निराला की कविता कुकुरमुत्ता में गुलाब किसका प्रतीक है? - niraala kee kavita kukuramutta mein gulaab kisaka prateek hai?

  • Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला और रचनाएँ
  • Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के काव्य संग्रह
    • परिमल : 1929 ई.
      • परिमल में संकलित रचनाएं :
    • गीतिका : 1936 ई.
    • तुलसीदास : 1938 ई.
    • अनामिका : 1937-38 ई. (भाग द्वितीय)
    • कुकुरमुत्ता :1942 ई.
    • अणिमा : 1942-43 ई.
    • अपरा : 1956 ई.
  • Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की प्रमुख कविताएं
    • राम की शक्ति पूजा :
  • Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के चर्चित वाक्य
  • Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के आलोचना ग्रंथ
  • Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के प्रमुख उपन्यास
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  • Vinay Patrika विनय पत्रिका के पद संख्या 140-141 की व्याख्या

नमस्कार दोस्तों ! हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार स्तंभों में एक माने जाने वाले प्रमुख कवि है : Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला। आज हम निरालाजी और उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में ही विस्तार से अध्ययन करने जा रहे है।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म 1899 ईस्वी में तथा मृत्यु 1961 ईस्वी में हुई। इनका जन्म बंगाल के महिषादल में हुआ था। उनका पैतृक गांव गढ़ाकोला (उत्तर प्रदेश) है। निराला हिंदी साहित्य में अपनी प्रगतिशील चेतना के लिए विख्यात है। इन्होने अपने जीवनकाल में कई उपन्यास, कहानियों और निबंधों का लेखन किया है।

  • ये छायावाद के महेश, महाप्राण और अपराजय है। निराला अपनी प्रयोगधर्मिता के लिए विख्यात है। ये ओज और करुणा के कवि माने जाते हैं।
  • रामविलास शर्मा ने निराला को “ओज और औदात्त्य का कवि” कहा है। तथा “राग-विराग” नाम से निराला की कविताओं का संपादन किया है।
  • छायावादी कविता को व्यापक भूमि पर स्थापित करने वाले कवि निराला है। ये अपने व्यंग्य और क्रांतिधर्मा चेतना के लिए विख्यात है।
  • निराला “बसंत के अग्रदूत” माने जाते हैं । ये मुक्त छंद के प्रवर्तक हैं।

निराला छायावाद के शलाका पुरुष माने जाते हैं। ये अपने जीवन में सबसे पहले “समन्वय “ – 1922 पत्रिका से जुड़े। इसके बाद द्वितीय स्थान पर “मतवाला” – 1923 पत्रिका से जुड़े। मतवाला मंडल के सदस्य है :

  1. शिवपूजन सहाय
  2. पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’
  3. निराला
  4. नवजातिक लाल श्रीवास्तव
  5. महादेव प्रसाद सेठ

निराला की पहली और अंतिम रचना निम्न है :

पहली रचना : जूही की कली 1916
अंतिम कविता : पत्रोत्कठिंत 1961
  • पत्रोत्कंठित “की अंतिम पंक्ति इस प्रकार है :

“पुनः सवेरा, एक और फेरा है जी का।”

  • निराला का अंतिम काव्य संग्रह “सांध्यकाकली – 1969” है। इनका एकमात्र काव्य संग्रह जो मरणोपरांत प्रकाशित हुआ।
  • रामविलास शर्मा ने “भारत माता की वंदना ” -1920 को निराला की पहली प्रकाशित कविता माना है।

Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के काव्य संग्रह

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के काव्य संग्रह की सूची नीचे दी गयी तालिका से समझे :

सं.काव्य संग्रहवर्ष
01. अनामिका – प्राचीन भाग 1 1923
02. परिमल 1929
03. गीतिका 1936
04. तुलसीदास 1938
05. अनामिका- भाग द्वितीय 1937-38
06. कुकुरमुत्ता 1942
07. अणिमा 1942-43
08. बेला 1943
09. नए पत्ते 1946
10. अर्चना 1950
11. आराधना 1953
12. गीत कुंज 1956
13. अपरा 1956
14. सांध्या काकली 1969 – मरणोपरांत

परिमल : 1929 ई.

  • परिमल की भूमिका में निराला ने छायावादी काव्य भाषा और छंद आदि पर विचार व्यक्त किया है :

“जिस प्रकार मनुष्य की मुक्ति होती है, उसी प्रकार कविता की भी मुक्ति होती है।
मनुष्य की मुक्ति कर्मों के बंधन से छुटकारा पाने में है और
कविता की मुक्ति छंदों के शासन से छुटकारा पाने में है।”

  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने परिमल का अध्ययन करते हुए ही निराला को “विरुदों का सामंजस्य एवं बहुवस्तु स्पर्शिनी प्रतिभा का कवि” कहा है।

परिमल में संकलित रचनाएं :

  1. संध्या सुंदरी
  2. यमुना के प्रति
  3. शेफालिका
  4. रेखा
  5. जागो फिर एक बार
  6. पंचवटी प्रसंग
  7. जागरण
  8. जूही की कली
  9. महाराज शिवाजी का पत्र
  10. कवि
  • निराला में ने प्रारंभ में बादल राग कविता को परिमल संग्रह में शामिल किया था।
  • बाद में इसे यहां से हटाकर अनामिका भाग द्वितीय में शामिल कर लिया गया ।

गीतिका : 1936 ई.

  • इसकी चर्चित पंक्ति इस प्रकार है :

“वर दे वीणा वादिनी वर दे”

तुलसीदास : 1938 ई.

