नाव दुर्घटना से बचने व बचाने को लेकर नाविकों को दिया गया प्रशिक्षणमुंगेर। सोमवार को सुरक्षित नौका परिचालन के लिए नाविकों एवं नाव मालिकों के लिए प्रशिक्षण का मुंगेर। सोमवार को सुरक्षित नौका परिचालन के लिए नाविकों एवं नाव मालिकों के लिए प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण का आयोजन लल्लू पोखर गंगा घाट पर किया गया। प्रशिक्षक नारायण सहनी व धमेंद्र सहनी के द्वारा नाव की सवारी करने वाले यात्रियों को कहा गया कि सवारी के दरम्यान किन बातों का ध्यान रखना है । जैसे पंजीकृत नाव से यात्रा करें । नाव की क्षमता दर्शानें वाली सफेद पट्टी का निशान का ध्यान रखें । अपनी सुरक्षा ओवर लोडेड नाव पर नहीं बैठें । वर्षा के समय नाव की यात्रा न करें । जर्जर नाव से यात्रा नहीं करें । सूर्योदय से पहले व सूर्यास्त के बाद नाव की यात्रा न करें। तेज हवा व बारिश के समय नाव की सवारी न करें। नाव से पानी निकालने के उपयोगी वर्तन नाव में रखें। प्रशिक्षण में यात्री एवं माल वाहक नावों के लिए चालक दल का निर्धारण, लोड लाईन या मुक्तांश का पालन, नाव प्रभारी व नाविक के आचरण, नाव में संरक्षा एवं परिचालन से संबंधी उपकरण एवं उनका उपयोग आदि के बारे में नौका परिचालन के लिए आवश्यक नियम एवं आचरण के बारे में विस्तार से कहा गया । वहीं कई जीवन रक्षक उपाय भी उपस्थित प्रशिक्षु कन्हाई, सुरेश, बनवारी, सोनेलाल, विनोद, भोली, कृष्णानंद, ओपेन्द्र, गणेश, विषो, मुन्नू, सौरभ, शत्रुधन, सिकेंद्र, गोपी, धमेंद्रर, प्रकाश, जगदंबी व साधु सरण को विस्तार से कहा गया । Edited By: Jagran लखीमपुर खीरी। जनपद की तहसील पलिया, निघासन, धौरहरा और लखीमपुर के सैकड़ों गांव हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं, जिनमें आवागमन के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। नाव में आवश्यकता से अधिक लोगों के बैठने पर दुर्घटना होने का खतरा रहता है, तो वहीं नाव संचालन के मानक पूरा न होना भी दुर्घटना का कारण बनता है। अब मानसून सक्रिय होने के साथ ही नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है, जिससे नदी किनारे बसे गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। जिला आपदा प्रबंध प्राधिकरण के आपदा विशेषज्ञ पंकज मिश्रा ने संभावित बाढ़ के मद्देनजर बचाव की तैयारियों के संबंध में समस्त नाव चालकों के लिए आवश्यक गाइड लाइन (दिशा निर्देश) जारी किए हैं। नाव दुर्घटना के कारणों के बारे में कहा है कि क्षमता से अधिक भार या अधिक सवारी बैठाने पर नाव दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। पुरानी नाव के ज्यादा रफ्तार में होने के कारण भी हादसे की संभावना बनी रहती हैं। नाव संचालन के लिए बने मानकों को पूरा न करना भी दुर्घटना का कारण बनता है और दोषपूर्ण नाव का डिजाइन भी जानलेवा साबित हो सकता है। नाव में यात्री द्वारा हंगामा करने से भी दुर्घटनाएं हो जाती हैं। नाव चालक यदि शराब के नशे में हो तो भी दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। बाढ़ पूर्व तैयारी के लिए नाविकों के लिए सुझाव इन बातों का भी दें ध्यान - पंकज मिश्रा, आपदा विशेषज्ञ, जिला आपदा प्रबंध प्राधिकरण |