश्वगृहता (Rural Cosmopolitan) से संबोधित किया|

गाँव की विशेषताएँ (Characteristics of Village)

(1) गाँव का एक निश्चित क्षेत्र होता है|

(2) प्रथाओं एवं परम्पराओं की प्रधानता होती है|

(3) सामान्य एवं सादगी पूर्ण जीवन होता है|

(4) आधे से अधिक जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्यों से जुड़े होते हैं|

(5) संयुक्त परिवार पाया जाता है|

(6) विभिन्न उत्सवों एवं समारोहों में गांव के सभी सदस्य हिस्सा लेते हैं|

(7) विभिन्न जातियों के बीच संबंध में जजमानी व्यवस्था महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है|

(8) धन की अपेक्षा सामाजिक प्रस्थिति (Social Status) अधिक महत्त्व की होती है|

गाँव के प्रकार (Types of Village) –

ईरावती कर्वे (Iravati Karve) अपनी पुस्तक इंडियन विलेजेस (Indian Villages) में निवास के आधार पर तीन प्रकार के गाँव का उल्लेख करती हैं –

(1) समूहीकृत या केन्द्रीकृत गाँव (Grouped or Nucleated Village)

(2) पंक्ति नुमा गांव (String Village)

(3) हैमलेट गांव (Hamlet or Cluster Village)

बेडेन पॉवेल (Baden Powell) भूमि की स्थिति के आधार पर गाँव को दो भागों में विभाजित करते हैं –

(1) रैयतवाड़ी (Severalty) (2) संयुक्त (Joint)

डॉ एस.सी. दूबे (S.C.Dube) ने गाँव के छ: प्रकारों का वर्गीकरण किया है|

डॉ बी.आर. चौहान ने गांव की स्थिति (Situation) के आधार पर चार प्रकार के गाँव की चर्चा की है –

(1) एक गाँव एक जाति| (One village and one caste)

(2) एक गाँव अनेक जाति| (One village and many caste)

(3) अनेक गाँव अनेक जाति| (Many village and many caste)

(4) अनेक गाँव एक जाति| (Many village and one caste)

भारतीय ग्रामीण समुदाय के अनेक अध्ययन हुए हैं उनसे संबंधित महत्वपूर्ण किताबें निम्न है –

एस. सी. दूबे – इंडियन विलेज (Indian Village)

एम. एन.श्रीनिवास – इंडिया विलेज (India’s Village)

डी. एन. मजूमदार – रूरल प्रोफाइल्स (Rural Profiles)

मेकिम मैरियट – विलेज इंडिया (Village India)

बेडेन पॉवेल – इंडियन विलेज कम्युनिटी (Indian Village Community)

कस्बा (Town) किसे कहते हैं –

कस्बा गाँव एवं शहर के बीच की स्थिति को दर्शाता है| यहाँ की जनसंख्या कृषि कार्य के साथ लघु एवं कुटीर उद्योग तथा अन्य व्यवसाय से जुड़े होते हैं| 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल 7936 कस्बे हैं| जब कस्बे की जनसंख्या का आकार एवं घनत्व दोनों बढ़ जाता है तो वह नगर के नाम से जाना जाने लगता है|

कस्बा की विशेषताएँ (Characteristics of Town) –

(1) यह गाँव से नगर की तरफ बढ़ने की प्रक्रिया को दर्शाता है|

(2) इसमें प्रमुख व्यवसाय कृषि क्रियाओं से विपरीत वाणिज्य तथा उद्योग से संबंधित होते हैं|

(3) गाँव की अपेक्षा अधिक औपचारिक होता है|

(4) गाँव एवं शहर की साझा विशेषता को दर्शाता है|

(5) इसमें किसी भी आकार की एक नगरपालिका होती है|

नगर (City) किसे कहते हैं –

वह क्षेत्र जहां की 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या अपनी जीविकोपार्जन के लिए गैर-कृषि कार्य से जुड़े होते हैं,उसे नगर की संज्ञा दी जाती है, तथा उसके अध्ययन को नगरीय समाजशास्त्र कहा जाता है|