  • यह रचना सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण की कविता है । निराला की यह सर्वाधिक कठिन छंद विधान की कविता मानी जाती है।
  • असल में यह सांस्कृतिक संघर्ष की कविता है। जिसमें सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण किया गया है।
  • यह प्रबंधात्म कविता है। कुछ विद्वान इसे खंडकाव्य भी मानते हैं। इसमें 101 छंद है।

अनामिका : 1937-38 ई. (भाग द्वितीय)

  • इसमें शामिल कविताएं निम्न है :
  1. नव बेला
  2. सरोज स्मृति
  3. राम की शक्ति पूजा
  4. बादल राग
  5. तोड़ती पत्थर
  6. सम्राट एडवर्ड अष्टम के प्रति

कुकुरमुत्ता :1942 ई.

  • यह प्रसिद्ध प्रगतिवादी रचना है। यह कविता निराला की महान व्यंग्य रचना है।
  • इसमें कुकुरमुत्ता सर्वहारा वर्ग का और गुलाब पूंजीवाद का प्रतीक है।
  • इसकी चर्चित पंक्ति इस प्रकार है :

“अबे सुन बे गुलाब”

  • कुकुरमुत्ता बाद में “नए पत्ते” काव्य संग्रह में शामिल कर लिया गया है।

अणिमा : 1942-43 ई.

  • इसकी चर्चित पंक्ति इस प्रकार है :

“स्नेह-निर्झर बह गया है ! रेत ज्यों तन रह गया है।”

अपरा : 1956 ई.

  • निराला के जीते जी प्रकाशित यह उनका अंतिम प्रकाशित काव्य संग्रह है।

Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की प्रमुख कविताएं

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की प्रमुख कविताएं निम्नानुसार है :

  1. सरोज स्मृति -1935
  2. राम की शक्ति पूजा – 1936
  3. तोड़ती पत्थर – 1937

राम की शक्ति पूजा :

बांग्ला के कृतिवास रामायण से प्रभावित यह कृति निराला के आत्मसाक्षात्कार की कविता है। इस कविता में राष्ट्रीय चेतना की प्रखर अभिव्यक्ति मिलती है। यह महान बिम्ब विधानो की कविता है तथा ये भाव गाम्भीर्य की कविता भी है।

सरोज स्मृति और तुलसीदास मिलकर राम की शक्ति पूजा का निर्माण करती है। सरोज स्मृति और राम की शक्ति पूजा निराला के आत्मसाक्षात्कार की कविता है।

निराला के छंदों पर रबड़ छंद और केंचुआ छंद का आरोप लगाया जाता है। शुक्लजी के अनुसार, —

“काव्य में न वाद है ना ऐसा,
जिसे लेकर निराला कोई पंथ ही खड़ा कर दे”

Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के चर्चित वाक्य

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के चर्चित वाक्य निम्न प्रकार से है :

“मैंने अपनी कविताओं में मयूर -व्याल को पूंछ से बांध दिया है।”

“मुझे प्रोफेसरों के बीच में छायावाद को सिद्ध करना होगा।”

“वह कवि ही क्या, जिसके कलाकार के हाथ, दार्शनिक के पैर और पहलवान की छाती ना हो।”

Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के आलोचना ग्रंथ

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के आलोचना ग्रंथ इस प्रकार है :

  1. रविंद्र कविता कानन
  2. पंत जी और पल्लव

Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के प्रमुख उपन्यास

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के उपन्यास इस प्रकार है :

सं.उपन्यासवर्ष
01. अप्सरा 1931
02. अलका 1933
03. निरुपमा 1936
04. प्रभावती 1936
05. कुल्ली भाट 1938-39
06. बिल्लेसुर बकरिहा 1942

इसप्रकार दोस्तों ! आज आपने Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला और उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में जाना। आपको निरालाजी के प्रमुख काव्य संग्रह, कविताएं, उपन्यास एवं आलोचना ग्रंथ के बारे में भी विस्तृत जानकारी हो गयी होगी। उम्मीद करते है कि आज के नोट्स आपको अवश्य ही पसंद आये होंगे। धन्यवाद !

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एक गुजारिश :

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कुकुरमुत्ता किसका प्रतीक है?

इस कविता में कुकुरमुत्ता-श्रमिक, सर्वहारा, शोषित वर्ग का प्रतीक या प्रतिनिधि है, तो गुलाब, सामंती, पूंजीपति वर्ग का प्र्रतीक या प्रतिनिधि है। 'कुकुरमुत्ता' यह निराला की सामाजिक चेतना, प्रगतिवादी, प्रयोगशील प्रवृत्ति को निरुपित करनेवाली कविता है।

अबे सुन बे गुलाब में गुलाब किसका प्रतीक है?

उत्तर - अबे सुनबे गुलाब में गुलाब पूंजीपति का प्रतीक है।

कुकुरमुत्ता कविता में कवि ने किसका वर्णन किया है?

कुकुरमुत्ता, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की एक प्रसिद्ध लंबी कविता है जिसमें कवि ने पूंजीवादी सभ्यता पर कुकुरमुत्ता के बयान के बहाने करारा व्यंग्य किया गया है। कुकुरमुत्ता गुलाब को सीधा भदेश अंदाज में संबोधित करता हुआ उसके सभ्यता की कलई उधेड़ता चला जाता है।

कुकुरमुत्ता कविता का मूल स्वर क्या है?

'कुकुरमुत्ता' सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' जी की एक लंबी और प्रसिद्ध कविता है। इस कविता में कवि ने पूंजीवादी सभ्यता पर कुकुरमुत्ता के बहाने करारा व्यंग्य किया है। यह कविता स्वतंत्रता पूर्व सनˎ 1941 में लिखी गई निराला जी की बहुचर्चित, सामाजिक, व्यंग्यात्मक कविता है। इस कविता का मूल स्वर प्रगतिवादी है।

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