अमेरिकी समाजशास्त्री रॉबर्ट पार्क (Robert Park) को नगरीय समाजशास्त्र का जनक माना जाता है| बर्जेस (Burgess) के साथ मिलकर पार्क ने एक किताब दी अर्बन कम्युनिटी (The Urban Community) लिखी इसे नगरीय समाजशास्त्र की प्रथम पाठ्य पुस्तक माना जाता है|

सामान्य रूप से जब नगर की जनसंख्या में अधिक वृद्धि होती है तो केंद्र में बसने वाली जनसंख्या नगर के बाहरी सीमा पर बसने लगती है| यह एक ग्रामीण क्षेत्र होता है, लेकिन नगर के लोगों के बसने के कारण इसे उप-नगर कहा जाता है एवं यह नगरीय विशेषता को दर्शाने लगता है| उप नगर के जुड़ने के साथ नगर, महानगर (Metropolis) में परिवर्तित हो जाता है इसे महानगरीय शहर (Metropolitan City) भी कहा जाता है| महानगरीय शहर को जब हम उप-नगर से जोड़कर व्यक्त करते हैं तो इसे महानगरी क्षेत्र (Metropolitan area) कहते हैं|

लुइस वर्थ (Louis Wirth) के अनुसार नगरीयता एक जीवन शैली है| (Urbanism is a way of life)

नगरीय समाज की विशेषताएँ (Characteristics of Urban Society)

(1) जनसंख्या का आकार एवं घनत्व अधिक होता है|

(2) कार्यों में श्रम विभाजन पाया जाता है|

(3) परम्परा के स्थान पर तार्किकता का महत्त्व अधिक होता है|

(4) शिक्षा, यातायात, संचार, आदि की प्रधानता की होती है|

(5) तकनीकी विकास होता है|

(6) भौतिक विकास के प्रति लोगों में सहजता होती है|

(7) औपचारिक तथा अवैयक्तिक संबंधों की प्रधानता होती है|

(8) आर्थिक लाभ का महत्त्व अधिक होता है|

(9) व्यक्तिगत गतिशीलता के अवसर भरपूर होते हैं|

(10) महिलाओं की प्रस्थिति उच्च होती है|

(11) जाति विभेद का स्थान धीरे-धीरे वर्गीय विभेद लेने लगता है|

नगरों का वर्गीकरण (Classification of Cities)

लेविस मम्फोर्ड (Lewis Mumford) अपनी पुस्तक दी कल्चर ऑफ सिटीज (The Culture of Cities) में नगर के उत्थान एवं पतन (Rise and decay) की छः अवस्थाओं को दर्शातेे हैं –

(1) आरंभिक नगर (Eopolis)

(2) मध्यम नगर (Polis)

(3) महानगर (Metropolis)

(4) विशाल नगर (Megalopolis)

(5) समस्यामूलक नगर (Tyranopolis)

(6) मृतप्राय नगर(Necropolis)

B. F. Hoselitz ने नगर को दो भागों में विभाजित किया – (1) प्रजनक नगर (Generative City) (2) परजीवी नगर (Parasitic City)

ग्रामीण नगरीय संबंध (Rural-Urban Linkage) –

यातायात, संचार आदि के बढ़ने से गाँव की कुछ विशेषताएँ शहर में एवं शहर की कुछ विशेषताएँ गांव में दिखाई देने लगी है| साथ ही जो गाँव नगर के करीब है वे लगभग नगर की ही विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं| गाँव की निर्भरता (जैसे – तकनीक, शिक्षा, रोजगार आदि के लिए) नगर पर होती है एवं नगर की गांँव पर (खाने-पीने की चीजें जैसे – अनाज, दूध आदि) होती है| इस आवागमन एवं विनिमय में कुछ न कुछ आचार-विचार, जीवन शैली आदि का आदान-प्रदान होता रहता है| इस तरह नगर एवं गाँव एक दूसरे से अंतर्सम्बंधित है| इन्हें अलग करके नहीं देखा जा सकता|

किंग्सले डेविस (Kingsley Davis) के अनुसार यदि किसी वर्णपात (Spectrum) पर हम ग्रामीण समुदाय को एक छोर पर स्थित माने तो विशाल महानगर दूसरे छोर पर स्थित मिलेगा|गेंस (Gans) ने इटली मूल के अमेरिकी नागरिकों का अध्ययन कर नगरीय गाँव (Urban village) की अवधारणा दी| उनके अनुसार जब नगर का विस्तार ग्रामीण समुदाय के करीब हो जाता है तब ग्रामीण समुदाय में नगरीय पड़ोस के लक्षण दिखायी देने लगते हैं| इसे ही वे नगरीय गाँव कहते हैं|मैकाइवर एवं पेज के अनुसार ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि ग्रामीण व्यक्ति अधिक मूर्ख एवं नगरीय व्यक्ति अधिक आडम्बरपूर्ण होते हैं| गाँव एवं नगर दोनों समाज है, कोई भी एक दूसरे से अधिक न तो प्राकृतिक है और न ही कृत्रिम|नील एंडरसन (Neil Anderson) के अनुसार एक व्यक्ति यद्यपि गाँव में रहता है फिर भी वह अपने विचार एवं आचरण में नगरीय हो सकता है|

ग्राम्य-नगरीकरण (Ru-urbanisation) – यह सी. जे. गाल्पिन (C. J. Galpin) की अवधारणा है| जब गाँव नगर के प्रभाव में नगरीकरण की ओर अग्रसर होता है तो ऐसे क्षेत्र का निर्माण करता है जो पूरी तरह न तो नगरीय होता है और न ही ग्रामीण| इसे ही गाल्पिन ग्राम्य-नगरीकरण कहते हैं|

ग्रामीण-नगरीय सातत्य (Rural-Urban continuous) – इस अवधारणा के अनुसार ऐसा कोई नगर नहीं है जिसमें ग्रामीण जीवन के तत्त्व विद्यमान न हों| इसी प्रकार ऐसा कोई गाँव नहीं है जिसमें नगरीय जीवन के तत्वों का समावेश न दिखाई देता हो|

गांव और शहर में क्या अंतर है?

गाँवों में गलियां और सड़कें कम होती हैं। गाँवों में कच्ची सड़क होती हैं। वहीँ शहरों में सैकड़ों सड़कें होती हैं, जो पक्की होती हैं और वे लम्बी चौड़ी होती है। गाँवों में बहुत कम दुकानें होती हैं, जबकि शहर में बड़ी मात्रा में दुकानें और मॉल होते हैं।

गांव कितने प्रकार के होते हैं?

(i) पवासी कृषि ग्राम - इस प्रकार के गाँव अस्थायी प्रकार के होते हैं। ... .
(ii) अर्द्ध. ... .
(iii) स्थायी कृषि वाले ग्राम - इस प्रकार के गाँवों में लोग पीढ़ियो से नहीं शताब्दियों से रहते आये हैं। ... .
घरों के संगठन के आधार पर गाँवों को दो भागों में बॉटा जा सकता है:.

गांव से आप क्या समझते हैं?

ग्राम या गाँव छोटी-छोटी मानव बस्तियों को कहते हैं जिनकी जनसंख्या कुछ सौ से लेकर कुछ हजार के बीच होती है। प्रायः गाँवों के लोग कृषि या कोई अन्य परम्परागत काम करते हैं। गाँवों में घर प्रायः बहुत पास-पास व अव्यवस्थित होते हैं

नगर में क्या अंतर है?

शहर और नगर में क्या अंतर है? - Quora. एक लाख से कम आबादी होने पर नगर, एक लाख से ज्यादा होने पर शहर, 10 लाख से ज्यादा आबादी में महानगर और 50 लाख से ज्यादा आबादी पर वृहद महानगर कहा जाता है। मुख्य अंतर आबादी का ही है ना की सुविधाओं का, इसलिए नगर बड़ा होकर शहर बन जाता है

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